RE: Desi Chudai Kahani मकसद
“यहीं रहते हैं नायर साहब ?”
“रहता अशोक विहार में है लेकिन जरूरत पड़ने पर यहां भी रुक जाता है ।”
“अशोक विहार में कहां ?”
उसने एक पता बताया जो कि मैंने नोट कर लिया ।
“और वकील साहब ?”
“वो शालीमार बाग रहता है । लेकिन वो नायर की तरह रोज यहां नहीं होता । नायर तो नौ से छ: बजे तक लाजमी तौर पर यहां होता है वकील तभी आता है जब या तो बुलाया जाए या फिर उसका शूटिंग की प्रैक्टिस का दिल कर आए ।”
“वो भी आपकी तरह शूटिंग का शौक रखते हैं ?”
“हां पक्का निशानेबाज है वो । क्रैक शॉट । सारी दिल्ली में नाम है ।”
“क्या नाम है उनका ?”
“पुनीत खेतान ।”
“जी !”
“तुम्हारे जैसा ही खूबसूरत और होनहार नौजवान है । कारोबारी मशवरे के लिए तो हमारे पास फौज है वकीलों की लेकिन खेतान मेरा पर्सनल लीगल एडवाइजर है । फैमिली मेम्बर जैसा दर्जा है उसका यहां !”
खुशकिस्मत है पट्ठा ! - मैं मन ही मन भुनभुनाया - हर जगह फिट है ।
“आपकी फैमिली में कौन-कौन है,” प्रत्यक्षत: मैं बोला ।
“मेरे अलावा मेरी बीवी सुधा है, नौजवान बेटी पिंकी है और उससे कोई दस साल बड़ा नौजवान बेटा मनोज है ।” वह एक क्षण ठिठका और फिर बोला “मिस्टर कोहली, जब तुम्हें हमने कांफिडेंस में लिया है और तुम हमारे लिए काम भी करने वाले हो तो एक बात हम तुमसे छुपाकर नहीं रखना चाहते ।”
“कौन-सी बात ?”
“पिंकी की बात । लेकिन वादा करो कि इस बाबत तुम कहीं मुंह नहीं फाड़ोगे ?”
“मैं वादा करता हूं ।”
“गुड । हमारे साथ वफादारी दिखा कर घाटे में नहीं रहोगे, मिस्टर कोहली । हमारा काम करो, वो रिवॉल्वर हमें वापस दिलाओ, बतौर फीस हम तुम्हारी कल्पना से बाहरी रकम तुम्हें देंगे ।”
“कि.... कितनी !”
“तुम्हारा वो ब्लैकमेलर क्लायंट उस रिवॉल्वर के बदले में हमसे पचास हजार रुपए हासिल करना चाहता है । कोहली उसे पचास हजार रुपए देने की जगह हम तुम्हें एक लाख रुपया देना पसंद करेंगे ।”
मेरा दिल जोर से धड़का । मेरा जी चाहा कि मैं वार्तालाप को वहीं विराम लगाकर आंधी की तरह मंदिर मार्ग पहुंचूं और तूफान की तरह रिवॉल्वर लेकर वापस लौटूं ।”
बड़ी मुश्किल से आपके खादिम ने अपने लालच पर जब्त किया ।
“सर” मैं बोला, “अगर वो रिवॉल्वर मर्डर वेपन निकला तो उसकी जगह पुलिस की कस्टडी होगी ।”
“उस सूरत में तुम्हारा काम ये साबित करना होगा”, वह बोला, “कि हमारा या हमारी फैमिली का किसी मर्डर से कोई लेना-देना नहीं ।”
“आपको पूरा एतबार है इस बात ?”
वो खामोश हो गया ।
“आप पिंकी की वावत कुछ कहने जा रहे थे ।”
“हां ।” वो तनिक चिंतित भाव से बोला, “सच पूछो तो वो हमारे एतबार को डगमगा रही है ।”
“जी !”
“बहुत उच्छ्र्न्खल लड़की है । मां-बाप के हाथों से निकली हुई । जितनी उसकी उम्र है, उससे दस गुणा ज्यादा गुल खिला चुकी है । शुरू से ही प्राब्लम चाइल्ड रही है वो । दस साल की थी जबकि उसकी मां मर गई थी । तब हम अपनी आज की हालत में नहीं थे और अपने कारोबार में बहुत मसरूफ रहते थे । पिंकी के लिए वक्त निकालते थे अपने बिजी विजनेस शेड्यूल में से लेकिन शायद वो काफी नहीं होता था । गवर्नेस थी उसके लिए लेकिन वो उसके काबू में नहीं आती थी । छ साल यूं ही कटे । फिर उसने बचपन की बेहूदा और काबिले एतराज हरकतें छोड़कर नौजवानी वाली बेहूदा और काबिले एतराज हरकतें शुरू कर दीं । कहते शर्म आती है लेकिन मौजूदा हालात में बताना जरूरी हो गया है कि जब वो दसवीं जमात में थी तो प्रेगनेंट हो गई थी । बड़ी मुश्किल से हालात को काबू में किया । स्कूल छुड़ा दिया । घर पर ही उसकी पढाई-लिखाई का इंतजाम किया तो अपने से तीन गुणा उम्र के टीचर पर ही डोरे डालने लगी । लेडी टीचर रखी तो उसे पीटकर भगा दिया । उस विकट स्थिति का हल शुभचिंतकों ने ये सुझाया कि हम फिर से शादी कर लें । तब छब्बीस साल का मनोज था और शादी शर्म की बात थी लेकिन औलाद की खातिर शादी की । बीवी तकदीर से समझदार और फर्माबरदार मिल गई । उसने हमारी प्रॉब्लम को अपनी प्रॉब्लम माना और बड़े यत्न से पिंकी को काबू करना शुरू किया ।”
“वो कामयाब हुई ?”
“किसी हद तक । अगले दो साल बहुत ही चैन से गुजरे । हमें लगा कि पिंकी पर कोई नामुराद साया था जो टल गया था लेकिन तकदीर की मार कि फिर हमें फालिज मार गया । हमारी उस दुश्वारी की घड़ी में बीवी की तवज्जो हमारी तरफ हुई तो बेटी फिर हाथों से निकल गई । इस बार और भी बड़ा गुल खिलाया । ड्रग एडिक्ट बन गई । गनीमत समझो कि जल्द पता लग गया । दो महीने सेनिटोरियम में रखा । सुधर कर घर आई तो मरी मां और अपाहिज बाप का सदका देकर वादा लिया कि फिर वो नशे का नाम नहीं लगी । बदले में उसने शर्त लगाई कि उसकी आजादी में खलल न डाला जाए, उसकी जरूरतों पर अंकुश न लगाया जाए, उस पर जासूसी न कराई जाए और उसका मुकम्मल एतबार किया जाए । मजबूरन उसकी वे शर्त मानीं । तब तक उन्नीस से ऊपर की हो चुकी थी वो । उस उम्र में लड़की को बेड़ियां पहनाकर तो नहीं रखा जा सकता था न ?”
“जी हां बजा फरमाया आपने ।”
“बीवी राय देती थी कि शादी कर दें लेकिन वो अपनी बला दूजे के सिर मढ़ने जैसा काम होता । फिलहाल हमने ये ही उचित समझा कि हम भगवान से उसे सुबुद्धि देने की प्रार्थना करें और कुछ अरसा सिलसिला यूं ही चलता रहने दें ।”
“ठीक से चला सिलसिला ?”
उसने अवसादपूर्ण ढंग से इनकार में गर्दन हिलाई और फिर बोला, “चार महीने पहले अपनी दस सहेलियों के साथ हफ्ते के लिए मुंबई गई । सहेलियां आंठवें दिन लौट आई, पिंकी न लौटी । सहेलियों से पूछताछ की बिना पर मुंबई पड़ताल करवाई तो वो वहां थी ही नहीं । पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई । कुछ पता न चला । बीस दिन बाद किसी ने बताया कि उसने पिंकी को नेपाल में देखा था । फौरन मनोज को नेपाल जाने के लिए तैयार किया । लेकिन उसके रवाना होने से पहले ही वो घर लौट आई । पूरे एक महीने बाद । पूछने पर कुछ बताने को तैयार नहीं । पूछताछ को अपनी आजादी में खलल का दर्जा देने लगी । हमारे ऊपर इल्जाम लगाने लगी कि हम अपने वादे से फिर रहे थे । साथ ही यकीन दिलाने लगी कि उसने सैर करने के अलावा कोई बेजा हरकत नहीं की थी । बता कर सैर क्यों नहीं की ? क्योंकि उसे अंदेशा था कि हम यूं अकेले सैर की इजाजत न देते । बहरहाल पिंकी घर लौट आई थी और हमारे पास खामोश रह जाने के अलावा कोई चारा नहीं था ।”
“था सब कुछ ठीक-ठाक ?”
“कहां था ठीक-ठाक ! अभी पिछले ही महीने बीवी ने अंदेशा जाहिर किया कि वो शायद फिर नशा करने लगी थी । फिर ड्रग एडिक्ट बन गई थी !”
“ओह !”
“अब वो बड़ी हो गई थी तो चालाक भी हो गई थी । ऐसी बातें छुपाकर रखने की कला जान गई थी । पूछे जाने पर साफ मुकर गई । रो-रोकर चिल्ला-चिल्लाकर आसमान सिर पर उठा लिया । हमें ही खामोश हो जाना पड़ा ।”
“अब आप लोग क्या कर रहे हैं ?”
“फिलहाल तो उसे वॉच ही कर रहे हैं ।”
“आई सी ।”
“मिस्टर कोहली, तुम्हें पिंकी की केस हिस्ट्री से वाकिफ कराने का मकसद ये था कि उस रिवॉल्वर को लेकर अगर इस हाउसहोल्ड में कोई बन्दा कोई गुल खिला सकने मे सक्षम था तो वो पिंकी थी ।”
“अगर आप उससे रिवॉल्वर की बाबत सीधे सवाल करें तो ?”
“तो वो साफ मुकर जाएगी । रिवॉल्वर की कभी सूरत भी देखी होने से इंकार कर देगी । हम क्या जानते नहीं उसके कम्बख्त मिजाज को ! ऊपर से सालों-साल झूठ बोलते रहने की वजह से झूठ बोलने का इतना तजुर्बा जो हो गया है उसे ।”
“उसकी आजादी बरकरार है ?”
“फिलहाल तो बरकरार है फिलहाल तो जब, जिसके साथ चाहती है आती-जाती है ।”
“घर में किसी से भीगती है ?”
“क्या मतलब ?”
“सर, डज शी कनफाइइ इन एनीबोडी ?”
“ओह । दैट ! देखो, हमारे से तो उसकी भरपूर कोशिश होती है कि वो न्यारी-न्यारी ही रहे । भाई से भी कुछ यूं ही पेश आती है । सुधा से कुछ खुलती है लेकिन उसका हमें कोई खास फायदा नहीं होता ।”
“क्यों ?”
“तीन चौथाई बातें तो सुधा हमसे छुपा लेती है । हमारी नाजुक तंदरुस्ती की खातिर ।”
“फिर भी ये शक मिसेज माथुर ने आप पर जाहिर किया कि पिंकी शायद फिर नशा करने लगी थी ?”
“हां । ये गम्भीर मसला जो था । ये भी वो छुपाती तो उसे बीवी और मां दोनों के रोल में फेल माना जाता ।”
“हूं । आपके ख्याल से पिंकी कत्ल कर सकती है ?”
“वो प्रॉब्लम चाइल्ड है । बोला न । शी इज नॉट ए नॉर्मल किड । वो कुछ भी कर सकती है ।”
“आपकी निगाह में कोई कैंडीडेट है जिसके कत्ल का वो इरादा कर सकती हो । अपने इरादे पर चाहे वो अमल न कर पाई हो लेकिन जिसकी वजह से उसने आपकी रिवॉल्वर चुराई हो ?”
वह कुछ क्षण सोचता रहा, फिर उसने पहले हौले हौले और फिर जोर-जोर से इनकार में सिर हिलाया ।
आपके खादिम को उसका इनकार सरासर फर्जी लगा ।
“एक बात आप समझते हैं न, सर ?” मैं बोला, “अगर वो कत्ल की गुनहगार निकली तो उसके गुनाह पर पर्दा डालना मेरे बूते से बाहर की बात होगा ।”
“इतनी मोटी फीस लेकर भी ।”
“जी हां ।” मैं दृढ स्वर में बोला, “कत्ल के केस में पुलिस हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी रहती । वो मुजरिम को पकड़ने के लिए जमीन आसमान के कुलाबे मिला देती है । उनके सामने मेरे जैसा एक अदना प्राइवेट डिटेक्टिव....”
“नैवर माइंड । आई अंडरस्टैंड युअर लिमिटेशंस । तुम वही करो जो कर सकते हो ।”
“क्या ?”
“असलियत का पता लगाओ । मालूम करो कि पिंकी ने ऐसा-वैसा तो कुछ नहीं कर डाला ! मालूम करो और पुलिस से पहले, किसी से भी पहले, मालूम करो ।”
“उससे आपको क्या फायदा होगा ?”
“बहुत फायदा होगा । फोरवार्नड इज फोरआर्म्ड । यू नो ?”
“'यस सर ।”
“फिर जहां पर्दा डालना होगा वो हम डालेंगे । जो बात तुम्हारे बूते से बाहर है, वो जरूरी नहीं कि हमारे बूते से भी बाहर हो ।”
मैने हैरानी से उसकी तरफ देखा । उस घड़ी वो क्षीण-सा फालिज का मारा वृद्ध मुझे किसी फौलादी इन्सान से कम न लगा ।
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