RE: Desi Chudai Kahani मकसद
इंस्पेक्टर देवेन्द्र कुमार यादव एक कोई पैंतीस साल का हट्टा-कट्टा नौजवान था । वो किसी थाने से सम्बद्ध नहीं था । वो पुलिस हैडक्वार्टर में वहां की नौंवी मंजिल के एक कमरे में बैठता था और फ्लाइंग स्क्वाड के उस दस्ते से बतौर इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर सम्बद्ध था जो केवल कत्ल के केसों की तफ्तीश के लिए भेजा जाता था । पहले मेरा उसका छत्तीस का आंकड़ा ही रहता था लेकिन, कर्टसी सुधीर कोहली, जबसे वो इंस्पेक्टर बना था मेरी थोड़ी बहुत कद्र करने लगा था ।
मुझे मदान के साथ आया देखकर वो बहुत हैरान हुआ ।
“कोल्ली मेरा यार है ।” मदान बोला, “पुराना । खास ।”
उसने हत्प्राण से मेरी शक्ल मिलती होने पर भी हैरानी जाहिर की ।
“कहते हैं” मैं बोला, “इस दुनिया में कहीं-न-कहीं हर किसी का डबल है । मेरा राजधानी में ही निकल आया ।”
उसने बड़ी गंभीरता से सहमति में सिर हिलाया ।
खाकसार की जाती राय है कि सरकारी मुलाजमत में आदमी का ज्यों-ज्यों रुतबा बुलंद होता जाता है, वो संजीदा और ज्यादा संजीदा होता जाता है । संजीदगी उसकी कुर्सी से मैच करता एक अलंकरण बन जाता है ।
“पोस्टमार्टम हो गया ?” मैंने सीधा सवाल किया ।
“कत्ल की” वो मुझे घूरता हुआ बोला, “कितनी वाकफियत है तुम्हें ?”
“उतनी ही जितनी मदान साहब को है । कल रात ही मेरी इन से बात हुई है ।”
“कोई ऐसी बात” वो मदान से बोला, “जो आपने इसे बताई हो, हमें न बताई हो ।”
“ऐसी कोई बात नहीं ।” मदान बोला, फिर उसने भी पूछा, “पोस्टमार्टम हो गया ?”
“हां, हो गया ।” यादव बोला, “लाश इर्विन की मोर्ग में है, जाके क्लेम कर सकते हैं आप । मैं आपको चिट्ठी दे दूंगा ।”
मदान ने सहमति में सिर हिलाया ।
“क्या पता लगा पोस्टमार्टम से ?” - मैं बोला ।
“यही कि कत्ल” यादव बोला, “बाइस कैलिबर की गोली दिल में जा लगने से हुआ है । डॉक्टर ने कत्ल का वक्त परसों रात सात और नौ के बीच का मुकर्रर किया है । लाश बहुत देर में बरामद हुई । कत्ल से अगले दिन दोपहर बाद । इसीलिए डॉक्टर कत्ल का इस वक्फे से ज्यादा क्लोज वक्त निर्धारित नहीं कर सका । वैसे हमें एक और साधन से निश्चित रूप से मालूम है कि कत्ल आठ बजकर अट्ठाइस मिनट पर हुआ था ।”
“मदान साहब ने किसी एंटीक टाइमपीस का जिक्र किया था । क्या वही है वो साधन ?”
“हां । वो घड़ी गोली लगने की वजह से आठ अट्ठाइस पर रुकी पाई गई थी ।”
“मुझे मौका-ए-वारदात पर एक निगाह डालने की इजाजत मिल सकती है ?”
हकीकतन मौकाएवारदात पर एक ‘और’ निगाह डालने का आपका खादिम कतई ख्वाहिशमंद नहीं था । ऐसा मैंने महज यादव के जेहन में ये स्थापित करने के लिए कहा था कि मौका-ए -वारदात पर मैं अभी तक गया नहीं था और अब जा पाता तो उसके जैरेकरम ही जा पाता ।
उसने घूरकर मुझे देखा ।
“प्लीज ।” मैं बोला ।
“लंच आवर में यहां आ जाना । ले चलूंगा ।”
“शुक्रिया ।”
“पहले फोन करके आना ।”
“जरूर । अब अपनी तफ्तीश के बारे में कुछ बताओ ।”
“मेरी तफ्तीश के मुताबिक इस केस का बेसिक क्लू या तो पैट्रन ऑफ शूटिंग है, या फिर रिवॉल्वर का कैलीबर है । ये दोनों ही बातें इस बात की तरफ बड़ा मजबूत इशारा करती हैं कि कातिल कोई औरत थी । वो मकतूल से परिचित थी इसलिए मकतूल ने उसे स्टडी में रिसीव किया था जहां कि उसने रिवॉल्वर मकतूल की तरफ तानकर आंखें बंद करके गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं । मकतूल उस वक्त सकते की हालत में पहुंच गया होगा और इसी वजह से अपने बचाव के लिए कुछ नहीं कर सका होगा । जैसे अनाप शनाप गोलियां चली है, उसमें ये कातिल की खुश्किस्मती ही कही जा सकती है कि एक गोली, कोई सी एक गोली उसके दिल में जा धंसी ।”
“कातिल का कोई अंदाजा ?”
“अभी तफ्तीश जारी है । वैसे दो जनाना कैरेक्टर सामने आए हैं । एक सुजाता मेहरा जिसने कि लाश बरामद की और दूसरी सुधा माथुर नाम की एक महिला जिसकी खबर हमें पुनीत खेतान नाम के उस वकील से लगी है जो कि कत्ल से कोई पौना घंटा पहले तक मकतूल के साथ था ।”
“कत्ल का हथियार बरामद हुआ ?” मैंने खामखाह सवाल किया । कैसे बरामद होता, वो तो, कर्टसी सुधीर कोहली, मंदिर मार्ग पर सुजाता मेहरा के होस्टल के कमरे में उसकी बरसाती की जेब में पड़ा था ।
लेकिन यादव का जवाब फिर भी चौंका देने वाला निकला ।
“हथियार बरामद नहीं हुआ” वो बोला, “लेकिन हमें मालूम है कि वो हथियार कैसा था और उसका मालिक कौन है ।”
“वो कैसे ?”
“सुधा माथुर के बयान खातिर हम उसके पति कृष्ण बिहारी माथुर की फ्लैग स्टाफ रोड पर स्थित कोठी पर गए थे । वहां हमें मिस्टर माथुर का हथियारों का विशाल कलैक्शन दिखाई दिया था । हमने तमाम हथियारों की लिस्ट हासिल की थी और उन्हें फायर आर्म्स के रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड से मिलाकर देखा था तो हमें मालूम था कि लिस्ट में एक बाइस कैलिबर की सीरियल नम्बर डी -211436 की रिवॉल्वर दर्ज नहीं की गई थी । मिस्टर माथुर से दोबारा सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा था कि ऐसा गलती से हो गया था । लेकिन और हथियारों की तरह वो उस रिवॉल्वर को पेश नहीं कर सके थे । रिवॉल्वर कहां गायब हो गई थी, इसका कोई संतोषजनक जवाब भी वो नहीं दे सके थे । असलियत की तसदीक तो रिवॉल्वर की बरामदगी के बाद और उसके बैलेस्टिक एग्जामिनेशन के बाद ही होगी लेकिन फिलहाल मुझे पूरी-पूरी गारंटी है कि वही गुमशुदा रिवॉल्वर मर्डर वैपन है । और इसी वजह से मिस्टर माथुर के हाउसहोल्ड का हर मैम्बर और उनके यहां आने वाला हर रिश्तेदार और वाकिफकार सस्पैक्ट है ।”
“वो मेरे लिए बुरी खबर थी । पुलिस की तवज्जो इतनी जल्दी और इतनी गंभीरता से माथुर के हाउसहोल्ड की तरफ हो जाना वहां से हासिल होने वाली मेरी मोती फीस में विघ्न डाल सकता था ।
“बातचीत किस किससे हुई ?” मैंने पूछा ।
“सरसरी तौर पर अभी मिस्टर माथुर से, उनकी पत्नी सुधा माथुर से, पुनीत खेतान से और सुजाता मेहरा से हुई । बाकियों से अभी होगी । बारीकी से अभी इनसे भी होगी ।”
जो कि मेरे लिए चिंता की बात थी । कल सारा दिन जिन लोगों के पीछे मैं पड़ा रहा था, उनमें से कोई भी सहज स्वाभाविक ढंग से ही कोई ऐसी बात उगल सकता था जिससे पुलिस को ये मालूम हो जाता कि कत्ल की खबर आम होने से बहुत पहले ही मैं उन लोगों से कत्ल की बाबत पूछताछ करता फिर रहा था ।
फुर्ती बरतने में ही मेरा कल्याण था ।
वहां से अब कुछ और हासिल होता मुझे दिखाई नहीं दे रहा था । वहां टिके रहना अब बेमानी था ।
“चलें ?” मैं मदान से बोला ।
तभी एकाएक मेज पर रखे फोन की घंटी बज उठी ।
यादव ने अपना हाथ बढाकर रिसीवर उठाया और उसे कान से लगा लिया । वह कुछ क्षण हां हूं करता दूसरी ओर से आती आवाज सुनता रहा । हां हूं के अलावा जो एक पूरा फिकरा उसके मुंह से निकला था ‘आपको कैसे मालूम’ लेकिन लगता था कि तभी लाइन कट गई थी क्योंकि यादव ने बुरा-सा-मुंह बनाकर फोन वापस क्रेडल पर रख दिया ।
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