RE: Desi Chudai Kahani मकसद
कोई कुछ न बोला ।
“गोलियों का मौजूदा पैट्रन देखकर पहले मैं भी ये ही समझा था कि वो आनन-फानन अंधाधुंध चलाई गई थीं, लेकिन अब मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि एक-एक गोली सोच-सोचकर ताक-ताक कर दागी गई थी और ये कि......”
मैं एकाएक खामोश हो गया । मैंने नोट किया कि यादव अपलक मुझे देख रहा था ।
“क्या हुआ ?” मैं हड़बड़ाया ।
“पहले कब ?” वो सख्ती से बोला ।
“क्या पहले कब ?”
“पहले कब देखा तुमने गोलियों का ये पैट्रन ? तुम तो यहां अब पहली बार मेरे सामने कदम रख रहे हो ?”
“वो..... क्या है कि....मैंने अखबार में पढ़ा था ।”
“अखबार में ऐसा कुछ नहीं छपा ।”
“तो फिर मुझे मदान ने बताया होगा । या शायद......”
“रिवॉल्वर मिल गई, साहब ।”
मैं दरवाजे की तरफ घूमा ।
रिवॉल्वर की तलाश में गए दोनों पुलिसिए वापस लौट आए थे । एक के हाथ में रुमाल में लिपटी रिवॉल्वर थी जो वो हाथ आगे करके यादव को दिखा रहा था ।
यादव ने करीब आकर रिवॉल्वर का मुआयना किया ।
“यही” कुछ क्षण बाद वो बोला, “मालूम होता है मर्डर वैपन ।”
“यानी कि” बात का रुख बदलने की गरज से मैं बोला, “तुम अब कबूल करते हो कि मधु ने जो रिवॉल्वर नदी में फेंकी थी, वो मर्डर वैपन नहीं हो सकती ।”
“तो क्या हुआ ?” वो बोला, “इरादाएकत्ल का इल्जाम इस पर अभी भी आयद होता है । इसने खुद ये इकबालिया बयान दिया है कि ये घातक हथियार से लैस होकर शशिकांत के कत्ल की गरज से यहां आई थी ।”
“यार, अगर असली कातिल पकड़ा जाए तो इसके उस बयान की क्या अहमियत रह गई ! क्यों खामख्वाह गरीबमार करते हो ? ये क्या छोटी बात है कि सिर्फ चौबीस घंटे में तुमने कत्ल के इतने पेचीदा केस को हल कर दिखाया !”
“अभी कहां हल कर दिखाया ? कातिल कहां है ?’
“उसने कहां जाना है ! उसका पकड़ा जाना तो महज वक्त की बात है ।”
“लेकिन.....”
“सुनो । मौजूदा हालात में पहले ये बात कबूल करो कि मधु ने अपने बयान में जो कुछ भी कहा है, वो बिल्कुल सच कहा है ।”
“चलो, बहस के लिए किया कबूल । आगे ?”
“इसका कहना है कि जब ये यहां पहुंची तो शशिकांत मरा पड़ा था और एटलस वाली उस एंटीक घड़ी में, जोकि टूटकर अभी भी आठ अट्ठाईस पर खड़ी है, साढ़े सात बजने वाले थे । इस घड़ी की शहादत का मेरे ऊपर भी, बहुत रौब गालिब था, इसलिए मैंने यही समझा था कि मधु से टाइम देखने में गलती हुई थी । मैंने समझा था कि घड़ी में बजे साढ़े आठ के करीब थे लेकिन ये टाइम साढ़े सात के करीब का समझ बैठी थी । उस वक्त घड़ी टूटी भी नहीं थी । टूटी होती तो ये असाधारण बात इसकी तवज्जो में आई होती । घड़ी ही नहीं, उस वक्त कुछ भी टूटा फूटा नहीं था यहां । होता तो टूट-फूट वाली किसी न किसी चीज ने इसकी तवज्जो अपनी तरफ जरूर खींची होती । अब अगर इसकी बात पर एतबार किया जाए कि उस वक्त शशिकांत मरा पड़ा था तो इसका साफ मतलब है कि तब तक यहां सिर्फ एक गोली चली थी । वही एक गोली चली थी जो शशिकांत का दिल बींध गई थी । अगर ऐसा था तो ये अपने आपमें सबूत हुई कि बाकी की पांच गोलियां बाद में, एक खास मकसद से, यहां एक खास तरह की स्टेज सैट करने के लिए, बहुत सोच-समझकर और भारी सूझबूझ के साथ चलाई गई थीं । मैं तो यहां तक कहता हूं कि मधु की यहां इस स्टडी में आमद के वक्त कातिल यहीं मौजूद था ।”
सब चौंकें ।
“मधु यहां एकाएक पहुंच गई थी ।” मैं आगे बढा, “तब पहुंच गई थी जबकि कातिल यहां अपनी कारगुजारी करके बस हटा ही था । इसकी आहट सुनकर ही कातिल ने यहां की ट्यूब लाहट बंद कर दी थी ताकि यहां अंधेरा पाकर मधु यहां न आती । बाकी बत्तियां बंद करने का उसे मौका नहीं मिला था इसलिए मधु जब यहां पहुंची थी तो उसे बाहर कम्पाउंड में और ड्राइंगरूम में जगमग-जगमग मिली थी जबकि औरों को यहां अंधेरा....”
मैने एकाएक होंठ काटे ।
“आगे बढ़ो ।” यादव अपनी झोंक में बोला ।
“'लेकिन मधु यहां भी आई” मैं तत्काल आगे बढ़ा, “ये क्योंकि खुद शशिकांत के कत्ल के इरादे से यहां पहुंची थी इसलिए इसने तो उसकी तलाश में कोठी में हर जगह जाना ही था । इसके कदम जब यहां पड़े थे तो कातिल निश्चय ही सामने” मैंने अटैचड बाथरूम के दरवाजे की ओर संकेत किया, “उस दरवाजे के पीछे जा छुपा था । मधु ने ही आकर यहां की ट्यूब लाईट जलाई थी । यहां पहुंचकर उसने बाथरूम में झांकने की कोशिश की होती तो यकीनन शशिकांत के साथ-साथ यहां इसकी भी लाश मिलती । क्योंकि कातिल को यूं रंगे हाथों पकड़े जाना कबूल न होता । शशिकांत की लाश देखते ही आतंकित होकर इसके यहां से भाग खड़ा होने ने ही परसों रात इसकी जान बचा दी ।”
मैंने देखा मधु के शरीर ने जोर की झुरझुरी ली ।
हालात को नाटकीयता का पुट देने के लिए कुछ क्षण मैं मुस्कुराता हुआ खामोश खड़ा रहा ।
“अब जरा शूटिंग की तरफ दोबारा लौटकर आओ ।” मैं बोला - “इस बाबत मैं पहले एक मिसाल देना चाहता हूं । फर्ज करो कोई अपने पक्का निशानेबाज होने का, आई मीन क्रैक शॉट होने का रोब गालिब करना चाहता है लेकिन हकीकत में उसका निशाना ऐसा नहीं है । वो एक दीवार पर कहीं भी छ: गोलियां दागता है और जहां-जहां गोलियां लगी हैं वहां-वहां गोली के बेस के गिर्द गोल दायरे लगा लगा देता है और फिर उस दीवार को अपनी निशानेबाजी के कमाल के तौर पर पेश करता है । देखने वाला यही समझता है कि उसने दायरे में गोली मारी जबकि उसने गोली के गिर्द दायरा बनाया । यूं वो ये साबित करने में कामयाब हुआ कि वो क्रैक शॉट है । ओ के ?”
यादव ने सहमति में सिर हिलाया ।
“लेकिन यहां ऐन इससे उलटी नीयत का दखल है । यहां हमारा कातिल हकीकत में क्रैकशॉट है लेकिन वो ये स्थापित करना चाहता है कि गोलियां अनाड़ी ने चलाई । अब जाहिर है कि जो कुछ पहले निशानेबाज ने किया इसने उससे ऐन उलट करना है । ये निशानेबाज दीवार पर छ: दायरे खींचता है, बड़ी दक्षता से छ: के छ: दायरों को अपनी आला निशानेबाजी से बींधता लेकिन पांच के गिर्द से दायरे मिटा देता है । अब जब कोई निशानेबाजी के ‘इस’ नमूने को देखता है तो वो सहज ही ये सोच लेता है कि वो किसी अनाड़ी निशानेबाज का काम था और जो एक निशाना दायरे में लग गया था वो महज तुक्के से लग गया था । क्या समझे ?”
“तुम्हारा मतलब है कि यहां कातिल ने बड़े इत्मीनान से पहले इकलौती गोली से मकतूल का काम-तमाम कर दिया और फिर बाकी की पांच गोलियां उस पहले शॉट की अक्युरेसी को कवर करने के लिए इधर-उधर दाग दीं ?”
“पहले की नहीं दूसरे की ।”
“दूसरे की ।”
“जो उसने उस एटलस वाली घड़ी पर चलाया । उसको अपने लिए एलीबाई गढनी थी । इसलिए उसने पहले घड़ी की सुइयां घुमाकर उन्हें आगे किया, आठ बजकर अट्ठाइस मिनट पर पहुंचाया और फिर उसनसे परे खड़े होकर उसे गोली मारकर तोड़ दिया ताकि घड़ी उस वक्त पर रुक जाए और समझा जाए - जैसा कि समझा गया कि कत्ल उसी वक्त हुआ था ।”
“ओह !”
“वो बस ये दो गोलियां चलाकर ही यहां से रुखसत हो जाता तो, यादव साहब, तुम हालात पर शक जरूर करते । इसलिए उन गोलियों के अंजाम को कवर करने के लिए उसने रिवॉल्वर की बाकी चार गोलियां भी यहां दाग दीं । फिर वो बड़े इत्मीनान से यहां से रुखसत हो गया । अब उसने सिर्फ इतना करना था कि ये स्थापित करना था कि साढ़े आठ बजे वो मौकाए वारदात से बहुत दूर कहीं और मौजूद था ।”
“कौन था वो ?”
“ये जानना अब क्या मुश्किल रह गया, यादव साहब ! कौन है वो शख्स जो ये कहता है कि शशिकांत साढ़े सात बजे जिन्दा था ? जबकि मधु की गवाही कहती है कि वो उस वक्त मरा पड़ा था ?”
“पुनीत खेतान !”
तभी पुनीत खेतान ने वहां कदम रखा ।
|