RE: Desi Chudai Kahani मकसद
“पुनीत खेतान !”
तभी पुनीत खेतान ने वहां कदम रखा ।
“कौन याद कर रहा था मुझे ?” वो मुस्कराता हुआ बोला ।
“अभी तो हम ही याद कर रहे थे, वकील साहब ।” मैं बोला, “लेकिन आगे-आगे सारा शहर याद करेगा, बल्कि सारा मुल्क याद करेगा ।”
“क्या मतलब ?” वो हकबकाया ।
“मैं इंस्पेक्टर साहब के सामने आपकी अचूक निशानेबाजी के कसीदे पढ़ रहा था । इन्हें बता रहा था कि कितने नामी-गिरामी क्रैक-शॉट हैं आप राजधानी के ।”
“इस चर्चा की वजह ?”
“यहां आपकी शूटिंग के इतने नमूने जो मौजूद हैं ।”
“मेरी शूटिंग के ?”
“अलबत्ता एक नमूना घट गया है ।”
“कौन-सा ?”
“शशिकांत । मकतूल जिसका कि परसों शाम आपने यहां कत्ल किया ।”
“क्या बकते हो ?” वो भड़ककर बोला, मैं...मैं.....”
“आप” यादव सख्ती से बोला, “बड़े मुनासिब वक्त पर आए हैं । आ ही गए हैं तो थोड़ी देर खामोश रहिये ।”
“लेकिन....”
“कहना मानिए ।”
खेतान ने मदान की तरफ देखा ।
“थोड़ी देर खामोश ही रह, खेतान ।” मदान बोला, “और सुन कोल्ली क्या कहता है ?”
“पहले क्या कह चुका है ?” खेतान सशंक स्वर में बोला ।
“वो मैं बताऊंगा आपको ।” यादव बोला, “तुम आगे बढ़ो ।”
“क्या आगे बढूं ?” मैं बोला ।
“जहां तक एलीबाई स्थापित करने का सवाल है तो इसका ये मतलब तो इतने से ही हल हो जाता था कि ऐन साढ़े आठ बजे यहां से मीलों दूर ये अब्बा में था । फिर इसने दिल्ली गेट से मिसेज माथुर को फोन करने का खटराग क्यों फैलाया ?”
“क्योंकि किन्हीं कागजात को लेकर इसकी और मकतूल की भीषण तकरार हुई थी और उस तकरार का एक गवाह था ।”
“कौन ?”
“सुजाता मेहरा । उस तकरार के दौरान वो यहां मौजूद थी और उसने किन्हीं कागजात को लेकर खेतान और शशिकांत को बुरी तरह लड़ते-झगड़ते सुना था । खेतान के लिए उस पॉइंट को कवर करना जरूरी था वर्ना वो तकरार ही पुलिस की तफ्तीश का रुख इसके लिए बड़े फंसने वाले विषय की ओर मोड़ देती ।”
“क्या मतलब ?”
“मेरा अंदाजा है कि जो कागजात परसों रात तकरार का मुद्दा थे वो शशिकांत के शेयर और सिक्योरिटीज थे जिसका एक काफी बड़ा भाग खेतान ने बेच खाया हुआ है ।”
“क्या बकते हो ।” खेतान चिल्लाया, “मैं.....”
“चुप रहिये, मिस्टर खेतान ।” यादव बोला ।
“लेकिन ...... ये हो क्या रहा है, ये क्या ड्रामेबाजी है ? मैं यहां अपने क्लायंट के बुलावे पर आया हूं लेकिन यहां तो....”
“आई सैड शटअप ।” यादव गला फाड़कर चिल्लाया ।
खेतान सहमकर चुप हो गया ।
“आगे बढ़ो ।” यादव मेरे से बोला, “कैसे जानते हो कि इसने मकतूल शेयर और सिक्योरिटीज बेच खाई हुई है ?”
“मैं नहीं जानता ।” मैं बोला, “ये महज मेरा अंदाजा है और इस अंदाजे की बुनियाद है शशिकांत का कत्ल और इसके बादशाही ठाठ-बाट । ऐश पर, मौज-मेले पर, दोनों हाथों से पैसा लुटाने वाला शख्स है ये । दस पैसे से होने वाले काम पर दस रूपये खर्च करना इसका पसंदीदा शगल है । खूबसूरत औरतों का रसिया है । किसी खास हसीना को हासिल करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा सकता है । कल रात अब्बा में मैंने अपनी आंखों से इसे अंधाधुंध पैसा फूंकते देखा था । इसकी पोशाक देखो । इसका रख-रखाव देखो । सोने का ब्रेसलेट । नीलम की अंगूठी । राडो की घड़ी । एयर कंडीशंड ऑफिस । टयोटा कार । अभी मैंने इसका घर नहीं देखा । लेकिन वो भी यकीनन बाकी ऐय्याशियों से मैच करता ही होगा । इतने ठाठ-बाट को मेनटेन करने के लिए पैसा हलाल की कमाई से नहीं आता । इसकी ऐश यकीनन किसी की अमानत में खयानत का नतीजा है ।”
“हूं ।”
“ये कहता है कि बीस-बाईस लाख रूपये शशिकांत का स्टॉक अभी भी इसके अधिकार में है । इसके ऑफिस से बड़ी आसानी से चैक किया जा सकता है कि मूलरूप से इसके पास शशिकांत के कितनी रकम के शेयर वगैरह थे और उनमे से बीस-बाईस लाख के शेयर सलामत हैं भी या नहीं ।”
“यूं किया घोटाला इसे कभी तो फंसा ही देता ?”
“इसे ऐसी उम्मीद नहीं होगी । ये शेयर बाजार की समझ रखने वाला आदमी है । कई शेयर ऐसे होते हैं जिनके रेट वक्ती तौर पर एकाएक ऊंचे उठ जाते है और फिर चंद दिनों में ही नीचे गिर जाते हैं । ये शेयरों को ऊंची कीमत पर बेचकर उनके नीचे गिरने पर वापस खरीद लेता होगा और अपने क्लायंट को बिना बताए मुनाफा डकार जाता होगा ।”
“क्लायंट ही कीमत उठने पर शेयर बेचने का ख्वाहिशमंद निकल आए तो ?”
“तो उसे ये पुड़िया देता होगा कि भाव तो अभी और ऊंचा, कहीं ज्यादा ऊंचा, जाने वाला था ।”
“क्लायंट को इसकी राय न मंजूर हो तो ?”
“किसी को मंजूर होगी । अकेला शशिकांत ही तो इसका क्लायंट नहीं ।”
“यानी कि कहीं-न-कहीं तो इसका दांव चल ही जाता होगा ?”
“इंस्पेक्टर साहब ।” पुनीत खेतान चिल्लाया, “ये मुझ पर बेजा इल्जाम है । मैं ये बकवास नहीं सुन सकता । मैं....मैं...”
“क्या मैं मैं ?” यादव उसे घूरता हुआ बोला ।
“मैं अभी पुलिस कमिश्नर के पास जाता हूं ।”
“आप यहां से हिलेंगे भी नहीं ।”
“क्यों ? मैं क्या यहां गिरफ्तार हूं ?”
“जाने की कोशिश करके देखिये । मालूम पड़ जाएगा ।”
“ये धांधली है । गुंडागर्दी है । मैं एक इज्जतदार आदमी हूं ....”
“इसीलिए आपको मेरी राय है कि अपनी इज्जत बना के रखिये । जो कहा जा रहा है उस पर अमल कीजिए वरना इज्जत का जनाजा यहीं से निकलना शुरू हो जाएगा और निकलता ही चला जाएगा । समझे !”
“लेकिन मैंने किया क्या......”
“हवलदार !” यादव कड़ककर बोला, “साहब के मुंह से दुबारा आवाज निकले तो अपनी टोपी उतार के इनके मुंह में ठूंस देना । अपनी जगह से हिलने की कोशिश करें तो ये फर्श पर लम्बे लेटे नजर आने चाहिए ।”
दोनों हवलदार आगे बढे और मजबूती से खेतान के दाएं-बाएं आन खड़े हुए ।
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