XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-04-2021, 12:23 PM,
#38
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
छाया एक नई लड़की को लाई

जैसे जैसे मेरे लखनऊ जाने के दिन निकट आ रहे थे मेरे हाथ पैर फूलने लगे और इसका मुख्य कारण था कि मेरा वहाँ की चुदाई का प्रबंध नहीं हो पा रहा था.एक दिन शाम को घर लौटा तो देखा कि हवेली में बड़ी चहल पहल हो रही थी.निर्मला को बुला कर पूछा- यह क्या हो रहा है हवेली में?वो बोली- छोटे मालिक, वो लखनऊ से आपके रिश्तेदार आये हैं और मालकिन ने हुक्म दिया है कि आप जैसे बाहर से लौटें, आपको बैठक में भेज दिया जाए.
मैं सोचने लगा कि ऐसा कौन आया होगा लखनऊ से?फिर हाथ मुंह धोकर मैं बैठक में गया तो वहाँ एक बुज़र्ग आदमी और उसके साथ उसकी जवान पत्नी और दो जवान लड़कियाँ बैठी थी.
मुझे देखते ही मम्मी ने आगे बड़ कर मेरे को उन सबसे मिलवाया.मम्मी ने बताया कि वो बुजुर्ग मेरे दूर के ताऊ थे और उनके साथ उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियाँ थी जो लखनऊ में ही पढ़ रहीं थी. ताऊजी भी लखनऊ में रहते थे.

मम्मी के इशारे पर मैंने ताऊजी और ताई जी के चरण स्पर्श किये और वहीं खाली कुर्सी पर बैठ गया.तब मैंने ध्यान से उन सबको देखा, ताऊजी हट्टे कट्टे लग रहे थे और ताई भी उनसे उम्र में काफी छोटी लग रही थी. ऐसा नहीं लग रहा था कि वो दोनों बेटियों की माँ हो, दोनों ही अच्छी दिख रहीं थी.
मैं चुपचाप बैठा रहा.तभी ताऊ जी ने पूछा- कौन से कॉलेज में दाखिला लिया है बेटा तुमने?मेरे बोलने से पहले ही मम्मी ने बता दिया.दोनों लड़कियाँ एकदम चहक उठीं- अरे हम भी उसी कॉलेज में पढ़ती हैं. चलो अच्छा हुआ कि सतीश का साथ हो जाया करेगा वहाँ.मैं भी थोड़ा मुस्करा दिया.
थोड़ी देर बाद वह परिवार वापस लखनऊ चला गया और लड़कियाँ ज़ोर देकर कह गई कि लखनऊ में आऊँ तो उन मैं उनसे ज़रूर मिलूँ. दोनों के साथ सम्बन्ध बनाने का विचार नहीं आया हालाँकि लड़कियाँ अच्छी लगी.
शाम हो गई और मैं घूमने निकल गया. घूमते हुए मैं अपनी कॉटेज की तरफ निकल गया, चौकीदार ने दरवाज़ा खोल दिया और वहाँ मैं एक लेमन की बोतल, जो आइस बॉक्स में ठंडी हो रही थी, निकाल कर पीने लगा.
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, खोला तो देखा कि वहाँ चन्दा खड़ी थी.मैं घबरा गया कि यह क्या कर रही है यहाँ.
वो अंदर आ गई और बोली- छोटे मालिक मेरा तो काम नहीं बना.मैं बोला- तुम्हारा कौन सा काम?‘वही गर्भवती होने का!’‘ओह्ह, तो फिर मैं क्या कर सकता हूँ?’‘एक बार और चोदो न?’ वो गिड़गड़ाते हुए बोली.
‘नहीं नहीं चंदा, ऐसे थोड़े होता है. मैं कल आऊँगा निर्मला के साथ, तब तुम आ जाना.’‘किस वक़त छोटे मालिक?’‘नाश्ता करके आ जायेंगे दोनों… ठीक है? तुम्हारी माहवारी कब हुई थी इस महीने?’‘वो तो हो चुके हैं 10 दिन!’‘तो फिर ठीक है. कोशिश कर देखो शायद काम बन जाए?’
मैं दरवाज़े पर उसको ले गया और बाहर कर दिया. मेरा मन बहुत घबरा रहा था कि यह क्या हो रहा है? इस तरह गाँव की सारी औरतें आने लगी तो मैं बदनाम हो जाऊँगा.कॉटेज को ताला लगा कर मैं वापस चल दिया.
रास्ते में मुझको छाया अपनी सहेली के साथ दिख गई. मैंने उसको आवाज़ दी और वो आ गई, उसकी सहेली दूर खड़ी रही और हम बातें करने लगे.मैंने उसको चंदा की बात बताई, वो भी बहुत नाराज़ हुई, कहने लगी- कल मैं उसको खुद ले कर आऊँगी. आप उसको एक बार और चोद दो छोटे मालिक, शायद उसका भाग्य भी चमक जाए.‘चलो, कल देखेंगे.’
‘छोटे मालिक इस लड़की को ध्यान से देखो, कैसी है?’‘यह कौन है?’‘इसका नाम गंगा है और इस का पति इसको छोड़ गया, बम्बई में उसने दूसरी शादी कर ली है. बेचारी बड़ी मजबूर है. मैंने इससे बात कर ली है और यह तुम्हारे लिए लखनऊ काम करने के लिए तयार है.’‘अच्छा कल सुबह तुम इसको और उस साली चंदा को ले आना, कॉटेज में बात कर लेंगे. अच्छा मैं चलता हूँ.’
यह कह कर मैं घर वापस आ गया.रात को निर्मला से चुदाई हो नहीं सकी क्यूंकि उसकी माहवारी शुरू हो चुकी थी.
अगले दिन मैं नाश्ता करके कॉटेज में पहुँच गया. वहाँ सिवाए चौकीदार के और कोई नहीं था. तो उसको मैंने छुट्टी दे दी.थोड़ी देर बाद चंदा और गंगा के साथ छाया आ गई.छाया मुझ को दूसरे कमरे में ले गई और बोली- छोटे मालिक आप पहले चंदा से निबट लो, फिर मैं आपकी गंगा से बात करवा देती हूँ.
वो बाहर गई और चंदा को लेकर आ गई, चंदा बोली- यह गंगा यहाँ क्या कर रही है? कहीं यह हमारा भांडा न फोड़ दे?‘नहीं चंदा बहन, वो हमारे साथ है. तुम अपना काम करवाओ.’‘नहीं. तुम ऐसा करो कि गंगा को भी यहीं बुला लो और हम दोनों के साथ छोटे मालिक कर देंगे.’
मैं बोला- ऐसा नहीं हो सकता है, मैं गंगा को बिल्कुल नहीं जानता तो उसको कैसे चोद सकता हूँ.छाया बोली- गंगा की जिम्मेवारी मैं लेती हूँ, आप दोनों चुदाई शुरू करो, गंगा और मैं बाद में बात कर लेंगे छोटे मालिक से.
यह कह कर छाया तो बाहर चली गई और जब मैंने मुड़ कर देखा तो चंदा धोती उतार चुकी थी और ब्लाउज उतार रही थी.इस बार मुझको चंदा को देख कर कोई ख़ुशी नहीं हो रही थी.वो जल्दी से आई, उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और वो कुछ ही देर में पूरा खड़ा हो गया.

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