XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-04-2021, 12:31 PM,
#47
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना के साथ जीवन का नया अध्याय

नैना जब लखनऊ में आई तो उसके पास धन के नाम मेरे दिए हुए थोड़े से रूपए ही थे. जब तक वो चले वो एक छोटी सी धर्मशाला में रही और जब वो खत्म हो गए तो वो मजबूरन लोगों के घर का काम-काज करने लग गई और एक सज्जन परिवार में उसको आसरा भी मिल गया लेकिन घर के मालिक की बुरी नज़र से बच कर वो वहाँ से भाग निकली और फिर दूसरे मोहल्ले में यही काम करने लगी.
उसको गाँव की खबरें मिलती रहती थी. लेकिन उसने अपने बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. आजकल वो किसी आर्मी अफसर के परिवार में घरेलू काम कर रही है, यह सब सुन कर मैंने उसको कहा- नैना, सामान बांध और चल मेरे साथ.वो बोली- नहीं छोटे मालिक, अब मैं यहाँ ही ठीक हूँ.‘मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनूंगा, सामान बाँध, मैं तांगा लेकर आता हूँ, तू आज ही मेरे साथ जाएगी.’यह कह कर मैं बाहर निकल गया और थोड़ी देर में तांगा लेकर आ गया.
नैना का थोड़ा बहुत जो सामान था, वो लेकर आ गई और मैं उसकी मकान मालकिन के पास जा कर उसका पूरा हिसाब चुकता कर दिया.कोठी पहुँच कर मैंने चौकीदार को बुलाया और हुक्म दिया कि एक कोठरी वो नैना को दे दे और उसका सारा सामान उसी कोठरी में रख दिया जाए.मैंने पारो को भी बुलाया और उसके साथ नैना का परिचय कराया और कहा- यह वो औरत है जिसने मुझको पाला है और यह अब गंगा की जगह सारा काम किया करेगी.तभी मैंने मम्मी को भी फ़ोन कर के बता दिया कि कैसे नैना मुझ को मिल गई है और उसको मैं घर सम्हालने के लिए ले आया हूँ.मम्मी बड़ी ख़ुशी हुई और उन्होंने नैना से भी बात की.

मैं बड़ा खुश था कि कामक्रीड़ा सिखाने वाली मेरी गुरु मुझको दुबारा मिल गई थी. लेकिन पारो का चेहरा थोड़ा मुरझाया हुआ था जो स्वाभाविक ही था.मैंने कोशिश करके पारो के मन में उठ रहे किसी प्रकार के संशय को खत्म कर दिया और उसको तसल्ली दी कि वो पहले की तरह ही काम करेगी और रात को हमारे साथ ही सोया करेगी.यह सुन कर पारो बड़ी खुश हो गई.
रात को खाने के बाद वो दोनों अपना बिस्तर ले कर मेरे कमरे में ही आ कर लेट गई. मैंने दोनों से पूछा कि उन दोनों को एक दुसरे के साथ सोना उचित लगेगा या नहीं.दोनों ने हाँ में सर हिला दिया.
तब मैंने नैना से पूछा- नैना, आज तुम बताओ कि कैसे आज हम नए तरीके चुदाई करें? तुमने तो छाया के साथ भी मुझको चोदते हुए देखा है न, तो शर्माना नहीं, पारो भी माहिर है चुदाई की कला मैं.नैना बोली- मैं यहाँ आज तो नई हूँ तो आप बताओ कि कैसे चुदाई करनी है वैसे ही कर देंगी हम दोनों.
मैंने कहा- पहले कपड़े तो उतारो.और मेरे कहते ही दोनों निर्वस्त्र हो गई पूरी तरह से! मैं भी नंगा हो गया. मेरे खड़े लंड को देख कर दोनों बड़ी खुश लग रही थी.नैना ने मेरे लंड को हाथ में लिया और नाप और बोली- छोटे मालिक, यह तो पहले से एक इंच बड़ा हो गया है. क्या किया आपने?‘मैंने कुछ नहीं किया, बस वही किया जो तुमने मुझको सिखाया था.’‘चुदाई? कितनों से?’‘हा हा… वो तो एक राज़ है जो राज़ ही रहेगा. वैसे चुदाई के कुछ नतीजे सामने आने वाले हैं जल्दी ही.’‘अरे वाह छोटे मालिक? आप तो छुपे रुस्तम निकले.’
अब मैंने दोनों औरतों को ध्यान से देखा, कद बुत में एक जैसी थी दोनों लेकिन बाकी शरीर में काफी फर्क था. जैसे पारो के मम्मे ज्यादा मोटे और गोल थे और नैना के मम्मे थोड़े छोटे लेकिन उनमें पूरा तनाव था.इसी तरह दोनों के चूतड़ मोटे और गोल थे और जाँघें भी एकदम संगमरमर के खम्बे लग रही थी, चेहरे में काफ़ी फर्क था, नैना का चेहरा उम्र छोटी होने से ज्यादा चमक दमक वाला लग रहा था और पारो का थोड़ा प्रौढ़ता लिए हुए था.दोनों की झांटों में भी समानता थी क्यूंकि दोनों ही काली बालों वाली थीं.मुझ को लगा की दोनों ने कभी झांटों को साफ़ या काटा नहीं था.
यह प्रश्न मैंने दोनों से पूछा तो पारो बोली- छोटे मालिक, गाँव में चूत के बाल काटना मना है क्यूंकि चूत के बाल सिर्फ रंडियाँ ही काटती हैं, घरेलू औरतें नहीं काटती कभी!नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, ऐसा ही रिवाज़ है.
फिर दोनों ही मेरे अगल बगल लेट गई. मैंने अपने हाथों की उँगलियाँ से उनकी झांटों के साथ खेलना शुरू कर दिया और नैना मेरे लंड के साथ खेलने लगी.तभी मुझ को विचार आया कि क्यों न आज इन दोनों की चूत को चाटा जाए.
सबसे पहले मैंने नैना को कहा- मैं तुम्हारी चूत को जीभ से चाटूंगा और तुम पारो की चूत के साथ भी वैसा ही करो अगर कोई ऐतराज़ न हो तो?दोनों मान गई.
नैना पलंग के बीचों बीच लेट गई और चूत वाली साइड मैं उसकी टांगो को चौड़ा कर के बैठ गया और पारो उसके मुंह पर टांगों के बल बैठ गई और अपनी चूत को नैना के मुंह के ठीक ऊपर रख दिया.मैंने धीरे से अपनी जीभ उसकी चूत में एक बार घुमाई और फिर उसके भगनसा को चाटने और चूसने लगा.
ऐसा करते ही उस ने अपने चूतड़ बिस्तर से ऊपर उठा दिए. उधर नैना की जीभ लगते ही पारो ने अपने जांघों को खोलना बंद करना शुरू कर दिया.नैना अपने हाथों से पारो की चूत के ऊपर भी उंगली से रगड़ रही थी. दोहरे हमले को पारो ज्यादा देर सहन नहीं कर सकी और ‘उउउई मेरी माआआ…’ बोलती हुए छूट गई.
उधर नैना के चूतड़ पूरे उठ कर मेरे मुंह से चिपके हुए थे और जैसे जैसे मैं उसकी भगनसा को चूस रहा था उसके शरीर में कंपकंपाहट शुरू हो गई और फिर वो इतनी बढ़ गई कि नैना की जांघें ने एकदम से मेरे मुंह को जकड़ लिया. और ऐसा लगने लगा की मैं सांस भी नहीं ले पाऊंगा.
दोनों एकदम निढाल सी लेट गई जैसे बहुत भाग कर आई हों.मैं फिर उनके बीच लेट गया और अपने तने हुए लौड़े से खेलने लगा.जब उन दोनों की सांस ठीक हुई तो मैंने कहा- तुम अब बारी बारी से मेरे लंड को चूसो.
दोनों खुश होकर बारी बारी से मेरे लंड को चूसने लगी. एक के मुंह में लंड और दूसरे के मुंह में अंडकोष.और आखिर में जब लंड नैना के मुंह में था तो न जाने उसने क्या ट्रिक खेली कि मेरा वीर्य का बाँध टूट गया और सारा वीर्य एक फव्वारे की तरह निकला जिसको पहले नैना के मुंह में लिया और बाद में वो पारो के मुंह में जा कर गिरा.
मैं कालेज नियम से जाता था. धीरे धीरे मैं कालेज में एक जनप्रिय छात्र बनता गया. उसका राज़ था खुले दिल से दोस्तों पर खर्च करना. उनमें 3-4 लड़कियाँ भी थी जो उन दिनों लड़कों के साथ ज्यादा मिक्स नहीं होती थी.एक लड़की जिसका नाम नेहा था वो कुछ ज्यादा ही मुझ पर मेहरबान रहती थी. कालेज में अक्सर वो कैंटीन में मिल जाती थी और में उसको नई चली कोकाकोला की बोतल पिला दिया करता था.
उसने एक दो बार मेरे घर आने की कोशिश करी लेकिन मैंने कुछ ज्यादा भाव नहीं दिया.
मेरा सेक्स जीवन पारो और नैना के साथ अच्छा चल रहा था, दोनों रात में मुझसे चुदती थी बारी बारी और जो कुछ नया सोच कर आती थी और करती थी, उसको ईनाम भी देता था.
एक दिन नैना बोली कि आज उसको लखनऊ की एक सहेली मिली थी और अगर छोटे मालिक इजाज़त दें तो उसको बुला लें घर में?मैंने कहा- हाँ हाँ, बुला लो. लेकिन पूछ लेना कि वो हमारे साथ वो सब करेगी जो हम तीनों करते हैं.‘छोटे मालिक, आप निश्चिंत रहें! और अगर पसंद नहीं आई तो वापस भेज देंगे. ठीक है न?’‘चलो देखते हैं.’
कालेज से जब मैं घर पहुँचा तो खाने के बाद नैना एक छरहरे जिस्म वाली कमसिन लड़की को ले आई और कहने लगी- यह रेनू है छोटे मालिक!लड़की दिखने में तो अच्छी थी लेकिन फिर मेरे मन में ख्याल आया कि हमारा चौकीदार लखनलाल ये सब देख रहा है, तो वो क्या सोचेगा कि छोटे मालिक का चरित्र अच्छा नहीं.मैंने नैना को बुलाया अकेले में और कहा- ये सब क्यों कर रही हो? हम तीनो के बीच सब ठीक तो चल रहा है फिर किसी और को क्यों बुलाया जाए? और जितने ज्यादा लोग इसको जानेंगे, उतने ही हमारी बदनामी का खतरा बढ़ जाएगा. और फिर मैं तुम दोनों से खुश हूँ.नैना बोली- ठीक है मालिक जैसा आप कहें.
इधर हमारा यौन जीवन मज़े से चल रहा था, दोनों ही मुझ से बहुत ही खुश थी. नैना तो कई बार कह चुकी थी कि छोटे मालिक अपना खज़ाना बचा के रखिये, शादी के टाइम काम आएगा.लेकिन खज़ाना घटने के बजाए बढ़ता ही जा रहा था.यह अजीब बात नैना और पारो को भी नहीं समझ आ रही थी.

कहानी जारी रहेगी.

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