XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-17-2021, 12:38 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
जैसे ही भाभी पूरी नंगी हो गई, नैना उसकी सफाचट चूत को हाथ से सहलाने लगी.
नैना और मैंने भाभी के नंगे जिस्म को भरपूर निगाहों से देखा, बहुत ही सुन्दर और सुगठित शरीर था भाभी का सिवाये उस की सफाचट चूत का, जो चूत लगती ही नहीं थी, वैसे भी चूत के स्थान पर बाल इसीलिए बनाये गए थे ताकि उस जन्मजननी स्थान को उजागर किया जाए, बालों के बिना वहाँ कुछ भी नहीं दिखता है सिवाए एक पतली सी लाइन के!
मैं और नैना जल्दी से भाभी के सुंदर भागों पर अपना कब्ज़ा ज़माने की होड़ में लग गए. मैंने भाभी के मम्मों पर कब्ज़ा जमा लिया और नैना भाभी के चूतड़ों पर काबिज़ हो गई.
मैं बड़े प्यार से उसके काले चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा और उसके मोटे गोल उरोजों को छूने और सहलाने लगा.भाभी के काले घने बाल बहुत लम्बे और रेशमी लग रहे थे.भाभी ने मेरे खड़े लंड को दोनों हाथों में पकड़ रखा था और उस की हल्की हल्की मुठी मार रही थी.नैना ने भाभी में अपनी ऊँगली डाल रखी थी और उसकी भग को मसल रही थी.भाभी भी दोनों हाथों का आनन्द ले रही थी.
तभी नैना ने कहा- भाभी तैयार है!और तभी भाभी और मुझको एक सख्त आलिंगन में ले लिया, हम दोनों को बिस्तर पर ले गई, पहले उसने भाभी को लिटा दिया और मुझको भाभी की चौड़ी हुई टांगों में बैठने का इशारा किया और मैं लेकर वहां बैठ गया और धीरे से लंड को चूत के मुंह और उसकी भग से रगड़ने लगा.
थोड़ी देर में भाभी की अति गीली चूत के ऊपर लंड घिसाई करता रहा और फिर लंड को चूत के ऊपर रख कर हल्का धक्का दिया और लंड सारा का सारा अंदर चला गया भाभी ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के चारों ओर फैला दी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा.
भाभी के रसीले होटों को चूमना और उसके गोल उभरे हुए गालों को किस करना एक अपना ही आनन्द देता था.गर्म भाभी ने गर्मजोशी दिखाते हुए नीचे से ही कमर उठा उठा कर चुदाई में साथ देना शुरू कर दिया.ऐसे में भाभी जल्दी ही छूट गई लेकिन फिर तैयार हो गई.
अब मैंने पोजीशन बदल दी, उनको उठाया और अपनी गोदी में ले लिया और उसकी उभरी हुई चूत में मोटा लंड डाल दिया.वो भी मुझ से पूरी तरह से चिपक गई.
उधर नैना भाभी की आनंद में वृद्धि करते हुए उसके पीछे बैठ गई और हम दोनों को एक सख्त जफ़्फ़ी डाल कर हमको पूरा ही चिपका दिया.मैं लंड चूत में डाल कर बैठा था लेकिन नैना भाभी की गांड को हाथ से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.भाभी मेरे और नैना के बीच में फंसी हुई थी और जैसे नैना चाहती थी वैसे ही हम दोनों को करना पड़ता था.
अब भाभी की चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया था तो मैंने नैना को आँख का इशारा किया और वो अब तेज़ी से भाभी की गांड को आगे पीछे करने लगी.
फिर भाभी ज़ोर की ‘हाय मैं गई…’ कह कर मेरे साथ और चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दोहने लगी.फिर उसने अपना सर मेरी छाती में रख दिया और अपने शरीर की कम्पन से मेरे लंड को जीत की ख़ुशी दे दी.अब मैंने भाभी को लिटा दिया और उसके पीछे बैठी नैना को निशाना बना दिया और जम कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.भाभी मेरे इस हमले को देख रही थी और नैना के मम्मों को उँगलियों से मसल रही थी. क्यूंकि नैना चुदाई देख रही थी तो वो बहुत ही गर्म हुई हुई थी, वो भी चंद धक्कों के बाद झड़ गई और मुझको बैठे हुए ही अपने से चिपका लिया.
नैना ने ज़रा हट कर मेरे गीले लंड को अपनी चूत से निकाला और उसको हैरानी से देखने लगी.मैंने पूछा- क्या देख रही हो रानी?नैना बोली- आज यह कुछ और भी लम्बा और मोटा हो गया है.
भाभी ने भी मेरे लंड को हाथ में लिया और कहा- यह रात से तो और मोटा और लम्बा हो गया है नैना, यह कैसे?नैना हँसते हुए बोली- यह सब मेरी खुराक का कमाल है, आप आगे आगे देखिये, मैं छोटे मालिक के लंड को लोहे का हथोड़ा बना दूंगी, सख्त सख्त चूत को फाड़ कर रख देंगे यह!हम सब हंस पड़े.तब नैना ने भाभी से पूछा- और चुदाना है क्या?भाभी हँसते हुए बोली- नहीं नैना रानी, इतना ही काफी है, और फिर रात भी तो है अपने पास!
मैं और भाभी एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर सो गए थोड़ी देर के लिए, मैं भाभी के मोटे मम्मों को बड़ी ललक से देख रहा था और बार बार उनको चूस भी रहा था.लेकिन मेरे दिमाग में ‘भैया को कैसे मनाएँगे’ का प्रश्न ही चल रहा था. फिर मैंने सोचा भैया को मनाने का काम सिर्फ भाभी का है और किसी का नहीं… तो भाभी को पूरी कोशिश करनी होगी भैया को राज़ी करने में!यह ही सब सोचते हुए मैं गहरी नींद में सो गया.
जब उठा तो भाभी जा चुकी थी, सिर्फ मैं ही लेटा हुआ था एकदम नंगा. मैं उठ कर नहाने चला गया और फ्रेश होकर बैठक में आकर बैठ गया जहाँ नैना मेरे लिए चाय ले आई थी.
चाय पीते हुए हम दोनों भैया के बारे में सोचते रहे कि कैसे मनाया जाए उनको!मैंने नैना से पूछा- अगर भैया कहें कि मैं नैना की भी लूंगा तो क्या तुम तैयार हो जाओगी?नैना बोली- आपका क्या विचार है? मुझको क्या करना चाहिए?मैं बोला- नहीं नहीं, तुम अपनी मर्ज़ी बताओ?नैना बोली- मेरी मर्ज़ी तो जो आप की मर्ज़ी होगी वही मेरी भी होगी.मैं मुस्करा दिया- तुम बड़ी चलाक लोमड़ी हो! चलो जब मौक़ा आएगा तो देखेंगे.
यह बात करके हम दोनों भी बैठक में आ गए जहाँ भाभी पहले से बैठी थी.

कहानी जारी रहेगी.

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