वासना का नशा
08-28-2021, 06:25 PM,
#5
RE: वासना का नशा
शर्मिला ने चौंक कर खुद को संभाला. उन्हें डर था कि कहीं कमली अन्दर आ कर उनका हाल न देख ले. तभी उन्हें अखिल की आवाज सुनाई दी, “नहीं नहीं, ... मैं ठीक हो जाऊंगा.”
“अन्दर से बीवीजी को बुलाऊं?” कमली ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर शर्मिला तेज़ी से बेडरूम में चली गयीं.
अखिल ने कहा, “नहीं, कोई जरूरत नहीं है. मुझे अब थोडा ठीक लग रहा है.”
“पर फिर भी आपको उनसे बात तो करनी होगी न!” कमली उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.
“बात? ... हां, मैं बात करूंगा. ... कमली, क्या तुम अभी जा सकती हो? कल तक के लिए?”
“ठीक है बाबूजी, इतने दिन बीत गए तो एक दिन और सही! मैं चलती हूँ.” कमली उठ कर दरवाजे की ओर चल दी. बाहर निकलने से पहले उसने कहा, “जो भी तय हो वो आप कल मुझे बता देना.”
उसके जाने के बाद अखिल किंकर्तव्यविमूढ से बैठे रहे. वे जानते थे कि अब कमली के पति की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे यह बात शर्मिला को कैसे बताएं. ... शर्मिला को भी भान हो गया था कि कमली जा चुकी थी. उन्हें यह भी ज्ञात हो गया था कि पति की इज्ज़त और जान बचाने के लिए उन्हें उस घटिया आदमी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी. वे जानती थीं कि अखिल के लिए उनसे यह बात कहना कितना कठिन होगा. उन्होंने अपना जी कड़ा किया और ड्राइंग रूम में पहुँच गयीं. उन्होंने देखा कि अखिल की सर उठाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.
शर्मिला ने उनके कंधे पर हाथ रख कर दृढता से कहा, “तुम चिंता छोडो. मैं कर लूंगी.”
“कर लोगी?” अखिल ने आश्चर्य से कहा. “... क्या कर लोगी?”
“वही जो कमली की शर्त है और जो उसका पति चाहता है,” शर्मिला ने कहा.
यह सुन कर अखिल को अपनी पत्नी की इज्ज़त लुटने का दुःख कम और अपना पिंड छूटने की ख़ुशी ज्यादा हुई. उन्हें पता था कि वो फिल्म इन्टरनेट पर आ जाये तो वे किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. पर उन्होंने अपने चेहरे पर संताप और ग्लानि की मुद्रा लाते हुए कहा, “मैं कितना मूर्ख हूं! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मूर्खता की कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. अगर मैं अपनी जान दे कर...”
“मैंने कहा था न कि तुम ऐसी बात सोचना भी नहीं,” शर्मिला ने उनकी बात काटते हुए कहा. “सब ठीक हो जाएगा. ... मुझे तो बस एक ही बात का डर है.”
अखिल ने थोड़े शंकित हो कर पूछा, “डर? ... कैसा डर?”
“यही कि इसके बाद मैं तुम्हारी नज़रों में गिर न जाऊं!” शर्मिला ने कहा. “कहीं तुम मुझे अपवित्र न समझने लगो!”
यह सुन कर अखिल की चिंता दूर हो गई. उन्होंने शर्मिला को गले लगा कर कहा, “कैसी बात करती हो तुम! इस त्याग के बाद तो तुम मेरी नज़रों इतनी ऊपर उठ जाओगी कि तुम्हारे सामने मैं बौना लगने लगूंगा.”
अब यह तय हो गया था कि शर्मिला को क्या करना था. दोनों कुछ हद तक सामान्य हो गए थे. अब अगला सवाल था कि यह काम कहाँ, कब और कैसे हो? कमली का पति कालू (उसका नाम कालीचरण था पर सब उसे कालू ही कहते थे) एक-दो बार इनके घर आया था, यह बताने के लिए कि कमली आज काम पर नहीं आ सकेगी. दोनों को याद था कि वो एक मजबूत कद-काठी वाला पर काला-कलूटा और उजड्ड टाइप का आदमी था. उसकी सूरत कुछ कांइयां किस्म की थी. उसका ज्यादा देर घर के अन्दर रुकना पड़ोसियों के मन में शंका पैदा कर सकता था क्योंकि वो किसी को भी उनका रिश्तेदार या दोस्त नहीं लगता.
दूसरा रास्ता था कि शर्मिला उनके घर जाये. पर इसमें भी जोखिम था. उस मोहल्ले में शर्मिला का कमली के घर एक-दो घन्टे रुकना भी शक पैदा कर सकता था. काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि यदि शर्मिला रात के अँधेरे में वहां जाएँ और भोर होते ही वापस आ जाएँ तो किसी के द्वारा उन्हें देखे जाने की संभावना बहुत कम हो जायेगी. साथ ही वे साधारण कपडे पहनें और थोडा सा घूंघट निकाल लें तो वे कमली और कालू की रिश्तेदार लगेंगी. यह भी तय हुआ कि रात होने के बाद शर्मिला एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जायेंगी और वहां से कमली उन्हें ले जायेगी. अगली सुबह तडके कमली उन्हें वापस पंहुचा देगी. अखिल ने कमली से एक दिन का समय मांगा था इसलिए यह काम अगली रात को करना तय हुआ.
खाना खाने के बाद पति-पत्नी सोने के लिए चले गए पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी. शर्मिला की आँखों के सामने बार-बार कालू का चेहरा घूम रहा था. उन्हें याद था कि वो जब-जब यहाँ आया, उन्हें लम्पट दृष्टि से देखता था. उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो अपनी आँखों से उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश कर रहा हो. उन्हें यह सोच कर झुरझुरी हो रही थी कि कहीं उसने वास्तव में उन्हें नग्न कर दिया तो उन्हें कैसा लगेगा! उसकी बोलचाल भी गंवार किस्म की थी. न जाने वो उनके साथ कैसे पेश आएगा! शर्मिला को उससे अखिल जैसे सभ्य व्यवहार की आशा नहीं थी. और वो बिस्तर पर उनके साथ जो करेगा ... उसकी तो वे कल्पना भी नहीं करना चाहती थीं.
उधर अखिल का भी यही हाल था. शुरू में तो उन्हें भय और तनाव से मुक्त होने की ख़ुशी हुई थी पर बाद में उनका मन न जाने कहाँ-कहाँ भटकने लगा. उन्हें लग रहा था कि उनका कमली को भोगना तो एक सामान्य बात थी पर कालू जैसा आदमी उनकी पत्नी को भोगे ... यह सोच कर उन्हें वितृष्णा हो रही थी. फिर उन्हें महसूस हुआ कि कालू ही क्यों, किसी भी पर-पुरुष को अपनी पत्नी सौंपनी पड़े तो उन्हें इतना ही बुरा लगेगा. उन्हें यह सर्वमान्य पुरुष स्वभाव लगा कि अपनी पत्नी को दूसरों से बचा कर रखो पर दूसरों की पत्नी मिल जाए तो बेझिझक उसका उपभोग करो. ... फिर अखिल के मन में विचार आया कि कालू भी तो यही कर रहा है. दूसरे की पत्नी मिल सकती है तो वो उसे क्यों छोड़ेगा. ... पर वे वे हैं और कालू कालू!
एक और डर अखिल को सताने लगा. कालू कहीं शर्मिला को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे! वो ठहरा एक हट्टा-कट्टा कड़ियल मर्द जबकि शर्मिला एक कोमलान्गी नारी थीं. उन दोनों में कोई समानता न थी. शारीरिक समानता तो दूर, उनके मानसिक स्तर में भी जमीन आसमान का फर्क था. शर्मिला एक सुसंस्कृत और संभ्रांत स्त्री थीं. रतिक्रिया के समय पर भी उनका व्यवहार शालीन और सभ्य रहता था. जबकि कालू से सभ्य आचरण की अपेक्षा करना ही निरर्थक था. अखिल कमली का यौनाचरण देख चुके थे. कहीं कालू ने भी शर्मिला के साथ वैसा ही व्यवहार किया तो?
अपने-अपने विचारों में डूबते-तरते पता नहीं कब वे दोनों निद्रा की गोद में चले गए.
 
अगली रात को -
 
शर्मिला एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर पहुँच गयीं जो उनके घर से थोड़ी ही दूर था. कमली वहां उनका इंतजार कर रही थी. जब वे दोनों कमली के घर की ओर चल पडीं तो रास्ते में कमली ने शर्मिला को कहा, “बीवीजी, मैने अपने एक-दो पड़ोसियों को बताया है कि रात को मेरी भाभी इस शहर से गुज़र रही है. वो हम लोगों से मिलने कुछ घंटों के लिये हमारे घर आएगी. उसे जल्दी ही वापस जाना है इसलिए वो अपना सामान स्टेशन पर जमा करवा के आयेगी. अब आप बेफिक्र हो जाइये. किसी को कोई शक नहीं होगा. कल सुबह आप सही-सलामत अपने घर पहुँच जायेंगी और मेरे मरद की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.”
आखिरी वाक्य सुन कर शर्मिला को फिर झुरझुरी सी हुई. लेकिन अब वे लौट नहीं सकती थीं! उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. और वो होने में ज्यादा देर भी नहीं थी क्योंकि बातों-बातों में वे कमली के घर पहुँच गए थे. घर के अन्दर पहुँच कर शर्मिला एक और समस्या से रूबरू हुईं. उस घर में एक कमरा, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम था. सवाल था कि कमली कहाँ रहेगी!
कालू एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही कमली ने दरवाजा बंद किया, कालू लपक कर शर्मिला के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए कमली से बोला, “कमली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.
उसने अपना मुंह शर्मिला के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, “नहीं, यहाँ कमली है.
तो क्या हुआ, मेमसाहब?” कालू ने कहा. इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.
कमली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, “अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? ... बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.
अब शर्मिला के पास कोई चारा न था. और कमली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब कालू को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, “ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! ... और गाल भी इतने चिकने!
उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. शर्मिला डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.
कालू ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. शर्मिला ने सोचा था कि कालू जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.
उनके होंठों का रसपान करने के बाद कालू ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो शर्मिला को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी कालू की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर कालू के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत कालू को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा कमली के शब्दों ने तोड़ी जब वो कालू से बोली, “अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!
कमली के शब्दों और उसकी भाषा से शर्मिला यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से चूंचीजैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. कालू ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो कमली से बोला, “आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.
कमली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, कालू बोल उठा, “ओ मां! कमली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!
अब कमली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर शर्मिला को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी चून्चियांवास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.
कालू ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, “मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.
यह नया शब्द सुन कर शर्मिला की उत्तेजना और बढ़ गई. कालू ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. शर्मिला की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब कालू की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि कालू इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.
कमली एक बार फिर उन्हें यथार्थ के धरातल पर ले आई. उसने पूछा, “बीवीजी, आपको तकलीफ तो नहीं हो रही है? यह ठीक तरह से दबा रहा है?”
शर्मिला ने आँखें खोल कर सिर्फ इशारे से जवाब दिया. कमली समझ गई कि वे खुश हैं. उसने कालू से पूछा, “और तुझे कैसा लग रहा है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे खाली कर देगा!
तेरी कसम कमली, ऐसी रसीली चून्चिया भगवान किसी किसी को ही देता है. तू चूस के देख. तू भी मान जायेगी.
सच?” कमली के कहा. चल, एक तू चूस और एक मुझे चूसने दे.
अब मियां-बीवी दोनों टूट पड़े शर्मिला की छाती पर. एक चूंची कालू के मुंह में और एक कमली के मुंह में! दोनों ऐसे चूस रहे थे जैसे अपनी जन्म-जन्म की प्यास बुझाना चाहते हों. और इस दोहरे हमले तले शर्मिला को ऐसे लग रहा था जैसे वे आसमान में उड़ रही हों. उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनका पेटीकोट उतरा और कब चड्डी. उन्हें केवल यह पता था कि किसी की उँगलियाँ उनकी जाँघों के बीच थिरक रही हैं और उन्हें स्वप्नलोक में ले जा रही हैं. उनकी तन्द्रा फिर कमली के शब्दों से टूटी. वो कह रही थी, “अब दोनों चूंचियां मैं सम्भालती हूं और तू बीवीजी की चूत को संभाल.
इस बार कमली की भाषा ने उन्हें विस्मित नहीं किया. साथ ही वे यह भी समझ गईं कि अब कालू का असली हमला झेलने का समय आ गया है. पर उनकी उत्तेजना उन्हें इस हमले के लिए तैयार कर चुकी थी. तैयार ही नहीं, वे कामातुर हो कर इस आक्रमण की प्रतीक्षा कर रही थीं. पर हुआ कुछ और ही. उन्हें अपने भगोष्ठों पर कालू के कठोर हथियार की बजाय एक कोमल स्पर्श महसूस हुआ, एक गीला और मादक स्पर्श! उन्होंने अपनी आँखें खोल कर नीचे की ओर झाँका. कमली उनके सीने पर झुकी हुई थी पर फिर भी उन्हें अपनी जाँघों के बीच कालू का सर नज़र आ रहा था. उन्होंने सोचा, ‘हे भगवान! यह अपनी जीभ से वहां क्या कर रहा है?’ फिर उन्होंने मन ही मन सोचा, ‘वो जो भी कर रहा है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.उनके लिए यह एक नया अनुभव था जो उन्हें कामोन्माद की ओर धकेल रहा था.
ऊपर कमली जुटी हुई थी. उसने शर्मिला के मम्मों को चूस-चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. उसका मम्मे चूसने का अंदाज़ उनकी कामोत्तेजना को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा था. जल्द ही वो घडी आ गई जिसका उनको आभास नहीं था. उनका बदन लरजने लगा. वे बेबसी में इधर-उधर हाथ पैर मारने लगीं. और फिर उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर उनका शरीर धनुष की तरह अकड़ गया. कमली और कालू की सम्मिलित कामचेष्टा ने उन्हें यौन-आनंद के चरम पर पहुंचा दिया था.
जब शर्मिला की चेतना लौटी, वे अपने आप को बहुत हल्का महसूस कर रही थीं. उनको ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे उन्हें एक असह्य तनाव से मुक्ति मिली हो. उन्होंने आँखें खोलीं तो पाया कि कमली और कालू उन्हें विस्मय से देख रहे हैं. कमली बोली, “बीवीजी, आपको झड़ते देख कर तो मुझे भी मज़ा आ गया. आपको मज़ा आया?”
शर्मिला खुश तो थीं पर वे थोड़ी शर्मिंदा भी थीं कि वे इन दोनों के सामने इतने जोर से झड़ीथीं (यह शब्द उनके लिए नया था). मगर वे इंकार कैसे करतीं? मज़ा तो उन्हे आया ही था. उन्होंने शर्माते हुए हां में सर हिलाया तो कमली ने कालू की तरफ इशारा करते हुए कहा, “तो अब इसका भी काम कर दीजिये न!
शर्मिला अब इन लोगों की भाषा समझने लगी थीं. वे समझ गयी थीं कि कमली किस कामकी बात कर रही थी. यहां आने से पहले इस कामकी कल्पना भी उनको डरावनी लग रही थी पर कालू से यौनसुख पाने के बाद उनका डर काफी हद तक कम हो गया था. बल्कि उन्हें उसका प्रतिदान करना भी न्यायोचित लग रहा था. उन्होंने स्वीकृति में सर हिलाया तो कमली ने कालू को निर्वस्त्र कर दिया.
कालू शर्मिला के पास लेट कर उनसे लिपट गया. वो उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उसने उनकी चून्चियों, कमर, रानों और चूतड़ों को अपने हाथ से सहलाया. एक बार फिर उसका हाथ उनकी चूत पर और उसका मुँह उनकी चूंची पर पहुंच गया. कमली ने उनके पास लेट कर अपना मुंह उनकी दूसरी चूंची पर जमा दिया. शर्मिला का कामावेग फिर बढ़ने लगा. कमली ने उनका हाथ कालू के यौनांग पर रख दिया. एक बार तो वे उस बलिष्ठ अंग के स्पर्श से चिहुंक उठीं. उन्होंने अपना हाथ पीछे खींचना चाहा पर कमली ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया. फिर स्वतः ही उनकी मुट्ठी उस पर भिंच गई. अब कालू ने अपनी ऊँगली उनकी योनी में घुसा दी. दोनों के हाथ अपना काम करने लगे. कालू उनकी योनी को अन्दर से सहला रहा था और वे उसके लिंग को बाहर से मसल रही थीं. कमली और कालू के प्रयासों ने जल्द ही उन्हें पूर्णतया कामातुर कर दिया. कमली को उनकी तेज होती सांसों का भान हुआ तो उसने पूछा, “बीवीजी, पनिया गईं या अभी देर है?”
शर्मिला को उसकी बात समझ में नहीं आई. उन्होंने उसकी तरफ सवालिया नज़र से देखा तो कमली ने कहा, “आपकी चूत पानी छोड़ रही है क्या?”
शर्मिला ने शर्मा कर हां कहा तो कमली बोली, “ठीक है. अब इसे भी तैय्यार कर दीजिये.
शर्मिला ने नासमझी से पूछा, “कैसे?”
वैसे तो ये तैय्यार ही लगता है,” कमली ने कहा. पर आप थोड़ी देर इसका लंड चूस देंगी तो ये आपको पूरा मज़ा देगा.
 
क्रमशः
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RE: वासना का नशा - by rangeeladesi - 08-28-2021, 06:25 PM

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