Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-01-2021, 04:57 PM,
#34
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहित का लावे जैसा गरम लंड रह, चुदाई से आग की भट्ठी बन गयी चूत की दीवारों पर बिलकुल वैसा ही था जैसा गरम तवे पर पानी की बूंदे | रोहित के लंड रस से रीमा की चूत की दीवारे तर हो गयी | उनकी बरसो से लंड रस से तर होने की मुराद पूरी हो गयी | रोहित का गाढ़ा सफ़ेद लंड रस इतना यदा था की रीमा की चूत के दीवारे उसे रोक नहीं पाई और उनसे रिसकर वो बाहर चूत के चारो तरफ छिटकने लगा |

रोहित ने झड़ने के बाद रीमा की चूत की गहराई में हलके हलके धक्के लगाने जारी रखे, रीमा की लंड रस से भरी चूत में लम्बे गहरे धक्के लगाता रहा, जिससे उसका लंड रस रीमा की चूत रस के साथ अच्छी तरह मथ गया | रोहित न्र धीरे धीरे स्पीड कम करते हुए कुछ देर बाद धक्के लगाने बिलकुल बंद कर दिए | रीमा की लंड रस से भरी चूत से उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया | उसका लंड रीमा की चूत रस और अपने ही सफ़ेद लंड रस से पूरी तरह सना हुआ था | जैसे ही रीमा की चूत से रोहित का लंड निकल, रीमा की चूत से लंड रस की एक धार सी बह निकली |

दोनों पसीने से कई बार नहा चुके थे, रोहित अपने लंड को लंड रस से सनी चूत की गहराई में ठेल कर थका हुआ हाफता हुआ रीमा के ऊपर पसर गया और रीमा के नरम होंते स्तनों पर ही सर रखकर लेट गया | रीमा ने भी रोहित को बांहों में भर लिया और उसके बाल सहलाने लगी |

रीमा और रोहित दोनों की सांसे उखड़ी हुई थी, दोनों सांसो को काबू में करने लगे | रीमा अपनी चूत में वो अभी भी हलका कम्पन महसूस कर रही थी | रोहित का लंड रीमा की चूत के अन्दर ही सिकुड़ने लगा था | रीमा का पूरा शरीर इस तकलीफ भरी जोरदार चुदाई से थक के चूर हो चूका था, उसकी कमर में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था | रीमा संतुष्ट थी तृप्त थी लेकिन उसे अजीब सा लग रह था, उसका देवर उसकी बांहों में पड़ा अपनी सांसे काबू में कर रहा था | उसने कभी सपने में भी सोचा नहीं था की वो अपने देवर से ही चुदेगी, उसकी वासना और हवस की पूर्ति उसका देवर करेगा | लेकिन अब उसकी हवस का पिटारा खुल चूका था, अब पीछे जाने का कोई मतलब नहीं रहा गया था | उसके देवर का मोटा लंड उसकी गीली चूत के अन्दर पड़ा हुआ, उसे लंड ही तो चाहिये था, चाहे आदमी का हो या बच्चे का, उसे खड़ा लंड चाहिए था जो उसको चोद सके, जो उसकी चूत की गहराई तक जाकर उसकी चूत की दीवारों की मालिश कर सके, उसके औरतपन को लूट ले , उसके जिस्म को जीभर के भोगे सके, उसके स्तनों को जमकर निचोड़ सके, उसे उसके औरत का अहसास कराये, एक समपूर्ण औरत | उसके जिस्म की वासना को तृप्त करे, उसे एक तृप्त औरत का अहसास कराये | अब वो इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी की वो एक औरत है और उसे अपनी वासना पूर्ति के लिए एक आदमी (लंड) की जरुरत है जो उसे चोद सके, उसे तृप्त कर सके, उसके जिस्म की भूख मिटा सके |

क्या वो जिंदगी के ऐसे दौर में पंहुच गयी जहाँ उसका अपनी कामनाओं, वासनाओं पर काबू नहीं रहा, क्या उसका शरीर उसके नियंत्रण से बाहर जा रहा है | क्या वो अपनी वासना और हवस की इस कदर गुलाम बन चुकी है की उसे न देवर के रिश्ते का कोई लिहाज रहा न उसके बेटे से | क्या उसके जीवन में नैतिकता के लिए अब कोई जगह नहीं बची है | क्या शरीर की हवस उसे तृप्त करना अब उसके जीवन लक्ष्य है, क्या वासना की आग मे तड़पते अपने बदन की आग बुझाना ही सबसे जरुरी है | क्या आने वाले दिनों में मै बिना लंड के रह पाउंगी | कही चुदाई मेरे जिस्म की ऐसी जरुरत तो नहीं बन जाएगी कि उसके लिए मै कोई भी हद पार कर जाऊ | क्या आने वाले दिनों में रोहित और प्रियम के लंड मेरे जिस्म की जरुरत बन जायेगें, क्या मै उनके लंड की दासी बन जाउंगी | इतने सालो तक चुदाई के लिए तड़पी हूँ लेकिन क्या ये चुदाई अब मुझे अपना गुलाम तो नहीं बना लेगी | मन में ऐसे न जाने कितने विचार आ जा रहे थे | तभी उसने रोहित को अपना नरम हो चूका स्तन सहलाते चूसते देखा| उसकी तरफ देख कर हल्की स्माइल करी | रोहित स्तन के अलावा उसके बाकि शरीर पर भी हाथ फिरने लगा, उसका लम्बा मोटा लंड अब सिकुड़ कर धीरे धीरे चूत से खिसककर बाहर निकलने लगा था | रीमा तो चाहती थी की रोहित का लंड इसी तरह उसकी चूत की गहराई में घुसकर आराम फरमाता रहे, लेकिन ये संभव कहाँ था | रोहित के लंडरस और चूतरस से सने सिकुड़े लंड के निकलते ही रीमा की चिकनी सफाचट चूत से लंडरस और चूत रस का मिश्रण निकल कर बहने लगा |

रीमा रोहित के लंड रस को बेकार नहीं जाने देना चाहती थी, इसलिए उसने झट से उठकर उसका सारा लंड रस चूत के अन्दर से निचोड़ हथेली पर रख लिए, और पी गयी | जब वो खडी होने के लिए उठी तो उसके पांवों में लड्खाहट थी और उसकी नाभि के नीचे हो रहे दर्द का उसको अहसाह हुआ | इसलिए फिर से बेड पर पसर गयी और रोहित से लिपट लेट गयी | दोनों एक दूसरे को सहलाने लगे |

रोहित के लिए रीमा को चोदना किसी स्वर्ग की सैर से कम नहीं था | रोहित रीमा की नाभि में उंगली घुमाते हुए – मजा आया रीमा|
रीमा - हूँ |
रोहित - क्या हूँ?
रीमा खामोश रही, उसे नहीं समझ आ रहा था क्या बोले, उसे हल्की हल्की शर्म भी लग रही थी | वो वहां से उठकर जाना चाहती थी लेकिन रोहित की गिरफ्त से निकलने का बहाना नहीं मिल रहा था |

रोहित - रीमा कुछ बोलो न, मजा आया न, दम निकल गया मेरा, कुछ तो बोलो | रोहित ने एक चिकोटी काट ली |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-01-2021, 04:57 PM

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