Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी उसको गुदगुदी करने लगती है, रीमा खिलखिलाने लगती है और रोहिणी भी | दोनों एक दुसरे में गुताम्गुथा हो बिस्तर पर पसर जाती है | कुछ देर तक रोहिणी रीमा के निश्छल निष्कपट सौन्दर्य को निहारती रहती है | रीमा के गुलाबी प्यास अधर न चाहते हुए भी रोहिणी के ओंठो से चिपक गए |

रीमा और रोहिणी एक-दूसरे को बाहों में भरे हुए थी रीमा का हाथ कहा धीरे-धीरे रोहिणी के शरीर के ऊपर से फिसलता हुआ उसकी कमर के नीचे कमर पहुंच गया, रोहिणी के शरीर में एक अनचाही ही मधुर तरंग दौड़ गयी | उसकी बाहों में थो खूबसूरत रीमा, और दोनो में हंसी मजाक तो होता था लेकिन इतना करीब दोनों कभी नहीं आयी थी की एक दुसरे की सांसे महसूस कर सके | रीमा का हाथ सीधे रोहिणी के नाड़े पर जकल अटक गया | उसने एक उँगली रोहिणी नाड़े में फंसाई और रोहिणी की कमर में बंधा पजामे का नाडा खीचने लगी | दोनों के होंठ एक दूसरे से सटे हुए थे दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रही थी दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे | रोहिणी ने भी अपने हाथ रीमा की लेगिंग्स में घुसेड़ दिए और उसके नाजुक स्थूल बड़े बड़े चुताड़ो को सहलाने लगी | दोनों एक दुसरे से कसकर चिपकी हुई थी | दोनों ही एक दूरे के ओंठो का रस पी जाने को बेताब थी दोनों बारी बारी से एक दुसरे के गुलाबी ओंठो को निचोड़ने लगाती | जैसे जैसे रीमा रोहिणी का नाडा खीच रही थी ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच के रिश्ते की मर्यादा का पर्दा भी साथ में खिचता चला जा रहा है | दोनों के बीच की रिश्तो की दीवार ढहने लगी थी और अब दोनों बस दो जवान तड़पते जिस्म भर थे | रीमा ने पजामा खोलते ही अपने हाथ रोहिणी के पजामे में घुसा दिए और अपनी कोमल उंगलियों से रोहिणी की उस वर्जित इलाके की बनावट कसावट और गर्माहट का अनुभव करने लगी | उसकी उंगलियों की संवेदनाये ही उसे बिना आँखों से देखे रोहिणी के स्त्रीत्व की बनावट के दर्शन कराने में सफल हो रही थी | रीमा के हाथ चूत त्रिकोण से फिसलते हुए उसके निचले हिस्से में चले गए जहाँ रोहिणी की कमसिन चूत अपनी मांसल जांघो के बीच में छिपी हुई थी | रीमा ने उसके खूबसूरत ओंठो की गुलाबी बनावट पर अपनी उंगलियाँ फिराई और फिर उसकी जांघो की सहलाते हुए उसके चुताड़ो की तरफ सगली गयी | रोहिणी मदहोश होने लगी थी, वो दोनों हाथो में रीमा के मांसल चूतड़ भरकर उनकी कसकर मालिश कर रही थी |

रीमा ने रोहिणी की पजामे को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | दोनों के गुलाबी ओंठ आज एक दुसरे को निचोड़ देने को बेताब थे | नीचे दोनों के हाथ और उंगलिया क्या कर रहे है इसकी खबर से पूरी तरह से बेपरवाह उनके गुलाबो ओंठ एक दुसरे में गुथम गुथा थे और बेतहाशा एक दुसरे का रसपान कर रहे थे | रीमा रोहिणी के पजामे को उसके घुटनों तक ले गयी इसके बाद रोहिणी ने अपने पैरो से ही पजामे को नीचे खिसकाकर अपने पैरो से अलग कर दिया | उसकी कसी पैंटी में लिपटे उसके अर्द्ध नंग्न मांसल भरी भरकम चूतड़ बेपर्दा हो गए | रीमा का बदन अभी कपड़ो से ढका हुआ था , उम्र में बड़ी होने और सेक्स का ज्यादा अनुभव भी होने के कारन रोहिणी के अन्दर एक पल को लगा की रीमा तो उससे आगे निकलती जा रही है | उन्होंने अपने अहम् को संतुष्ट करने को रीमा की लेगिंग्स को जबदस्ती नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रीमा बस रोहिणी को चूमने में लगी रही और उसके नाजुक हाथ रोहिणी के कोमल बदन पर फिसलते रहे | रोहिणी ने रीमा की लेगिंग्स खिसकाकर उसके घुटनों तक कर दी और उसके गुलाबी मांसल चुताड़ो एक चपत लगा दी |
रीमा के मुहँ से एक हल्की मीठी सीत्कार भरी चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच |
रीमा ने भी रोहिणी के ओंठो को अपने दांत के नीचे भींच लिया | अब बारी चीखने की रोहिणी की थी - आआआऊऊऊउ |
रीमा द्वारा इतनी तेजी से दी गयी प्रतिक्रिया से रोहिणी हैरान रह गयी |
उसने भी रीमा के चुताड़ो को पूरी ताकत से भींच लिया और कहने लगी - मेरी कट्टो रानी तो बिजली से भी तेज है, मुझे पता था बहुत आग भरी है तेरे इस खूबसूरत बदन में | रोहिणी ने एक हाथ पीछे से निकाल कर उसके स्तन की एक चूंची कसकर मसल दी |
रीमा के मुहँ से फिर से हल्की चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच दिदिदिद प्लीज ................|
रोहिणी - प्लीज क्या........तू न मिर्च से भी तीखी है ये तो मुझे पता चल गया, तुझे तो बस चीखना पड़ेगा, अगर किसी ने खाने की सोची तो अपना मुहँ ही जला लेगा, इतना पक्का है | रीमा ने अपनी तनी हुए उन्नत पहाड़ियों की नुकीली चोटी को मसल रहे रोहिणी की हाथ को वहां से हटा कर फिर से चूतड़ की तरफ बढ़ा दिया | रोहिणी समझ गयी अभी रीमा बस अपने चुताड़ो को मालिश करवाना चाहती है | रोहिणी ने फिर से रीमा की चूतड़ अपनी हथलियो में भींच लिए और उन्हें मसलने लगी | रीमा भी अपने हाथ कसकर रोहिणी की गर्दन के पीछे जमा दिए और उसके चेहरे को अपने चेहरे की तरफ ठेल दिया | नतीजा दोनों के ओंठ एक दुसरे में कसकर चिपक गए | रीमा ने अपनी लम्बी गीली जीभ रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी के लिए ये नया नहीं था लेकिन चौकाने वाला जरुर था | कम से कम उसे रीमा से ये उम्मीद नहीं थी | उसे एक पल लगा रीमा की इस हरकत को आत्मसात करने में फिर उसने अपने ओंठो की गुलाबी सुरंग में रीमा की जीभ को जकड लिया और उसके कसकर चूसने लगी और उसके ओंठ रीमा की गीली गुलाबी जीभ पर फिसलने लगे |

रोहिणी के हाथ रीमाँ के मांसल चुताड़ो पर फिसल रहे थे और रीमा ने रोहिणी के चेहरे को थाम रखा था | और दोनों के गीली गुलाबी जीभे एक दुसरे के मुहँ में सरपट फिसल रही थी | रोहिणी के जीभ अपनी गुलाबी गुफा से निकल कर रीमा के ओंठो को चीरते हुए उसकी गुलाबी गुफा में जा रही थी और रीमा की गुलाबी जीभ रोहिणी की गुफा में | रोहिणी को अब तक समझ आ गया था, रीमा क्यों बाकि दुनिया से अलग है | जीभ और ओंठ के ऐसे खेल उसने भी खेले है लेकिन ये बस चंद पल के होते है | आज तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई किसी गहरी झील की गुफा की लहरों में उसकी नाव नुमा जीभ हिलकोरे लेते हुए आगे तक फिसलती जा रही है | उसके ऊपर सुहागा ये की दोनों इतनी करीब थी की एक दूसरे की सांसे को न केवल महसूस कर सकती थी बल्कि उन्हें पीकर अपने अन्दर समाहित कर सकती थी | दोनों की भाप बनकर निकलने वाली सांसे उनके चेहरे और ओंठो की तपिश और बढ़ा रही थी | हर पल हर स्पर्श हर साँस का अहसास उसे आज बस रीमा के साथ हुआ | कमरे और मन में इतनी शांति थी की आज न केवल वो अपनी धड़कने सुन पा रही थी बल्कि अपनी गरम सांसे भी गिन पा रही थी | वो इन खेलो में बहुत एक्सपर्ट थी लेकिन ये स्पर्श ये अहसास उसे सायद आजतक नहीं महसूस हुआ था | रीमा की गीली जीभ अपनी गीली जीभ को नुरा कुश्ती करने का गीला रोमांचकारी अहसास | वासना की कितने रूप है और किन किन रूपों में इसे वो भोग सकती है शायद उसे भी नहीं पता था | दोनों एक दुसरे से चिपके हुए एक दुसरे के मुहँ में अपनी अपनी गरम भाप भरी सांसे समाते हुए काफी देर तक ऐसे ही अपनी अपनी जीभो से एक दुसरे के मुहँ में खेलती रही |

रोहिणी रीमा से अलग हुई | रीमा अलग नहीं होना चाहती थी लेकिन कुछ कर न सकी | रोहिणी ने रीमा की आँखों में झाँका | दोनों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे | रोहिणी के अलग होने से रीमा को अपने होने का अहसास हुआ | जब उसे अहसास हुआ वो रोहिणी जीजी के साथ तो शर्म से झेंप गयी लेकिन इससे पहले उसके अन्दर की ग्लानी और शर्म उसे आकर घेर ले रोहिणी उसके ऊपर छा गयी | रोहिणी नहीं चाहती थी जो माहौल बना है वो यू की दकियानुकुसी में खराब हो जाये | वो नहीं चाहती थी की रीमा शर्म हया और ग्लानी के जाल में फंसकर फिर से अपनी एकाकी दुनिया में चली जाये | रीमा रोहिणी के साथ सहज रहती थी बोलती थी बाते करती थी लेकिन उसका ये पहलू उसने कभी जाहिर नहीं होने दिया | रोहिणी इस रीमा को नहीं खोना चाहती थी | ये उसके लिए थोड़ा आश्चर्य चकित करने वाला था लेकिन रीमा का ये रूप उसे पसंद था, बिंदास उन्मुक्त रीमा | उसके जिस्म में एक जादू था और इसका अहसास बस उसी को हो सकता था जो उसके करीब हो, न केवल शरीर से बल्कि मन से भी | अगर वो इन्सान मन से करीब नहीं तो रीमा के भेद खोल पाना मुश्किल है, रीमा को बस उसका विश्वास चाहिए था, जैसे ही उसने वो महसूस कर लिया फिर वो जादू की परी बन जाती थी ऐसी परी जो सिर्फ स्वर्ग की सैर कराती है | वो थोड़ा बहुत तो रीमा का मन पढ़ ही पा रही थी | रीमा के ऊपर जाते ही उसके अपने पैरो से रीमा की जांघे फैला दी और अपनी जांघो को उसकी जांघो के बीच में भर दिया | उसके चेहरे को कसकर अपने हाथो में थाम लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगी | वो किसी भी हाल रीमा के दिल के कोने तक जाना चाहती थी, उसकी सारी बाते जानना चाहती थी जो आज तक उसने नहीं बताई, उसके मन में क्या है उसे जानना था भले ही ओंठो से न सही लेकिन रीमा बोलती तो है, वो भले ही अपने ओंठ सिल ले लेकिन वो अपने जिस्म को नहीं रोक पाती, वो बोलने लगता है बस उसको समझने वाला चाहिए | रीमा भी खुद को रोक नहीं पाई और रोहिणी के साथ बहती चली गयी | उसके ओंठ भी रोहिणी के ओंठो के साथ चिपकते चले गए | दोनों के गुलाबी ओंठो में नुरा कुस्ती फिर से शुरू हो गयी | दोनों कमर के नीचे बस पैंटी में अपने गोर बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी | दोनों के भारी भरकम मांसल बड़े बड़े चूतड़ कमरे की रोशनी में अलग ही दमक रहे थे | दोनों एक दुसरे से चिपकी एक दूसरे में गुथमगुथा एक दुसरे को बेहताशा चूम रही थी |
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