Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 04:03 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहिणी भी कम नहीं थी - लंड चुसे थे |
रीमा - हाँ |
रोहिणी - कितने ?
रीमा - दो या तीन रहे होंगे |
रोहिणी - दो तीन के चुसे थे या दो तीन बार चुदे थे |
रीमा - दो तो बॉयफ्रेंड थे और एक बार मेरी गली के लड़के ने ही देख लिया था बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए उसको भी |
रोहिणी - चुसना पड़ा ................पूरी बात बोला कर हरामन | (रोहिणी ने वाकया पूरा किया और उसके ओंठो को कस कर चूम लिया, पीछे रोहिणी की उंगली रीमा की पिछली सुरंग में आधी गहराई तक आने जाने लगी थी और रीमा इससे बिलकुल बेखबर थी | )
रोहिणी - और कितनी बार चूसा होगा लगभग |
रीमा - दीदी ठीक से याद नहीं लेकिन एक का 8 से १० बार और दुसरे का भी इतनी ही बार | तीसरे वाला का सिर्फ तीन बार | 20 से ज्यादा बार नहीं हुआ होगा |
रोहिणी - इसका मतलब शादी के पहले कोई लंड नहीं खाया, बस गप्प गप्प करी मुहँ में | और शादी के बाद |
रीमा - क्या बताऊ शादी के बाद की कहानी, आपको तो पता है मै रिसर्च कर रही थी सारा टाइम पढाई और आपके भाई पुलिस में थे, कभी हफ्ते में एक बार कभी महीने में एक बार घर आते थे | शादी के पांच सालो में 3 साल तो बाहर ही रहे | आखिर के दो साल ही साथ रहे | बस वही है जो यादो के साथ संजो कर रखा है | बाकि तो सब रेगिस्तान जैसी जिंदगी है |
रोहिणी - सेंटी न ही, सेती और सेक्स दोनों अलग चीजे है | सेंटी सिर्फ पति के साथ होना चाहिए लेकिन सेक्स किसी के साथ भी हो सकता है | तो बता शादी के बाद कितनी बार |
रीमा को लगा सब कुछ रोहिणी उसके बारे में ही पूछे जा रही है अपना भी तो कुछ बताये - पहले आप बतावो दीदी |
रोहिणी तो जैसे इसके लिए तैयार बैठी थी | उसके बीच वाली उंगली रीमा की गांड में घुसाए घुसाए उसके मांसल चुताड़ो पर जोर डालकर उसके चूत इलाके को अपने चूत इलाके से और सटा लिया | दोनों की गुलाबी मखमली चूत के नरम ओंठ और चूत दाना आपस में रगड़ खाने लगा |
रोहिणी ने एक लम्बी साँस भरी - देख मेरी कहानी तो खुली किताब है | शादी के पहले भी कई सारे बॉयफ्रेंड थे | उसनके साथ क्लब जाती थी, सुट्टा मरती थी गांजा पीती थी दारू पीती थी | उसके बाद जो हाथ में आ जाता था उसकी को मुठीयाने लगती थी | फिर एक बार मै प्रेग्नेंट हो गयी | घर में किसी को नहीं बताया | चुपचाप सफाई कराई और खसम खा ली आज के बाद चूत में लंड लेना बंद | कसम तो खा ली लेकिन आदत से मजबूर थी, लंड और लड़को दोनों की आदत पड़ गयी थी, इसलिए चुसना शुरू किया और फिर एक दिन एक लड़के ने पिछवाड़े का सुभारम्भ कर ही दिया | तकलीफ हुई | दो चार बार अच्छा भी नहीं लगा लेकिन एक बार जब समझ में आ गया कैसे करना है तब से लेकर शादी तक किसी लंड को चूत से नहीं खाया |
रीमा भी रोहिणी की बात को पकड के बैठी थी - दीदी साहित्य नहीं चलेगा , नंबर बताइए |
रोहिणी ने उसके ओंठो पर अपने दांतों को गडा कर कार लिया - तू एक नंबर ही हरामी चूत है, बस मौके की तलाश में रहती है कोई मौका नहीं छोडती सामने वाले को पटकने का, बिस्तर पर तू क्या कमाल ढाती है ये तो मै देख ही चुकी हूँ |
रीमा मिन्नतें करते हुए - बतावो न दीदी |
रोहिणी - मुझे पता है तुझे चूत चुदाई की बाते करने में बड़ा मजा आता है तो सुन ..............शादी से पहले तीन साल मान के चल हर हफ्ते में कम से कम तीन चुदाई या चुसाई होती ही थी | कई बार तो पांच भी हो जाते थे | जब ग्रुप पार्टी होती थी तो कोई गिनती नहीं, जिसका लंड मुहँ में आया उसका मुहँ में, जिसका हाथ में आया उसका हाथ में उसका चूत में घुस गया उसका चूत में | वहां लंड और चुदाई गिनने का कोई मतलब नहीं था | रात भर दारू चलती थी और रात भर हम लडको के लंड मसलते थे, सुबह होने तक तब तक लडको को नहीं छोड़ते थे जब तक उनके लंड पूरी तरह से मुरझाकर सुख न जाये | कर ले गिनती साल के ३६५ दिन और हफ्ते में कम से कम पांच चुदाई औसत |
रीमा चौंक गयी - बहुत स्टैमिना है आप में दीदी |
रोहिणी - अब कहाँ, अब तो बुढ़ापा शुरू हो गया है |
रीमा की उत्सुकता और बढ़ गयी - फिर शादी के बाद .........................|
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कने लगी थी जबकि रीमा के के हाथ रोहिणी के चुताड़ो पर कब के रुक गए थे | रीमा को कहानी मे ज्यादा दिलचस्पी थी जबकि रोहिणी कहानी भी सुना रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ रीमा के बदन पर बराबर अपना काम कर रहे थे |
रोहिणी - शादी के तीन महीने पहले ही मै अनिल से मिली थी | अनिल से मिलने के सातवे दिन मै अनिल के कमरे में गयी | मै डैड द्वारा कमरा दिया जाने से बहुत ज्यादा खफा थी और मैंने इनको सबक सिखाने की सोची थी | मै फुल नशे में थी और इनके कमरे में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और इनसे लिपटने की कोशिश करने लगी | ये बिलकुल शांत रहे | मैंने इन्हें चोदने को भी कहा, अपनी जांघे फैलाकर अपनी नंगी चूत भी खोलकर दिखा दी लेकिन मजाल जो बन्दे की चेहरे पर शिकन आ जाये | हालाँकि उनकी पेंट में तम्बू बन गया था लेकिन उनका रेस्पोंस न देना मेरा गुस्सा बढाता जा रहा था और मेरे ऊपर शराब का नशा भी बहुत हावी हो चूका था | मैंने अनिल को झपट्टा मारकर अपने ऊपर खीचने की कोशिश की और फिसल गयी | फिर क्या हुआ पता नहीं लेकिन सुबह बस यही कहानी पता चली की मै उसके कमरे में फिसल गयी थी और बेहोश हो गयी थी | अगले दिन माथे पर पट्टी बांधे पुरे होशो हवास में मै अनिल के कमरे में गयी और कल रात जो भी ड्रामा किया था उसके लिए माफ़ी मांग ली | उस समय ये सचमुच शरीफ थे | मैं वापस नीचे चली आई और फिर पाट नहीं क्या सुझा अचानक से फिर उनके कमरे में घुस गयी और फिर वहां जो मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए या यू कहो बांछे खिल गयी | अनिल अपने पजामे में हाथ घुसेड़े हिला रहे है | मैंने उन्हें रंगे हाथो मुट्ठ मारते हुए पकड़ लिया |
मेरा पहला सवाल था - किसको सोच कर मुठ मार रहे हो |
अनिल खडभड़ा गए, उन्होंने झट से अपना हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन उनके लंड का तनाव और साइज़ दोनों पजामे के ऊपर से साफ़ पता चल रहे थे | मेरे दिमाग में पहला विचार अनिल को सबक सिखाने का आया | कल मेरी वजह से अनिल ने मुझे पूरा का पूरा नंगा बदन सब कुछ देख लिया, छाती पेट नाभि चूतड़ जांघे चूत सब कुछ , आज मै इन्हें नंगा करके देखूँगी |
रोहिणी - जल्दी बोलो किसको सोचकर लंड मसल रहे थे अपना |
अनिल ने सर झुका लिया मै समझ गयी वो कोई और नहीं था बल्कि मै ही थी जिसने उनका लंड में अकडन पैदा कर दी थी |
रोहिणी - मुझे सोचकर लंड मुठिया रहे थे, कल नंगा देख लिया, जब चुदवाने आई थी, सारे कपड़े उतारकर नंगी पड़ी थी बिस्तर पर तब कुछ नहीं किया और अब आज उसी को सोच सोचकर लंड मसल रहे हो | चलो जल्दी से कपड़े उअतारो नहीं तो सब कुछ जाकर डैड को बता दूँगी और तुमारी छुट्टी |
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर रही थी, अब वो उसके चूत दाने को भी मसलने लगी थी | रीमा मदहोश होने लगी थी |
अनिल तो बेचारे रूआसे हो आये थे | शरीफ थे कभी किसी लड़की के सामने नंगे होना तो दूर बनियान तक नहीं उतारी थी | अनिल की हालत ख़राब हो गयी | चेहरे पर बदहवासी छा गयी | शर्म से सर नीचे झुका लिया | लेकिन मुझे अनिल पर कोई दया नहीं आई मै बदले की आग में जल रही थी | मैंने दुबारा धमकाया, तो चुपचाप कपड़े उतारने लगे | कपड़े उतारते ही जो मैंने देखा वो मेरे अनुमानों से कही ज्यादा था | उनके पैजामा नीचे खिसकाते ही काला लम्बा हाहाकारी भुजंग लंड एक दम से हवा लहरा गया | ऐसा काला लम्बा मोटा तगड़ा लंड मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था उसका हाहाकारी अंदाज मेरी आँखों और दिल में दहसत भर रहा था | जितना अनिल सीधे थे उतना ही उनका लंड खूंखार लग रहा था | कुल पल को तो मेरी आंखे ही उनके लंड पर से न हटी, पूरी तरह से अकड़ा हुआ तेज खून के दौरान से ऐसे काँप रहा था जैसे वर्षो से भूखा हो और सामने वाले को एक ही झटके में निगल जाना चाहता हो | मेरा ये पहला वास्ता था किसी काले आदमी और उसके हाहाकारी काले लंड से | इतने लंड खाने के बाद जब मैंने उसे इस अंदाज से अभिमान से भरे हुए चुनौती देते देखा तो मेरे अन्दर का ईगो भी जाग गया | पूरी तरह से सख्त लोहे की राड बना हुआ मानो मुझे चुनौती देकर कह रहा हो की बहुत अकड़ और घमंड है लंड खाने का, अन्दर लेने का जरा इसे लेकर देख एक बार, आंखे और चीखे दोनों एक साथ न बाहर आ गयी तो जिंदगी भर के लिए चूत के दर्शन करना भूल जाऊंगा | मै भी घमंड से भर गयी मैंने मन ही मन उसकी चुनती स्वीकार कर ली | अनिल बेचारे शर्म के मारे सर झुकाए ऐसे खड़े थे जैसे उनकी जिंदगी भर की इज्जत मेरे पैरो में पड़ी हो | उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी मुझसे आंख मिलाने की | उनके लंड को देखकर मुझे तो जैसे एक नशा सा हो गया, एक बुखार सा चढ़ गया | मैंने उनके सीने पर हाथ लगाकर उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया और तेजी से अपनी स्कर्ट और पेंट उतार दी | ऊपर के कपड़े उतारने का टाइम नहीं था | तेजी से बिस्तर पर चढ़ गयी और अनिल के कमर पर दोनों तरफ जांघे फैलाकर बैठ गयी | अनिल को कुछ समझ नहीं आया, इससे पहले वो कुछ रियेक्ट करता मैंने उसका गरम आग की भट्टी की तरह तपता लंड अपने हाथ में ले लिया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई काली मोटी सख्त गरम राड मेरी हथेली में आ गयी है जो मुझे झुलसा का रख देगी | मैंने उसे जल्दी से पोजीशन किया और अपने चूत मुहाने [पर लगाकर खुद को नीचे की तरफ ठेल दिया | इतना बड़ा मुसल लंड मैंने कभी नहीं लिया था अपनी मखमली चूत में | मुझे दो तीन बार जोर लगाना पड़ा तब जाकर मै उसे अपने अन्दर घुसा पायी इतना मोटा तगड़ा था | मै बस उसका थोडा हिस्सा ही घुसकर अपनी कमर हिलाने लगी | अनिल तो जैसे बेहोश होने लगे | पहली बार लंड को मिले इस मखमली चूत के आनंद में सरोबार हो गए | डर आश्चर्य और आनंद का मिश्रण उनके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था | मैंने एक भद्दी सी गली देते हुए बोला चूत चोदनी नहीं आती क्या मुर्दे की तरह पड़े हो | और कोई होता तो इस काले हहह्कारी नागनाथ से अब तक मेरी चूत के चीथड़े उड़ा चूका होता | इतना सुनते ही अनिल अपने सदमे से बाहर निकले और अपनी कमर को पहला झटका दिया और उनका लंड एक इंच अन्दर घुस गया, फिर दूसरा तीसरा चौथा पांचवा झटके लगने शुरू हो गए और इंच डर इंच मेरी चूत को उनका मोटा तगड़ा काला मुसल भरने लगा | इससे पहले इससे ज्यादा आज तक कभी मैंने खुद को भरा हुआ नहीं महसूस किया था | फिर तो जैसे धक्को की रेल निकल पड़ी | दे दे दनादन दे दनादन ठोकरों पर ठोकरे मेरी गुलाबी चूत पर पड़ने लगी | काला मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत को चीरने लगा, कुचलने लगा |
रीमा की सिसकारियां तेज हो गयी थी |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-02-2021, 04:03 PM

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