Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-04-2021, 12:09 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
इससे पहले रीमा कुछ कहती, करती बाहर से अंधाधुंध गोली चलने की आवाज सुनाई पड़ी | चार पांच बार धांय धांय रीमा के कानो में पड़ा | रीमा ने जल्दी से उस लड़के को ठीक अपने आगे किया और उसके पीछे गन लगा दी और दरवाजे की ओर को हो गयी | वो कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की एक आदमी चीते की तरह छलांग लगाते हुए तेजी से आया और रीमा की तरफ चार पांच गोलियां दाग दी | रीमा उस लड़के के पीछे थी इसलिए सारी गोलियां उसके सीने में पैबस्त हो गयी | एक पल को तो रीमा उसकी पीठ के पीछे छिप गयी | फिर पता नहीं कहाँ से अचानक उसमे इतनी हिम्मत आ गयी की उसने गन से लड़के की आड़ से सामने वाले पर फायर कर दिया | वो इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था | उसे दो गोली लगी | एक गर्दन में एक सीने में | वो वही लुढ़क गया | रीमा की धड़कने तेज थी, आंखे फटी पड़ी थी कमरे में जो हुआ उसे देखकर | रीमा को खुद नहीं पता चला की उसने क्या किया कैसे किया | अभी न डरने का वक्त था न सोचने का |
रीमा डरते डरते दरवाजे के पास तक गयी | उसने गोली से घायल लड़के को ढाल बना रखा था | उसने बाहर झांककर देखा उसे कोई नहीं दिखाई दिया | तब तक लड़का मरने की कगार पर पहुँच गया था | रीमा ने लड़के को छोड़ दिया जो अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था | रीमा जमीन पर रेगती हुई दरवाजे से बाहर निकली | वहां उसे कोई नहीं नजर आया | थोड़ी दूर पर जाकर देखा, तो जग्गू और लड़का जमीन पर पड़े है | जग्गू तो शायद मर भी गया था क्योंकि उसके गोली सीधे माथे पर लगी थी | जबकि लड़का अभी कराह रहा था | लेकिन उसे भी कई गोलियां लगी थी | रीमा को तो यकीं ही नहीं हो रहा था क्या से क्या हो गया एक पल में पलक झपकते ही | जिन जवान लड़को के खड़े लंडो से अभी कुछ देर पहले वो वासना का खेल खेल रही थी वो अभी बिलकुल निस्तेज मुरझाये पड़े थे और उनके जिस्मो की जान बस निकलने वाली ही थी |
रीमा के होश फाख्ता हो गए | अब वो क्या करे | कहाँ आकर फंस गयी | कुछ देर तक शुन्य बनकर खड़ी रही, कुछ समझ अनहि आया क्या हुआ कैसे हुआ | सामने दो जवान जिस्मो की नंगी लाशे पड़ी थी और सामने एक पूरी नंगी औरत अपने हाथ में गन लिए बिलकुल निस्तेज शुन्य बनकर खड़ी थी | रीमा उन दोनों के सूखे लंडो को एक बार देखा और फिर तेजी से अन्दर आई | उसने अपने सारे कपड़े बटोरे | गनीमत थी की जग्गू की बात न मानकर उसकी साड़ी को लड़को ने नहीं फाड़ा था | उसे झट से किसी तरह अपने चारो ओर साड़ी लपेटी और बाकि सारे कपड़े इकठे किये और अपने पेटीकोट में लपेट लिए | हाथ में गन थी | तीन लड़को की नंगी लाशे और एक हमलावर जी लाश और रीमा के साड़ी से छन छन कर दीखता उसका खूबसूरत बदन |
उसके पास तो फ़ोन भी नहीं था | आखिर कहाँ जाये किसे फ़ोन करे | काफी देर तक वही शुन्य बनी बैठी रही | बाहर घनघोर रात हो गयी थी | रीमा ने पुरे मकान का मुआयना किया | उसने बाहर के बल्ब बंद कर दिए | लड़को और जग्गू के कपड़ो में जरुरी सामान ढूढ़ने लगी | फ़ोन तो नहीं मिला लेकिन उसे एक टौर्च जरुर मिल गयी |
शाम से लेकर अब तक जो भी हुआ रीमा की सोच समझ से परे था | रीमा रात में कही जा नहीं सकती थी लेकिन यहाँ रुकना भी उसे ठीक नहीं लगा | यहाँ चार लाशे पड़ी थी, और बाहर जंगल में जंगली जानवरों का खतरा था | अपनी फूटी किस्मत पर रीमा रोने लगी | कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं किसी को पता भी चला होगा की मै यहाँ इस मुसीबत में फंस गयी हूँ या नहीं |

उधर जब ऑफिस बॉय रीमा की गाड़ी का पंचर बनाकर उसकी गाडी देने उसके घर गया तो कई बार बेल बजाने के बाद कोई बाहर नहीं आया | उसने फ़ोन मिलाया लेकिन वो तो स्विच ऑफ जा रहा था | उसने लैंडलाइन पर फ़ोन किया घंटी तो जा रही थी लेकिन कोई उठा नहीं रहा था | उसने हारकर अपने बॉस को ऑफिस में फ़ोन मिलाया, उसके बॉस ने रीमा के इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर पर फ़ोन किया तो फ़ोन रोहित ने उठाया | उन्होंने रोहित को पूरी बात बताई | रोहित ने अनिल को फ़ोन मिलाया | अनिल दौड़े दौड़े रीमा के घर आये लेकिन रीमा तो यहाँ नहीं थी | उन्होंने रोहित को अपडेट दिया और रीमा की जीपीएस लोकेशन देखने लगे | उसका फ़ोन स्विच off था जीपीएस शहर के बाहरी किनारे पर एक पेट्रोल पंप के पास की बता रहा था | उसके बाद लास्ट लोकेशन शहर के उत्तर जंगल की तरफ जाने वाली सड़क का मिला | शहर के टॉप पुलिस अफसर को इत्तला कर दी गयी | वो दल बल के साथ भागे भागे आये | रीमा की लास्ट लोकेशन के आधार पर आधी रात से पुलिस रीमा को ढूढ़ने निकली | अनिल ने बताया उन्होंने एक ट्रांसमीटर रीमा के हर सैंडल में छिपा दिया है जो 24 घंटे में एक बार सिग्नल देता है | आखिर सिग्नल उसने शाम 6 बजे दिया था | अब अगला सिग्नल उनको अगली शाम को मिलेगा |

रीमा उस खंडहर मकान में बैठी सुबुकती रही | पता नहीं कब उसकी आंख लग गयी | सुबह जैसे पौ फटने को हुई रीमा की आंख खुल गयी | सर भारी हो रहा था, बदन टूट रहा था | लेकिन रीमा वहां से निकल भागी | उसे नहीं पता था कहाँ जाना है लेकिन जंगल की एक पगडण्डी पर वो बढ़ चली | बदन पर कपड़ो के नाम पर बस एक साड़ी थी और पैरो में सैंडल | रीमा बदहवास सी चली जा रही थी, उसे नहीं पता था की वो कहाँ जा रही है लेकिन उस मनहूस खंडहर से जीतनी दूर हो सके वो जाना चाहती थी | एक घंटा चलने के बाद उसे एक छोटा सा गाव दिखाई दिया | बाद में जब आगे बढ़ी तो वो गाँव कब एक छोटा सा क़स्बा ज्यादा लग रहा था | इससे पहले वो पगडण्डी पार कर वो गाव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर आती | पीछे से किसी ने उसको चीते की फुर्ती से दबोच लिया |

रीमा न कुछ सोच पायी, न कुछ देख पाई | उसका चेहरा अगले पल एक काले कपड़े के अन्दर था | उसके मुहँ से चीख निकल गयी | उसने रीमा के मुहँ को भींच लिया | उसके मुहँ पर किसी मर्द का सख्त हाथ था जिससे उसकी चीखे निकलने से पहले ही घुट जा रही थी | आदमी से उसे के गाडी की डिग्गी में पटक दिया | और डिग्गी लॉक कर दी | उसे कुछ समझ नहीं आया आखिर ये सब हो क्या रहा है | इससे पहले वो चीख या चिल्ला पाती एक कार कच्चे रास्ते को चीरते हुए चलने लगी | रीमा डिग्गी के अन्दर कभी इधर लुढ़क रही थी, कभी उधर लुढ़क रही थी | उसकी आँखों के सामने अँधेरा था और वो बार बार डिग्गी पर अपना हाथ थपथपा रही थी | आखिर कार एक जगह रुकी | किसी ने डिग्गी खोली | रीमा की साड़ी अस्त व्यस्त हो गयी थी |

एक आदमी की भारी भरकम आवाज सुनाई दी - ज्यादा शोर मचाया तो यही घला घोंट दूंगा | उसने रीमा के दोनों हाथ और पैर बांध दिए | उसके बदन की साड़ी खीचकर अपने पास समेत ली | रीमा का बदन नंगा हो गया |
आदमी - ये तुमारे शोर मचाकर डिस्टर्ब करने की सजा है | अब डिग्गी में तुम नंगी ही पड़ी रहोगी |

रीमा जोर जोर से रोने लगी - तुम कौन हो और कहाँ ले जा रहे हो |
आदमी - जल्दी ही पता चल जायेगा |
रीमा रोते हुए - आखिरकार मैंने तुमारा क्या बिगाड़ा है, मै ऊपर वाले की कसम खाती हूँ मैंने किसी को नहीं मारा |
आदमी - वो भी जल्दी पता चल जायेगा |
डिग्गी बंद हो गयी | काले कपड़े से आ रही रोशनी की जगह अब श्याह अँधेरा था | कार तेजी से चलने लगी | रीमा ने शाम से अब तक कुछ नहीं खाया था ऊपर से उसे एक एक बाद एक झटके लग रहे थे | वो गहरे सदमे में चली गयी थी | जो कुछ भी हो रहा था वो उसकी सोचने समझने की शक्ति से बाहर था | वो सदमे के कारन बेहोश हो गयी | फिर पता नहीं चार कब तक चलती रही | उसे कुछ होश नहीं था |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-04-2021, 12:09 PM

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