Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-04-2021, 12:25 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा समझ गयी इसके दिमाग में वासना बुरी तरह चढ़ गयी है अब इसका अंत निकट है |
ये गिरधारी था | उससे अब और रुका नहीं जा रहा था | रीमा गर्दन घुमाकर देखने लगती है | आखिर वो रीमा की गांड जोर जोर से मारने लगा | रीमा फिर कराह उठी | जितेश भी कमर हिलाने लगा | रीमा के जिस्म में घुसते उसके जिस्म को चीरते दो लंड | रीमा के दिमाग में बस एक शब्द गूंजा - दो लंड | कितनी औरते दो लंड लेने की हिम्मत एक साथ जुटा पाती है | रीमा ने दो लंड एक साथ लिए थे | बस अपने अंतर्मन की एक आवाज पर | आखिर वो अफ़सोस क्यों करे | उसका जिस्म है, उसके जिस्म को चीरते लंड, भले ही उसकी आज दर्द से चीर कर रख दिया हो लेकिन जिस्म की में भरी हवस को भी तो बुझा डालेगे | कुछ दिन तक ये जिस्म हवस की आग में जलकर उसकी रातो की नीद नहीं ख़राब करेगा | मै क्यों शर्म करू, क्यों फालतू का सोचु | मेरे जिस्म की मखमली सुरंगों को इसलिए चीरा है इसलिए मुझे चोदा है क्योकि मै चाहती थी |
तकलीफ तो होगी ही, थोड़ा जोश में आकर कुछ ज्यादा तेज ठोकरे लगा दी लेकिन औरत का जिस्म बना ही ठोकरे खाने के लिए | क्या गलत कर रहे हो वो, मुझे चोद ही तो रहे है मेरे कहने पर चोद रहे है | अब सब कुछ मेरे मन का मेरे कहे अनुसार तो नहीं होगा | मेरी ख्वाइशे है तो उनकी भी ख्वाइशे है, मै अपनी ख्वाइशे पूरी कर रही हूँ और वो अपनी | चूत थोड़े ठोकर मारेगी, लंड ही ठोकर मारेगा, मारने दो न ठोकरे, बस उनके मुसल लंडो को अपने जिस्म के अन्दर महसूस करो, देखो न कितनी गहराई तक जा रहे है | बस उस अहसास को अपने दिल में संजोओं, दर्द तो साथ में मिलेगा ही | जब तक दर्द से भागोगी तब तक चुदाई के इस अहसास को भी नहीं जी पावोगी |
गिरधारी - अब ठीक है मैडम, इतनी आराम से आपकी गांड मारू |
रीमा - हाँ बस ऐसे ही करते रहो |
जितेश - मैडम की गांड का अच्छे से बाजा बजा, गांड से जब तक पक पक पक की आवाज न निकले तब तक लगता ही नहीं किसी की गांड मारी जा रही है |
रीमा - तुम उसे भड़का रहे हो | मेरी जान निकलवाना चाहते हो | मुझे सब पता है तुम उससे जल रहे हो |
जितेश - भला मै क्यों .........|
गिरधारी रीमा के चूतड़ पर तड़ाक से अपनी चपत लगाता हुआ - बिलकुल सही कहाँ मैडम | मै आपकी गांड मार रहा हूँ यही सोचकर बॉस की झांटे राख हुई जा रही है | ये लो मैडम मेरा मुसल लंड अपनी गांड में | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ पर एक करारी चपत जमा दी |
रीमा - आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह मादरचोद गांड में लंड पेल भोसड़ी के, चूतड़ क्यों बजा रहा है चोट लगती है |
गिरधारी - इसका भी तो मजा लूटो, गांड के साथ साथ जब तक चूतड़ भी लाल ना हो जाये तब तक पता कैसे चलेगा की गांड मरवाई है | | इतना कहकर उसने फिर से रीमा के चुताड़ो पर एक चपत मारी |
रीमा बिलबिला कर रह गयी - तेरी तो साले भड़वे मादरचोद दो टके के नाली के कीड़े, हरामजादे चोट लगती है |
गिरधारी - मजा भी तो तुम्ही लूट रही हो मैडम, ये लो मेरा लंड अपनी गांड में अन्दर तक |
इतना कहकर उसने एक जोरदार करारा झटका मारा | वो फिर से रीमा के चूतड़ पर चपत मारने वाला था लेकिन जितेश ने बीच में हाथ डाल दिया इसलिए बस हलके से चपत लगी |
रीमा - तू नहीं मानेगा मादरचोद ..............तेरी तो |
इससे पहले रीमा पीछे की तरफ मुड़ती जितेश ने रीमा को चूम लिया और रीमा की बात उसके मुहँ में घुट कर रह गई | जितेश ने भी रीमा के चुताड़ो पर चपत लगायी | उसकी देखादुनी में गिरधारी ने भी जारी रखा | दोनों रीमा को चोदते हुए उसके चुताड़ो को लाल करने लगे | रीमा को बड़ा रोना आया | दोनों ने उसके चुताड़ो को तबला बना दिया | वो अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रह गयी |

रीमा कुछ देर तक तो चुताड़ो पर पड़ रहे थप्पड़ो को बर्दाश्त करती रही फिर बोल ही पड़ी - क्या कर रहे हो तुम लोग | मेरे चुताड़ो का तबला बना दिया है |
गिरधारी - मैडम चुदाई में सिर्फ लंड पेलाई ही नहीं होती, थोड़ा मसलना कुचलना चिकोटी काटना , इन सबका भी थोड़ा सा इसका मजा लो | हम तो आपको जी जान से सारा मजा देने की फ़िराक में और आप हमसे ही शिकायते करे जा रही हो |
गिरधारी की इस बढ़ी हिम्मत पर रीमा खीझ गयी - तुमारी गांड में अभी अपना हाथ घुसेड़ के तुमारे चूतड़ लाल करूंगी तब समझ में आएगा |
गिरधारी खीसे निपोरता हुआ - करो न मैडम, आपके लिए तो जान हाजिर है, आप मेरी गांड मरोगी ये तो मेरी खुशनसीबी होगी |
रीमा झुन्झुलाती हुई - कहाँ फंस गयी मै |
गिरधारी - दो लंडो के बीच |
रीमा - ओफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ये तो सर पर ही चढ़ा जा रहा है, तूम कुछ बोलते क्यों नहीं |
जितेश - मैंने तो पहले ही कहाँ था बहुत ही लीचड़ किस्म का इंसान है मै तो मुहँ नहीं लगाता | तुमने ही उसे चढ़ाया है तुम ही जानो |
चिकोटी से जितेश को याद आया, उसने रीमा के निप्पल मसला दिए |
रीमा - आआआआआऔऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउचचचचचचचचचचचचचचचचचच |

इससे पहले रीमा जितेश से शिकायत करती जितेश ने तेजी से जाकर उसके चूत दाने को मसल दिया | ये टीजिंग रीमा की चुदाई में मसाले की तरह और मजा डाल रही थी लेकिन रीमा को तो इससे भी शिकायत थी भले ही उसे कितना भी मजा आ रहा हो |

तुम दोनों आपस में मिलकर मुझे परेशान कर रहे हो | मै किसी से बात नहीं करूंगी | रीमा किसल के रह गयी | वो अपनी चुदाई पर दिमाग दौड़ाने लगी | अपने जिस्म में जाते लंडो के बारे ,में सोचने लगी | आखिर क्या बुराई है दो लंडो से चुदने में | हाँ मैंने ...........मैंने लिए है दो लंड, मुसल लंड एक साथ, आगे भी लूंगी | जब मेरी मर्जी होगी तब लूंगी | इसी विचार के आते ही जादू की तरह उसके अन्दर से वो ग्लानी पता नहीं कहाँ फुर्र हो गयी | इसी के साथ वो खुद को अपने अंतर्समन में ही साबित करने में लग गयी | दिन रात अपनी ख्वाइशो के अरमानो में घुट घुट कर जीने से बेहतर है जब मौका मिले तो अपने मन की करना | क्या करूंगी इस खूबसूरत जिस्म का जब इसका कोई कदरदान ही नहीं होगा | क्या करूंगी इस कमसिन चूत की गुलाबी कोमलता को बचाकर जब कोई इसे चाहने वाला ही नहीं होगा | इसे कोई चाहेगा तो तब जब इसका स्वाद ले पायेगा | जब मर्द को औरत कुछ खास तरह से सुख देती है तो मर्द भी उसका दीवाना हो जाता है | ये गांड का दर्द कल को मीठे अहसास में तब बदल जायेगा, जब अपने चाहने वाले को चूत के साथ साथ गांड की सैर भी कराउंगी | सब औरते गांड नहीं मरवाती लेकिन जो मरवाती है उनके चाहने वाले उनसे कितना खुस रहते है | मर्द भी खुस हो जाते है आखिर औरत तकलीफ और दर्द बर्दास्त करके उसको एक नया सुख दे रही है | इसी दर्द में तो औरत का सारा मजा छुपा हुआ है |

गिरधारी की ठोकरे रीमा के मुहँ से कराह निकाले दे रही थी - आआआअह्ह्ह मेरी संकरी गुलाबी गांड को चीरता ये लंड मेरे जिस्म में कैसे दर्द भरी तरंगे भर रहा है | ये ऐसे ही गांड मारता रहा तो मुझे पागल कर देगा | ये अहसास अलग है रीमा, इसी दर्द के अन्दर उस अहसास को देखो, इस तुमारी चूत तुम्हे कभी नहीं दे पायेगी | उसकी दीवारों में उठने वाली तरंगे उमंगें अलग तरह की होती है लेकिन मेरी पिछवाड़े की गुलाबी दीवारे इस लंड से टकराकर कुछ अलग ही दर्द भरा मजा दे रही है | अपने इसी दर्द में, इसी कराह में डूब जावो रीमा, यही तुम्हे वासना के इस मकडजाल से बाहर निकलेगा | जमकर अपना हुस्न और जवानी लुटाओ | जितना लुटावोगी, उतना ही मजा मिलेगा | गिरधारी आराम से रीमा की गांड मार रहा था वो नहीं चाहता था पिछली बार की तरह इस बार मामला खराब हो जाये, पिछली बार रीमा की गांड में अपने पुरे लंड की भीषण ठोकरे से रीमा की पिंडलियों में दर्द होने लगा था |

तुमारे जिस्म में कुछ नहीं घटेगा, बल्कि तुम्हे चोदने वाले मर्द न केवल तुमारे बंद छेदों को खोलेगे बल्कि अपनी कीमती मलाई तुम्हे और देकर जायेगे | किस बात से डर रही हो रीमा | आज तक चुदाई से औरत का कभी कुछ घटा है | ये जिस्म ये जवानी लुटाने के लिए ही बनी है, जितना इसे लूटाओगी, उतना वासना की तृप्ति हासिल करोगी | रीमा को न जाने क्यों मुसल लंडो की लगती उन ठोकरे से उसके अन्दर एक नया विस्वास पैदा हुआ | उन दोनों की चुदाई से रीमा अपने अंतर्मन की उहापोह से बाहर आ गयी | आखिर जिस चुदाई का हौवा उसने अपने दिमाग में बना रखा था उसी ने उसके सारे डर को दूर किया |
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RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की - by desiaks - 09-04-2021, 12:25 PM

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