RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(अपडेट-06)
"जब अपने बच्चे पे आई चोट तो कैसा लगा? और जो तेरे बेटे ने दर-2 की तकलीफ़ दी है उसका क्या? कच्ची उमर मे इसे औरत किसने बनाया तेरे बेटे ने तू ने इन ग़रीबो को अपने बेटे का खिल्लोना समझ रखा है, आज तो इसे छोड़ के जा रहा हूँ, आइन्दा इसने किसी मासूम को तंग किया या फिर इस लड़की को अगर धमकाया तो ठीक नही होगा"- इतना कहकर ही काला साया सच मे किसी साए की तरह लड़की को लेकर अपनी काली बाइक पे निकल गया
वो औरत बोखलाई, सहमी अपने बेटे को अपने कलेजे से लगाए रही, अचानक जब औरत का पति जब सामने आया तो उसकी मा ने बताया की क्या-2 हुआ? "ना जाने उसे कैसे पता? कि हम ऐसा कुछ करते है? जो भी रहे काले साए का साया हम पे लग गया है. अपने बेटे को बोलो की कुछ दिन घर से भर ना निकले"- उस आदमी के जहेन भी एक यही बात थी कि आख़िर ये काला साया है कॉन?
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जल्दी ही इस वीरान खंडहर पे दोनो बैठे हुए थे, लड़की का नाम दिव्या था वो 14 साल की उम्र से ही उस घर मे काम करती आई थी. पहले उसने अपनी ग़रीबी के चलते काफ़ी ज़ुलूम सहा, लेकिन जवानी पे आते ही 19 साल की उमर मे उसकी मालकिन के बेटे ने उसे अपने प्यार के जाल मे फसाया, एक बार उसने टॅबलेट भी खाई थी, उसे डर सताने लगा था कि उसे उल्टिया हो रही है. तो फॉरन उस लड़के ने उसे
गाली-गलोच देके मारना सुरू कर दिया, इस बात पे कोई यकीन नही कि लेकिन वो जानती थी कि वो लड़का उसे कभी नही अपनाने वाला किसी भी सूरत मे...
"अभी तुम्हारे पास सिर्फ़ दो ही रास्ते है एक नयी ज़िंदगी सुरू करो और अपने होने वाले बच्चे को गिरा दो", पहले तो वो ज़िद पे अड़ गयी पर काला साया ने जब उसे समझाया तो वो खुद बे खुद मजबूरन मान गयी, उसने फॉरन उसके बारे मे पता किया , पता चला वो दूसरे सहेर से है और बहुत ही ग़रीब है, अगर उसके घर मे पता चला तो उसकी माँ तो हार्ट-अटॅक से ही मर जाएगी, अब वो किसी के पास जा भी नही सकती इतना कह के वो रोने लगी
"धीरज रखो सबर करो सब ठीक हो जाएगा" काला साया चुपचाप खड़ा हुआ और उसने उसे फॉरन वही ठहरने को कहा कुछ देर बाद वो
बाइक से वापिस आया फिर उसने उसे प्रेग्नेन्सी कार्ड दिया, पहले तो वो समझ ना पाई फिर काले साए ने जो उसे बताया तो वो मान गयी
और पास ही के दूसरी ओर जाकर मूतने की पोज़िशन मे जबरन खोल के बैठ गयी, उसने खुद के सूट को काफ़ी उपर उठा लिया पाजामा भी उपेर किया और उसकी झान्टो भरे बालो के गुच्छे मे से ही अंधेरे मे पिसाब की धार निकली, अंधेरे मे काला साया सिर्फ़ पिसाब की आवाज़ सुन सकता था कुछ देर बाद वो प्रेग्नेन्सी कार्ड उसने काले साए को दिया, काले साए ने जब ये देखा तो उसकी ख़ुसी का ठिकाना ही नही रहा और
दिव्या को बताया कि वो अब प्रेग्नेंट नही है, शायद वो बीमार हो जिस वजह से उल्टी हुई हो, ये सुनकर दिव्या मूह पे हाथ रखे भगवान को थॅंक्स कहने लगी और मन ही मन उस अखिल नाम के लड़के की माँ- बहेन एक करने लगी लेकिन उसे उदासी भी थी कि अब अपने गाओं किस मूह से जाएगी....
काला साया - देखो एक काम करो तुम मेरे साथ चलो, में तुम्हे काम दूँगा.
दिव्या- आपका इतना एहसान है मुझपर आपका बहुत धन्यवाद.
काला साया- उन लोगो ने वैसे ही बहुतो पे जुलम किया है, तुम फिकर मत करो उन सब को सबक मे सिखाउंगा, तुम बस चुपचाप मेरे साथ चलो..
दिव्या ने सिर्फ़ क़ाला साया का नाम सुना था वो जानती नही थी कि वो कितना दिलेर और दयावान है. वो उससे बहुत प्रभावित हो गयी थी, रात काफ़ी हो चुकी थी काला साया जल्द ही अपनी बाइक से दिव्या के साथ उतरता है और फिर एक बंद घर के सामने आता है और लॉक को की से खोलता है और फिर दोनो अंदर घुसते है, घर बेहद बड़ा था चारो और सोफा, आलीशान टेबल सबकुछ था, ये सब देखके दिव्या मानो चारो और घूम सी गयी...
"आओ मेरे साथ" काला साया अपना मास्क ठीक करते हुए उस सोफे पे बैठता है, और उस बॅग को जो उस औरत ने घर से बाहर फेक दिया था उसे सोफे पे रख देता है, काला उसे फ्रेश होने को बोलता है और फिर अंधेरे कमरे की लाइट्स ऑन कर देता है और बाथरूम चला जाता है..
और बाहर आता है तो वो देखता है कि दिव्या अब एक सफेद सूट मे बैठी हुई है, वो फ्रीज़ से राइस, दाल और कुछ सब्ज़ी निकाल के उसे
पास ही के चूल्हे पे ही गरम करता है
कमरा देखते हुए मुस्कुरा कर दिव्या बात करने की चेस्टा करती है.
दिव्या-आपके बारे मे बहुत सुना था क्या आप यही रहते हो ?
काला साया- ह्म्म्म रात के राउंड के बाद मे यही रुकता हूँ, लेकिन ये बात तुम अब किसी को मत बताना.
दिव्या- ठीक है अब आप मेरे भगवान जैसे है
काला साया - ऐसा कुछ नही है में सिर्फ़ एक इंसान हूँ
दिव्या - लेकिन फिर आज उन्होने मुझे घर से निकाल दिया था अगर आपकी शरण मे ना आती तो.
काला साया - लेकिन तुम फिसली क्यूँ? तुम्हे एक लड़की के साथ साथ तुम्हे खुदको रोकना भी चाहिए था
दिव्या शर्म से लाल हो गयी लेकिन फिर मायूसी से बोली-"खुद पे बस नही रहा उस कमीने ने मुझे इतना उकसाया कि में बहक गयी और
अपना कुंआरापन खो दिया"- इतना कहकर वो रोने लगी
काला साया- कोई बात नही तुम फ़िक्र ना करो मे हूँ ना.
काला साया उसी वक़्त फोन लगाता है, और फिस हसके किसी से बात करने लगता है दिव्या सब कुछ समझ रही थी पर वो चुपचाप थी, फोन कट होने के बाद." तुम फिकर ना करो वो ऑफीस का मेरा दोस्त गौरव के यहा तुम नौकरी कर सकती हो, तुम्हे कोई हुनर आता है"
काले साए की बात पे उसने चोन्कते हुए हां मे सिर हिलाया, और बताया उसे सिलाई का काम आता है..
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