RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-20)
“देख रोने का कोई फायदा नहीं जो कर रहा हूँ कर लेने दे तेरा भी कुछ नहीं बिगड़ेगा मेरा भी नहीं यहां से भागना मत बाहर मेरे ही लोग है तुझे पकड़कर अंदर ले आएँगे जगह बदनाम है किसी के हटते चढ़ गयी तो बैच देगा चुपचाप जो करना चाहता हूँ कार्वाले और फिर तुझे फिर चोद दूँगा”……कुटुम्ब हार मान गयी ओसोका दिल बैठा जा रहा था
कुटुम्ब ने फौरन सुबकते हुए अपनी सारी खोलने लगी…”शब्बाशह”….शांतलाल तहाका लगाकर हस्सने लगा..वो फौरन कुटुम्ब के करीब आया और ऊसने कुटुम्ब का पल्लू खींच के उतार दिया और फिर उसका ब्लाउज भी फाधने लगा कुटुम्ब उससे छुड़ाने लगी…पर फरका नहीं पड़ा कुटुम्ब के दो स्तनों टूट गये…और ऊस्की वाइट ब्रा अंदर से दिखने लगी…शांतलाल ने ऊस्की ब्रा के बीच में ही उंगली डालकर उसे इतनी ज़ोर की खींचा की ब्रा का हुक टूट गया और ब्रा फर्श पे गिर पड़ी…कुटुम्ब अपने छातियो को हाथों से छुपाने लगी
शांतलाल खुद पे काबू नहीं कर पा रहा तो उसने धीरे धीरे कुटुम्ब के हाथ हटा दिए…और उसके छातियो को देखते ही पागलों की तरह हाथों में भरके दबाने लगा और उसे चुस्सने लगा…उसके कड़े मोटे निपल्स मुँह में भरते ही कुटुम्ब सिहर उठी….शांतलाल बारे ही काश क़ास्सके दोनों चुचियों को दबाए जा रहा था…और अपना चहरा छातियो के बीच रगड़ रहा था….कुटुम्ब बस सिसक रही थी कमरा में सबकुछ रिकार्ड हो रहा था…क्ाअल साया हर एक एंगल को ज़ूम करके दोनों की रासलीला का वीडियो चुत कर रहा दूसरे कमरे के सी सी टी अभी के थ्रू
शांतलाल झट से कुटुम्ब के पेटीकोट के नारक होल्के उसे बारे ही बुरी तरीके से नीचे खिकच देता है कुटुम्ब के जाँघ से लेकर कमर तक लाल निशान पढ़ जाता है वो ज़ोर से चिल्लाती है पर शांतलाल रुकता नहीं और अपने हाथ ऊस्की खुली पैंटी पे फहीराने लगता है…कुटुम्ब उसका हाथ बार बार रोकती है पर कुछ फायदा नहीं होता….शांतलाल ऊस्की चड्डी को ज़ोर से खिसकाके फाड़ देता है कुटुम्ब ज़ोर से चिल्लाती है और शांतलाल पे गुस्सा होने लगती है पर शांतलाल पे जो बदला और सेक्स का जुनून चढ़ा था उससे तो ओसोका बचना नामुमकिन ही था….कुटुम्ब के मोटे सूजी चुत को मुट्ठी में भरके शांतलाल दो तीन बार दबा देता है…कुटुम्ब ज़ोर से सिहर जाती है वो खड़ी खड़ी काँपने लगती है
फिर शांतलाल मुट्ठी में कैद चिड़िया को कुछ देर दबाते हुए ऊस्की चुत में पूरा का पूरा मुँह घुसा देता है कुटुम्ब को एक बिजली का झटका लगा था वो उसे रोकने लगती है पर शांतलाल बारे ही बेरहेमी से ऊस्की चुत में मुँह घुसाए छांट रहा था ये साफ कमेरे पे शो हो रहा था….कुछ देर बाद शांतलाल कुटुम्ब को वैसे ही बिस्तर पे लैटाके उसके जांघों को अपने कंधे पे रखकर अपना पूरा मुँह चुत पे दबाने लगता है ऊसपे घिस्सने लगता है कुटुम्ब बस सिसक रही थी बार बार मुँह पे हाथ रख रही थी
और इतने में ही उसे सांखलन हो जाता है वो झधने लगती है शांताल ऊस्की भीनी रस की खूबसू सूँघे उसे चाटने लगता है और ऊस्की चुत के ऊपर से नीचे तक जुबान से साफ करता है फिर वो कुटुम्ब अपने नीचे बैठा देता है “चलो जानेमन अपने पति का लंड मुँह में लो”……कुउत्मब मना करती है पर कुटुम्ब के चेहरे को सख्त इसे पकड़कर शांतलाल उसे अपने लंड पे रगड़ने लगता है कुटुम्ब को उबकिया आने लगती है
पर उसके गले को जब क़ास्सके दबोचता है तो कुटुम्ब की साँसें अटक जाती है तब जाकर उसे अपने शांतलाल का लंड मुँह में लेना पड़ जता है…पहले दो तीन बार मुँह से बाहर कर देता है…पर कुटुम्ब बारे ही मुश्किल से उसका मुँह में लंड लेकर बस रखे रहती है “आबे चूस ना”….शांतलाल एक करारा धक्का कुटुम्ब के मुँह पे मर देता है लंड गले तक पहुंच जाता हाीइ कुटुम्ब तड़पने लगती है
फिर शांतलाल ज़ोर ज़ोर से कुटुम्ब के मुँह में ही मुख मैथुन स्टार्ट कर डेटह आई…कुतुब अब आंखें बंद किए रोते रोते शांतलाल के लंड को चुस्सथी है…और ज़ोर से और ज़ोर से स्लूर्रप्प्प के इयवाज़ मुँह से आती है…बीच बीच में शांतलाल झुककर मुँह में लंड डाले कुटुम्ब के गान्ड पे भी छपात मारता हाीइ
कुछ देर बाद कुटुम्ब खुद ही लंड चुस्सते रहती है…और फिर शांतल्ला लंड मुँह से निकल देता है कुटुम्ब गहरी साँसें लिए बिस्तर के कॉर्नर पे बैठ जाती है…शनलाल उसे फिर उठाकर बिस्तर पे लेटा देता है और ऊस्की टाँग खोल देता है “चल अब तुझे चोदूंगा”…..कुटुम्ब के लाख मना करने के बावजूद भी शांताला लृक्ता नहीं…वो फौरन अपने पूरी बढ़हास्स्स कुटुम्ब के चुत पे टिकाए लंड से निकलता है…पर लंड अंदर घुस्सता नहीं शांतलाल अपने थूक और पॉकेट से एक लूब्रिकॅंट निकलटः आई उसे लंड पे लगतः आई और ऊस जेल को चुत के मुआने पे भी लगा देता है धायर सारा…और फिर एक ज़ोर डर धक्का पेलता है…कुटुम्ब ज़ोर से चिल्ला उठती है…इतनी ज़ोर से की स्पेअकर पे ऊस्की आवाज़ गूंज उठती है…काला साया बस मुस्करा उठता है
शांतलाल बारे ही काश क़ास्सके चुत में धक्के मारने लगता है….कुटुम्ब अब दाँत पे जुबान लगाए झटकों को सहन कर ने लगती है…और बारे ही करार धक्को को झेल रही होती है….शांतलाल जानवर की तरह उसे चोद रहा था ऊस्की चुत से फहक्च फच्छ की आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी….कुछ करार धक्को में ही कुटुम्ब ना च्चटे हुए भी शांतल्ल को कसके रोक लेती है और वो फिर झड़ जाती है…शांतल्ल को बड़ा मजा आया और वॉ धक्के लगातार लगता रहा सेक्स की गोली का अच्छा ख़ास्सा फायदा था शांताला झड़ ही नहीं रहा था
शांतलाल ने फौरन चुत से लंड बाहर खींचा और हाँफती कुटुम्ब को अपने ऊपर ले लिया अब कुटुम्ब शांतलाल के ऊपर चधीी लंड को चुत में लेने लगती है…या यूँ कह लीजिए शांतलाल के सख्त हाथ खुद लंड को चुत के मुआने में घुसाने लगते है…..कुटुम्ब बस बारे ही ज़ोर ज़ोर से उछालने लगती है और फिर लंड पे ही गान्ड रगड़ देती है उसके मोटे पिछवाड़े के अंदर लंड ऐसे धासा था जैसे ड्रिल मशीन दीवार में छेद कर देती हो
कुछ देर बाद कुटुम्ब खुद लंड पे कूदने लगती हाीइ पूरा बाहर शांतलाल के जिस्म पे होता है वॉ बस कुटुम्ब के चूतड़ और कमर को मसलते हुए कुटुम्ब को अपने ऊपर कूदवा रहा होता है…कुटुम्ब्ब आहह आहह उहह आहह करके कूद रही होती है…बीच बीच में सेक्स उठाने के लिए शांतलाल छातियो को भी क़ास्सके दबाने लगता है….ओसॉके निपल्स को मसलने लगता है कुटुम्ब से अब और सहन नहीं होता वो और चुदने के काबिल नहीं होती लेकिन शांतलाल नहीं मानता और उसे उसी हालत में खूब चोदता है
कुछ देर बाद पोस्चर बदल जाता है कुटुम्ब किसी गाय की तरह खड़ी होती है और किसी सांड़ की तरह खड़े खड़े शांतलाल कुटुम्ब की गान्ड मारता है….कुउत्मब को बेहद सख्त दर्द हो रहा था चुत का हाल तो बुरा ही था और गान्ड का भी आज पति के अलावा एक गैर मर्द के साथ सो रही थी वो…शांतलाल बस धक्के लगाए रहता है….कुटुम्ब आहहह आहह यू म्मा आहह आस्ती बोलते बोलते चीख रही होती है…..लेकिन शांतलाल अभीतक झड़ा नहीं था….और कुछ ही पल में वो कुटुम्ब की गान्ड से लंड निकलकर उसके मुआने पे मुँह लगा देता है एक तो काली गान्ड ऊपर से शांतलाल ने उसके गान्ड के छेद पे मुँह लगा दिया….शांतलाल के छुपी हसरत आज कुटुम्ब के साथ चुदाई की कसर से निकल रही थी
“अब बॅस करूं आहह मैं और से नहीं पौँगीइ”……शांतलाल कुछ बलटा नहीं और फिर टाँगें चौदीी किए ज़मीने पे ही कुटुम्ब को पट्टक्के उसके ऊपर चढ़ जाता है दोनों चुदा का गहरा खेल खेलने लगते है…चुत से अब लंड बारे ही आराम से अंदर बाहर हो रहा था….कुटुम्ब सिसक रही थी उसे बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी शांतलाल उसके होंतोप ए होंठ लगाए उसे अभी किस कर रहा था…और ठीक उसी पल कुटुम्ब ने एक चाल चली और ऊसने फौरन शांतलाल का मास्क उतार दिया…शांतलाल एकदम कत्तुआ गया पर वो धक्के मारता रहा रुका नहीं..शांतलाल के ओदेखके कुटुम्ब की साँसें थाम गयी उसे लगा की वो फोन कॉल वो ढँक भारी बातें इसका मतलब वो काला साया नहीं बल्कि शांतलाल था…..
ये सब सोचते ही उसके रौूंगते खड़े हो गये वो मुँह पे हाथ रखक्के शांतलाल को सहमी निगाहों से देखने लगी “तेरे पतीी ने जो मेरे सहत किया उसे मैं भुला नहीं हूँ रंडी की जानी आज तुझे मैं बक्षुंगा नहीं आहह आहह आहह ले मेरा बीज़्ज़ज्ज”…..और शांतलाल 2 घंटे की इस चुदाई के बाद झधने लगता है….उसका सारा रास चुत को भेगोटे हुए पूरी गान्ड तक भिगो डालता है
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