RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-33)
ऊस दिन शीतल ने देवश से कुछ और नहीं कहा बस वो बहुत तक गयी थी जगह जगह शरीर का अंग टूट रहा था चुत चिल्लाने से जलन थोड़ी बहुत हो रही इत ओओ घबराई हुई थी पर देवश ने समझाया ऐसा होता है दोनों ने नहाया किसी तरह फिर उसे काफी समझाया की कोई प्राब्लम नहीं होगी उसे उसे चुप रहने को बोला और काकी मां को कोई भी बात ना बताए ये हिदायत दी..शीतल और देवश ने एक दूसरे को स्मूच किया
और कुछ दायरटक शीतल देवश से लिपटी रही दोनों गद्दे डर बिस्तर सोए रहे और फिर जब पूरी तरीके से शीतल की थकान गायब हुई दर्द कम हुआ तो वो खुद पे खुद उठके कपड़े पहनकर देवश के माथे को छू के शाम में ही अपने घर चली गयी….देवश ने कुण्डी लगाई और बिस्तर पे आकर चोद हो गया
जिस दिन देवश ने शीतल की सील तोड़ी और उसे जवान लड़की से औरत बनाया…उसी रात काला साया भी अपनी महबूबा दिव्या के साथ अपने नये वीरान घर में बिस्तर गरम कर रहा था….दूर दूर तक सन्नाटा अंधेरा घर के अंदर…बिजली कांट दी गयी थी…फिर भी मौसम इतना अच्छा था की बाहर का ही खिड़की खोलने से हवा कमरे में आ रही थी…काला साया का हाथ दिव्या के हाथों की उंगलियों में फ़सा हुआ था…दोनों एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे…बिस्तर पे एक दूसरे से लिपटे चादर ओढ़े हुए थे…इतने में दिव्या ने काला साया को सारी बात बता दी की एक पुलिसवाला उसके पीछे लग गया…ये सुनकर काला साया को अच्छा तो नहीं लगा…और वो गंभीरता से सोचने लगा…और फिर ऊसने दिव्या को एक तरक़ीब बताई जिससे वो पुलिसवालो के नजारे में ना आए वो ऊस पुलिसवाले को खुद हैंडिल कर लेगा
दिव्या ने काला साया के मुकोते पे हाथ रखते हुए उसके चेहरे को सहलाया…काला साया ने मुस्कुराकर दिव्या को अपने सीने से लगा लिया…”एक दिन जरूर मैं तुम्हें अपना चेहरा दिखाऊंगा दिव्या और वॉ दिन ज्यादा दूर नहीं”…..काला साया दिव्या से और लिपट जाता है….नीचे फर्श पे परे उनके कपड़े साफ जाहिर करते है की इस अंधेरे साए में भी दोनों ने कितनी आग लगाई है
काला साया दिव्या के ऊपर फिर से सवार हो गया और दिव्या ने भी मुस्कुराकर अपनी टांगों को बिस्तर पे फैला लिया और काला साया के पिछवाड़े पे टाँग साँप की तरह लपट ली…जल्दी पलंग चरमरने लगा..और प्यार का मीठा आहेसास दिव्या लेने लगी…
अगली दिन ही देवश की आँख खुली सुबह के 6 बज चुके थे….आजकुच ज्यादा जल्दी उठ गया हो भी क्यों ना? कल शाम से ही वॉ थोड़ा सा खाना खाके शीतल की चुदाई में लगा और उसके बाद इतना तक गया की अब उठने की हिम्मत ऊसमे नहीं थी…किसी तरह ताक़त जुटाकर वो उठा…और जल्दी से अंडा और ब्रेड का नाश्ता करने के बाद..नहाने घुस गया…बाहर आकर ऊसने पलंग के नीचे से दुम्ब्ेल्ल और रिंग निकाला और अपनी कसरत में लग गया….कुछ तो ताक़त मिलेगी…कसरत खत्म करके सोचा क्यों ना एक बार शीतल का जायेज़ा ले लिया जाए
कल उसके साथ सेक्स करने के बाद ऊस्की क्या हालत होगी? ये जानना भी जरूरी है क्योंकि औरत्के साथ सेक्स करने के बाद देवश को हमेशा ये डर सताता है की कहीं वो गर्भवती ना हो गयी हो क्योंकि बाद में अबॉर्षन का खर्चा भी उसे ही देना पड़ेगा सेक्स होती ही ऐसी चीज़ है की जबतक करो तबतक जोश और फिर ठंडा होने के बाद टेन्शन ही टेन्शन….खैर देवश फोन करके शीतल का जायेज़ा लेता है…अपर्णा काकी फोन उठती है और बताती है की शीतल की आज हालत कुछ ठीक नहीं…उसे थोड़ा बुखार है देवश पूछता है की आख़िर उसे हुआ क्या? वो फ़िकरमंद होता है….लेकिन डरने की कोई बात नहीं थी क्योंकि वो पानी का ज़्ीडा काम करके बीमार हुई है ये अपर्णा बताती है…देवश मन ही मन मुस्कुराता है आख़िर थी तो कुँवारी ही उसे धीरे धीरे झेलने की आदत हो जाएगी
देवश पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है…और फिर अपने काम में जुट जाता है…काम कुछ खास नहीं था दोपहर का ब्रेक लेकर देवश वापिस घर पहुंचता है….घर में आकर जैसे ही वो ताली निकलकर खाने के लिए फर्श पे बैठा ही था इतने में उसे एक लिफाफा दिखता है…दरवाजे के ठीक किनारे मानो जैसे किसी ने उसे दरवाजे के नीचे से फैका हो…देवश के माथे की शिकार तरफ जाती है…और वो उठके हाथ धोके लिफाफा उठता है ऊसपे ना तो कुछ लिखा है और ना कोई अड्रेस…वॉ टेबल पे लाके उसे फाड़ता है…और ऊस कागज़ को पढ़ें लगता है….जाहिर था ये धमकी थी और धमकी जिसकी थी उसे भी जाने में वक्त ना लगा काला साया
“मैं जनता हूँ तू मेरे पीछे है…और ये भी जनता हूँ की तू मेरी सक्चाई जानना चाहता है…ये जान ले की मैं किसका दुश्मन नहीं…पर ऊँका हूँ जो मेरे अपनों के और मेरे चेहरे के दुश्मन है…भलाई इसी में है की केस क्लोज़ कर दे अगर मुझे पता चला की तू मेरे पीछे अब भी है…तो सोच लेना तेरे पास दो ऑप्शन है खंडहर हाउस के पास आ जाना अगर वाक़ई तू ये चेहरा देखना चाहता है…लेकिन सोचले ऑप्शन 1 बहुत ही खतरनाक साबित होगा तेरे लिए…दूसरा ऑप्शन ये है की दिव्या का पीछा चोद वो तो एक बेसहारा लड़की है…पर हाँ उसे तो क्या किसी भी मेरे लोगों को तूने हिरासत में लिया तो सोच लियो”………लेटर को दुहराते हुए देवश कागज़ को फाड़ देता है…कानून का सिपाही होकर उसी को गुंडागर्दी का धौस
देवश मुस्कुराता है…ये बात तो साफ थी की काला साया दिव्या से जुड़ा हुआ है कहीं ना कहीं लेकिन ये भी था रहस्य जाने पे उसके जान को खतरा हो जाएगा….लेकिन देवश को ये जरूर पता चल गया की चलो इस बहाने काला साया के दिल में उसके लिए एक खौफ तो पैदा हुआ है…ऑप्शन 1 देवश को ज्यादा सूट किया…क्योंकि चुत मारना और चॅलेंज निभाना उसे बचपन से ही पसंद था
थाने में वापिस आकर…ऊसने काफी देर तक सोचा..और फिर प्लान को अंजाम दिया…पुलिस की मदद लेना सबसे बड़ी बेवकूफी है काला साया एक ही झटके में ऊँका तमाम कर डालेगा….अगर देवश अकेला जाए तो वो कम सतर्क हो जाएगा….पूबलीच तो पता लगा तो काला साया को बचाने और पुलिस पे कीचड़ उछालने में वक्त नहीं लगेगा…सबका अन्नड़ाता जो बिना फिर रहा है
देवश ने इस मॅटर को अपने हाथ में खुद ही लेने का फैसला कर लिया…और फिर ऊसने उसी दिन जीप बीच में ही रोक दी गंभीरता उसके आंखों में सवार थी..और फिर जीप से उतरके एक बारे से दुकान में घुस गया….कुछ देर बाद वो दुकान से बाहर निकाला और अपने हाथ में उठाई ऊस बेसबॉल बात को घूर्रने लगा…देवश ने काला साया को मारने के लिए हत्यार खरीद लिया था
क्या पता घर पे भी वो अटॅक कर सकता है? ऊस्की नजरें देवश पे ही शायद टिकी हो…घर पहुंचकर ऊसने फौरन पुलिस को इकतिल्ला की वॉ ये बात गुप्त रखे की काला साया को पकड़ने का ऑपरेशन वो शुरू कर रहा है….ऊसने पाँच बारे ऑफिसर्स को इस ऑपरेशन के लिए ड्यूटी पे लगाया…ऊन्हें हमको दिया अगर काला साया की परछाई तक दिख जाए ऊसपे गोली चला देना…देवश जनता नहीं था की वो अपने चॅलेंज के चक्कर कितने बारे तूफान को चुनौती दे रहा था
पूरे दिन वो मुकोता को घर में लिए अपने हाथ में पकड़े घूमता रहा…और बेसबॉल बात को साफ करके अपने हाथों में घुमाता है…जल्द ही रात हो जाती है….रात के 12 बजते ही तंन तन्न्न की आवाज़ घारी से सुनकर देवश उठ खड़ा होता है और अपने हाथों में बाइक ग्लव्स और एक मोटा जॅकेट पहन लेता है…पास रखी बेसबॉल बात को उठता है…और उसे अपने जीप पे रखकर सवार हो जाता है पूरे रास्ते उसका दिल ढक ढक कर रहा था अपर्णा काकी शीतल किसी को पता नहीं था की वॉ क्या करने जा रहा है? ईवन पुलिस तक को नहीं…
रात गये वॉ ऊस खंडहर हाउस के पास पहुंचता है जिसकी जर्जर इमारत से फॅट फटके कई जमी हुई है और दीवारों से पादो की जड़ें निकल गयी है…ऐसी भयंकर रात में सुनसान सन्नाटे भरे वीरान खंडहर में वो अकेले ही प्रवेश करता है…साथ में एक मोबाइल है जिसे ऊसने स्विच ऑफ कर दिया…अगर क्कूह हो गया तो साला खुद ही सब संभालना पड़ेगा….पुलिस तो वैसे ही पीछे लगी है काला साया के लेकिन फिर भी दिल में एक डर तो रहता ही है
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