RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-39)
उसी वक्त शीतल को बोला जाकर तू फ्रेश हो जा..वो गुसलखाने में जाकर अपने कपड़े उतारके नहाने लगी…मैंने भी फौरन कपड़े उतार लिए एक बार काकी मां की ओर देखा जो गहरी नींद में थी..फिर जल्दी से गुसलखाने में घुसके दरवाजा लगा दिया…शीतल डर गयी मैंने फौरन उसके मुँह पे हाथ रखा…वॉ भी समझ गयी मेरे दिल में क्या है? और मेरे सामने ही दीवार पे टैक्के खड़ी हो गयी
मैंने फौरन उसके ज़ुल्फो को हटाया और उसके होठों से होंठ भीड़ा दिए..हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे..और फिर शीतल को गान्ड से उठाते हुए उसके नंगे बदन को चूमने लगा उसके छोटे छोटे निपल्स को चुस्सने लगा उसके छातियो को दबाने लगा उसके गले में होंठ फहीराने लगा…शीतल पूरी तरह से तारक में आहें भरने लगी
उसके टांगों को थोड़ा फैलाया और ग्ोअडी में उठाए ही अपना लंड उसके छेद में टीका दिया…पहले तो ऊसने मुझे क़ास्सके पकड़ लिया लेकिन अचानक उसका हाथ मेरे पट्टी पे लगा…काकी मां तो चुदवाने में इतनी मशगूल थी की उसे पता ही नहीं चला पर इसे अगर पता चला तो हुआ भी वही ऊसने पूछ डाला मैंने बताया की लोहे से खरॉच लग गयी सेपटिक पकड़ लेता इसलिए इलाज कराया तो पट्टी लग गयी फिर ऊसने कुछ नहीं कहा बस ख्याल रखने की हिदायत दी
फौरन ऊस्की चुत की फहाँको में लंड घिस्सते हुए एक ही शॉट मारा…उफ़फ्फ़ कितनी सख्त चुत थी….शीतल काँप उठी ऊसने अपने नाखून मेरे पीठ पे गढ़ा दिए और मैं भी फुरती से उसे उछाल उछाल के अपने लंड पे चोदने लगा मेरे हाथ सक़ती से ऊस्की गान्ड को दबोचे हुए थे जबकि पूरा छाती और पेंट मेरे सीने और पेंट से जुड़ा हुआता…मैं बारे ही आराम आराम से धक्के देने लगा
देवश : दर्द तो नहीं हो रहा ना
शीतल : नहीं बिलकुल भी नहीं
देवश : चल मजे ले फिर
शीतल आहह आहह करके बारे ही अहेतियात से आहें भर रही थी ऊस्की मां को पता ना चल जाए…मैं शीतल को उसी हालत में चोदता रहा…वो एम्म्म एम्म्म करते हुए झड़ गयी और मुझसे लिपट गयी…मैंने उसे नहीं छोडा और उसे वही फर्श पे लिटा दिया कारण वो बहुत कमज़ोर पढ़ चुकी थी…मैंने फौरन उसे लािटाए मिशनरी पोज़िशन एमिन दोनों टांगों को अपने कंधे पे रखा और दान दाना दान चुत में लंड घुसाए अंदर बाहर करने लगा
शीतल लज़्ज़त में अपने दाँतों में दाँत रखक्के चुदवाती रही..और मैं उससे चोदता रहा…ऊस्की बीच बीच में ज़ोरर्र से आहह निकल जाती….और मैं अपनी गांड में ताक़त भरके जितना हो सके उसे चोदता रहा…लंड से थोड़ा प्री-कम आने लगता जिसे मैं बीच बीच में उठके पानी और उसी के ब्रा से साफ कर देता….नल खोल दिया था जिससे पानी की आवाज़ से काकी मां को पता ना लगे की मैं गुसलखाने में ऊस्की बेटी को चोद रहा हूँ
कुछ देर में ही शीतल फिर झड़ गयी…इस बार साली कुछ ज्यादा ही ज़ोर से चिल्ला उठी..मैंने फौरन लंड चुत के मुआने से बाहर खिंचा और फिर उसे पेंट से उठाकर दीवार पे टैका दिया उसका वज़न यही कोई 40 किलो तो होगा ही बस छाती और गांड भारी हुई थी…कहाँ हम मर्दों का वज़न औरतों से तीन गुना दुगुना हम मर्दों को औरतों को उठाने में कोई ज्यादा प्राब्लम नहीं होती
ऊस्की पतली कमर पे हाथ रखा और उसके नाभी को अंगुल करते हुए उसके टाँग को कमर पे फ़सा दिया अब वो मुझपर पीठ के बाल चड्डी हुई और मैं नीचे से उसे धक्के पेलता जा रहा था…वो चुड्द्वाए जा रही थी लंड बारे ही आसानी से ऊस्की चुत से निकल रहा था घुस रहा था…कुँवारी चुत अब पहली की तरह टाइट नहीं थी मेरा अब पारा चढ़ गया और मेरी कामशक्ति जवाब देने लगी…और मैंने फौरन धक्के तेज कर डाल्ली…और उसी बीच मैंने उसके कमर से उसे ऊपर उचका दिया…जिससे चुत से लंड फ़च से निकाला और रस लबालब छोढ़ने लगा…लंड रस बहा रहा था जो नाली के अंदर जा राई थी
फिर उसी बीच मैंने शीतल को खड़ा किया और साबुन से जल्दी जल्दी उसके बगल गान्ड चुत छाती साबप्पे साबुन रगड़ा पेंट पे भी रगड़ा फिर ऊसने भी मुझे कुछ साबुन लगाया और हम दोनों ने शवर के नीचे नहाया…ये तीसरी बार मैं झड़ा था काफी तक गया था मैं….फिर मैंने उसे कहा की पहले मैं नियालकता हूँ बाद में तू निकल लियो वो पहले सावधानी से निकली फिर मैं…गनीमत ही काकी मां उठी नहीं
ऊस दिन चुदाई का प्रोग्राम बहुत ही अच्छा ही चला…मैंने इतना सेक्स किया की हाथ पाओ में जान नहीं थी…साला दुम्ब्बेल्ल भी नहीं उठा पाया था…काला साया की मौत के बाद तो जैसे अब मैं पूरा देवश बन चुका था….एक तरह से छुट्टी मिल सी गयी थी अययाशी करने के लिए…साथ ही साथ थाने का कामकाज भी बेटर चल रहा था
लेकिन खुशी पलों को लगते काली नज़र डायरी नहीं लगती….अच्छी खाासी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया…जिसने मुझे फीरसे जुर्म की इस लरआई में पाओ रखने के लिए शामिल करवा ही दिया….अब वो क्या वजह थी ये तो मैं अगले अपडेट में ही बताऊंगा
ऊन दीनों टाउन के आसपास बहुत ज्यादा ही क्राइम तरफ गया था…पुलिस की गश्त के बावजूद सुनसान इलाक़ो में अंधेरी रातों में ही सुपारी किलैंग्स हो जा करती थी…जिनकी लाशें बाद में फाटक के पानी में तैरती दिखती थी…बहुत कल्प्रिट्स और सस्पेक्ट्स को गेरफ़्तार किया गया..खूनियो को भी धार दबोचा पर अब पहली वाली बात नहीं रही थी जो काला साया के टाइम थी लेकिन अगर क्राइम को ओस्से डर था तो पुलिसवालो से ऊन्हें दुगुना डर होना चाहिए था सबके जुबान पे एक ही बात थी आख़िर काला साया आ क्यों नहीं रहा ? पर कोई कुछ ज्यादा कर ना सका…उसे खोजते भी कहा…जिसके चेहरा किसी ने आजतक नहीं देखा
ऊन दीनों टाउन में लगातार 3 महीनों से चोरी हो रही थी सुराग ना के बराबर ना ही कोई दायकात और ना ही कोई प्रोफेशनल तेइफ़ दिन दहाड़े ही बारे बारे सेठो के घर से पैसा जेवराहट सबकुछ चोरी हो जाता….और बाद में शिकायत और दिमाग खाने सेठ लोग पुलिस स्टेशन पे दस्तक देते…कब पकड़ेंगे क्या पुलिस कर रही है? ब्लाह ब्लाह बोलकर चले जाते..बस ऊन्हें आश्वासन ही देना परता…शायद एक फैसला लेकर मैंने अपनी बाकी जिंदगी को जैसे मुस्किलो में डाल दिया था
उसी दिन पुलिस की गश्त मैंने बरहा दी थी पर साला रात को उसका एक परछाई भी नहीं मिला गुंडे नहीं थे ना कोई बड़ी गान्ड थी…सिर्फ़ एक अक्स दिखता काले कपड़ों में और धक्का नक़ाब पॉश घर में घुसता सब पर स्प्रे मरता और फहरी जीतने चीज़ें है लूट लाटके भाग खड़ा होता
ऊस रात भी दिमाग पूरे दिन की थकान से चोद था…टीवी पे फेव मूवी रेसलिंग देख रहा था…मेरी खूबसूरत रेस्लर लड़कियां पेज और निक्की बेला का दमदार एक्शन सीन चल रहा था…साला बाप जन्म में तो कभी मिलेगी नहीं बस यूँ ही आँख सैक ले बेटा…अभी अपने असल घर आया था दिव्या मेरे नयी मकान में रही रही थी…रात करीब 11 बज चुके थे…आराम से अभी टीवी देख ही रहा था इतने में फोन बज उठा…लो कर लो बात साला अभी आंखों से सैका नहीं लंड झड़ा भी नहीं और ये लो फोन कॉल
जल्दी से फोन उठाया तो पाया कमिशनर की आवाज़ थी…ऊन्होने बढ़ते अपराध को देखते हुए सूचित किया की ऐसा मामला कलकत्ता में भी हुआ था पर जब ज्यादा इन्वेस्टिगेशन बड़ी तो वॉ चोर गायब हो गया…शायद उंड़रगरौद्ण के बाद वॉ हमारे ही टाउन में आया हो बिकॉज़ बंगाल का सबसे अमीर सेठ लोग यही रहते है बारे बारे मॅजिस्ट्रेट्स और एमएलए का भी यही घर है…जिनके पास धारो दौलत है… कमिशनर ने मुझे बताया की एक पुलिस मीटिंग कल बिताई जा रही है मैं आ जाओ…मैंने भी हाँ कहा और फिर फोन रख दिया
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