RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-52)
उस्मान : इट’से बिग ऑपर्चुनिटी आप इंडियन्स के लिए अगर आप लोगों ने उसे गेरफ़्तार कर लिया तो सोच लीजिए की आपने ब्ड के सबसे खतरनाक साँप को पकड़ लिया है…वैसे हमसे जितना होगा हम आपकी मदद करेंगे ये खलनायक नक़ाबपोश है इसके काम में इसके दो आदमी इसके साथ कॉपेरते और ऑपरेट दोनों करते है इन ल्गू के नाम भी अज़ीब है एक सनकी की पूरी गान्ड है इसमें काला लंड और निशानेबाज़ जिसने जावेद हूसेन को मारा शामिल है इनसे उलझना मौत को दावत देने के बराबर है
देवश : थॅंक्स फॉर थे इन्फार्मेशन सर अब आप फिक्र ना करे मैं उसे अरेस्ट करने की पूरी कोशिश करूँगा
कमिशनर : ओके देन (कॉँमससिओनेर उठके उस्मान से हाथ मिलता है और उस्मान फिर अपनी मॅटॅडोर में बैठ जाता है इधर कमिशनर मुझे फिर ज़ोर देने लगते है की जल्द से जल्द रोज़ वाला केस निपताओ और इन तीनों को अरेस्ट करो)
मादरचोद एक के बाद एक केस हाथ में दे देता है…अभी रोज़ से प्यार भी नहीं हुआ और फर्ज की लरआई में कूदना पारह रहा है…रोज़ के वजह से ही तो जावेद हूसेन को पकड़ा गया…लेकिन कमिशनर है की रोज़ को ही गलत तेहरा रहा है…जो भी रहे इस खलनायक से मिलना बेहद जरूरी था
जल्द ही काम धाम निपटाके दोपहर को वापिस ख़ुफ़िया घर में पहुंचा…रोज़ का नाम पुकारा…लेकिन वो जा चुकी थी…बिस्तर पे मेरा खत नहीं था…अचानक एक खत मिला टेबल पे उसे पढ़ा….रोज़ ने छोडा था मेरे लिए “तुम्हारे साथ एक एक पल जैसे लगा मानो की एक ख्वाब हो इट’से जस्ट लाइक हेयर ओन ड्रीम ई विल मीट यू टुनाइट आस अभी”……मैंने मुस्कुराकर दिल-ए-हाल रोज़ का जाना..खैर उसे ज्यादा खतरे में डालूँगा नहीं कहीं वो इस खलनायक के पीछे ना लग जाए…क्योंकि मैं अब रोज़ को खोना नहीं चाहता था…इस केस को खुद मुझे कवर करना था…
जल्दी से हाथ मुँह धोया और फिर अपने घर आया..कल रात करीब तीन घाटे ही सोया हुआ था बाकी घंटे तो सेक्स करने में ही उलझा हुआ था…इस वजह से नींद अब भी गहरी लग रही थी…इतने में फोन किया…दिव्या ने झल्लाके कहा मिल गयी फुर्सत काम से उसे मानने में भी दस घंटे लगे कह दिया साफ साफ की मेरे घर आकर मुझसे मिल ले मेरे हाथ में एक केस है जिसके लिए मैं उलझा हुआ हूँ..ऊसने कुछ नहीं कहा बस फोन रख दिया आना तो था ही साली को
जल्दी से पेशाब करने टॉयलेट में घुस्सके निकाला था…की फिर घंटी बाजी इतने जल्दी कौन आ गया?…शायद काकी होगी…मैंने दरवाजा खोला लेकिन शॅक्स अंजना था पर कहीं ना कहीं जाना पहचाना सा लगा…जैसे दरवाजा खोला सामने खड़े 25 साल के चश्मा लगाए लड़के ने अपना चश्मा उतरा और मेरे गले लग गया
“आस हूओ मेर्रेर्र भी मेररीए यार कैस्सा हाीइ तू?”…..ये कोई और नहीं मेरा कज़िन मेरे दूर का भाई मामुन था…असल में मामुन मेरे दादी के घर से तालूक़ रखता है…लेकिन मैं उससे बचपन में ही मिला था..आज ऐसे मिलना हो जाएगा सोचा नहीं था
देवश : अरे भैईई तू तो काफी बड़ा हो गया यार
मामुन : तेरे से कुछ ही साल तो बड़ा हूँ यार तू एकदम नौजवान हो गया
देवश : अरे आना बैठ…(उसे बैठते हुए मैंने कोल्ड्रींक्स निकाली हम दोनों कोल्ड ड्रिंक्स पीने लगे)
देवश : और बता आज इतने सालों बाद इतर में कैसे? तू तो लग रहा है बड़ा आदमी बन गया सुना था तू कलकत्ता में कोई बड़ा बूससिनएस्स्मन बन गया
मामुन : हां हां हां हां सब दुर्गा मां की कृपा है…दरअसल मैं यहां तुझे तो पता ही है सोचा एक बार परिवार के पास जौउ तो वहां देखा की वो जगह किसी ने खरीद ली है…
देवश : तू चाचा चाची वाले घर गया था…दादी वाले घर
मामुन : हाँ हाँ वही खैर तू बुरा मत मान मुझे लाग तू शायद वही होगा पर तुझे इस हालत में देखकर सच पूछ तो इन 22 सालों में इतना कुछ बदल गया और मैं वापिस आ भी नहीं पाया अगर मैं होता तो तेरे साथ हुए दगाबाजी का बदला जरूर लेता मैंने सब सुना गावंवालो से
देवश : भाई जाने दे जो बीत गया सो बीत गया ऊन कामीनो को उनकी मौत मीलगई किसी ने ऊँका कत्ल किया
मामुन : हाँ यार खैर तो मैं जब वहां पहुंचा ना तो ! (मामुन अभय ईकेः ही रहा था इतने में दिव्या घर में दाखिल हुई)
दिव्या मुझे और मामुन को देखकर हड़बड़ा गयी…उसी पल मामुन भी उसे हैरानी भाव से देखने लगा “आ..रही हाँ भैईई यहीी यहीी लड़की बोल रही थी इसी का घर है जाओ यहां से”……..दिव्या भी मामुन को देखते हुए मेरे पास आकर बोली
दिव्या : हाँ ये आज मेरे यहां आए थे ये आपके क्या लगते है?
देवश : उम्म मेरे भैईई है तुम एक काम करो तुम हमारे लिए खाना बनाओ अरे भाई ये दिव्या है मेरी असिस्टेंट
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