RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-53)
दिव्या को बुरा तो लगा पर मेरे पास हमारे रीलेशन को छुपाने का कोई रास्ता नहीं था….दिव्या सदा हुआ मुँह लेकर किचन में चली गयी…मामुन मुझे अनख् मारने लगा “क्या भैईई कोई सेट्टींज्ग??”……मामुन को मैंने हल्का सा तापी मारा “चलो भाई क्या मज़ाक कर रहे हो नहीं बस ऐसे ही कमिशनर ने रखवाई है”…….मामुन मुझसे मजे लेने लगा..फिर उसके बाद वो फ्रेश होने बाथरूम चला गया…मैं दिव्या के पास आया वो चावल बना रही थी
देवश : दिव्या मांफ कर दो…मुझे
दिव्या : क्यों मांफ कर दम तुम्हें ? एक तो बिना बताए तुम आए नहीं दो दिन से कहाँ थे? और अब कह रहे हो काम का इतना भोज अब ये कौन है? (दिव्या सही में चिड़चिड़ा गयी थी एक तो उसे बात करना था मुझसे खुलके और एकदम से मेहमान को देख उसका मुँह बंद गया)
देवश : देखो मामुन यहां ज्यादा दिन नहीं रुकेगा चला जाएगा समझा करो आज्वो इतने सालों बाद आया है
दिव्या : कालतक तो तुम्हारा कोई परिवार नहीं था
देवश : आजएक्द्ूम से खोजते हुए आया है ये कलकत्ता में रहता है इसको मेरा अड्रेस नहीं पता था…आज खोज बिन करके आया है चला जाएगा तुम प्ल्स माहौल को शांत रखो उसे अंजान रखना जरूरी हाीइ ठीक हे
दिव्या : ओकायी
देवश : मैं तुमसे बात करूँगा अभी मैं बहुत तक भी गया और हूँ केस को लेकर उलझा हूँ सब शांत हो जाएगा फिर बताता हूँ
दिव्या : ठीक हे तुम जाओ मैं खाना लगती हूँ
इतना कहकर दिव्या पतीले के पानी को छानने लगी….बाहर आते ही मामुन मुस्करा रहा था ऊसने बैग से मेरे लिए एक सोने की घारी निकाली “अरे ये क्या? बाप रे तू कहाँ से ले आया ये सब?”…….”कैसी है इंपोर्टेड है? तुम्हारे फ्रॅन्स से है”…….मैंने घारी को देखते हुए मामुन की बात सुनी
देवश : भाई लेकिन इट’से वेरी कॉस्ट्ली
मामुन : अरे चढ़ ना ये सब तो चलता है तू तो भैईई है
देवश : तो यहां कबतक का दौड़ है?
मामुन : बस 2 दिन
देवश : क्यूउ? आजकल क्या कर रहा हे तू ? और घर में सब कैसे है? काकी काका
मामुन : काकी अच्छी है और काका एक्सपाइर हो गये 8 साल पहले ही
देवश : ओह माइ गॉड ई आम सॉरी वैसे भी हम तो लास्ट टाइम बच्चे थे जब एक दूसरे से मिले थे उसके बाद तो
मामुन : जाने दे यार जो बीत गया सो बीत गया मुझे देख मैं अब कितने पैसों में जी रहा हूँ एंजाय कर लड़कियां पता यही जिंदगी है वैसे अभी तक शादी!
देवश : नहीं भैईई मिली नहीं
मामुन : अच्छा ग इतनी सेक्सी सेक्सी लड़कियों के साथ घूमता होगा इंस्पेक्टर मिया (तब्टलाक़ दिव्या खाने लेकर आ गयी और बिना कुछ बोले सैंडल पहनने लगी)
मामुन : कहाँ जा रही हो मैडम आइये आप भी खाना कहा लीजिए?
दिव्या : नहीं मैं कहा लौंगी बाद में उम्म देवश जी मैं जा रही हूँ (ऊस्की इशारो को समझा मामुन के प्रेसेंसें आइन वो कुछ कह नहीं पा रही थी..उसके बाद वो वापिस मेरे नये घर चली गई)
मामुन मजे लेटराहा…मुझे दिव्या के नाम से फ़्लर्ट करता रहा…फिर हमारे बीच के हँसी मज़ाक के बाद ऊसने बताया की उसका चंदे का बिज़्नेस है…और वो काम के सिसीले में यहां आया है…फिर कलकत्ता चला जाएगा…मैंने उसे घर में ही स्टे करने को कहा…फिर थाने के लिए रवाना हो गया…मैंने सोचा वही से दिव्या से मिल लूँगा
सूरज की दोपहरी शाम में ढाल गयी….खलनायक सिगर्रेते को सुलगाए…चेयर पे बैठा…टीवी पे चल रही ब्लूएफील्म को देख रहा था…तभी निशानेबाज़ ने खबर सुनाई की पुलिस से भारी जीप खाई में गिरके ब्लास्ट हो गयी पर ब्ड का सुपेरिटेंडेंट उस्मान यहां आया था..ऊसने हमारे पीछे पुलिस फौज लगवाई है इंडिया की…ज़िंदा या मुर्दा की घोषणा की है
खलनायक : हां हां हां आजतक कोई पकड़ सका जो पकड़ लेगा हुम्हें
निशानेबाज़ : कहे तो उनके दिल पे ही सीधे निशाना लगा दम
खलनायक : जो भी अपनी मौत के लिए हमारे पास आ रहे है आने दो फिर लगा लेना..वैसे पता चला माल किस पुलिस ऑफिसर ने पकड़वाया था
निशानेबाज़ : आदमियों ने बताया की यही का इंस्पेक्टर है…और एक हेरोईएन बनी फिर रही है इस शहर की रोज़ उसी ने हमारे माल को पकड़वाया ये रही ऊस्की तस्वीर इसे बड़ी मुश्किल से खबरियो से लिया गया ऊन्होने ही उसके पीछा करके तस्वीर ली
खलनायक ऊस खूबसूरत मुखहोते पहनी लड़की रोज़ की तरफ देखकर मुस्कराया “रोज़ उफ़फ्फ़ क्या ये गुलाब की तरह महेकत्ि भी है”……..खलनायक के मुखहोते अंदर मुस्कुराहट साफ झलक रही थी…”ये तो इसके पंखुड़ी को तोधने के बाद ही पता चलेगा”…..निशानेबाज़ ने मुस्कराया
जल्द ही खलनायक ऊस काले कमरे में आया खूब ज़ोर ज़ोर से काला लंड कसरत करते रहा था उसके हाथों में उठी रिंग ऊपर नीचे हो रही थी…जिसका वज़न 40 किलो था…”20 22 26″…..इतने में खलनायक की आहट सुन ऊसने धढ़ से वज़न से लगी बारबेल रिंग को एक तरफ फैक दिया फिर मुदके खलनायक की तरफ देखा
काला लंड के सामने खलनायक ने ऊस तस्वीर को पेश किया…काला लंड ऊस लड़की को देखते हुए तस्वीर पे उंगली फहीराने लगा “है बहुत कमसिन खिलती किसी गुलाब की काली की तरह इसी ने माल पकड़ाया था नाम है इसका रोज़”…….खलनायक ने काला लंड के मन में उबलते शैतानी सोच को महसूस करते हुए बोला
काला लंड : हां हां हां हां काफी दीनों बाद कोई कमसिन पर रफ लड़की मिली है वरना आजतक तो सिर्फ़ एक ही सांस में दम तोड़ी है
खलनायक : जनता हूँ टेढ़ी है यह और तुम टेढ़ी चीज़ कितना पसंद करते हो इसलिए ये काम तुमपे छोडा…
काला लंड : ये मिलेगी कहाँ?
खलनायक : शहर का गश्त लगती है रोज़ रात..इसके रात के आजके हुंसफर बन जाना
काला लंड : आखिरी रात का हुंसफर हाहाहा
इसके बाद काला लंड अपनी जबान रोज़ के तस्वीर पे फहीराता है और उसे घूर्रने लगता है…खलनायक बस शैतानी हँसी निकाले कमरे से बाहर निकल जाता है..
“दिव्या मेररी बात तो सुनू”………दिव्या कुछ सुनाने की मूंड़ में नहीं थी एक तरफ मुँह फहीराए बैठी थी
मैंने उसके सामने जब हुआ तो वो दूसरी ओर हो गयी…”प्ल्स दिव्या मेरी बात तो सुन लो”….मैंने मिन्नत करते हुए कहा उसे समझाना बेहद जरूरी था…”मैं कुछ सुनना नहीं चाहती”…….दिव्या गुस्से से मेरी ओर नहीं देखते हुए कह रही थी
देवश : मैंने अकाहिर ऐसा क्या कह दिया? जिससे तुम मुझसे इतना नाराज़ हो मेरी इस छोटे से गलती की इतनी बड़ी सजा मत दो
दिव्या : मैंने कोई सजा नहीं दे रही लेकिन देख रही हूँ तुम्हें तुम आजकल मुझसे दूर रही रहे हो…घर से लेट से आते हो और मुझसे बात नहीं करते ढंग से बस जब प्यार करना होता है कर लेते हो
देवश : बस करो दिव्या मैं तुम्हें कोई इग्नोर नहीं कर रहा ये तुम्हारी सोच है..देखो मैं अभी एक बहुत बारे केस में फ़सा हुआ हूँ
दिव्या : किस केस में फंसे हो तुम? तुमने काला साया से खुद को क्यों अलग किया इसी लिए ना की हम एक खुशाल जिंदगी जी सके..लेकिन तुम अब भी अपने फर्ज के चक्कर में मुझसे दूर हो रहे हो
देवश : देखो दिव्या फर्ज अपनी जगह है और प्यार अपनी जगह मेरी जिंदगी में मेरा फर्ज यक़ीनन इंपॉर्टेंट है पर तुम भी हो क्या काला साया का कोई राज़ जनता था तुम ही थी तुमने मुझे ऊस वक्त इतना सपोर्ट किया और अब तुम मुझसे कफा हो रही हो महेज़ मैं तुम्हारे सात हनःी रहता इसलिए
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