RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-54)
दिव्या का गुस्सा कहीं हड़त्ाक शायद जायेज़ था..पर शायद कहीं ना कहीं गलती मैं भी कर रहा था…एक तरफ देवश की दिव्या और दूसरी तरफ उसी के दूसरे रूप काला साया की अक्स जैसी रोज़….जिसकी तरफ मैं कुछ ज्यादा झुकाव देने लगा उसके आक्राशण में ऐसा खोया की दिव्या को भूल गया लेकिन यक़ीनन मज़बूरी मैं दिव्या को सहारा दिया था पर क्या मैं उससे प्यार भी करने लगा था नहीं बस उसके साथ दुश्मनों तालूक़ रखे थे एक दूसरे की प्यास भुज़ाई यक़ीनन रोज़ अगर जिंदगी में ना आती तो मैं दिव्या से ही शादी करता लेकिन अब सिचुयेशन बदल चुकी थी…
दिव्या को समझाने में मुझे बहुत वक्त लग गया…केस को भी भूल उसी को मानने में लग गया…आख़िरकार दिव्या सुबकते हुए मेरी ओर देखकर मुझसे उक्चि आवाज़ में बात करने के लिए माँफी मागने लगी…मैंने उसे अपने गले लगा लिया…मैं जनता था दिव्या शायद ऊन चिपकू औरतों में से नहीं बस वो प्यार चाहती है…शायद अपने औकवाद के चलते वो ये सोचती है की मैं उससे शादी नहीं करूँगा..लेकिन उसे समझाना बेहद जरूरी था की मैं उससे क्यों नहीं शादी कर सकता? फिलहाल वो वजह मैं बोल ना सका क्योंकि दिव्या मेरे जिस्म पे हाथ फेरने लगी और उसके मन में क्या चल रहा था ? ये मैं जनता था..दिव्या भी गरम लड़की थी इसमें कोई शक नहीं और ऊस वक्त बिना ऊस्की चुदाई के दिल नहीं मना
मैंने दिव्या को बाहों में भरा और उसके होठों को चूमने लगा..दिव्या भी मेरे बालों पे हाथ फिराती मुझे चूमने लगी….ऊस वक्त अगर रोज़ होती तो जाहिर है मुझे जान से मर देती…पर इन लड़कियों को इनके ही जगह रखना ठीक है…मैंने दिव्या को बहुत ज़ोर से किस किया…और ऊसने भी मुझे पागलों की तरह चुम्मना शुरू कर दिया…मेरे हाथ उसके छातियो पे चलने लगे और कपड़े को ऊपर से ही ऊस्की छातियो को दबाने लगा….दिव्या ने फौरन मुझे धकेला और अपना पजामा नीचे खिसका लिया…मैंने भी अपने कपड़े उतार फ़ैक्हे
दिव्या मेरे सीने पे चढ़के मेरे छाती को चूमते हुए मेरे निपल्स पे ज़बानफहिराने लगी मैंने उसके चेहरे को उठाया हाथों में लिया और उसे अपनी बाहों में खींच लिया…दिव्या की चुत में लंड अंदर बाहर हो रहा था…ऊस्की टाँगें मेरे कंधों पे थी और मैं कभी ऊपर तो कभी नीचे होता…ऊस्की चुत के मुआने पे उंगली करता हुआ लंड को बहुत फुरती से उसके चुत में रगड़ रगदके घुसाता…धक्के पेलता….दिव्या आंखें मुंडें मीठी मीठी सिसकियां ले रही थी
दिव्या ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया…और मैंने भी धक्के ज़ोर से देने शुरू कर दिए..लंड चुत से अंदर बाहर होने लगा..और मेरे हाथ उसके बिखरी ज़ुल्फो को समिटाने लगे वो मेरे होठों को चुस्सने लगी….हम दोनों पसीने पसीने होकर भीगने लगे…दिव्या की चुत से मैंने लंड बाहर खींचा….और उसके पेंट पे ही झधने लगा…धायर सारा रस उसके पेंट और नाभी पे भरने लगा….
दिव्या निढल पड़ी मुझे अपनी ऊपर खींच लेती है…मैं उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लेता हूँ….कब शाम का ढलता सूरज ढाल गया पता ही नहीं चला…
रोज़ जल्द ही बाइक से उतरके ख़ुफ़िया घर में प्रवेश करती है फिर चारों तरफ देखते हुए अनॅलिसिस रूम की लाइट्स ऑन करती है…”अरे देवश अभीतक नहीं है यहां”……वो चारों ओर देखते हुए मेरा नाम पुकारती है पर मैं उसे किसी जगह नहीं मिलता…”यक़ीनन पे.से में होगा”..अचानक ऊस्की निगाह मेरी इंतजार में ही ठहरी थी इतने में…उसका ध्यान ऑन परे पीसी पे परता है
उसे ऑन करते ही उसका दिमाग तनकता है…स्क्रीन पे खलनायक और उसके शागीर्दो का चेहरा दिखता है उनकी डीटेल्स जो मैंने पुलिस स्टेशन से लेकर रखी थी और ऊस केस पे मैं काम कर रहा था वो सब पढ़ लेती है…उसके चेहरे पे मुस्कान उमाध उठती है..और वो फिर अपने ग्लव्स और हेलमेट को पहने वापिस बाइक पे सवार होकर ख़ुफ़िया दरवाजे से बाहर निकल जाती है…
“इस लौंडिया को देखा है?”……काला लंड वन के अंदर ही ऊस खबरी को पूछता है…पहले तो वो खबरी रोज़ के तस्वीर को देखकर मुस्कुराता है और फिर बताता है की वो इस रास्ते से गश्त लगते हुए जंगल के रास्ते की ओर निकल जाती है….काला लंड खुश होता है…और उसके आंखों में शैतनपान दिखता है
बाइक को फुरती से चलते हुए रोज़ देखती है की उसके सामने दो वन खड़ी है…वो वन से फौरन उठ खड़ी होती है..वन से निकलते हॉकी का डंडा और चैन लिए खलनायक के गुंडे उसी को देखकर तहाका लगाकर हस्सने लगते है…और फिर धीरे धीरे रोज़ को घैर लेते है…”श तो ऊस कुत्ते के पलुए हो तुम लोग”………..रोज़ चारों ओर ऐसे निगाहों से देखती है मानो उसके लिए ये कोई छोटी बात हो
फौरन कुत्ता शब्द सुनकर ऊसपे हमला बोल देते है गुंडे…रोज़ फुरती से अपनी बेक किक सामने से आते गुंडे पे मारते हुए दूसरे गुंडे पे बाअई किक मारती है…इस बार उसके मुक्के ऊन गुंडों पे बरसते है..ऊस्की फुरतिदार..पार्कौुर करते हुए करतब लगते हुए…लातों घुसो की बरसात करते हुए हरक़तो को देख..काला लंड अपनी वन से बाहर आता है…वो लोग रोज़ को जकड़ लेते है…पर काला साया के दिए ट्रेनिंग और अपने हुनर से वो दोनों टाँग सामने के गुंडों पे मारते हुए चैन को पकड़कर सीधे ऊस गुंडे को ही जकड़ लेती है जो उसे पकड़ा हुआ होता है….
वो गुंडा वही दम तोड़ देता है…दूसरा गुंडा जैसे ऊसपे हावी होता रोज़ ने उसके मुँह को पकड़कर अपने घुटने से दे मारा उसके मुँह से खून निकल गया वो अपना चेहरा पकड़ा गिर गया…रोज़ ने अपना हॉकी का डंडा पकड़ा..और ऊन गुंडे पे बरसाना शुरू कर दिया…ऊनमें से कोई भी ऊसपे हावी नहीं हो पा रहा था….काला लंड मुस्कुराकर बस देखें जा रहा था
रोज़ आख़िर ऊन आखिरी बचे गुंडों को भी दरशाही कर देती है…इतने में उसके सर पर प्रहार होता है…रोज़ अपना सर पकड़े दूसरी ओर देखती है जिसके हाथ में पीपे होता है काला लंड उसके सामने खड़ा है…अपने सामने इतने भयनकर ख़ूँख़ार हिंसक काले नक़ाबपोश शॅक्स को देख रोज़ थोड़ी ठिठक जाती है पर वो लरआई नहीं छोढ़ती….रोज़ ऊसपे बरस पार्टी है…और उसके भाई डाई बेक मंकी सारी किक्स उसके चेहरे पे उतार देती है…काला लंड जितना उसे कक्चा समझ रहा था वो उतनी थी नहीं
ऊसने फौरन पीपे उसके मुँह पे दे मारा..रोज़ भौक्लाके गिर पड़ी उसके होठों से खून निकल गया..पर रोज़ झुकी नहीं और सीधे ही काला लंड से भीढ़ गयी…काला लंड उसे उठा उठाकर पटकने की कोशिश करने लगा पर हर पटकी से पहले ही रोज़ करतब करके उछाल फहानाद के ज़मीन पे स्त्री होकर कूद पड़ती…रोज़ को ये लरआई भारी लग रही थी पर हार मना उससे स्वीकार नहीं
अचानक से देवश की घंटी बज उठी…देवश ने टाइम देखा..”श में गोद रात हो गयी शितत्त”……उसे याद आया की रोज़ के गश्त लगाने का वक्त है यह…वो जैसे तैसे अपनी बेवकूफी भरे दिमाग को कोसता हुआ ख़ुफ़िया घर पहुंचा “र्रोस्से रोस्से”….रोज़ वहां नहीं थी…अचानक से देवश ने फौरन नॅविगेशन सिस्टम ऑन किया जिसमें ट्रेसिंग डिवाइस था रोज़ की बाइक पे हरपल होता है वो…ताकि देवश उसे बॅकप दे सके…अचानक से रोज़ की ट्रेस में उसे अपना ख़ुफ़िया कमरा दिखता है….रोज़ लर्र रही है एक काले नक़बपसो के साथ और चारों ओर गुंडे गिरे परे है…..”शितत्त”…….देवश फौरन भाग निकलता है
उधर चक्कर महसूस होते ही गश खाके घायल रोज़ फौरन ज़मीन पे गिर पार्टी है..काला साया उसके गले से उसे उठाकर फौरन उसके सर को वन के दीवार पे पटकता है…रोज़ दर्द से सिसकते हुए वापिस ज़मीन पे देह जाती है…अब उससे ये लरआई लरना संभव नहीं था…अपने कटे होंठ से खून को पोंछते हुए काला लंड उसके बालों से उसे उठता है और अपने बाए पॉकेट से खैची निकालता है..वो पागलों की तरह उसके लहू लुहन चेहरे पे हाथ फेरते हुए उसका खून चखता है..और फिर कैची उसके बालों में जैसे ही फंसाने को होता है
इतने में जीप पे बैठा देवश फुरती से ऊस जीप को काला लंड के पास ले आता है काला लंड रोज़ को चोद जीप को घूर्रता है और हिंसक की तरह उसके सामने दौधता है…देवश भी गुस्से में जीप को तेजी से काला लंड के ऊपर चढ़ाने वाला ही होता है की इतनें आइन काला लंड खुद ही बैलेन्स बिगड़ते ही जीप के ऊपर से टकराते हुए दूसरी ओर जा गिरता है…देवश जल्दी से निकलकर गोली ऊसपे डाँगता है
गोली दो बार काला लंड के बाज़ूयो में लगती है और वो वही गिर परता है….”ओह नो रोस्से रोस्से”…….देवश बाए साइड में गिरी रोज़ को उठाते हुए कहता है…”आहह ससस्स बहुत मारा कमीने ने”…….रोज़ के होठों पे गाली को सुन देवश को चैन आया की वो ज़िंदा है…ऊसने गुस्से भारी निगाहों से काला लंड की ओर देखा और उसे उठते देख हैरान हो गया….काला लंड उठके एकदम से गुस्से में जीप को उठाने लगता है उसके ऐसी असीम ताक़त कोदेख देवश घबरा जाता है
“ओह माइ गॉड ये इंसाना है की मॉन्स्टर”…..इतने देर में काला लंड जीप ऊन दोनों के ऊपर लुड़का देता है…देवश फौरन रोज़ को खींच लेता है..और दोनों दूसरी ओर गिर पारट है और ऊस ओर जीप गिर पार्टी है…काला लंड उसके करीब आता है “ओह माइ गॉड इस पे तो गोली का कोई असर नहीं हुआ”……..डीओॉश हड़बाहात में गोली सड़क पे चोद देता है और फौरन अपने काला साया पैट्रो से ऊसपे हमला करता है पर वो डीओॉश को दूर उछाल फैक्टा है…डीओॉश बैलेन्स बनकर उठ खड़ा होता है और फिर जीप पे देखते हुए ऊस ओर खड़ा हो जाता है “आबे ओह मादरचोद”…….काला लंड का गुस्सा दहेक उठता है रोज़ के पास जाने के बजाय देवश की ओर भागता है…देवश मुस्कुराकर अपनी जेब से निकलते लाइटर को जीप पे फ़ेक देता है जिसका पेट्रोल लीक कर रहा था
और ऊस ओर से जैसे कूड़ता है…काला लंड जीप से दौड़ते हुए टकराता है और तभी बूओं एक धमाका होता है…जीप के चीटड़े उड़ जाते है…और आग की लपतो में काला लंड चिल्लाते हुए जंगल में कूद जाता है…डीओॉश हालत को समझते हुए रोज़ को कंधे से उठता है और किसी तरह रोज़ की बाइक पे सवार होकर उसके सामने निढल रोज़ को बिता देता है और जितनी हो सके उतनी रफ्तार से बाइक दौड़ा देता है
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