RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-60)
ऊसने फौरन मुझे बताया की पास के एक बस्ती में एक डॉक्टर रहता है वो उसे बुला सकती है…वो भागके निकल आ गयी दरवाजा लगाकर मैं वैसे ही पड़ा रहा…जल्दी दो आवा सुनी..कमरे में डॉक्टर बातचीत करते हुए आया और फौरन मेरे ज़ख़्मो को देखते हुए कथिए पे बैठ गया….”ओह माइ गॉड इंस्पेक्टर बाबू आप ठीक है?”…….डॉक्टर ने सवाल किया…”आहह हान्न्न बस खून बहन जा रहा है प्ल्स आप मेरा यही इलाज़ कर दीजिए हॉस्पिटल जाने की मेरी हिम्मत नहीं है ना ही उठने की अब”……डॉक्टर कुछ देर सोचते हुए मेरे घाव का निरक्षण करते हुए
बक्सा खोलता है अपना…फहरी मुझे एक इंजेक्शन लगता है साथ ही साथ कंचन को एक कटोरा और गरम पानी और कुछ चीज़ें लाने को कहता है…कंचन बेचारी फटाफट अपने छोटे से कोने के रसोईघर से कुछ चीज़ें ले आती है…फिर डॉक्टर मुझे बेहोश कर देता है उसके बाद मुझे नहीं पता की मेरे साथ क्या हुआ सब जलन सी लग रही थी
जब होश आया तो पाया डॉक्टर अपने पसीने को पोंछते हुए मुस्करा रहा था मैं खतिए पे आध नंगा लेटा हुआ था..सिर्फ़ चड्डी में था मेरे पूरे बदन के इर्द गिर्द पत्तियां लगी हुई थी…”अफ अब आप सुरक्षित है वो तो अच्छा हुआ तीर ज्यादा गहरा नहीं घुसा वरना जान भी जा सकती थी आपके गर्दन में तीर बुरी तरीके से घुस गया था बहुत मुश्किल से ड्रेसिंग कर पाया हूँ सिलाई भी कर दी है अब आप कुछ देर आराम कीजिए”……बेचारे डॉक्टर ने जो हिम्मत और ईमान दिखाई मेरे प्रति मेरे आंखों में आँसू घुल गये इस गरीब बस्ती में इतना अपनापन है कभी सोचा नहीं था शायद काला साया के वक्त पुणे कमाने का नतीजा था
डॉक्टर : अच्छा इन्हें ये कुछ दवैया दे देना बाकी दवाई दिन में किसी फार्मेसी शॉप से खरीद ले आना
कंचन : अच्छा डॉक्टर बाबू
देवश : आ..हह डॉक्टर प्ल्स आप ये बात बाहर किसी को मत बतायेगा
डॉक्टर : पर आप्पे जनन्लेवा हमला हुआ है इंस्पेक्टर बाबू आपको अपने पुलिस
देवश : एक केस पे काम कर रहा हूँ ना तो उसी के कुछ गुंडों ने मुझे घायल कर दिया बचते बचाते यहां आ गया फिक्र मत करो कंचन वो लोग यहाँ नहीं आ पाएँगे मैंने ऊन्हें अच्छा चकमा दे दिया है बस ये बात इस घर से बाहर ना निकले प्ल्स डॉक्टर बाबू
डॉक्टर : अच्छा ठीक है आप आराम कीजिए
डॉक्टर के जाते ही…कंचन कुछ देर तक खतिए के पास ज़मीन पे तापकरे खून को साफ करने लगी फिर पोंछा मारने के बाद…ऊसने बाल्टी भर के मेरे बदन के इर्द की सफाई भी की…साला कच्चे में भी लेटा हुआ उसके बदन को घूर्रने की आदत नहीं गई थी ऐसे हालत में भी लंड अपनी औकवाद पे आ ही जाता है…पर मुझे कंचन पे बहुत प्यार उमड़ रहा था उसे बेचारी ने मेरे लिए इतना किया और मैंने अपने फायदे के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया था
कंचन : बाबू अब आप ठीक हे ?
देवश : बहुत आराम मिल रहा है
कंचन : अब आप जल्दी ठीक हो जाएँगे मैं आपको हल्दी का ढूंढ़ लाके देती हूँ
कंचन ने कुछ देर बाद हल्दी का दूध मुझे दिया…ऊसने मुझे क्सिी तरह अपने हाथों के सहारे से उठाया और बिताके गरम दूध दिया फहुंक फहुंक के ईंे के बाद…10 गाज के घर के चारों ओर देखते हुए मैंने ऊसपे नज़र डाली “और बताओ कैसी हो?”………मेरे मुस्कराने पे वो भी अपने पुराने ही बात विचार में आ गयी
कंचन : हम तो ठीक है बाबू आप सुनाए?
देवश : अरे तुम्हा..रहा पति कहाँ है? और तुम्हारे बच्चे?
कंचन : ऊ सब तो नानी के गाँव गये है और हमरा पति कुछ महीनों पहले ही गुजर गया
देवश : हे भगवान जानके दुख हुआ
कंचन : ना ऊस शराबी निक्कममे के लिए क्या दुख करना बाबू आप आराम कीजिए हम आज नीचे सो जाएँगे
देवश : मेरी वजह से तुमको इतनी दिक्कतें उतनी पड़ी है ना
कंचन : अरे बाबू आपका नमक खाया है? हम तो ए बात से खुश है की आप अपने फर्ज के प्रति कितने जागरूक हो गये है आपको यूँ लधता देख हमें बहुत खुशी मिली हम गरीब से जो जुड़ेगा हम आपके लिए करेंगे पर अभी आपको कहीं जाने ना देंगे
देवश : अरे पगली हां हां हां चलो तुम्हारे अंदर मेरे लिए कोई नफरत तो नहीं है ना मैंने तुम्हें काम से आने पे
कंचन : ना ना बाबू आप बारे लोग है जब चाहे तब रखे जब चाहे तब निकले हम कौन होते है नफरत करने वाले हमारी औकवाद ही क्या?
देवश : अच्छा ग ऐसा नहीं बोलते तुम्हारा दिल तो सोने जैसा है जो अपने बाबू के लिए इतना कुछ की हो
कंचन : इंसानियत है आपका नमक खाया आपके पैसों से रोती खाई है
देवश : अच्छा तुम एक काम करो तुम सो जाओ खामोखाः मेरे वजह से तुम्हारी नींद भी खराब हो गयी
कंचन : ठीक है बाबूजी आप भी सो जाए
कंचन ने पल्लू नहीं उतरा…और वही नीली सारी पहनें चटाई बिछाके बिस्तर बनकर सो गयी….मैं भी दर्द में आराम महसूस करने लगा था आँख भारी हो आई…कंचन को जब काल साया बनकर बचाया था तो उसके बदन की खुशबू आजतक नाथुनो में थी…लेकिन कैसे कहिएं कंचन जी को की हम ही काला साया है हम तो उनके लिए सिर्फ़ उनके मालिक बाबू देवश मिया ही थे
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