RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-62)
कंचन ने टाँगें खोल ली…और मैं ऊस्की चुचियों को चूसता रहा…ऊसपे अपना सर रगड़ने लगा…फिर धीरे उसके ऊपर चढ़ा और उसके पेंट को चूमते हुए ऊस्की झांतों भारी चुत में मुँह लगा डाला “हाय्ी दाययाअ आहह साहेब्ब्ब आपको गंदा लगेगा हम साफ नहीं करते”……मैंने कंचन के उंगलियों में अपनी उंगलियां फ़सा ली…एक हाथ से ऊस्की छातियो को दबाते हुए ऊस्की महेकदर चुत में मुँह लगा दिया ऊस्की कुरकुरी बालों में जुबान फहरते हुए उसके छेद में जबान फहीराने लगा…ऐसा नमकीन स्वाद था की दिमाग खराब हो गया
कंचन पानी चोद रही थी अपनी चुत से…साली की चुत इतने जल्दी गीली हो गयी थी…मैंने फौरन ऊस्की चुत को मुट्ठी में लेकर भींचा और ऊसपे फिर मुँह लगते हुए चाटने लगा….कंचन अकड़ने लगी और ऊसने फिर ज़ोर से चिल्लाते हुए रस चोद दिया….मैं कंचन के ऊपर आया और घुटनों के बाल बैठते हुए उसके मुँह के पास लंड लाया “अब चुस्स इसे”…….कंचन के आँख लाल थी वो भी किसी रंडी की तरह मेरे लंड को चुस्सने लगी…स्लूर्रप स्लूर्रप की आवाज़ मुँह से निकल रही थी वो एकदम प्यार से मेरे मोटे लंड को चुस्स रही थी…उसके चंदे के आगे पीछे हाथों से किए चुस्स रही थी
कुछ ही देर में ऊसने अपने थूक से मेरा लंड पूरा गीला कर डाला…मेरे गोलियों को भी कुछ छूसा…और फिर मैं उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा…कंचन ओओउू ओउू करती हुई मुँह के भीतर तक लंड ले रही थी…मैं किसी तरह उसके मुँह से लंड निकलकर ऊस्की टाँगों को फैला लिया…मैंने ऊस्की चुत के मुँह पे लंड रखा…और एक क़ास्सके धक्का मारा…फकच्छ से लंड गीली चुत के भीतर तक जा बैठा
कंचन को कोई फर्क नहीं पड़ा चुदासी औरत तो थी ही साली का हज़्बेंड खूब रगड़ता था उसे…इन इंडियन औरतों में एक बात होती है की इन लोगों की गर्मी बहुत होती है मैं उसके चुत में ढापा धाप धक्के मारने लगा…फ़च फ़च करके ऊस्की चुत से लंड अंदर बाहर होने लगा…”आहह आहह आअहह और आरामम्म से बाबूजी आहह धीरे आहह”………कंचन की चुत पे लंड पेलते पेलते साला मजा दुगुना हो गया अब रस छोढ़ने का वक्त होने लगा और उसी पल शरीर में अकड़न महसूस हुई और मैं लगभग कनपता हुआ कंचन के ऊपर देह गया…लंड कंचन की चुत में लबालब रस छोढ़े जा रहा था…मैं उसके गालों को चूमते हुए पसीने पसीने हो गया कंचन भी पसीने पसीने निढल सी पढ़ गयी थी
रोज़ दीवार के ऊपर चढ़ते हुए वृंदमुनई के ऊस बंद परे गर्दन में घुस गयी…चारों ओर एक बारे बारे पेड़ के चाव में छूपते हुए ऊसने गौर किया एक तरफ दो जीप खड़ी है बाहर और कुछ दूरी से तहाका लगानी की हँसी आ रही है…”उम्म इन्फार्मेशन तो यही थी की आज ही के आज ये लोग यहां डीलिंग करेंगे”………रोज़ किसी तरह दूसरे ओर प्रवेश करती है…तभी उसे 10 गुंडे दिखते है एक तरफ जानमाना लोकल गॅंग्स्टर तो दूसरी ओर खलनायक
रोज़ उसे बेहद गौर से देखते हुए अपनी गुण निकाल लेती है…उसका गुस्सा सांत्वे आसमान पे चढ़ जाता है….पहले वो कुछ फोटोस ऊन लोगों की डीलिंग की गुप्टीनिए तरीके से ले लेती है..अचानक खलनायक को कुछ महसूस होता है…और वो अपने आदमियों को झाधी के पास जाने को कहता है…गुंडे लोग ऊस ओर जैसे जाते है ऊँपे फियरिंग स्टार्ट हो जाती है…पांचों के पाँच गुंडे वही देह जाते है
खलनायक भौक्लते हुए माफिया पे गोली दंग देता है “बेटीचोड़ तूने हमें फंसाने के लिए आदमी भेजा है हरंखोर दगाबाज़”……….इससे पहले वो गॅंग्स्टर कुछ और कह पता उसका काम वही तमाम हो जाता है…खलनायक अपने मुखहोते को ठीक करते हुए गुंडों को ऊस साए पे गोली चलाने का आर्डर देते हुए बाहर की ओर भागने लगता है
रोज़ किसी हुनरबाज़ करतबो की तरह गुलाटी मारते हुए…झाड़ी के कभी इस पार तो कभी ऊस पार अंधेरे में ऊन गुंडों पे आकरमन करने लगती है…ऊस्की गोली खत्म होती है तो मारे गुंडों की गोली से रिलोडेड करके ऊन लोगों पे गोलियां चलाने लगती है ऊस्की स्किल्स इतने परफेक्ट हो गयी थी एक हाथ से वो गोली किसी भी एंगल में चला रही थी….आख़िर कार सारे गुंडों को धायर करते हुए वो फौरन बाहर के रास्ते की ओर भागती है
खलनायक दीवार फहांदणे की कोशिश करता है…पर तब्टलाक़ उसे महसूस होता है की गाड़ी में बैठा उसका ड्राइवर मारा जा चुका है….वो पीछे की ओर जैसे मुड़ता है तो वही तहेर जाता है…रोज़ सामने खड़ी होती है…”हिलना मत वरना गोली चला दूँगी”……खलनायक को रोज़ का डर नहीं था पर उसे डर था की कहीं पुलिस ना आ ढँके उसके दोनों गुंडों को ऊसने आज अपने साथ लाआया नहीं होता
खलनायक : ठीक अच्छे मैंने अपने हाथ उठा दिए मेरे पास कोई हत्यार नहीं अब क्या करना चाहती है तू?
रोज़ : हिम्मत की अंकल देनी होगी दूसरे के देश में घुसके जीना हराम कर डाला तूने सभी का
खलनायक : भाई यही तो मेरी रोज़ी रोती है इसे लात मारूँगा तो ख़ौँगा क्या? (खलनायक तहाका लगाकर हस्सता है रोज़ उसे चिल्लाके चुप कर देती है)
रोज़ : पुलिस यहां किसी भी पल पहुचेगी पर उससे पहले तू अपना मुखहोटा उतारके मुझे अपना चेहरा दिखाएगा
खलनायक : खलनायक ने ये कसम खाई है की वो ये चेहरा किसी को नहीं दिखाएगा चाहे ऊस्की मौत भी क्यों ना हो जाए चला दे गोली वैसे भी आज पहली बार एक खूबसूरत हसीना के हाथों से मारूँगा हाहाहा शवाब तो मिलेगा या शायद कोई पुण्या किया था जो आज ये हालत देख रहा हूँ
रोज़ : वही रुक जा
खलनायक बहुत शातिर था…ऊसने फौरन अपने जुटे में लगी लेज़र को अपने हाथों में लगे स्तनों से ऑन किया और सीधे रोज़ के टांगों के बीच के भाग पे लगा दिया..रोज़ को एक जलन हुई उसके चंदे के कपड़े पे छेद था..”इसे कहते है नियत जल उठी”……..खलनायक ने फौरन फुरती से रोज़ को पकड़ लिया
रोज़ का गुण दूसरी ओर गिर पड़ा…दोनों एक दूसरे पे लात घुसों की बौछार करने लगे….लेकिन दोनों में से कोई हार नहीं मान रहा था…अचानक खलनायक ने रोज़ के दोनों हाथों को बाँध दिया फुरती से उसी के कपड़े को फाड़के और उसे ज़मीन पे गिरा दिया पास से गुण भी उठा ली “अब बता चित भी मेरे पटा भी मेरा…क्या सजा डूटुझे?”………रोज़ गुस्से भारी निगाहों से खुद को बेबस महसूस करते हुए खलनायक की ओर देख रही थी
खलनायक : तुझे मारने का बहुत दिल कर रहा है पर तुझ जैसी खूबसूरत्त मासूम तीखी चालबाज़ मज़बूत लौंडिया जैसी कोई नहीं तूने मेरा बहुत नुकसान किया फिर भी दिल तुझपे मेहेरबान आयी
रोज़ : कमीने हाथ तो खोल फिर तुझे अपनी खूबसूरती का दीदार करती हूँ (गुस्से से थूकते हुए)
खलनायक : अच्छा ग चाहू तो काला लंड के हवाले तुझे कर दम पर तू दिल को जैसे भा गयी है
रोज़ : मर दे मुझे कमीने इंतजार मत कर
खलनायक : तू मुझे ललकार मत मैं तुझे इतनी आसान मौत नहीं दूँगा तू खुद मेरे नाम से तडपेगी ऐसा जादू तुझपे करूँगा
खलनायक जो बेरहेमी और लड़कियों के प्रति इतना कठोर था आज ना जाने क्यों वो बार बार रोज़ के चेहरे को प्यार से देख रहा था…आजतक उसके जिंदगी में बेहद खूबसूरत औरतें आई जो काला लंड के हवाले मौत के आगोश में गयी पर ना जाने क्यों रोज़ उसे पागल सी कर रही थी…..दूसरी ओर रोज़ को वो तरक़ीब भाने लगी…और ऊसने सोचा की यही आसान तरीका है खलनायक के चेहरे उसका परदा उठाने का…ताकि वो खलनायक को अपने हुस्न के जाल में डालकर उसे मर स्काए…ऊसने दिल ही दिल में देवश से माँफी माँगी अपनी होने वाली गुस्ताख़ी के लिए और खलनायक को मुस्कुराकर देखा
खलनायक हाथ बँधे रोज़ के तरफ देख रहा था उसके चेहरे पे लगे नक़ाअब होने से वो मुस्करा रहा था या नहीं इसका पता नहीं चल पा रहा था…बस उसके इस राक्षस जैसी मुखहोते के अंदर की दो आँखें जो बेहद तिरछी निगाहों से रोज़ की ओर देख रही थी….रोज़ बस अपने हाथ को छुड़ाने की नाकाम कोशिशों में बस हिल डुल रही थी वो बैठी बैठी बस खलनायक के वार का इंतजार कर रही थी
खलनायक : सोचा नहीं था की टेढ़ी लड़की जिंदगी में मिलेगी और तुझ जैसी लौंडिया के लिए तो अपुन पूरा माफिया लाइन चोद दे (खलनायक रोज़ के चेहरे पे हाथ फिरता है और उसके होठों पे पागलों की तरह उंगलियां चलाने लगता है रोज़ कसमसा रही थी हाथों के स्पर्श से ही उसका दिल ढक ढक करने लगा था)
खलनायक फौरन अपने एक हाथ में रखी गुण को लिए ही…अपनी जॅकेट उतारने लगता है और फिर अपना शर्ट भी…उसका चिकना बदन रोज़ के सामने होता है…फिर वो अपनी बेल्ट को ढीली करने लगता है और फिर अपनी ज़िप भी…वो किसी बलात्कारी की तरह सेक्स पसंद नहीं करता था…लेकिन ज़बरदस्ती एमिन वो सिर्फ़ लड़कियों के हाथ पकड़ लेता था.और ऊँपे चढ़ जाता था….ऊसने धीरे से अपनी पेंट भी उतार के फ़ेक दी…और फिर चारों ओर देखा सन्नाटा में बस लाशों का धायर पड़ा हुआ था..कहीं उसके आदमी तो कहीं उसका डीलर
खलनायक : चल तूने फायदा तो किया वरना मुझे अपनी ड्रग्स बेचनी पढ़ती अब तो पैसे भ इमेरे हाथ में ड्रग्स भी बेचने नहीं पड़ेगी और एक कमसिन लड़की भी पूरी रात इस सन्नाटे भरे वीरान जंगल में बिताने को हाहाहा
कहीं दूर कुत्ता रो रहा था…एकदम ठंडी वीरनीयत थी..वो धीरे से अपने कक़ची को भी खिसका के उतार फैक्टा है…रोज़ दूसरी ओर मुँह मोड़ लेती है…खलनायक उसके मुखहोते लगे चेहरे को अपनी ओर करता है और फिर उसके संग बैठ जाता है…हालाँकि रोज़ चाहे तो उसे मर सकती है पर ना जाने क्यों देवश से हुई ऊस्की एक दूरिया उसे खलनायक जैसे खतरनाक मर्द की ओर भी आक्रशित कर रही थी उसके पास खींच रही थी…ऊस जैसा ज़लैईं खतरनाक अमीर कोई नहीं चाहे तो उसका हाथ थाम ले तो दुनिया उसके कदम चूमे पर रोज़ को तो अपना प्लान अंजाम देना ही था खुद के जिस्म को हवाले करके
खलनायक ने झट से रोज़ को एक धक्का दिया…रोज़ गिर पड़ी उतना चाहा लेकिन तभी खलनायक ने रोज़ के गर्दन पे एक हाथ दे मारा…रोज़ चिल्ला उठी उसके बाद धीरे धीरे ऊस्की आंखें बंद हो गयी….”अब आया ना मजा”……रोज़ बस धुंधली निगाहों से खलनायक को अपने जिस्म को छूते महसूस कर रही थी
खलनायक ने रोज़ की जॅकेट के ज़िप को धीरे धीरे आहिस्ते से उतार डाला..फिर ऊस्की बुलेटप्रूफ हाफ स्लीव जॅकेट को भी रोज़ टॉप में थी…खलनायक ने बिना पवाह किए रोज़ को सहारे से उठाया और उसके कमर से टॉप का सिरहा निकलते हुए उसे रोज़ के जिस्म से निकलते हुए उतार फ़ैक्हा…रोज़ के गले में ऐसा दर्द था की वो बदहवासी हो गयी थी खलनायक का ऊसने गला दबोचना भी चाहा पर खलनायक ने उसके हाथ को झट से अलग कर दिया…और उसे फिर लेटा दिया..वो रोज़ के सपाट चिकने पेंट पे उंगलियां फहीराने लगा..रोज़ हुहह जैसी आवाज़ निकालने लगी
कसमसाती रोज़ को देखकर खलनायक पागल सा होने लगा…ऊसने रोज़ के जीन्स पे हाथ डाला और बेल्ट को और जीन्स को भी ढीला करके खिसाके टांगों से निकाल डाला…रोज़ अब एक काली पैंटी में थी और ब्रा में…खलनायक ने उसके ब्रा को खैच के उतार दिया जिसे ब्रा का हुक टूट गया और फिर ऊस्की पैंटी पे नाक लगते हुए ऊस चड्डी को भी खिसाके उतार दिया
रोज़ मदरजात एकदम नंगी थी बस अपने छातियो को हाथों से छुपा रही थी और अपनी टांगों के बीच के भाग को भी क़ास्सके टांगों से छुपा लिया…खलनायक ने रोज़ के पूरे बदन पे एक बार हाथ फायरा…जैसे निरक्षण कर रहा हो..फिर ऊसने रोज़ के ऊपर चढ़ते हुए उसके होठों पे होंठ सटाये रोज़ उसे किस तो नहीं कर रही थी पर खलनायक उसके होठों को मुँह में लेकर बुरी तरीके से चुस्स जरूर राह था…म्म्म्ममम एमेम करती रोज़ पाओ पटकने लगी
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