RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-64)
देवश : नहीं पहले घर के अंदर मुझे ले चलो फौरन (दिव्या ने मुझे कंधे से पकड़ा और अंदर ले आई)
अंदर आकर एक गिलास ठंडी लस्सी पी..और फिर अपने फटे कपड़े को उतार फ़ैक्हा कपड़ों पे लगा खून और जगह में इतने गहरे छेड़ो को देखकर दिव्या मेरी ओर गंभीरता से देखने लगी ऊस्की निगाह मेरे बदन पे लगी इर्द गिर्द के पत्तियो पे पड़ी…”हे भगवान ये सब कैसे?”………मैंने उसे अपने पास बिठाया
और तफ़सील से उसे सारी बातें बता दी की कल रात गश्त के दौरान खलनायक के आदमियों ने मुझपर हमला किया…दिव्या अपने मुँह पे हाथ रखकर रोई सूरत से मुझे देख रही थी…मेरे जख्म अब भी भरे नहीं थे…दिव्या ने मुझे लिटा दिया और मेरी बताई दवाई मार्केट से खरीदकर जल्दी से ले आई
कंचन भी उठके मुझे ही ढूँढेगी और हड़बड़ाकर मेरे पहले वाले घर आएगी और मैं वहां ना मिलूँगा तो फिक्र अलग…इतनी औरतें जिंदगी में हो गयी की की किस को बताते फीरू….फिर अचानक आँख ढाल गयी….अचानक फोन बज उठा…दिव्या ने मुझे फोन दिया बोला किसी बारे अफ़सर का फोन है
मैंने फोन जैसे उठाया हवलदार ने बताया की आपको कमिशनर ने कलकत्ता बुलाया है अर्जेंट…मैंने अपने हाल के बारे में बताया हवलदार बहुत परेशना हुआ साथ में कॉन्स्टेबल्स ने भी मेरे यहां आने की इजाज़त माँगी वो सब फ़िकरमंद थे मैंने ऊन्हें बुला लिया….2 कॉन्स्टेबल और मेरे काबिल अफ़सर्स जिन्होंने काला साया को मर गिराया था और हवलदार आए….दिव्या ने सबको चाय पानी दिया…सबने मुझे सपोर्ट किया और गुस्सा हुआ की आप हमें सूचित क्यों नहीं किए? खलनायक के बढ़ते अपराध बहुत ज्यादा घातक होते जा रहे है
मैंने ऊन्हें समझाया ये तो चलता ही रहेगा हमारा कमिशनर कभी ऊन्हें मारने का आर्डर नहीं देगा…अफसरों को भी दुख था की ऊन्होने गलत रास्ता इकतियार किया ऊन्हें गिल्ट था की काला साया को मारने के बजाय ऊन्हें इन खतरनाक मुर्ज़िमो को मर गिरना चाहिए था….लेकिन सारी लगाम तो कमिशनर के हाथ में है वो लोग तो सिर्फ़ मामूली मुलाज़िम थीं मेरी तरह…खैर हवलदार ने बोला की आपको आज ही बुलाया गया है…दिव्या थोड़ी फिक्र करने लगी पर मैंने कहा मैं जल्दी ऊनसे बात करके आ जाऊंगा…शायद कल की प्रेस रिपोर्टिंग में कॉँमससिओनेर को मुझपर गुस्सा आया है की काला साया की मौत का खुलासा हो गया है और खलनायक को मारने केओर्दर्स नहीं दिए जा रहे
मैं जैसे तैसे किसी तरह ठीक होकर जीप से कलकत्ता के लिए रवाना हुआ…रोज़ की भी फिक्र थी अभी तक वो आई भी होगी की नहीं? मैंने ही तो उसे उसके फर्ज से निकाल दिया था…कुछ समझ नहीं आ रहा था जिंदगी में इतने घाव कभी नहीं झेले थे…जल्द ही कलकत्ता पहुंचा पुलिस हेडक्वॉर्टर्स…वहां पहले से ही कुछ लोग धारणा दिए बैठे थे मुझे देखते ही ऊन्होने रास्ता चोद दिया
कमिशनर के केबिन में आते ही…कमिशनर ने मुझे बारे ही गौर से देखा और फाइल पटकते हुए खड़े हो गये…”आओ आओ हमारे काबिल ऑफिसर आइये बैठेंगे या चाय पिएँगे”……..मैंने सलाम ठोनकटे हुए आश्चर्य नजारे से कमिशनर की ओर देखा
कमिशनर : ये जो बाहर लाइन देख रहे है ना सब आपका ही किया धारा है…मुझे ये उम्मीद नहीं थी अपने ऑफिसर से की वॉ अपने ही कमिशनर और रेस्पेक्टेड सर पे उंगली उठाएँगा ऊँपे कीचड़ उछालेगा प्रेस वालो के सामने
देवश : मैंने कोई कीचड़ नहीं उछाला है सर सिर्फ़ हालत को देखते हुए कहा है
कमिशनर : ओह चुत उप मुझसे बदला जो लेना था तुम्हें क्यों? ठंडक मिल गयी अपने ही अफसरों पे कीचड़ उछालके बेज़्ज़ती करके हाउ कुड यू दो तीस? ई डिड्न’त ईवन थिंक डेठ बाहर देखा कितने लोग धारणा दे रहे है हिज़डो की तरह तालिया बजकर हमारा मज़ाक उड़ा रहे है वॉट दो यू थिंक अभी अरे जोक?
देवश : सर डेठ’से नोट देयर फॉल्ट गलती हमारे सिस्टम की है अगर आपने ठोस वक्त पे एक्शन!
कमिशनर : ये क्या तुम्हें हिन्दी फिल्म लग रहा है जहाँ पे कमिशनर ने आर्डर दिया और तुम गोली बरसाने निकल गये कानून भी कोई चीज़ है बेटा..अगर हम ही लॉ को नहीं मानेगे तो हुममें और मुज़रिमो में फर्क क्या रहेगा बताओ ज़रा
देवश : ई वाज़ जस्ट ट्राइयिंग तो तेल यू अबौट और फॉल्ट सर देखिए मैंने कोई कीचड़ नहीं उछाला खलनायक ने कल एक मासूम लड़की के साथ घिनौना सोशण किया और उसे मर के सरेआम थाने के सामने नंगा चोद दिया दीदी यू एवर फील डेठ अगर यही अगर आपकी बेटी या बहन
कमिशनर : श शुतत्त उप (कमिशनर ने गुस्सा होकर गाराज़ उठा लेकिन देवश एक टॅस से मास नहीं हुआ)
देवश : लगता है ना ऐसे ही जिसके घर पे बीती है उसे लगता है…वो तो महेज़ 19 साल की एक मासूम जवान लड़की थी…कल कोई और भी होगा खुदा ना खस्ता कुछ अगर हो जाए तो क्या ये वर्दी ये कानून देख पाएगा और एक लाश नहीं सर मैं ये केस हैंडिल जरूर कर रहा हूँ और अब मैं भी इन लोगों की तरह यही चाहता हूँ की मैं खलनायक और उसके आदमियों के सीने में गोली भर दम
कमिशनर : ये नहीं हो सकता क्योंकि खलनायक एक इंटरनॅशनल मुज़रिम है और बाहर कंट्री को वो ज़िंदा चाहिए अगर वो ज़िंदा ना मिला तो इंडिया के फंड्स तक रुक जाएँगे
देवश : हाहाहा देश को अपनी फिक्र है बाकी जो देश के लोगों के साथ हो वो जाए भढ़ में वाह सर आपसे ये सीख सीखने को मिला इस फंड का क्या? ऐसे रस्ेआचेस का क्या? क्या ये ऊस लड़की को वापिस ला देगा? क्या वो लोग हमारे देश को क्राइम फ्री कर देंगे नहीं सर जो करेंगे हम खुद करेंगे और मैं अब यही चाहता हूँ अपने जो काला साया
कमिशनर : देखो देवश काला साया काला साया वॉट आ क्रोक काला साया सिर्फ़ एक महेज़ मुज़रिम था एक मामूली इंडियन मुज़रिम ना ही कोई इंटरनॅशनल उसे मारना जरूरी था
देवश : हाँ क्योंकि वो आपके फंड्स रोक रहा था यही ना
कमिशनर : अपनी हद में रही लो देवश यू अरे टॉकिंग विड और सीनियर वैसे भी तुममिेन और मुज़रिमो के किससे आम है सुन रहा हूँ रोज़ के साथ भी तुम आजकल घूम रहे हो ये ना हो की कहीं तुम ही पुलिस की टारगेट बन जाओ…ई आम रियली परेशान डेठ की जो तुम्हारे साथ हुआ मुझे पुलिस नबाताया लेकिन हमें ये सब सहना होगा
देवश : सहन वो करते है जिन्हें मरवाने का शौक होता है मुझे नहीं मैं मारने का शौक रखता हूँ और नो सर ई आम टॉकिंग विड आ लाइयर आ लाइयर हूँ जस्ट लाइयिंग विद हिज़ ओन पीपल वेर हे ऑल्वेज़ ट्राइयिंग तो प्रिटेंड डेठ थे पुलिस इस फॉर थे प्रोटेक्शन और अगेन्स्ट क्राइम और यू जस्ट सेल्लिंग तीस पीपल फॉर और ओन प्रॉफिट इस्न;त इट? अब मातृ भाषा में बोलता हूँ ई आम रिज़ाइनिंग तीस जॉब
मैं गुस्से की आग में केबिन से निकल ही रहा था….”सोच लो देवश तुम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो”……..मैं मूधा “सर गलती की थी जिंदगी में अपने असल पहलू को छोढ़के बदले की भावना को छोढ़के अब मैं आज़ाद हूँ थेन्क यू सर आपके साथ काम करके मुझे सही गलत की पहचान हुई”……..कमिशनर झल्ला उठा
“गेट आउट ई साइड गेट आउट यू अरे सस्पेंडेड”……..मैंने मुस्कुराकर कुछ और नहीं कहा..बस अपनी गुण और अपने स्टार्स को उतारके टेबल पे रख डाला…और फिर अपनी बेल्ट भी उतार के फ़ेक दी “सर ये तो सिर्फ़ एक पत्ता था कुत्ते के गले में अब ये कुत्ता काटने को आज़ाद है क्योंकि अबतक ये सिर्फ़ भौंक सकता था”……..कमिशनर का गुस्सा सांत्वे आसमान पे था…मैंने मुस्कुराकर निकल गया
सब कोई सुन चुका था…हर कोई मेरे ओर देख रहा था…मैं सस्पेंडेड हो चुका था और मुझे फकर भी था…कॉन्स्टेबल और हवलदार के आंखों में आँसू थे…मैंने उनके कंधे पे हाथ रखा और सबको हाथ जोड़के अपनी जीप पे सवार हो गया….धारणा फिर शुरू हो गया और मैं जीप पे सवार होकर अपने घर निकल गया
ऊस दिन मैं टूट सा गया था….कुछ अच्छा नहीं लग रहा था…..अपने वीरान घर पहुंचा….अनॅलिसिस ऑफिस की बत्तिया जलाई…काला साया के नक़ाब और कपड़ों को शीशे के अंदर देखा…और फिर मुस्कुराकर अपनी आँसुयो को पोंछके सोफे पे बैठ गया…सोफे पे हाथ रखते ही मुझे रोज़ की याद आई….आज मेरी ही वजाहो से मैंने रोज़ को अकेला कर डाला था..सिर्फ़ मेरी वजाहो से….4 दिन हो गये ना रोज़ आई ना ही उसका कोई खत उसका पता भी नहीं जनता था…इधर दिव्या भी मेरे लिए दुखी थी क्योंकि मैं टूट सा गया था उधर एक खुशख़बरी सुनाने को मिली की शीतल रामलाल के साथ बर्दमान में ब्याह के लिए जा चुकी है…अपर्णा ने मुझे न्योता भेजा पर मेरे आने का कोई मतलब नहीं था और ना मन था… अब मैं अपने फर्ज से बिलकुल दूर हो चुका था और बढ़ते अपराध पे अब मेरा कोई हक़ नहीं था रोकने का
उधर खलनायक अपने कुर्सी पे बैठा..रोज़ के ब्रा को सूंघ रहा था जिसे ऊसने ऊस्की चुदाई के वक्त खींच के फाड़ दिया था…सफेद ब्रा को सूंघते देख उसके आदमी मुस्कराने लगे….तभी कमरे में निशानेबाज़ आया…और ऊसने मुस्कुराकर खलनायक को ब्रा सूंघते पाया
निशनीबाज़ : सर?
खलनायक : बोलो ब्रदर क्या खबर लाए हो ? (खलनायक खुशी मन से ऐत्ते हुए बोलता है)
निशानेबाज़ : वो साला देवश पुलिसवाला नहीं रहा उसे सस्पेंड कर दिया ज्यादा ज्यादा आगे आगे कर रहा था अब तो साले को मारना और भी आसान है
खलनायक : हाहाहा वाहह बहुत खूब वैसे भी हमारा माल हमारे हाथों मेंआअ सी हुका है….पुलिस भी अब हुंपे नज़र कड़े कर चुकी यक़ीनन इस देवश की वजह से कहीं पुलिस हमारे मौत का पैगाम का सुना दे
निशानेबाज़ : आप कहें तो इन अफसरों को भी!
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