RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
UPDATE-67
निशानेबाज़ जिसके कंधे से लेकर छाती तक पट्टी लगी थी चुपचाप पष्ट पड़ा लेटा हुआ था…डॉक्टर सहेंटे हुए बाहर निकल गया…खलनायक ने गुण निकाली और एक आदमी के मुँह में लगा दी “मुझे ऊस हरामी की एक एक इन्फार्मेशन चाहिए वो कौन है? कहाँ से आया? सबकुछ”……..खलनायक ने झल्लाते हुए बोला
आदमी 2 – सर इन्फार्मेशन ही क्या अपुन ऊस्की पूरी कुंडली जनता है तभी तो अपने पंतर लोग एक ही झटके में वहां से सतक लिए
खलनायक घुर्राटे हुए ऊस बंदे की हिम्मत की अंकल दे रहा था जो इतना कुछ कह गया…ऊस आदमी ने पुराने पुराने न्यूसपेपर्स के आर्टिकल्स तस्वीर के साथ खलनायक के सामने टेबल पे पेश की…खलनायक उसे उठा उठाकर पढ़ने लगा…ऊसमें उसी बंदे काला साया की तस्वीर थी…”हम”….वो बस धीमी साँस छोढ़ता हुआ पढ़ने लगा
आदमी 2 : यही नहीं सर ये आदमी इस शहर के पुलिस के साथ मुरज़रीमो के नाक में दम कर गया रॉबरी करप्षन मर्डर या कोई भी क्रिमिनल केस ही जो पुलिस के हॅंडोवर होने से पहले ये सुलझता है…ये ना ही किसी पे रहें करता है और अपने मुज़रिमो को गोली से उड़ा देता है…कलकत्ता की पुलिस भी इसे ढूँढ रही है लेकिन बाद में इसके बढ़ते अपराध के लिए पुलिस ने इसका एनकाउंटर जारी कर दिया था लेकिन ये साला बच निकाला…और वापिस आया आपसे लार्न
खलनायक : हम लेकिन रोज़ को देखकर लग रहा था जैसे वो उसे जानती हो…
निशानेबाज़ : आहह भी हूँ सकता है की ये रोज़ उसे पहले से जानती हो? क्या पता काला साया की वॉ (निशानेबाज़ ने और कुछ नहीं कहा क्योंकि जलते अंगरो भारी आंखों को खलनायक के वो और घूर्र नहीं सकता था)
खलनायक : मुझे किसी की बात नहीं सुन्नी रोज़ सिर्फ़ मेरी है रही बात इस नये दुश्मन की काला साया इसके जिंदगी पे तो मैं काला ग्रेें लगाउँगा पहली बार कोई टक्कर का आदमी मिला है…इसके लिए तो तुम ही ठीक हो है ना काला लंड
काला लंड अंधेरे से निकलकर सामने आया और ऊसने एक बार ऊस तस्वीर की ओर देखते हुए घूरा…काला लंड ने ऊस तस्वीर को एक ही झटके में फाड़ डाला…”समझो ये मेरा अगला अपोनेंट है रेसलिंग का”…..ऊस्की गारज़ान ने खालनयक को तहाका लगाने पे मज़बूर कर दिया…वो जनता था काला लंड से भीढना साक्षात बेदर्द मौत को गले लगाना….काला लंड बस चुपचाप खलनायक को घूर्र रहा था…और फिर ऊस फटे तस्वीर को
रोज़ काला साया के छातियो को चूमते हुए उसके लंड पे कूद रही थी…नीचे से काला साया धक्के लगते हुए रोज़ के चुचियों को मुँह में भरके थोड़ा उठके चुस्स रहा था….रोज़ बैठी बैठी बस लंड पे रगदाई खाके अपनी गान्ड को पूरी रफ्तार में ऊपर नीचे उछाल रही थी…काला साया फौरन रोज़ के छातियो को क़ास्सके दबाने लगा….रोज़ चाह रही थी की वो सारी बात काला साया को बता दे पर ऊस्की हिम्मत नहीं हो पा रही थी..फिर अचानक से काला साया ने रोज़ को अपने नीचे लेटा दिया और ऊस्की टांगों को अपनी कमर में फ़साए ऊस पे चढ़के धक्के लगाने लगा
रोज़ ऊन धक्को का जवाब अपने मीठे मीठे सिसकियों से दे रही थी….ऊस्की आंखें ढाल सी गयी थी…काला साया के हाथ रोज़ के मुखहोते पे आ गये…पर वो कटरा रहा था बिना मर्जी के बिना शायद रोज़ गुस्सा हो जाए….पर रोज़ शायद यही चाहती थी और आज इतने दीनों बाद खुद ऊसने अपना मास्क उतार फैका…उसके चेहरे को देखते ही जैसे सागर का पानी नहेर में गिर रहा हो ऐसा हाल काला साया का था…और दोनों प्यार से एक दूसरे से लिपट गये
काला साया उर्फ देवश ने उसके मखमल जैसे चेहरे पे उंगलियां फहीराई उसके चेहरे को वो बहुत ही प्यार से घूर्र रहा था..फिर ऊसने उसके कंपकपाते होठों से होंठ लगा दिए…रोज़ ने अपनी गान्ड उठा ली…और देवश भी बारे ही काश क़ास्सके धक्के पेलने लगा…चुत से लंड फ़च से निकलता और धंस जाता
ऐसी हालत में सिर्फ़ देवश उसके चेहरे को चूम रहा था…और ऊसने फिर फौरन अपना लंड बाहर खींचा
और रोज़ के सामने ही उसके पेंट पे अपना रस उगलने लगा…जब उसके लंड से आखिरी बंद भी टपक के गिर पड़ी…तब जाकर देवश पष्ट होकर अपनी अँग्रेज़ गोरी में रोज़ के गले से लिपट गया….और उसके पेंट पे लगे रस को हाथों से पेंट और छातियो पे रोज़ के मलने लगा….”देवश मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ”…….रोज़ ने देवश के चेहरे की ओर देखते हुए बोला
फिर उसके बाद रोज़ ने खलनायक के संग हुए मुठभैर के बारे में सबकुछ बता दिया…की उसके साथ क्या क्या हुआ था?….देवश बस सुनता गया पहले तो उसे अपने कानों पे विश्वास नहीं हुआ की वो ये क्या सुन रहा है की रोज़ खलनायक के साथ…उसे बेहद गुस्सा आया आख़िर क्यों? क्यों वो अकेले लर्र्ने चली गयी जबकि उसे देवश ने मना किया था….देवश कुछ देर तक खामोश रहा शायद रोज़ को डर था कहीं देवश उससे दूर ना हो जाए
देवश ने रोज़ के चेहरे पे हाथ रखा..और ऊस्की तरफ देखा…रोज़ के आंखों में नांसु थे…”मैंने तुमसे क्या कहा था? की चाहे जो भी हो मैं तुमसे दूर नहीं हो सकता…लेकिन तुम्हें ये बात मुझे बतानी चाहिए थी…एनीवेस जो हुआ उसे भूल जाओ इतना सब हो गया और मैं कुछ ना कर सका”…..मैं गुस्से में बैठ गया
रोज़ भी बैत्टते हुए मेरे कंधे पे हाथ रखकर समझने लगी “प्ल्स देवश ट्राइ तो अंडरस्टॅंड गलती मेरी ही थी मुझे लगा की मैं उसे”…….मैंने रोज़ की तरफ देखा और उसके हाथ को हटाया “पर तुमने इतना भरा खतरा अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो यानि अब ऊस्की निगाह तुमपर है ये बात खतरे की है रोज़ और मैं नह्िचाहता तुम ऊन लोगों से और उलझो प्ल्ज़्ज़”……मैंने रोज़ को समझाया रोज़ चुप होकर सुबकने लगी
मैंने उसके आँसुयो को पोंछा और उसे अपने गले से लगा लिया…हालकनी मुझे खलनायक पे बेहद गुस्सा आ चुका था…पर मेरे पास सवर् के अलावा और कोई चारा नहीं था…ना ही मैं जनता था की मुझे मारने की खलनायक ने पूरी प्लॅनिंग कर ली थी…मुझे मर के वो रोज़ को हमेशा हमेशा के लिए अपने साथ ले जाएगा…इस बात से मैं कहीं ना कहीं थोड़ा बेख़बर था
अगले दिन जब मैं घर पहुंचा…तो पाया दिव्या टीवी पे न्यूज देख रही है…कल रात के हादसे और काला साया के वापिस आने की खबर शायद वो सुन चुकी थी जब मैं अंदर आया तो वो मुझे आँसुयो भारी निगाहों से घूर्रने लगी
दिव्या : क्यों ? तो क्या इसी लिए तुम रात रातभर गायब रहते थे? यही था तुम्हारा प्लान तुम फीरसे?
देवश : देखो दिव्या मुझे बनना जरूरी था…मेरे अपनों को मेरी जरूरत थी
दिव्या : तुमने मुझसे वादा किया था की तुम ये लाइन चोद दोगे फिर क्यों?
देवश : कुछ चीज़ें हमारे हाथों में नहीं होती यक़ीनन मैंने जो फैसला लिया आज ऊस फैसले से अलग हो रहा हूँ पर ये जरूरी था…खलनायक को रोकने के लिए जानती हो अब मेरे पास कोई चारा नहीं है जब चाहे तब कोई ना कोई दुश्मन मेरा आकर मुझे मर सकता है
दिव्या : पर!
दिव्या के पास कोई चारा नहीं था…देवश उसे समझने लगा पर वो देवश की जान जोखिम में डालने के लिए खिलाफ थी…दिव्या उसे कफा हो गयी…फिर ऊसेन खुद ही दिव्या को अपने पास बिठाया और उसे विश्वास दिलाया की अब पुलिस उसके पीछे नहीं लगेगी और ऊसने जो कसम ली है वॉ खलनायक को मर के ही खत्म होंगी….दिव्या को अपने मन को मज़बूत करना होगा..दिव्या सुनती चली गयी देवश के मकसद को…ऊसने रोज़ के बारे में पूछा उसे थोड़ा खटका लगा दोनों को साथ बाइक पे…देवश ने सारी बात खुलके बता दी की वो ऊस्की पार्ट्नर है…दिव्या ने कुछ और नहीं कहा और फिर देवश के कंधे पे सर रखकर उससे लिपट गयी…देवश जनता था जुर्म और लौंदियो को संभालना उससे कोई नहीं सीख सकता…लेकिन रोज़ के अपमान का उसे खलनायक से बदला लेना ही था
“वॉट नॉनसेन्स? इस तीस सीरियस्ली?”……..एकदम से कमिशनर पीछे मुदके अपने काबिल पुलिस ऑफिसर्स पे जो सर झुकाए खड़े थे ऊँपे कमिशनर बरस पड़ा…काला साया की खबर अख़बार में चप्प चुकी थी…पुलिस की निंदा की जा रही थी….और ऊपर से दबाव भी पब्लिक का बढ़ते जा रहा था…
कमिशनर : क्या मैं यही एक्सपेक्ट कर सकता हूँ? तुम गंदूयो से…एनकाउंटर स्पेशलिस्ट खुद को बोलते हो लानत है जो एक महेज़ इंसान को
पुलिस ऑफिसर से.पे – सॉरी पर अब ई डॉन’त थिंक की हमारी टीम ज़िल्ले में अच्छा काम कर रही है क्योंकि काला साया पुलिस से एक कदम आगे हमेशा होता है अब वो ऊस नदी में कूदके कैसे बच्चा ये तो खुदा ही जाने
कमिशनर : वाहह तुम्हें खुद ही यकीन नहीं की तुम्हारी बंदूक से निकली गोली एक मुज़रिम को छू भी सकती है…हुहह मुझे तुम बॅस्टर्ड्स को केस ही नाहिदेना चाहिए था एक तो ऊस देवश इंस्पेक्टर देवश जिन्हें मैंने बारे ही आदर से ट्रांसफर दी और आज वॉ हुहह सस्पेंडेड क्या किया ऊसने हम सब की गान्ड में लंड डालकर चला गया
पुलिस ऑफिसर – सर गुस्ताख़ी मांफ कीजिएगा पर देवश सर अपना काम काबिल-ए-तारीफ से कर रहे थे…हाँ सर से.पे सर सही कह रहे है आपके ऑर्डर्स पे ही देवश सर ऊन्हें मारने का हमको दिया था….यही नहीं सर हमने पूरी कोशिश की थी…लेकिन हम ये नहीं समझ पा रहे की आप काला साया को छोढ़के खलनायक जैसे शातिर मुज़रिम को मारने का क्यों नहीं ऑर्ड रहे
कमिशनर : ओह अब तुम पुलिस ऑफिसर्स मुझपर अपने सर पे ही उंगली उठा रहे हो…ये सब ऊस देवश किया धारा है ई वन’त फर्गिव हिं ई वन’त गेट आउट ई साइड गेट आउट
कमिशनर चिल्ला उठा..पुलिस ऑफिसर्स दाँतों पे दाँत पीसके बाहर निकल गये…सब अंदर ही अंदर कमिशनर को गाली दे रहे थे महेज़ अपने पैसे और लालच के चक्कर में वो अडमेंट हो चुका है
उधर जल्द ही पुलिस वालो ने देवश को ये खबर दी..की कमिशनर आजकल ज्यादा ही खिस्सिया गये है….देवश उनके साथ हँसी मज़ाक करने लगा…ऊन्हें भी फक्र था की देवश ने नौकरी सही राह के लिए छोढ़ी….काला साया के बारे में बताते ही देवश ने भी हैरानी भाव का नाटक प्रकट किया…कुछ ही देर में पुलिस फोर्स चली गयी….लेकिन देवश थमा नहीं था काला साया तो आज नहीं तो कल उसे फिर बनकर निकलना ही था
देवश अपने जैसे घर लौटा…दिव्या को छोढ़के तो ऊसने देखा मामुन बैग पैक कर रहा है….”और भाई क्या फुर्सत मिल गयी?”…….मामुन ने मुस्कुराते हुए कहा
देवश : हाँ भाई सॉरी यार तुझे ज्यादा टाइम नहीं दे पाया वो दरअसल काम में इतना उलझा हुआ था की (मामुन ने देवश के कंधे पे हाथ रखा)
मामुन : अरे यार क्या बात है? भाई से मिल लिया मेरे लिए बहुत है चल मेरा टाइम भी हो गया अब मुझे भी जाना है कलकत्ता वापिस
देवश : थोड़े दिन और रुक जाता तो सही रहता
मामुन : भाई वक्त कभी किसी के लिए नहीं रुकता खैर तुझे मिस करूँगा भाई और आते रहना यार कलकत्ता आता क्यों नहीं?
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