RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
UPDATE-69
दिव्या डर के मारें सहेंटे हुए क्ाअल लंड को काला साया से लर्टे देख बुरी तरह सहेमने लगी..काला लंड ने काला साया को कभी दूसरे दीवार पे कभी दूसरी ओर पतकना शुरू कर दिया…काला साया दर्द के मार्िएन खड़ा हो नहीं पा रहा था…काअ लंड ने जैसे ऊसपे पीपे का वार करना चाहा..काला साया ने नानचाकू से बेदर्दी से काला लंड पे प्रहार करना शुरू कर दिया..काला लंड नानचाकू के दर्द से दहढ़ उठता…रोज़ तब्टलाक़ मोर्चा संभा ल्चुकी थी..और ऊसने फुरती से गुंडों पे अपने घातक हमले शुरू कर दिए और गुंडों को गोलियों से ही चली कर दिया
लोग डरे सहमने अपने घर में घुस चुके थे…किसी की हिम्मत नहीं थी जो इन लोगों के मामलों में दखल देते…काला साया को घूर्रते हुए काला लंड ने उसके नानचाकू को अपने हाथों में लेकर फ़ेक दिया..और ऊसपे लैंप का वॉर किया..काला साया बच निकाला…ऊसने इस बार हाथों से हाथ भेड़ने का फैसला किया और काला लंड पे टूट पड़ा…उसके मुँह पे छाती पे कंधे पे टांगों पे लात घुस्सें माअरएन शुरू किए..रोज़ ने भी तब्टलाक़ अंदर घुस रहे सभी गुंडों को अपने करते स्किल से डरहाशी करते हुए फाइरिंग कर करके ऊँका तममम कर डाला था..इतने में एक तीर सीधे रोज़ के गुण पे लग्के उसे गिरा देता है
रोज़ निशानेबाज़ को बाहर खड़ा पति है और उसके करीब भागती है….निशानेबाज़ ऊसपे तीर का वार शुरू कर देता है..लेकिन गुलाटी और करतब्बाज़ रोज़ पे इसका असर नहीं हो पता वो उसके हर हमले से बच निकलती है…काला लंड और साए एक दूसरे से हाथापाई कर रहे थे….ना ही कोई हार मान रहा था…काला लंड जैसे उसके पास आता…खैच के एक कोब्रा पूंछ उसके मुँह पे पढ़ चुका था ऊसने मुँह से खून उगल डाला और उसका गुस्सा सातनवे आसमान पे चढ़ गया
तब्टलाक़ दिव्या सहेंटे हुए बाहर निकल चुकी थी….लेकिन काला साया को पीटते देख वो रही नहीं पा रही थी उसके करीब आने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी…इधर रोज़ खुद निशानेबाज़ से झुझ रही थी…काला लंड ने सख्त इसे काला साय के दोनों हाथ गले पे काश दिए…काला साया साँस घोटने लगा..वो तड़पने लगा…”नहीं छोड्धह दूओ”……दिव्या ने काला लंड के काससे हाथों को अलग करना चाह लेकिन उसे एक धक्का मर के काला लंड ने सोफे पे गिरा डाला
दिव्या ने फौरन एक पास पड़ी बोतल काला लंड के पीछे आकर उसके सर पे मर दी..काला लंड को कुछ असर नहीं पड़ा बस पीछे से रिस रिस के खून बहाने लगा…ऊसने काला साया को वही चोद दिव्या की ओर आँखें घुमाई दिव्याशींटे हुए पीछे होने लगी…काला लंड ने उसे धार दबोचा…काला साया ख़ास्ते हुए अपने बेहोशी हालत से उठने की कोशिश करने लगा
दिव्या के पल्लू को ऊसने खींच के फाड़ डाला और उसके सर को मज़बूती से पकड़े तस्वीर पे दे मारा…दिव्या चीख उठी..और वही दम सांडके गिर पड़ी…अचानक काला लंड की निगाह दिव्या के अधखुली छातियो पे पड़ी…उसके अंदर का शैतान फिर जागने लगा अबतक वो सिर्फ़ काला साय की प्रतीक्षा कर रहा था इसलिए ऊसने अबतक दिव्या को जीवित रखा था..लेकिन अब उससे सवर् नहीं हुआ और वो दिव्या पे टूट पड़ा..दिव्या चिल्ला उठीी “ड्ड..एवूससह बाकच्छाऊओ प्लीज़ मुझहेब अचाऊ देवस्सह”………काला साया का गुस्सा दहेक उठा और ऊसने उठके के बार काला लंड की तरफ देखा और अपने पास रखी स्टूल सीधे उसके सर पे बाजाद दी..स्टूल टूट के बिखर गया और करहाते हुए हुए काला लंड अकड़ते हुए उठ खड़ा हुआ..काला साया ने उसके मुँह पे दो घुस्से मार्िएन और उसके गले को दबोचते हुए गिरा दिया…रोज़ तब्टलाक़ अपनी करते डर मूव्स से निशानेबाज़ के मुँह पे एक लात मारते हुए उसे लुड़का चुकी थी..इओतने में ऊसने पास रखी गमले को उठाया और सीधे निशानेबाज़ के सर पे दे मर दिया निशानेबाज़ वही गिर पड़ा
काला साया ने पास रखी लैंप की तार को खेनचके काल लंड के गले पे बाँध दिया और उसके गले को ज़ोर से खींचा…काला लंड दर्द से तड़पने लगा सांस घुटने लगी….लेकिन वो बस नाखून से काल साया के काससे हाथों को जख्मी कर रहा था…ऊसने काला लंड को बहुत देर तक वैसे ही गले को तार से काससे रखा…काला लंड बेहोश हो गया…काला साय ने उसे चोद दिया और साँस खेंचते हुए दिव्या को उठाकर उसके गले लग गया
दिव्या रोने लगी….रोज़ जबतक अंदर आई तब्टलाक़ ऊसने देवश को यूँ दिव्या से गले लगा हुआ पाया..अचानक से काला लंड जो अब भी धीरे धीरे उठ रहा था उसे देख रोज़ ने उसके मुँह पे एक लात जमानी चाही पर काला लंड ने उसके पाओ से ही उसे उठाकर दूसरी ओर फैक दिया…रोज़ को घायल होकर दर्द से चिल्ला उठी
काला साया अभी पीछे मुड़ता उसके गर्दन पे वही तार काला लंड ने काश दी थी….काला साया ने फुरती से कोहनी का वार सीधे कालल अंड के नाक पे कर दिया…काला लंड मुँह पकड़े बेदर्दी से काला साया के मास्क को खींच चुका था….और उसी हालत में नाक से बहते खून से लड़खधने लगा..देवश ने अपनी फुरती से लत सीधे काला लंड के अंडकोष पे जमा दी और उसे गुस्से से लॉन के दीवार पे दे फ़ैक्हा…लॉन का दीवार टूट गया…और काला लंड सड़क के दूसरी ओर जा गिरा…घायल काला लंड पे अब भी देवश की निगाह ही थी इतने में निशानेबाज़ कब लरखरके लाहुलुहन देवश के चेहरे को देखकर हक्का बक्का हो गया
“इसका मतलब काला साया कोई और नहीं इंस्पेक्टर देवश है”………ऊसने मुस्कुराकर एक बार देवश की ओर देखा और अपनी तीर का निशाना एक आखिरी बार सांधा…लरखरत हुए…तब्टलाक़ दिव्या ने निशानेबाज़ को निशाने सांधते हुए 10 कदम दूर देख ही लिया था…वो ज़ोर से चिल्लाते हुए काला साया के सामने जा खड़ी हुई “न्न्नाहिी इय्ाआहह”….ऊसने अपने दोनों हाथ हवा में उठा दिए ताकि देवश को कहीं से तीर ना लगे..लेकिन उसके पेंट को चीरती हुई तीर आर पार हो गयी…दिव्या वही तिठके बैठ गई…जब द्वेओश को अहसास हुआ वो चिल्ला उठा “दिववववययाआआ”…..ऊसने एक बार तीर पे काँपते हुए हाथ रखा जो पेंट के आर पार थी और एक बार थपथपति दिव्या की ओर देखा जिसके आंखें बंद हो रही थी
रोज़ तब्टलाक़ बाहर निकल चुकी थी और ऊसने अपनी गोली सीधे निशानेबाज़ के टाँग पे दे मारी…निशानेबाज़ गोली खाके पीछे गिर पड़ा…”दिवव्या दिवव्यया प्लीज़ अनाखहे मत बंद करना दिव्या”……साँस घूंटति दिव्या बस लाहुलुहन मुस्करा रही थी
दिव्या : में..उजहहे नहीं पता त हां कििई आज ये सफफ़ा..र्र आह यहीी ख़टमाम हो जाएगा
देवश : ना…ही दिव्या ना..ही तू..एम्म मुझे मचोड्धह्के नहीं दिव्व..या दिवव्यवाआ
दिव्या : मुझे..माफ़फ कर देना पा..र्र में…ऐंन्न य..ई हां..सीन ला..म्हू को नहीं भुल्ला सकूनगिइइइ तू…मने मेरे दिल में ज..ओ जा..गया गयी आहह द..आह के..आरृंगिइइ की तू …हां..मेस्सा मेरे..ई आर..अहोगग्गगीए उउगघह उहगगघ (दिव्या और कुछ कह नहीं पाई ऊसने एक बार रोज़ की तरफ अधखुली नजारे से देखा और एक बार देवश के टपकते आँसुयो कीरर्र ओररर)
ऊसने धीरे धीरे काअंपते हाथों से दे..वॉश के आँसुयो को पोंछा…और उसे शुक्र्रीयादा कहक्की थाम गयी..उसके हाथ ज़मीन पे गिर परे…ऊस्की साँसें बंद हो गयी और ऊस्की आंखें वैसे ही खुली की खुली रही गयी…देवश ने रोते हुए उसके हाथ को उठाकर चूमा और उसे अपने सीने से लगा लिया….दिव्या मर चुकी थी
निशानेबाज़ किसी तरह उठके लंगदाते हुए गाड़ी की तरफ दौधा…”वोब हाग रहा है”……रोज़ ने ज़ोर से चीलाया….देवश की आंखों में गुस्सा दहेक उठा…और वॉ चिल्लाके उसके पीछे दौरा “रृक्क्क हरामज़ादे”………देवश ने फौरन निशानेबाज़ का गला दबोच दिया और उसे उठाकर दूसरी ओर ज़मीन पे पटक दिया…और उसके गोली लगे जख्म से गोली को अपने हाथों से ही खींचके निकाल डाला “आआआअहह”……निशानेबाज़ ज़ोर से तड़प उठाा
देवश ने फौरन निशानेबाज़ के बाए ओर फँसे तिरो को उसके छाती और बदन के हर हिस्सों पे बेदर्दी से गुस्सा डाला…निशानेबाज़ चीखता रहा…और रोज़ उसके बेदर्द मौत को देख सकती थी जानती थी अब काला साया नहीं रुकने वाला…आज उसका अपना खोया था और अब उसके दुश्मनों को उसका ये खून का बदला खून से ही चुकाना था…देवश ने दर्द में कार्रहते हुए रोते निशानेबाज़ की ओर देखा और पास रखिी एत उठा ली “य्ाआआआअ”……और ऊसने वॉ एत से निशानेबाज़ के मुँह को टुकुच दिया…रोज़ ने क़ास्सके अपनी आंखें बंद कर ली एत लूड़कते हे दूसरी ओर खून से सनी गिर पड़ी
देवश बस घुर्रटा हुआ निशानेबाज़ के लाश के ऊपर खड़ा था…रोज़ ने मौके को समझा और फौरन देवश को संभाला…पीछे के गाड़ी से काला लंड को गुंडों ने जैसे तैसे उठाया और फरार हो गये…देवश दिव्या के पास आया और ऊस्की लाश को उठा लिया अपनी बाहों में…रोज़ ने फौरन देवश के चेहरे को मास्क से धक्का आस पास के लोग खिड़कियो से दोनों को जाते देख रहे थे जिनके बाहों में एक लाश थी एक मासूम लड़की की लाश जिसका इस घटना से कोई लेना देना नहिता…
पुलिस जल्द ही आ गयी…लोगों से तफ़तीश हुई घर पे कोई नहीं था ना ही देवश और ना ही दिव्या…लोगों ने बताया की खलनायक के गुंडों ने हमला किया और दिव्या को जान से मर दिया..पर देवश ऊन्हें नहीं दिखा सिर्फ़ काला साया और उसके साथी रोज़ दिखी थी दोनों ने ऊस्की लाश को ली और चले गये बाकी के गुंडे भी फरार हो चुके थे….पुलिस जो देवश का खास था उसे देवश की चिंता सताने लगी और उसे ढूंढ़ना जारी किया उसे लगा शायद देवश खलनायक के केस के खिलाफ लरआई कर रहा था क्या पता? कहीं उसे भी ऊस्की मैड दिव्या के साथ मर तो नहीं दिया…उनकी आंखें तब गंभीर हो उठी जब किनारे ऊन्हें बेदर्दी से निशानेबाज़ की लाश मिली जिसका बेरहें कत्ल हुआ था…इंस्पेक्टर जनता था ये काम काला साया को छोढ़के कोई नहीं कर सकता…ऊसने दो कॉन्स्टेबल बंगले पे तैनात किए और बाकी लाशों के लिए आंब्युलेन्स का बंदोबस किया
दूसरी ओर…आग की लपतो में चीट्टा बनी जलती….दिव्या की लाश जल रही थी…बेहद चुपचाप देवश को जैसे एक सदमा लगा था…रोज़ ने उसके कंधे पे हाथ रखा और उसे अपना दिल मज़बूत करने को कहा…देवश के आंखों में सिर्फ़ दिव्या की वो प्यार भारी बातें घूम रही थी इतना कुछ किया था दिव्या ने उसके लिए…अपनी ही ग़लतियो से जो कोई भी कहे आज अपनी ही ग़लतियो से ऊसने दिव्या को खो डाला…आज अगर वो काला साया ना होता तो दिव्या शायद मज़ूउद होती…लेकिन इस खून भारी जंग में उसे अपनों को तो खोना ही था…देवश की निगाहों में रोज़ की एक ही बात सामने आई….की खलनायक को इसका मुआवज़ा चुकाना है और यह तुम ही कर सकते हो सिर्फ़ तुम काला साया….जलती चीता के लपतो में देवश की आंखें भी अंगार बनकर दहेक उठी…
दरवाजे की दस्तक को सुन…आज फिर दिल में जैसी बेचैनी दौड़ आई…ऊस वक्त मैं किचन में चाय बना रहा था…दराज़ में पड़ी थी रिवाल्वर बस दो कदम दूर छलके निकालने की डायरी..और इधर दरवाजे पे दस्तक बढ़ती ही जा रही है…मैंने फौरन चाय का गॅस ऑफ किया…और धीरे कदमों से दराज़ से अपनी रिवाल्वर निकाल ली…एक यही सेल्फ़-डिफेन्स के लिए मेरे पास था…मैंने फौरन दरवाजे के आध में खड़ा हो गया और दरवाजे की चिटकनी खोल दी
जो शॅक्स अंदर घुसा…उसे देखकर जो हाथ गुण उठाने के लिए खड़े हुए थे वो वापिस झुक गये….”अरे काकी मां आप?”…….सामने मेरी मुस्कुराती अपर्णा काकी खड़ी थी
ऊसने मुझे यूँ सकते में देख कारण जाना…मैंने रिवाल्वर रख दी उनके भी चेहरे पे गंभीर भाव था..लेकिन मुझे ज्यादा बताने की जरूरत नहीं हुई क्योंकि ऊन्होने फौरन मुझे बता दिया की मेरा अभी हाल कैसा चल रहा है कैसे मुसीबतों से झुझा हूँ और पुलिस की नौकरी भी चोद दी..बातों बातों में मैंने चारों ओर देखकर झट से दरवाजा बंद करके दो कुण्डी लगा दी
अपर्णा – अरे बेटा तू ठीक तो है इतना कुछ हो गया और तूने अपनी मां को फोन भी नहीं किया
देवश : हालत ही कुछ ऐसे थे काकी की फोन करने का मन ना हुआ आप भी तो शीतल की शादियो में व्यस्त थी और मैं खमोखाः आपके इस खुशहाल पल को यूँ
अपर्णा : बस बस बना दिया मुझे तूने पराया बहुत सुन लिया अब तू मेरे साथ मेरे घर में रुकेगा
देवश : नहीं काकी मां समझा करो
अपर्णा : नहीं वही कुछ नहीं चुपचाप चल और अच्छा हुआ पुलिस की नौकरी तूने चोद दी खमोखाः आएदीन के हो रहे अपराध ओह मां तेरे को ज्यादा चोट तो नहीं आई तू ठीक तो है ना इस्सह बच्चा को अकेला चोद दिया था मैंने
देवश : अरे मेरी फ़िकरमंद काकी मां चिंता क्यों करती है? तेरा देवश सही सलामत है तू बस ये बता शीतल की शादी कैसे हुई पहले तो कान पकड़ के माँफी माँगता हूँ की मैं अपनी बहन का कंयाडान ना करा पाया वहां आपके साथ नहीं आया
अपर्णा : ना ना इतना कुछ हो जाने पे कौन इंसान खुशी मना सकता है? खैर तेरी शीतल बहुत खुश है और यहां आई हुई है शादी के बाद रस्म हुई है कुछ दिन मायके में रहने की उसी लिए आज तेरे से मिलने का ऊसने प्रोग्राम भी बना लिया है…
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