RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
UPDATE-72
यही सोचकर मैं गाड़ी पे सवार हो गया और सीधे गाड़ी को फुरती बढ़ता से पोर्ट के वेरहाउस के करीब ले आया…अचानक से मुझपर तढ़ तढ़ करके गोलियां स्टार्ट हो गयी अब इतनी रात गये क्सि किस जगह से वो लोग चुत कर रहे थे पता नहीं लेकिन जब सामने के गुंडों को देख पाया तो ऊन्हें अपनी गाड़ी से ही राउंड डाला…मैं गाड़ी में ही छुपा रहा और गाड़ी को ड्रिफ्ट करते हुए रोक दिया..मैंने ऊपर की डीक्की का दरवाजा खोला और अपनी फ्री हेंड बाइनाक्युलर को क्लोज़ करके नाइट विषन मोड ऑन किया..टांक पे वेरहाउस के ऊपर जहां जहां वो छुपे थे वही पे फाइरिंग स्टार्ट कर दी कुछ तो बच गये और कुछ भाग खड़े हुए
ऊन्होने ने भी मुझपर तबतोध गोलियां चलानी शुरू कर दी….मैं गाड़ी से निकलकर पूरी लूड़करते हुए गिरते पारट वेरहाउस में जा घुसा…गुण की गोलियां चलनी फिर शुरू….इस बार मैं रहें नहीं करने वाला था सीधे बीच में ही चलने लगा और जो भी सामने आया ताबड़टोध गोलियां बरसानी शुउ कर दी…सीडियो पे चढ़ते हुए खड़े गुंडों को मारते हुए उनकी लाशों से चलते हुए और मैं ऊपर आया…फिर दूसरी ओर से आ रहे गुंडे पे फौरन एक-47 की गोलियों की बौछार कर दी….जो इधर छुपे थे सब मुझपर हमला करके अपनी गुण को रिलोड कर देते लेकिन आज मेरे सामने कोई टिकने नहीं वाला था…एका एक मैं बसे में मेरे सामने आते सभी पे गोलियां डाँगते जा रहा था एक गुण खत्म होती तो दूसरी एक-47 तैयार मैं जानभुज के गोली ऐसी जगहों में मारता की वो बेवकूफ़ गुंडे सामने आ खड़े होते….और ऐसा करते करते मैं अब वेरहाउस के दूसरी मंजिल पे पहुंच गया
अचानक फिर गोली स्टार्ट हो गौ इस बार मेरे बुलेट प्रूफ जॅकेट्स पे तीन चार लग भी गयी…मैं लुढ़क्के एक ओर हो गया और फिर अपनी गुण को रिलोड किया…और अपने हेंड ग्रीनेड का शेल कीचते हुए सीधे पास खड़े आ रहे गुंडों के तरफ लूड़कके फिख् डाला…बद्धाम्म एक जोरदार धमक हुआ और लोहे के जीने पे खड़े सबके वही दरशाही हो गये सिर्फ़ चारों ओर धुंआ चुट्त गया…मैं धुए से निकलकर पांचों गुंडे पे हावी हो गया और अपनी एक-47 ऊँपे दंग दी
“भाई ऊसने हमारे सारे गुंडों को अकेले ही खत्म कर दिया”……एक आदमी भौक्लते हुए बोला….खलनायक जो सोई रोज़ के ज़ुल्फो से खेल रहा था उठके मुस्कराया “आने दे आने दे थोड़ी हवा आने दे वैसे भी रोमीयो को कभी जूलिएट नसीब ही नहीं हुई”……..तहाका लगते हुए मुस्कराया खलनायक
मैं ओसोक्ी चाल में यक़ीनन फ़सस्ता जा रहा था मेरा समय और एनर्जी दोनों खर्चो हो रही थी….लेकिन एक के बाद एक गुंडे मेरा रास्ता रोके हुए खड़े थे…अब यहां मुझे फुरती से काम लेना था….फौरन गुण को रिलोड किया और एक ओर गोली मारी…सारेई न्गुंदे उसी ओर गोली चलाने लगे कुछ मेरे नज़दीक आए….मेरा नानचाकू उनकी प्रतीक्षा कर रहा था जैसे ही आए सटास से उसके गले पे चैन घूमता हुआ दबा दिया और दूसरे के माथे पे इतनी ज़ोर का प्रहार किया की वो वही देह गया…मैंने सोच लिया था की किसी गुप्त जगह पे ही खलनायक छुपा पड़ा हुआ है…और मुझे भी उसी लाइन में जाना है….फौरन पास के चिम्नी को देखते हुए मुझे कुछ कुछ आइडिया आया और मैं गुप्तिए चिम्नी में घुस्सता चला गया चिम्नी ना कहक के मैं उसे गुप्त रास्ता काहु तो ज्यादा बेहतर होगा
मैं धीरे धीरे चारों तरफ घुमके बड़ी ही कठिनाई से बीच बीच के जलियो में देखते हुए जा रहा था ऑफिस बंद परे मशीन के ऊपर के चिम्नी से मैं होते हुए सीधे सर्क्यूट वाइर्स जो अब बंद हो चुके थे उसके पास आया और जल्दी से ना जाने क्यों ऊन सिरकूत्स को चाकू से कांट दिया…खलनायक के कमरे की और शायद बाकी जगहों की लाइट्स कट हो गयी….मैंने फौरन एक जाली पे एक लात मर के ऊस्की फाटक को खोल के फैक दिया और सीधे नीचे धाधाम से गिर पड़ा
चोट तो आई पर मुझे अब अपना हत्यार संभालना था…”भाई वो मिल नहीं रहा शितत”…….गुंडे अंधेरे में ही खड़े डाल बनकर मुझे ही ढूँढ रहे थे….”मदारचोढ़ो उसे जल्दी ढुंढ़ो वरना एक एक की टाँग!”…धाधम्म्म…अचानक से खलनायक का दरवाजा टूट पड़ा…और मुझे सामने एमेग्ेर्नेसी लाइट में कहरा खलनाया और साथ में एक ओर बैठी रोज़ दिखी
उसके गुंडे मुझपर तबतोध गोली चलाने ही वाले थे मैंने ऊन्हें अपने गुण से ही चुत कर दिया…खलनायक बचते हुए मेरी ओर गोली चलता है जो मेरे बाज़ू को छू के निकल जाती है पर मैं हौसला बनाए रखता हूँ और ऊन गुंडों को गोली से आख़िरकार चुत कर देता हूँ…अब सामने लाशें और खलनायक और एक जगह रोज़ ही थी…बाकी गुंडे मुझे ढूँढते हुए गोली की आवाज़ सुनकर खलनायक के कमरे की ओर आ रहे थे मैंने लोहे के दरवाजा को ऐसा बंद किया अब उसके खुलने के तो चान्सस नहीं थे वो बस धक्के देकर गोलियां बरसा रहे थे जो कोई काम नहीं कर पा रहा था
खलनायक : वाहह रे वाहह आख़िरकार अपनी महबूबा को बचाने के लिए तू इतने जल्दी यहां भी आ गया मेरे गुंडों को भी मर गिराया वाहह
काला साया : आबे ओह सनकी इंसान तेरा अब पाँसा फैक्ना बंद अब तंशा देखेगा तू अपनी ही मौत का
खलनायक : भैया जी बहुत आए बहुत लोग मारें गये पर मुझ तक पहुंच नहीं पाए या यूँ कह लो मेरे इंस्पेक्टर भाई देवश
मेरा माता टांका य..ईयीई के..या बॅया..क्वास्स है? “तेरा भी मेरा ना कोई सगा है ना कोई अपना सब मर चुके”…..मैंने जाने की उक्सूता जाहिर की शायद उसे मेरे बारे में पता चल गया हो पर वो भी अपनी आइडेंटिटी रिवील कर दे….मैंने ऊस्की ओर तिठकते हुए ड्कहा गुण तो उसी की ओर पॉइंट करके था..लेकिन ऊसने एक छोटा पिस्तौल रोज़ के माथे पे लगा दिया उसके होश में आते ही वो भी हड़बड़ा गयी मुझे यूँ इस हालत में देखकर भौक्लाई पर खलनायक ने उसे चुप रहने को बोला…”खैर तू अपना ये मुखहोटा उतार फ़ेक मैं वादा करता हूँ की तेरे साथ सही तरीके से पेशौँगा”…….मैंने मुस्कराए ना में इशारा किया…”तू जो करना चाहता है कर ले पर रोज़ को जाने दे”……..मैंने गुस्से में तमतमाता
खलनायक : ओह हो मैं तो भूल गया बड़ा प्यार है तुझे इस पे खैरर तुझे सब समझता हूँ मैं (खलनायक ने अपने मुखहोते पे हाथ रखा मेरा बदन काँपने लगा अब ओसोका चेहरा मेरे सामने होने वाला था वो आख़िर मुझे इतना कैसे जनता है? लेकिन वो मुस्कराया और ऊस्की मुस्कुराहट जबतक समझ में आती)
एक पीपे का डंडा मेरे सर पे लग चुका था…पीछे काला लंड खड़ा था….मुझे घूर्र रहा था रोज़ ज़ोर से चीखी…”देवश सेफ उर्सेलफ”…..एक और डंडा मेरे मुँह पे लग गया और मैं ऐसा घास्शह खाके दूसरी ओर जा गिरा की मुझे उठने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी…काला लंड बेसवरी से अपने ऊपर हुए ज़ख़्मो का बदला मुझसे लेने वाला था…”य्ाआअ”…..मैंने उठके उसके पेंट और छातियो पे घुसों की बरसात कर दी…लेकिन ऊसपे कोई फरक़ नहीं पड़ा और ऊसने मुझे उठाकर दूसरी ओर फ़ेक डाला…शीशे से टकराके मैं दोबारा ज़मीन पे आ गिरा
“क्यों काला साया? बहुत बारे स्पाइडरमॅन हो ना सूपरमन हो? करो करो लररू”…काला लंड ने मेरी गर्दन उठाई और खलनायक के हँसी मेरे कानों में गुज़नते रही…काला लंड ने मुझे उठाया और बाहर हग किया ऊसने इतना क़ास्सके मुझे जकड़ लिया की मेरे हड्डिया जैसे चटकने को हो गौ …आहह मैं दर्द से बिलबिला उठा…मैंने उसके दोनों गर्दन पे करते का एक चॉप वार किया वो अपनी ए सर को पकड़कर बैठ गया और ऊसने मुझे एक लात मारी
मैं सीधे दीवार से टकराया…मैं भी उठ रहा था और वो संभाल चुका था वो मेरे करीब आया और ऊसने मेरे मुँह को दोनों हाथों से पकड़ा और बेदर्दी से दीवार पे दो बार दे मारा…और फिर उठाकर एक पटकी और लगाई…मैं उठने की हिम्मत नहीं थी…मैंने अपने घुटने मोड़ के उसके मुँह पे दे मारा..उसके नाक से खून बहाने लगा वो ऊपर उठा और ऊसने मुझे उठाकर फिर एक घुसा मर दिया…मैं लरखरके उसे लार्न की नाकाम कोशिशें कर रहा था
लेकिन ऊसने मुझे फिर धक्का देकर गिरा दिया…उसके हाथ में मेरा टूटा मास्क था…ऊसने उसे फैका और मेरी ओर आया मैं घायल लरखरते हुए उठके उसके दोनों टांगों पे गोली चला दी…वो पहले तो घायल हुआ लेकिन ऊसने उठके फिर मेरे ऊपर हावी होना चाहा…ऊसने इस बार मेरी गर्दन दबोची और मुझे टीयूब लाइट पे मेरा गर्दन सहित सर घुसा दिया….तुबलेईघत के सर पे टूटते ही जैसे सर सुन्न सा पारह गया और मैं एक लाश बनकर फर्श पे मुँह के बाल गिर पड़ा
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