Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
09-17-2021, 01:09 PM,
#69
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
UPDATE-73

रोज़ रोए जा रही थी उसके हाथों में नहीं था वरना जान से मर देती काला लंड को…काला लंड बस मुस्कुराकर मेरी ओर देखे जा रहा था….मैं अब उठने वाला नहीं था…अचानक काला लंड पे थूकती रोज़ को देख उसका पड़ा चढ़ गया लेकिन वो उसके करीब आता खलनायक ने उसे गुस्से भारी निगाहों से देखा…काला लंड ने गुस्से में तमतमते हुए खलनायक को ही एक गुस्सा झाड़ दिया खलनायक गिर पड़ा..रोज़ संभाल गयी..काला लंड रोज़ के नज़दीक आया और उसके होंठ पे अपने नाखुंब चुभने लगा रोज़ दर्द से बिलख उठी

इतने में खलनायक ने टीयूब लाइट सीधे काला लंड के पीठ पे दे मारी…लेकिन ओसोे कोई असर ना हुआ और ऊसने खलनायक की गर्दन दबोच ली….”आ…हह सस्सस्स के.आमीने मेरा..खाखी”……खलनायक को अब सख्त गुस्सा चढ़ गया और ऊसने अपने पास रखी चाबी ओसॉके हाथों में दे घुसाई

कालल अंड दर्द से गिर पड़ा…खलनायक ने जैसे गुण पकरी ही थी..काला लंड ने उसके गर्दन को दबोचा और उसके सर सहित शीशे के आएनए में दे फैका..खलनायक का पूरा गर्दन शीशे से टकराके आर पार हो गया और खलनायक काँपते हुए गिर पड़ा….काला लंड ने कुर्सी सहित रोज़ को गिरा दिया और ऊस्की राससियो को नोंच नॉचके फ़ेक दिया रोज़ चिल्लाने लगी पर काला लंड बेरेहम था..ऊसने उसके गर्दन को पकड़ा और उसके होन्ो को अपने दाँतों से कांट लिया..रोज़ चिल्लाई ऊस्की आवाज़ सुन्न मेरे आंखें खुल चुकी थी

रोज़ के साथ वो बहुत ही बुरी तरीके से बलात्कारके करने की कोशिशें कर रहा था..ऊसने उसका अभी जीन्स नीचे खिसका ही दिया था..तभी मैं उठ खड़ा हुआ…कालल अंड को जब ये बात महसूस हुई तो वो उठके मेरी ओर देखता है और मुस्कुराकर मुझसे भीढने के लिए आगे आता है…मैं अपना मशेटी निकाल चुका था तब्टलाक़

काला लंड मुझसे टकराता है हालाँकि इस बार मैं हार मानने वाला नहीं था…और उससे भीढ़ जाता हूँ…मैं उसके हाथ पे ही मशेटी चला देता हूँ…और ऊस्की दो उंगलियां कांतके गिर जाती है…मैं ऊस्की गर्दन दबोच लेता हूँ उसे मारना आसान तो नहीं था…लेकिन मुझे भी उससे लार्न की पूरी कोशिश आज कारण इति सबकुछ दाव पे लगा था….मैंने उसके कमज़ोरी उसके सर को पाया जिसे वो बच्चा रहा था और ऊसपे करते का वार शुरू किया…काला लंड अब पष्ट परने लगा लेकिन वो मुझपर हावी होना बंद नहीं कर पा रहा था

कभी इस ओर कभी ऊस ओर की चीओंज़ों पे मुझे पटक देता और मैं भी पूरी कोशिश में ऊसपे वार करके उसे उठाकर किसी तरह पटक देता…हाथाआपाई के दौरान ही मैंने अपने मशेटी से उसके सर के मास्क को चियर दिया और ऊसपे चढ़ गया जैसे ही उसके मास्क को दो भाग में चियर डाला वो एक दम दहधते हुए एक ओर गिरके छटपटाने लगा रेस्लर लोगों की एक कमज़ोरी होती है की वो अपने चेहरे को हमेशा छिपाते है ताकि ऊँका साल चेहरा दुनिया के सामने ना आ सके…गुण चलना बेवकूफी ही थी

मैंने उसके सर को पकड़ लिया और जिस तरह ऊसने रोज़ दिव्या और बाकी मौसम औरत को मारा था ठीक उसी तरह उसके सर को क़ास्सके पकड़ लिया वो लगभग छुड़ाने की तो कोशिश करने लगा पर बच ना पाया..और मैंने ऊस्की गर्दन को माड़ोध के तोड़ दया…वो ज़ोर से दहधा और वही मर के लाश बन गया रोज़ रोते हुए मेरे गले लग गयी…खलनायक तब्टलाक़ अपने आधे अधूरे फटे मास्क से मेरी ओर देख रहा था रोज़ मेरे पीछे हो गयी…उसके हाथ में बंदूक थी…वो लरखरा रहा था

“अब बचने का फायदा नहीं चुपचाप हार मान जा”…….मैंने गुस्से से बोला….खलनायक ने देखा की रोज़ नेरा मेरा हाथ पकड़ा है लेकिन ऊसने गुण नहीं चलाईइ उसके आंखों में मैं आँसू देख सकता था

“साल..आ जिंदगी एमेम..एन्न हे..आमएस्सा डर..ड्ड साहा आहह पर साअला एक प्याररर आदमी क्यों…तो..द्ध एटा है….क्यों..टते भी..आहुट्त किस.मात्ट वाला हे तुउउउ”…..खलनायक के आवाज़ में भारीपन था शायद उसके आँसू उसके दर्द को चेहरे ढके होने से भी नहीं छुपा पा रहे थे…ओसॉके एक आँख के निकलते अनसु को देख सकता था “जिंदगी में बहुत क्राइम किया अपून्ं ने लेकिन साला कभी सुख नहीं मिला पर साले तुम दोनों को मैं!”…….अभी वो गुण पॉइंट हुंपे कर पाता पुलिस की साइरन आवाज़ उठ गयी

“भागने की कोशिश मत करना खलनायक हमने इस पोर्ट कोचरो ओर से घेरर लिया है खलनायक अपने आदमियों के साथ खुद को हमारे हवालेक आर दो”…..खलनायक बहुक्ला उठा तब्टलाक़ मेरे गोली ओसॉके पाओ पे लग चुकी थी वो वही गिर पड़ा

काला साया : जी तो करता है यही मर दम तुझे पर साले तुझे ज़िंदा रहके दर्द सहना होगा जो दर्द तूने सबको दिया सिर्फ़ अपनी खुशी और बदले के लिए

मैं जानना तो चाहता वो कौन है? पर मुखहोटा उठाने का वक्त नहीं था..मैंने रोज़ को लिया और क्सिी तरह दूसरी ओर से निकालने लगा..खलनायक को भागना ही था…उसके आदमी जो बच गये थे वॉ पुलिस पे ही ताबड़टोध गोलीय बरसाने लगे..लेकिन एका एक पुलिस के मुत्बायर और गोलीबारियो में मारें जा रहे थे…खलनायक के पास शायद अब कोई बेक उप नहीं बच्चा त हां हूँ बस लरखरते हुए अपने टाँग से निकलते खून पे रूमाल चड़ा चुका था उसका अड्डा अब पूरी तरीके से तहेस नहेस होने जा रहा था…इधर मैं इन हाला तो में जैसे तैसे रोज़ के संग बाहर आया पीछे के रास्ते पे पुलिस थी…शायद कमिशनर ने ही इन लोगों को भेजा होगा…मैंने और रोज़ ने फौरन छलाँग लगा दी पिछवाड़े के फाटक से हम दोनों आज़बेस्टेर पे गिरते हुए सीधे नीचे आ गिरे…मुझे बेहद चोट आई रोज़ संभाल गयी ऊसने मुझे जैसे तैसे उठाया..पुलिस की टुकड़ी ऊस साइड भी आंर वाली थी…

मैं और हूँ गटर के अंदर घुस गये….और शटर लगा ली जिससे पुलिस को वहां किसी के आने का आवास नहीं हुआ….हम धीरे धीरे गटर के नीचे आए…हूँ गटर सीधे पोर्ट से सटे समंदर में खुलता था…बचना तो था ही पर रोज़ कटरा रही थी इतनी बड़ी जोखिम ऊसने कभी नहीं लिट ही..मैंने उसका हाथ पकड़ा और हम दोनों समंदर की धारा में कूद परे…गटर का पानी सीधे समंदर के फासले में आ गया लेकिन बीच में गटर और समंदर के बीच एक छेद था…गुण बेकार थी…रोज़ का साँस लेना मुश्किल पढ़ने लगा…मैं एक लात मारा गटर लोहे से सख्त था..मैंने हेंड ग्रीनेड बॉम्ब सीधे दरवाजा के छेद पे लगाया और उसका शेल खींच दिया हम दोनों जब तक वापिस गटर के रास्ते आते दरवाजा उड़ गया और इसके साथ ही इतनी ज़ोर का धक्का लगा पानी में ही कम गटर के द्वार से समंदर आ गये…मैंने रोज़ को पकड़ा और हम दोनों तैरते हुए ऊपर आने पुलिस के टाइम तैरने की अच्छी खासी ट्रेनिंग लिट ही…हम दोनों तैरते हुए ऊपर आए पानी का इतना बहाव था की पूछो मत….दूर पोर्ट के ऊपर पुलिस की टुकड़िया ऊपर नीचे आती जाती दिख रही थी…गाड़ियों की लाइट्स और समंदर पे भी रोशनी मारी जा रही थी जाना मना गॅंग्स्टर आज उनके हाथ लगने वाला था…तभी मैंने अपनी बाइनाक्युलर से देखा की खलनायक कबका समंदर की धारा में कूद चुका है…और हूँ सीधे बंद पड़ी खिड़की को तोधके समंदर में जा कूड़ा…मैं उसके करीब जाना चाहता था..पर रोज़ ने मुझे रो कड़िया पानी का बहाव रात को तेज हो जाता है हम दोनों बार बार डूबने के कगार पे पहुंचने लगे

रोज़ : उसे जाने दो वॉ इस बहती धारा में ही बहके डुबके मर जाएगा पुलिस उसी की तलाश कर रही है हमें देखती है कुछ भी कर सकती प्लीज़ बात को समझो

काला साया : मैं उसे नहीं चोदूंगा ऊस कमीने मेरी दिव्या को!

रोज़ : प्ल्स मेरे खातिर…(और कुछ कह नहीं पाया हम पोर्ट से बहुत दूर आ गये तभी खुदा के फ़ज़ल से एक मचवारा जो बहुत से गुजर रहा था हमें दिख गया)

मचवारा : दादा अपनी छोले आसुन छोले आसुन (भैया आप इधर आइये इधर आइये)

ऊसने हम दोनों को देख लिया था…हम दोनों फहत से उसके बहुत पे चढ़ गये…”पानी बहुत गहरा है आप लोग डूब जाएगा आप लोग लाइट जाओ वरना पुलिस देख लेगी हम देख रहा है ऊन्को”…….मचवारे ने हम दोनों को बहुत पे ही लाइट जाने को बोला हम दोनों वैसे ही पष्ट होकर खास रहे थे हम लाइट गये

काला साया : भाई जैसे भी करके ज़मीन पे पहुंचा दे

मचवारा : ठीक है साहेब आप जैसे महान आदमी को भला कौन नहीं साथ देगा
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