RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
UPDATE-74
मैं इतना चर्चित था ये बात का अंदाज़ा मुझे भी नहीं पता…बस मैं देख सकता था की अंधेरी समंदर की लहरो में ना जाने कहा खलनायक गायब हो गया क्या हूँ डूब गया? उसका कोई बॅकप भी नहीं था…लेकिन मैं ये जनता था इसके साथ ही शायद खलनायक और मेरी दुश्मनी की दास्तान यही उसके मौत से खत्म हो गयी थी
मैं बस चुपचाप रहा मैंने रोज़ की तरफ देखा और उसके होठों से होंठ लगा लिए मानो जैसे उसे पाके कितना खुश था? रोज़ के आंखों में आँसू थे मचवारा बस चोरी निगाहों से हम दोनों का प्रेम प्रसंग देख रहा था…हम दोनों वैसे ही जाली पे बहुत के ऊपर लेटे रहे जब तक ठोस ज़मीन और पुलिस की नजारे से दूर ना हो गये…
सुबह की चकाचौंड रोशनी जब खिड़की से परदों के इधर उधर से निकलते हुए बिस्तर पे पड़ी..तो एक बार आंखों को मलते हुए अपने नंगे सीने से लिपटी हुई अपना सर मेरे छाती पे रखे हुए…जिसके बाल इधर उधर बिखरे हुए थे जिसके आंखों से लेकर आधे चेहरे तक एक काला मुखहोटा था…और उसका एक हाथ मेरे सीने को पाखारे हुए पीछे तक..और एक हाथ मेरे चेहरे के मुखहोते को सहलाते हुए
आज 2 दिन जैसे मानो कितने साल गुजर गये हो?….कैसे? खलनायक से लर्रकर मैंने उसके आदमियों को मर डाला…काला लंड की लाश पुलिस को बाकी गुंडों के साथ मिल चुकी थी…लेकिन खलनायक का कुछ पता ना चल पाया…वो जो समंदर में डूबा उसके बाद ना तो मुझे और ना ही कभी पुलिस को नज़र आया…लेकिन कहीं ना कहीं इस देश को उससे शायद निजात मिल गया था…अगर वो मर चुका होगा या तो ऊस्की लाश डूबते हुए कहीं ना कहीं तो पहुंच जाएगी…लेकिन सबसे सुकून भरा दिन मुझे ये सुबह और अपने दिव्या के बदले पे जीत की हो रही थी
मैंने महसूस किया की रोज़ थोड़ी हिली है…मैंने उसके पीठ को सहलाते हुए उसके चेहरे को अपनी तरफ किया…वो मासूमियत निगाहों से मेरी ओर देखते हुए मेरे सीने पे सर रखकर मेरे होठों पे उंगली फहरने लगी…हम दोनों ही चादर के अंदर कब से नंगे एक दूसरे से लिपटे थे ये बात का हमें पता नहीं था…मैंने रोज़ को अपने ताक़त से अपने ऊपर उठा लिया..और उसके कमर से होते हुए ऊस्की गान्ड की फहाँको में हाथ फहरने लगा….रोज़ मेरे सीने पे अपना सर रखकर छोटे बच्चों की तरह सोने लगी
रोज़ : देवष
काला साया : हाँ रोज़!
रोज़ : सबकुछ फीरसे शांत हो गया ई होप की अब तुम सबकुछ भुला चुके हो
काला साया : नहीं भुला पाया हूँ कुछ चीज़ें (एकदम से हड़बड़ाकर रोज़ ने मेरी ओर चेहरे को मोड़ा उसके आंखों में सवालात थे अब क्या रही गया था?)
काला साया : हां हां हां अरे हाउ कॅन ई फर्गेट यू? (मेरी बात को सुन रोज़ मुस्कुराकर मुझसे और क़ास्सके लिपट गयी उसके भारी छातिया मेरे सीने पे जैसे पीस रही थी उसके कड़क निपल्स जैसे गुदगुदी पैदा कर रहे थे)
रोज़ : तो फाइनली तुम अब क्या चाहते हो?
काला साया : एक अच्छी जिंदगी एक नया मोड़
रोज़ : जैसे?
काला साया : जैसे तुमसे शादी (मैंने उसके चेहरे को हाथों में भर लिया)
रोज़ को मानो जैसे ऊस्की मन की मुराद पूरी मिल गयी थी…ऊसने मेरे होठों को क़ास्सके चूम लिया और ज़ोर से बोल पड़ी “रेअल्लययी”…..मैंने मुस्कुराकर उसके एग्ज़ाइट्मेंट भरे चेहरे पे हाथ रखकर क़ास्सके उससे कहा “बिलकुल मेरी जान”…….रोज़ मुझसे फिर गले लिपट गयीचदर कब हम दोनों थोड़ा अलग हो गया पता नहीं
दिल को बस एक सुकून था मानो जैसे आज सारी मुरादें पूरी हो गयी हो…रोज़ को इतना क़ास्सके अपने से लिपटाया की उसे छोढ़ने का दिल ना हुआ…कहते है जब खुदा मेहेरबन होता है तो चारों तरफ खुशिया बरसता है…आज उनकी मेहरबानी मुझपर थी….जिस पेज निक्की बेला के सपने देखा था उससे भी कई गुना खूबसूरत गोरी में मेरे आगोश में थी…जो खुद मुझसे शादी करने के प्रस्ताव रखी हुई कब से बैठी थी?….जब आदमी के सामने बर्गर हो तो वो रोती क्यों खाए? इतने अच्छे रिश्ते को अगर ठुकराया तो मुझसे बड़ा गान्डू फिर कौन बस ऊस दिन बस मैं उससे लिपटा ही रहा ना ही कोई कम का भोज ना ही कोई और लरआई सिर्फ़ हम और तुम
शादी के बारे में सोचते हुए मैं बाइक दौड़ा रहा था….बाज़ार के चारों ओर के लोगों की तरफ एक निगाह दौड़ाई…मानो जैसे इस शहर में कितना चहेल पहले हो…ना ही कोई लाफद ना ही कोई झगड़ा…एक पॅड्रे से बात कर ली…ऊन्होने मुझे बताया की रोज़ के साथ रोमन कॅतोलिक विवाह के रिवाज़क ए साथ कोर्ट मरीज़ भी कर लू….मैं बहुत खुश हुआ खैर पुलिसवालो का पता नहीं था की ऊँका एक्स-कॉप शादी करने वाला है….ऊस दिन वो आए थे मुझे बधाई दी लड्डू भी बाँटे खलनायक की मौत पे ऊँका जश्न्ञ देखकर मुझे भी खुशी हुई
कलकत्ता के चर्च में शादी का पूरा प्रोग्राम मैंने बना लिया…गुप्त रूप से शादी करके मैं रोज़ के साथ कोर्ट मरीज़ भी कर लूँगा…वापिस इतर पहुंचते पहुंचते शाम हो गयी….रोज़ को फोन पे ही खबर सुनाई वो काफी खुश थी…इधर कमिशनर के बार्िएन में पता चला की ऊँपे गवर्नमेंट और इंटरनॅशनल अफीशियल्स के दबाव मिल रहे है ऊन्होने कैसे खलनायक का एनकाउंटर करा दिया? उसे रंगे हाथों पकड़ना था सीक्रेट एजेंट्स का वो मोस्ट वांटेड क्रिमिनल था वगैरह वगैरह…कॉँमससिओनेर मिया की नींद तो ऐसे हराम हुई मानो ऊन्हें किसी ने शाप ही दे दिया हो
अपर्णा काकी को बताया तो वो भी बेहद खुश हुई की चलो मैंने कोई रिश्ता पसंद तो किया…लेकिन ऊन्होने ज्यादा आपत्ति नहीं जताई…क्योंकि मामला मेरा था बस मुझे सुझाव देने लगी…आज मैं बेहद खुश था…और खुशी के मारें एक राउंड अपर्णा काकी की चुत का भी ले लिया….बिस्तर पे ही लैटाके उनके पल्लू को हटाया और फिर उनके पेंट को चूमा और फिर उनके पेटीकोट को एकदम ुआप्र करके चड्डी को एक तरफ हटते हुए सीधे दे दाना दान धक्के पेल दिए काकी की चुत में…काकी मां तो पष्ट होकर बस धक्को का मजा लेती रही…इन औरतों को जितनी बेरहेमी से चोदा लेकिन ये लोग आहह ऊ ई तक की आवाज़ नहीं निकालती बस इन्हें तो लंड ले ले कीआदात हो जाती है और बस आहें भरती रहती है चाहे इनका भोसड़ा क्यों ना भर दे?
शीतल भी मांझी हुई खिलाड़ी थी….मां को जिस दिन ठंडा किया बेटी दूसरे ही दिन हाज़िर…क्या कारिएन चलो कभी कभी देसी खाना भी कहा लेना चाहिए…..अब तो हमारी शादी शुदा बहाना भाई से खूब जी भरके चुदवाती थी…ऊस्की मोटी मोटी गान्ड इतनी मोटी हो गयी थी की साला बाउन्स करती थी…उसे नंगा करके मैं खूब उसके पिछवाड़े को बाउन्स करवाता था…और फिर दान दाना दान लंड उसके गान्ड में डालकर चोदता था…और फिर वो अपने थूक से भरे मुँह में लंड लेकर जो चुस्ती अफ क्या कहने? जन्नत हो तो यही….मैंने शीतल से वादा किया मैंने उससे शादी की नहीं तो क्या उसे बच्चा तो जरूर दूँगा….शीतल भी अब जी भरके बिना कॉंडम के चुदवाने लगी मेरे पास 6-7 दिन ही था उसके बाद तो उसे वापिस अब जाना था
आख़िरकार शीतल को कुछ ही दीनों में उल्टिया शुरू हो गयी…और ऊसने रामलाल को मुबारकबाद दी जबक इशीतला जानती थी बच्चा तो मेरा है ऊस्की चुत को कब से चोद छोड़कर अपना पानी डाल रहा हूँ ये वो भी जानती है…रामलाल तो अपने होने वाले बच्चे के लिए पागल हो गया और ऊसने जल्दी से शीतल को अपने साथ लेकर चला गया
आख़िरकार खुशी जिंदगी ऐसे ही चलने लगी….एक दिन फोन बजा त्रृिंगगग त्रिंगगग…फोन को उठाते ही एक जानी पहचानी आवाज़ कानों में पड़ी
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