RE: Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति
अनिल का जोश अब बढ़ चुका था क्यू की वो झड़ने की कगार पर था. मरने से पहले जैसे मछली छटपटाती हैं वैसे ही अनिल झड़ने के पहले पूरा ज़ोर लगा कर चोद रहा था.
अनिल ने इतना ज़ोर लगाया की टेबल पूरा हिलने लगा था. डॉली की चूत की क्या हालत थी वो तो डॉली ही जानती थी. अनिल ने अपने हाथ के दोनो पंजो के सहारे अपना सीना उपर उठाया और एक के बाद एक ज़ोर के झटके अपने लंड से डॉली की चूत मे मारे.
पहली बार डॉली की चीख निकली. “आआअहह आआआहह आआहह आआईए” डॉली की थोड़ी और चीखे निकली और उसके बाद अनिल एक बार फिर धडाम से डॉली की छाती पर अपना सीना रखे लेट गया.
अनिल का लंड डॉली की चूत मे गहराई मे गया और वो वही झड़ गया. अनिल का नंगा बदन अभी भी डॉली के नंगे बदन से चिपका हुआ पड़ा था.
अनिल ने अपने आप को संभाला और टेबल से नीचे आ गया और अपने कपड़े फिर पहनने लगा. डॉली भी टेबल पर उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत को देखने लगी.
डॉली ने भी टेबल से उतर कर अपनी पैंटी और ब्रा पहने. अनिल बराबर कपड़े पहनती डॉली को घूर रहा था. थोड़ी देर मे ही दोनो ने अपने कपड़े पहने और फिर से सभ्य लोग बन गये.
डॉली ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अनिल से हाथ मिला लिया. दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को बाइ किया और अनिल वहाँ से चला गया.
अगले ही दिन कॉलेज मे हलचल मच गयी. सबको पता चला की अनिल ने अपना नॉमिनेशन वापिस ले लिया हैं. उसकी पार्टी वाले सन्न रह गये की कल रात मीटिंग मे ऐसा क्या हुआ!
हालाँकि कुच्छ समझदार लोगो को गेस करते टाइम नही लगा की अनिल ने क्या रिश्वत ली होगी. पार्टी ने अनिल को बाहर निकाल दिया. नॉमिनेशन डेट पहले ही निकल चुकी थी तो वो नया कॅंडिडेट खड़ा भी नही कर सकते थे.
बिना इलेक्शन के ही डॉली निर्विरोध इलेक्शन जीत कर कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंट बन गयी. डॉली ने अपना पहला चुनाव बिना लड़े ही जीत लिया था. डॉली की गंदी राजनीति की यह तो सिर्फ़ एक शुरुआत थी.
अगले एपिसोड मे पढ़िए क्या डॉली सेकेंड एअर मे भी इलेक्शन जीत पाएगी.
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अब तक आपने पढ़ा की पॉलिटीशियन सतीश की बेटी डॉली ने अपनी इज़्ज़त का सौदा करते हुए कॉलेज का इलेक्शन बिना लड़े ही जीत लिया था.
डॉली की ज़िद थी की वो कॉलेज के तीनो साल का चुनाव जीतेगी और प्रेसीडेंट बनी रहेगी. सेकेंड एअर मे भी पार्टी ने डॉली को अपना टिकेट दिया.
सामने की पार्टी पिच्छले चुनाव मे हुई गड़बड़ी के बाद संभल चुकी थी. इस बार उन्होने थर्ड एअर मे पढ़ने वाली एक दलित लड़की अभिलाषा को टिकेट दिया.
सारे दलित के वोट उसको मिलने वाले थे. डॉली के सामने ख़तरा था. पिच्छली बार की तरह इस बार तो वो अपनी इज़्ज़त का सौदा भी नही कर सकती थी.
मगर डॉली अपनी ज़िद की पक्की थी. उसको कुच्छ तो करना था यह चुनाव जीतने के लिए. सबको लग रहा था की इस बार भी डॉली कुच्छ ऐसा करेगी की अभिलाषा अपना नॉमिनेशन वापिस ले लेगी.
अभिलाषा की पार्टी ने उसके हॉस्टिल के बाहर पहरा ही बैठा दिया. डॉली या उसके किसी पार्टी वर्कर को अभिलाषा से मिलने ही नही दिया. यहा तक की अबिलाषा का फोन तक वर्कर के पास ही था.
वोटिंग के एक दिन पहले ही कॉलेज के स्टूडेंट्स को एक एमएमएस मिला और कॉलेज मे हंगामा हो गया. हर तरफ अभिलाषा की ही बात हो रही थी.
अभिलाषा का एक सेक्स वीडियो विराल हो चुका था. अभिलाषा ने पोलीस मे डॉली के खिलाफ कंप्लेंट की. मगर डॉली का दोष साबित करना नामुमकिन था.
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