RE: Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति
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अब तक आपने पढ़ा की जय ने अपनी बहन के सामने अपना नॉमिनेशन वापिस लेने के बदले ड्राइवर के बेटे अमर से प्रेग्नेंट होने की शर्त रखी.
मा ज्योति की तरकीब काम आई और जय बिना शर्त नॉमिनेशन वापिस लेने को मान गया. अपनी मा ज्योति को ड्राइवर राजेश के साथ एक कमरे मे बंद देख दोनो भाई बहन कॉलेज निकल जाते हैं.
अब आगे…
जय अपनी बाइक पर बड़ी बहन डॉली को लिफ्ट देकर कॉलेज ले आया.
डॉली: “तुझे क्या लगता हैं, हो गया होगा?”
जय: “क्या?”
डॉली: “राजेश अंकल और मम्मी का. अब तक तो हो गया होगा!”
जय: “छिछोरी कही की. मम्मी के बारे मे ऐसी बात करते शर्म नही आती”
डॉली: “मैं तो सोच रही हूँ की इस उम्र मे कैसे करते होगे!”
जय: “मम्मी आज भी इस उम्र मे आपसे ज़्यादा खूबसूरत लगती हैं”
डॉली: “वो तो मैं भी मानती हूँ. मगर एक ड्राइवर के साथ!”
जय ने डॉली को गुस्से मे देखा.
जय: “राजेश अंकल तो फिर भी अच्छे दिखते हैं. आपने पिच्छले साल इलेक्शन जीतने के लिए किसके साथ करवाया था, याद हैं?”
डॉली: “मैं मज़ाक कर रही थी. मम्मी को अगर खुशी मिलती हैं तो इसमे कोई बुराई नही हैं”
जय: “मगर मैं सीरीयस हूँ. आपने पिच्छेल साल विमल के साथ किसी खुशी से नही किया था. पापा और मम्मी को पता चला तो क्या होगा!”
डॉली: “इलेक्शन जीतने के लिए मैं कुच्छ भी कर सकती हूँ. मैने तो सोचा था की तुझको भी ऑफर दूँगी”
जय: “छ् छी! आप जाओ”
डॉली: “मज़ाक था. तू अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले”
जय: “पता नही, अपने सपोर्टर्स को क्या मूह दिखाउन्गा. अगले साल मुझे टिकेट भी नही देंगे”
डॉली: “मेरा वैसे भी लास्ट एअर हैं कॉलेज मे. मेरी पार्टी से टिकेट दिलवा दूँगी मैं तुझे अगले साल”
जय ने अपना नॉमिनेशन वापिस ले लिया और एक बार फिर डॉली बिन इलेक्शन के ही जीत गयी.
मौसम हर वक़्त एक जैसा नही रहता हैं. नेता सतीश के साथ भी ऐसा ही हुआ. सतीश का नाम एक घौटाले मे आया. सतीश ईमानदार नेता था इसलिए खुद की पार्टी के लोगो के आँख की किरकिरी भी था. किसी ने उसका साथ नही दिया.
उस इलाक़े मे विपक्षी पार्टी का नेता आरके उसका जानी दुश्मन था. कहते हैं की उसी ने यह सब करवाया था. रे-इलेक्शन हुआ और आरके चुनाव जीत गया.
केस चल रहा था औ सतीश जमानत पर बाहर था. आरके ने सतीश को फसाने का पूरा प्लान कर लिया था.
सतीश को लग गया की लंबे समय के लिए जैल जाना पड़ेगा. इसलिए उसने आरके से हाथ मिलाने का फ़ैसला किया. आरके का लेफ्ट हॅंड था उसका सेक्रटरी राज. बहुत चालाक आदमी था.
सतीश ने आरके को अपने घर बुलाया ताकि उसको मना सके. आरके अपने सेक्रटरी राज के साथ सतीश के घर आया. उसका अच्छे से वालेकम किया गया.
सतीश ने हाथ जोड़कर आरके से रिक्वेस्ट की. सतीश की वाइफ ज्योति ने भी आरके से रिक्वेस्ट की ताकि वो सतीश को इस मुसीबत से बाहर निकाल दे.
आरके की उम्र 50 साल थी. उसकी बीवी कुच्छ सालो पहले ही चल बसी थी. उसका एक बेटा संदेश और बेटी सुहानी थे. दोनो ही विदेश मे पढ़ाई कर रहे थे.
आरके ने जब ज्योति को देखा तो उसका ईमान डोल गया. ज्योति 42 की उम्र मे भी गजब की सुंदर तो थी ही. आरके को लगा की एक तीर मे दो निशाने साध सकते हैं.
आरके हमेशा सतीश को नीचा दिखाना चाहता था, उसकी इन्सल्ट करना चाहता था. आज उसके पास मौका था. उसने अपनी गंदी चाल चल दी.
आरके: “सतीश, मुझे तुमसे कोई दुश्मनी नही हैं. आज मैं तुम्हारी हेल्प करूँगा तो कल तुम मेरी हेल्प करोगे. मैं तुम्हे इस घौटाले के इल्ज़ाम से बचा लूँगा. मगर इसके बदले मुझे एक दिन के लिए तुम्हारी बीवी ज्योति चाहिए”
ज्योति और सतीश एक दूसरे की शकल देखने लगे. आरके का सेक्रटरी राज भी अपने मालिक की मंशा भाप गया था. वो तो उसकी रग रग से वाकिफ़ था.
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