RE: Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति
ज्योति: “तुम्हारे जैसे कमीने सेक्रटरी की तो ज़रूरत हैं पर चुदाई के लिए नही”
राज: “अब इतनी भी बुरी चुदाई नही थी”
ज्योति: “मेरी चूत मे अभी भी जलन हो रही हैं. धीरे नही चोद सकता था. मैं कहा भागी जा रही थी”
राज: “चुदाई के टाइम मेरी बीवी को भी जलन होती थी, पर धीरे धीरे आदत पड़ गयी उसको. तुम्हे भी मेरे लंड की आदत पड़ जाएगी तो फिर तुम खूब एंजाय करोगी”
ज्योति: “मेरे सेक्रटरी तो तुम बन जाओ, मगर जिस दिन मुझे देखकर तुम्हारी पैंट मे लंड कड़क हुआ उस दिन तुम्हारा लंड मैं काट दूँगी”
राज: “मंजूर हैं, काट लेना मेरा लंड, मगर अपने दांतो से काटना मेरा लंड. इसी बहाने तुम्हारे मूह मे तो जाएगा”
ज्योति: “मैं जा रही हूँ”
राज: “तो मेरी नौकरी पक्की समझू?”
ज्योति: “तुमने मेरी हेल्प की हैं आरके को फसाने मे. इसलिए तुम्हे नौकरी पर रखती हूँ”
राज: “आज नौकरी पर रख रही हो, एक दिन मुझे अपने बिस्तर पर भी रखोगी, याद रखना”
ज्योति शरमाते हुए वहाँ से जाने लगी. तभी राज ने पीछे से आवाज़ देकर रोका.
राज: “वैसे, यह मेरी ज़िंदगी की बेस्ट चुदाई थी. शायद तुम्हारी ज़िंदगी की भी यह बेस्ट चुदाई होगी. आशा करता हूँ की तुम्हारी चूत मेरे लंड को और भी मौके देगी”
ज्योति वहाँ से अपने घर चली गयी. राज को अभी भी यकीन नही हो रहा था की उसने ज्योति को चोदने का सपना पूरा कर लिया हैं और अब वो सेक्रटरी बनकर ज्योति के हमेशा साथ रह पाएगा.
अगली सुबह आरके का कच्चा चिट्ठा न्यूज़ मे आने लगा था. सतीश एक साजिश का शिकार हुआ था. यह जानकार उसकी पार्टी ने फिर से सतीश को टिकेट देना चाहा पर वो तो रिटाइयर्मेंट ले चुका था.
सतीश की पार्टी ने ज्योति को टिकेट देने की घोषणा कर दी. आरके पर केस चला और जैल भेज दिया गया. आरके का इलेक्शन टिकेट भी कॅन्सल हो गया.
ज्योति के घर मे उसका पति सतीश और बच्चे डॉली और जय बहुत खुश थे की आख़िर आरके को उसके किए की सज़ा मिली. मगर राज को ज्योति का सेक्रटरी बने देखकर उनको आश्चर्य भी हुआ.
राज जिस तरह गंदी नज़रो से ज्योति को देखता था और फिर ज्योति यह देखकर शर्म से नज़रे फेर लेती थी, यह सब कुच्छ डॉली ने भी नोट कर लिया था और उसको शक होने लगा की उसकी मम्मी ज्योति और राज के बीच कुच्छ तो हुआ हैं.
एक दिन डॉली पार्टी ऑफीस मे अपनी मम्मी ज्योति से मिलने पहुचि. अंदर राज और ज्योति ही थे. डॉली बाहर खड़े होकर चुपके से उनकी बातें सुनने लगी.
ज्योति: “तुमको मैने जो काम दिए थे वो करवा दिए?”
राज: “इलेक्शन से जुड़े सारे काम हो गये हैं. कभी अपने लिए भी काम करवा लो. मैं तो रेडी हूँ ही”
ज्योति: “मैने तुम्हे पहले भी कहा हैं, अपने काम पर ध्यान दो”
राज: “एक बार मेरे साथ चुदवा ही चुकी हो, अब क्यू शर्मा रही हो! तुम्हारे बूब्स का साइज़ तो मैने अपने हाथों से मापा हैं, वो मैं कभी नही भूलूंगा”
ज्योति: “हो गयी तुम्हारी बकवास तो काम शुरू करे?”
राज: “तुम्हे देखता हूँ तो बस एक ही काम याद आता हैं. तुम्हारी रस भरी चूत, और वो होंठ. किसमे ज़्यादा रस हैं मैं आज भी कन्फ्यूज़्ड हूँ. एक बार और चख कर देख लू?”
ज्योति: “अगर तुम्हे ऐसे ही काम करना हैं तो तुम्हारी ज़रूरत नही”
राज: “दिन को ना सही, रात के काम के लिए रख लो मुझे.”
ज्योति: “शूट उप, कोई सुन लेगा”
राज: “अच्छा सिर्फ़ एक बार बोल दो की तुम्हे मेरी चुदाई पसंद आई की नही, फिर मैं चुप हो जाउन्गा”
ज्योति चुप हो गयी और कुच्छ नही बोली. राज स्माइल करते हुए और अपनी भो उचकाते हुए उसको चिढ़ाते हुए पूछता रहा.
ज्योति ने जब कोई जवाब नही दिया तो राज अपनी पैंट की चैन खोलने की धमकी देने लगा. ज्योति ने अपना हाथ उपर कर उसको रोका.
ज्योति: “अच्छी थी तुम्हारी चुदाई. अब शांति मिली? पर अभी काम करो और ऑफीस मे यह बकवास करने की ज़रूरत नही हैं”
राज खुश हो गया. बाहर खड़ी डॉली ने यह सब सुना और तँवाव मे आ गयी. वो उल्टे पाव अपने घर लौट गयी. फिर सोचा मम्मी को खुश करने के लिए तो पापा सतीश भी काम नही आते तो मम्मी अपनी खुशी के लिए किसी के साथ चुदवाये तो क्या बुरा हैं.
अगले एपिसोड मे पढ़िए क्या ज्योति का राजनीतिक सफ़र इतना आसान होगा!
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