RE: Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति
ज्योति ब्रेकफास्ट के लिए बाहर आई और अपने दोनो बच्चो को इस हालत मे देख कर हैरान हो गयी. ज्योति की आहट से डॉली और जय का ध्यान उस तरफ गया.
डॉली और जय ने चूमना बंद किया और एक दूसरे से अलग हुए. ज्योति उनको आश्चर्य से अभी तक देख रही थी. फिर डाइनिंग टेबल के करीब पहुचि.
ज्योति: “यह सब कब से चल रहा हैं?”
दोनो बच्चो की बोलती बंद हो चुकी थी और नज़रे नीचे किए बैठे रहे.
ज्योति: “मैं कुच्छ पुच्छ रही हूँ!”
डॉली: “7-8 दिन से. हम आपको बताने ही वाले थे”
ज्योति: “क्या बताने वाले थे! की भाई बहन होकर ऐसी अश्लील हरकत रहे थे. शरम नही आई तुम दोनो को?”
जय: “मगर हम दोनो भाई बहन नही हैं, आपको भी पता हैं”
ज्योति: “मैने तुमको यह सच इसलिए नही बताया था की तुम इस तरह नया रिश्ता बना लो. पहले पता होता तो नही बताती”
डॉली: “मगर इसमे बुराई क्या हैं? हम एक दूसरे को पसंद करते हैं. और …. शादी करना चाहते हैं”
ज्योति: “तुम दोनो का दिमाग़ खराब हैं! दुनिया की नज़रो मे तुम अभी भी भाई बहन हो. यह रिश्ता कभी नही हो सकता”
डॉली: “तो सबको पता लगने दो. फिर तो हमारा रिश्ते मे कोई बाधा नही हैं”
ज्योति: “यह राज बाहर नही जाएगा.मैने तुम दोनो को हमेशा अपने सगे बेटे बेटी माना हैं. मैं यह रिश्ता आक्सेप्ट नही करूँगी”
तभी पीछे से सतीश आया जिसने उनकी सारी बातें सुन ली थी.
डॉली: “पापा, आप ही मम्मी को समझाओ”
सतीश: “ज्योति सही कह रही हैं. तुम दोनो बच्चे यह मान कर चलो की तुम्हे सच नही पता हैं. तुम हमेशा भाई बहन ही बने रहोगे”
डॉली: “नही, मैं और जय शादी कर रहे हैं बस”
ज्योति: “तुम बड़ी हो, जय को समझाने की बजाय तुम खुद ज़िद पर अड़ी हुई हो!”
डॉली: “मेरे और जय के बीच मे सब कुच्छ हो गया हैं”
ज्योति एक नज़र डॉली को तो दूसरी नज़र जय को देखने लगी, जिनसे अपनी नज़रे झुका ली
ज्योति: “तुम दोनो को शर्म नाम की कोई चीज़ नही बची. इतने सालो से एक दूसरे को भाई बहन बोलते थे और अब यह वाला काम!”
डॉली: “आप उस राज के साथ मज़े ले रही थी तब आपको शर्म नही आई?”
सब लोग अब डॉली की शकल देखने लगे.
डॉली: “आइ एम सॉरी, मैने छूप कर देखा और सुना हैं. मम्मी आप पराए मर्द के साथ कुच्छ भी करे तो शर्म नही पर मैं अपने ही भाई के साथ कुच्छ करू तो ग़लत!”
ज्योति: “मेरे पति को कोई ऑब्जेक्षन नही हैं तो तुम्हे क्यू हैं! वैसे भी मैने जो किया वो सतीश जी को न्याय दिलाने के लिए था. आरके अभी जैल मे हैं तो मेरे इस त्याग से, मैने कोई मज़े के लिए नही किया हैं. तुम दोनो ने अब तक जो किया हैं उसको भूल जाओ, फिर से तुम भाई बहन की तरह रहोगे”
दोनो बच्चे अब मम्मी ज्योति की शकल देख रहे थे. वो दोनो एक दूसरे को चाहने लगे थे पर ज्योति उस रिश्ते के खिलाफ थी.
ज्योति: “डॉली और जय, तुम सुन रहे हो?”
जय: “ठीक हैं मम्मी”
डॉली: “जय!! क्या बोल रहे हो. हम दोनो शादी करने वाले थे”
जय: “डॉली दीदी, आईथिंक मम्मी ठीक कह रही हैं”
डॉली: “दीदी!! चूतिया साला. 7 दिन से रोज मेरी चूत मार रहा हैं और अब दीदी बोल रहा हैं. घुस जा अपनी मा के भोस्डे मे. अब आना मत मेरे पास चोदने के लिए”
सतीश: “डॉली…. ज़बान को लगाम दे”
डॉली: “यह जय तो आपका ही खून हैं. मैं तो एक ड्राइवर का खून हूँ, मेरा अच्छा भला यहा कौन सोचेगा! मुझे यहा रहना ही नही हैं, मैं घर छोड़कर जा रही हूँ”
ज्योति और सतीश ने डॉली को रोकने की कोशिश की मगर वो नही मानी. उसने अपना बाग लिया और जाने लगी. ज्योति ने उसको रोकना चाहा, पर वो नही मानी.
ज्योति अपनी एक सहेली के घर चली गयी. उसका दिमाग़ तेज चलने लगा. वो सीधे आरके की पार्टी के पास चली गयी. आरके के पकड़े जाने के बाद वो पार्टी पहले ही दबी हुई थी.
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