Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
10-07-2021, 04:30 PM,
#3
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद


अपडेट-03

में मेरे रूम के किंग साइज़ डबल बेड पर टाँगें पसारे बैठा हुआ था और मेरा मक्खन सा चिकना छोटा भाई अजय मेरे बगल में ही मेरी ओर मुख किए घुटने मोड़ बैठा हुआ था था. आज में अपने लड़कियों जैसे मक्खन से चिकने भाई की गान्ड मारने की पूरी तैयारी के साथ था.
में रातवाली घटना की मुझे जानकारी है, इसका संकेत अजय को पहले बिल्कुल भी नहीं दूँगा. मुझे यह तो पता चल ही गया था कि मेरा
छोटा भाई गान्ड मरवाने का शौकीन है. इसलिए में उससे बहुत खुल कर बिना किसी झिझक के पेश आउन्गा. मेने बात शुरू की,

में: "मुन्ना देख, शहर में आते ही माँ कैसे निखरने लगी है. गाँव में रह कर माँ ने अपनी पूरी जवानी यूँ ही गँवा दी. ना तो उसे पति का ही सुख मिला और ना ही सजने सँवरने का. पिच्छले 15 साल से बिस्तर पकड़े हुए पापा की सेवा का फ़र्ज़ निभाते निभाते माँ ने ऐसे ही जीवन
को अपनी नियती मान लिया है. तूने सुनी ना उसकी बातें; कह रही थी की 46 साल में ही उसके सजने सँवरने के दिन लद गये. हमारे स्टोर
में 60 - 60 साल की बूढ़ी पाउडर लिपस्टिक पोत के तंग स्कर्ट में आती है. तूने देखी ना?"

अजय: "भैया, धीरे धीरे माँ भी शहर के रंग में रंगती जा रही है."

में: "मुन्ना, माँ बहुत ही शौकीन मिज़ाज की और रंगीन तबीयत की औरत है पर गाँव के दकियानूसी वातावरण मे रह कर थोड़ी झिझक रही है. पर अब तुम देखना, माँ की सारी झिझक मिटा कर उसे में एक दम शहरी रंग में रंग पूरी मॉडर्न बना दूँगा. बिना मॉडर्न बने माँ जैसी
शौकीन तबीयत की औरत भला अपने शौक कैसे पूरे करेगी?" यह कहते कहते में अजय के बिल्कुल करीब आ गया और अजय की पीठ सहलाने लगा.

अजय: "हां भैया, पहनने ओढ़ने की तो माँ शुरू से ही शौकीन रही है. यहाँ शहर में आ कर तो माँ दिनो दिन निखरती ही जा रही है.
आजकल तो विलायती क्रीम पाउडर लगा कर माँ का चेहरा दमकने लगा है."

में अजय की पीठ सहलाते सहलाते हाथ को नीचे ले जाने लगा और अपनी हथेली मस्त भाई के फूले हुए चूतड़ पर रख दी. चूतड़ पर हल्के हल्के 3-4 थपकी दी. मेरा 11" का हल्लाबी लॉडा मेरे तंग ब्रीफ में कसा पूरा तन गया था. ब्रीफ के आगे एक बड़ा सा तंबू बन गया था जिस
में फूले हुए लंड का साफ पता चल रहा था. अजय के चूतड़ पर मेरी थापी पड़ते ही उसकी गान्ड में एक सिहरन सी हुई. उसने कनखियों से मेरे ब्रीफ की तरफ देखा और फ़ौरन वहाँ से नज़रें हटा सीधा देखने लगा. तभी मेने कहा,

में: "तू तो अब पूरा बड़ा हो गया है. अब पहले जैसा मेरा गुड्डे सा प्यारा प्यारा मुन्ना नहीं रहा जिसे में गोद में बिठा कर उसके गोरे गोरे मक्खन से फूले गालों की पुच्चिया लेता था. क्यों मुन्ना अब तो तू पूरा बड़ा और जवान हो गया है ना? अब तो तू मेरी गोदी में भी नहीं बैठेगा. पर
मेरे लिए तो अभी भी तुम वही गुड्डे सा मखमल सा गुदगुदा प्यारा प्यारा मुन्ना है जिसे अभी भी अपनी गोद में बैठा कर खूब प्यार करने का
मन करता है. क्यों में ठीक कह रहा हूँ ना? क्या भैया की गोद में बैठेगा?"

अजय: "भैया आपसे बड़ा तो में कभी भी नहीं हो सकता. आपके लिए तो में अभी भी पहलेवला वही मुन्ना हूँ पर भैया आप ही बताओ क्या
अभी भी में इतना छोटा हूँ कि आप मुझे अपनी गोद में बैठा कर खिलाएँ."

में: "हां तेरी यह बात तो सच है, अब तू पहले वाला गुड्डे सा मुन्ना तो नहीं रहा है जिसे तेरे बड़े भैया अपनी गोद में बैठा कर तेरे गोरे गोरे फूले फूले गालों का चुम्मा लें.. देख तेरे में क्या मस्त जवानी चढ़ रही है और दिन प्रति दिन चिकना और जवान होता जा रहा है. अरे तुझे पता नहीं चल रहा है कि तू इतना मस्त हो गया है जिसे देख कर वहाँ गाँव की लड़कियाँ और औरतें आहें भरती होगी और तेरे साथ सोने के
लिए उनका जी मचलता होगा. लड़कियों की तो छोड़ तेरी चढ़ती जवानी देख कर तो तेरे भैया में भी मस्ती चढ़ती जा रही है. अब देख तेरे भैया भी तुझे अपनी गोद में बैठा कर तेरे से प्यार करना चाहते हैं."

अजय: "भैया आपकी बातें आज कुच्छ अटपटी सी लग रही है. पहले तो आपने कभी भी मेरे से इस तरह की बातें नहीं की. आज भैया आपको क्या हो गया है?"

में: "अरे आज तक तो में तुझे ऐसा प्यारा सा छोटा मुन्ना ही समझता आ रहा था जिसे अपनी गोद में बिठा कर प्यार किया जाय. पर अब तो तू खुद ही कह रहा है कि तू इतना छोटा भी नहीं रहा कि में तुझे अपनी गोद में बैठा लूँ तो चल तुझे बराबर का दोस्त समझ लेता हूँ. अब इस रात में अकेले में दो दोस्त खुल कर मस्ती भरी बातें नहीं करेंगे तो तू ही बता ऑर क्या करें. अब तो तूने भी वहाँ गाँव में लड़कियों को
लाइन मारनी शुरू कर दी होगी. कोई पटाखा लड़की देख कर तेरा खड़ा हो जाता होगा ऑर उसे चोदने का दिल करता होगा." अब में
अपने प्यारे से मुन्ना से अश्लील बातें करने लगा और वह कैसे रिक्ट करता है यह जानने पर उतर आया.

अजय: "भैया आप अपने छोटे भाई से इस तरह की गंदी बातें कैसे कर सकते हैं? आपको शर्म आनी चाहिए." अजय ने यह बात कुच्छ
तेज़ आवाज़ में ऐसे कही जैसे उसे मेरे मुख से यकायक ऐसी बात सुन कर विश्वास ना हो रहा हो.

में: "यार में तो तुझे बराबर का दोस्त समझ कर ऐसी बात कर रहा हूँ. इसमें मेने ग़लत क्या कहा? कोई पटाखा माल देख कर भाई मेरा तो नीचे तन्तनाने लग जाता है. देख भैया से पूरा खुलेगा तभी तुझे भी पूरा मज़ा आएगा. मुझे पता है कि तू पूरा जवान हो गया है और मस्ती करने और देने लायक हो गया है. अच्छा मुन्ना ईमानदारी से बता तेरा खड़ा होता है या नहीं." मेने यह बात अजयकी आँखों में आँखें डाल कर कही. मेरी बात सुनते ही उसका चेहरा कनपटी तक लाल हो गया और वह एकटक मेरी आँखों में देखने लगा. अजय इस समय उसी प्रकार
रिक्ट कर रहा था जैसे कि एक छोटा भाई जिंदगी में पहली बार अपने बड़े भैया से इस प्रकार की अन्नॅचुरल बात सुन कर करता है. में मन ही मन फूला नहीं समा रहा था. अब तो में इसके अल्हड़ पन, झिझक और शर्म का खुल के धीरे धीरे पूरा मज़ा लूँगा. अभी में अजय पर यह
बात बिल्कुल प्रगट नहीं करूँगा कि मुझे उसकी रात वाली हरकत का पूरा पता है. तभी उसके नॅचुरल रिक्षन और झिझक का पूरा आनंद आएगा.

अजय: "भैया आप कैसी बात पूच्छ रहे हैं? आपके मुखसे यह सुन कर मुझे आपसे शर्म आने लग गई है पर आप मेरे बड़े भाई हो कर
भी आपको मेरे से ऐसा पूच्छने में कोई शर्म नहीं आ रही है." मुन्ना ने नीचे गर्दन किए हुए धीरे से कहा.

में: "मुझे पता है तू पूरा बड़ा और जवान हो गया है पर अपने ही भैया से शरमाता है. देखो में तुमसे कितना खुला हुआ हूँ जो बिल्कुल नॉर्मल तरीके से यह एक नॅचुरल सी बात पूच्छ रहा हूँ. अब तू भी पूरा जवान हो गया है और में भी पूरा जवान हूँ और में जवानी का मज़ा लेना चाहता हूँ और फिर तेरे जैसे मस्त भाई का साथ है तो मुझे तो यही सूझा कि आज अपने मुन्ना से बिल्कुल खुल कर मन की बातें करें. यह जवानी की उमर ही ऐसी है. जब खड़ा होता है तो बिल ढूंढता है, फिर चाहे आगे का हो या पिछे का. अब यार तुम तो ऐसे चिढ़ गये
जैसे खड़ा होना तेरे लिए कोई नई बात हो. तो क्या तेरा खड़ा भी होता है या नहीं; यदि होता है तो कम से कम यह तो बता दो कि कब
से खड़ा हो रहा है? अब यह तो समझ रहा है ना कि में किसके खड़े होने की बात कर रहा हूँ." में मुन्ना को धीरे धीरे अपने से खोल रहा
था और साथ ही उसके अल्हाड़पन और झेंप का भी भरपूर मज़ा ले रहा था. मेने पिछे के बिल की बात करके अपने इरादे का संकेत दे
दिया था. में ऐसे मस्ताने छोटे भाई को धीरे धीरे पटा कर जिंदगी में पहली बार उसकी गान्ड मारने का भरपूर मज़ा लेना चाहता था

अजय: "भैया आपने मुझे नामर्द समझ रखा है क्या? मेरी उमर में आ कर हर लड़के का खड़ा होता है तो मेरा क्यों नहीं होगा? आप मेरे से गंदी गंदी बातें शायद इसलिए कर रहे हैं कि बाद में मेरे साथ गंदा काम भी करने का इरादा रख रहे हैं. में सब समझ रहा हूँ. पर एक
बात कान खोल कर सुन लीजिए में आपको मेरे साथ कुच्छ भी नहीं करने दूँगा." मुन्ना ने कुच्छ तैश में आ कर जबाब दिया क्योंकि मेने
उसकी मर्दानगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था. अब उसके हाव भाव से मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और में इस झेंप का पूरा मज़ा ले रहा था.

में: "देख मुन्ना तू अपने ही भैया से इतना शर्मा क्यों रहा है? जो लड़के बड़े होने लगते हैं उनका खड़ा तो होता ही है. जो नामर्द होते हैं उनका खड़ा नहीं होता. हमारा मुन्ना तो अपने भैया के जैसा गबरू जवान बनेगा तो मुन्ना का खड़ा क्यों नहीं होगा. अरे तब तो तेरा भी मेरा जैसा मस्त लॉडा बन गया होगा. लॉडा, समझ रहा है ना 'लॉडा'; तेरे भैया का तो पूरा मस्त लॉडा है. एक बित्ते का मस्ताना हलब्बी लॉडा. बोल भैया का लॉडा देखेगा? अच्छा बता जब खड़ा होता है तब चमड़ी से सुपारा पूरा बाहर आ जाता है या नहीं? अब तो मुन्ना अपने लंड की मुट्ठी मार कर रस भी झाड़ने लगा होगा. बताओ तुम्हारे लंड से रस निकलता है या नहीं." अब में बिल्कुल खुल्लमखुल्ला रूप में आने लगा.

अजय: "भैया आप बड़ा भाई हो कर अपने छोटे भाई से ऐसी गंदी बातें कैसे पूछ सकते हैं? आप बहुत गंदे हैं, में तो आपको बहुत सरीफ़ और सभ्य समझता था पर आप तो अपने छोटे भाई की ही लाइन मार रहे हैं. आप चाहते हैं ना कि में भी आपके साथ आपकी तरह ही गंदी गंदी बातें करूँ. में आपके जितना बेशर्म तो नहीं हो सकता फिर भी लीजिए और इतना तो सुनिए; हां चमड़ी के खोल से पूरा सुपारा बाहर निकल आता है. मूठ तो कभी कभी ही मारता हूँ. पर मेरी बिल्कुल पर्सनल इन सब बातों को जान कर आप क्या करेंगे? आख़िर मेरे मुखसे ये सब सुन कर अब तो आप खुश हो गये हैं ना." अजय ने यह बात कुच्छ झुंझलाहट के साथ कही.

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