RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-04
में: "अरे तू तो पूरा जवान हो गया है. जब लंड से रस निकलता है तब कितना मज़ा आता है. पर तू तो एक पूरा मर्द हो कर ऐसे नखरे दिखा रहा है जैसे एक ताज़ी ताज़ी जवान हुई लौंडिया नखरे दिखाती है. तुझे तो बनानेवाले ने भूल से लड़का बना दिया है जबकि तुझे तो लड़की होना चाहिए था. तेरे चेहरे पर तो अभी तक ऑर लड़कों के जैसे दाढ़ी मूँछ ही नहीं आई है. तेरे तो लड़कियों के जैसे बिल्कुल चिकने गाल है, रंग भी बिल्कुल गोरा चिटा और चमड़ी भी लड़कियों जैसी मखमल सी कोमल और गुदगुदी है. और जो सबसे बड़ी बात जो तुझे मर्दों से अलग करती है वाह है तेरी औरतों जैसी फूली फूली मतवाली गान्ड. तू तो यार लड़कियों जैसे नखरे भी दिखा रहा है. चल अब अपने बड़े भैया
के सामने पूरा मर्द बन कर दिखा और यह लौन्डिया के जैसे तुनकना छोड़. अब मेरी बात ध्यान से सुन, रात में जब कोई सपना वपना देख कर अपने आप झड़ता है तब उतना मज़ा नहीं आता. लंड के रस निकालने के ऑर भी कई बहुत ही मजेदार तरीके हैं. जितना मज़ा दूसरे के साथ आता है उतना मज़ा अपने आप झाड़ने में नहीं आता. जिससे मन मिलता है, जिससे प्यार है उससे मज़ा लेने में कोई बुराई थोड़े ही है
. पर तुम तो बात करते ही तुनक रहे हो. तुम चाहो तो में तुम्हे जवानी के मज़े लेने के कई मजेदार तरीके सीखा सकता हूँ. तुम्हे इतना मज़ा आएगा की मेरी तरह यह खेल खेलने का तू खुद भी दीवाना हो जाएगा."
अजय: "छी भैया दो लड़के आपस में मुझे तो सोच कर ही कैसा लग रहा है और आप इस में मज़ा देख रहे हैं. दो लड़कों को भला आपस में क्या मज़ा आएगा. भले ही में आपकी नज़र में एक लड़की जैसा हूँ पर हाक़ूईक़त में तो एक लड़का ही हूँ ना. आप तो सचमुच में मुझे
एक लड़की समझ मज़ा लेने के लिए पटाने लग गये हैं. आपको आज क्या हो गया है? छी भैया आप अपने छोटे भाई के साथ गंदा काम करना चाहते हैं. आपको इस में शर्म आए या नहीं आए पर मुझे तो बहुत शर्म आ रही है."
में: "अच्छा एक बात ईमानदारी से बताओ ऐसी बातें इस एकांत रात में सुन कर तेरे लंड में हलचल हो रही है या नहीं? उस में एक मीठी मीठी गुदगुदी सी हो रही है या नहीं. मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लॉडा ज्वालामुखी की तरह भीतर से उबल रहा है और उस के भीतर भरा हुवा पिघला लावा बाहर निकलने के लिए मचल रहा है. अब भाई तुम्हारी बात दूसरी है पर ऐसी बातें सुन लड़कियों की चूत और गान्ड में
भी खाज चलने लगती है. देखो मेरे ब्रीफ में लॉडा कैसे तन गया है और ब्रीफ फाड़ कर बाहर निकलने के लिए मचल रहा है." गान्ड शब्द मेने जान बूझ कर जोड़ दिया. साथ ही यह बात कहते हुए मेने मेरे ब्रीफ में फूले हुए लंड की तरफ भी इशारा किया. आजे ने एक बार मेरे ब्रीफ में ताने हुए लंड की तरफ़ देखा और फ़ौरन वहाँ से नज़रें हटा ली.
अजय: "भैया आप बातें ही ऐसी गंदी गंदी कर रहे हो कि किसी का भी लंड ऐसी गंदी बातें सुन खड़ा तो होगा ही. मेरा भी खड़ा हो गया है तो इस में नई क्या बात है? में सब समझ रहा हूँ. आप मेरे से उत्तेजित करनेवाली बातें कर मुझे उत्तेजित कर मेरे साथ मनमानी करना चाहते हैं."
में: "देख मुन्ना जब लंड खड़ा होता है तो उसे फिर शांत भी करना पड़ता है. तुम्हे तो मुट्ठी मार कर शांत करने की आदत पड़ी हुई है, पर में मूठ मारते मारते थक गया हूँ. फिर तुम्हारे जैसे चिकने भाई का साथ है. मेरा तो मन कर रहा है कि क्यों ना हम दोनो भाई मिल कर
आज मज़ा लें और अपने अपने खड़े लंड एक दूसरे की मदद से शांत करें. तुम चाहो तो मज़ा लेने का बहुत ही अनोखा और मजेदार
तरीका में तुम्हारे साथ यह मज़ा लेकर तुझे समझा सकता हूँ. अरे एक बार अपने भैया के साथ यह मज़ा ले कर तो देखो. यदि तुम्हे मज़ा
नहीं आए तो बीच में ही छोड़ देना."
अजय: "भैया आप यह मज़ा लेने में मेरे साथ कुच्छ करेंगे तो नहीं ना? मुझे कुच्छ भी समझ में नहीं आ रहा है कि आपका क्या प्लान है और साथ में मन में एक डर सा भी लग रहा है." अजय आख़िर इस मज़े का शौकीन था सो वह लाइन पर आने लगा पर मेरे सामने नादान बन रहा था. मेने भी अब गरम लोहे पर चोट की.
में: "अब भाई यह तो मुझे कैसे पता चलेगा कि कुच्छ करने से तेरा क्या मतलब है? पर क्या तुझे अपने भैया पर विश्वास नहीं है? में तुम्हारे साथ ऐसा कुच्छ भी नहीं करूँगा जिससे तुमको थोड़ी सी भी तकलीफ़ हो. आख़िर में तुम्हारा बड़ा भाई हूँ और तुम्हे थोड़ी सी भी तकलीफ़ कैसे दे सकता हूँ. तुम्हारी एक 'उफ़' भी मेरे दिल पर सौ घाव कर देती है. तुम्हारे साथ इतने प्यार से यह जवानी का खेल खेलूँगा कि देखना तू
पूरा मस्त हो जाएगा और भैया के साथ यह खेल रोज खेलने का दीवाना हो जाएगा. इतने प्यार से करूँगा कि तुझे पता तक नहीं चलने दूँगा. फिर तेरे साथ ऐसे ही जवानी की मस्त बातें करता रहूँगा कि तुझे दर्द का पता ही नहीं चलेगा." मेने बातों ही बातों में साफ संकेत दे दिया
कि में आज अपना हल्लाबी लॉडा तेरी गान्ड में पेलूँगा. फिर मेने बात पेलेटते हुए कहा,
में: "मेरा मुन्ना भी माँ की तरह पूरी रंगीन तबीयत का है. माँ मज़े लेने की पूरी शौकीन है तो तुम भी तो जवानी का मज़ा लेने का पूरा शौकीन दिखते हो. देखो तेरे उपर क्या मस्त जवानी चढ़ि है. एक दम माँ जैसी मस्त औरत की तरह दिख रहे हो. अरे मुन्ना में तो तुम्हें सीधा
साधा और भोला भाला समझता था पर तुम तो पुर छुपे रुस्तम निकले. तूने तो गाँव के खुले वातावरण में खूब मस्ती की होगी और लोगों
को करवाई होगी?" अब में रातवाली घटना का जिकर कर उस पर मानसिक तौर पर पूरा हाबी होना चाह रहा था.
अजय: "भैया आप कैसी बात पूच्छ रहे हैं. मेने तो आज तक किसी लड़की या औरत की ओर आँख उठा कर भी नहीं देखा है. वो तो आप
जैसे चालू लोगों का काम है. यहाँ आपके स्टोर में एक से एक बढ़ कर खूबसूरत छोकरिया है आपने तो ढेरों पटा रखी होगी."
में: "अरे मुन्ना नहीं. मेरी आजकल की छोकरियो में कोई दिलचस्पी नहीं है. तू तो यार अब मेरे बराबर का हो गया है और बिल्कुल दोस्त जैसा है इसलिए तुझे दिल की बात बताता हूँ. मुझे तो माँ जैसी बड़ी उमर की भरेपूरे बदन की मस्त औरतें पसंद है जिनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ
हो और भारीभरकम गान्ड हो." अब में छोटे भाई के चूतड़ सहलाते सहलाते अपनी इंडेक्स फिंगर से उसकी बर्म्यूडा शॉर्ट के उपर से गान्ड खोदने लगा.
अजय: "पर भैया आप मेरे साथ यह क्या कर रहे हैं. मेरे पिछे से अपना हाथ हटाइए. आपका क्या इरादा है मेरी कुच्छ भी समझ में नहीं आ रहा है. आज से पहले तो आपने ना तो कभी मेरे से ऐसी बातें की और ना ही मेरे साथ ऐसी गंदी हरकतें की. आप किसके साथ यह सब कर रहे हैं यह भी आपने नहीं सोचा. में कोई लड़की थोड़े ही हूँ जो मेरे साथ आप ये सब करने की सोच रहे हैं."
में: "अरे मुन्ना तुम तो बूरा मान गये. में तो तुझे बराबर का दोस्त समझ कर मन की बात कर रहा था. फिर तुम यार हो ही इतने मस्त कि हाथ सरक कर अपने आप तुम्हारी सही जगह पर पहुँच गया. पर तुम इतना बूरा क्यों मान रहे हो? लगता है तुम अपनी इस मस्त चीज़ का मज़ा लेने के पुर शौकीन हो. इसकी मस्ती लेने का तुम्हे चस्का लगा हुआ है. अरे माँ जैसे मज़ा लेने की शौकीन है वैसे ही तू भी पूरा मज़ा लेने के शौकीन हो. में माँ का इतना ध्यान रखता हूँ और जो मज़ा उसे आज तक पिताजी से नहीं मिला वह सारा मज़ा में उसे देने की कोशिश
कर रहा हूँ. मेरी बात समझ रहा है ना कि में माको कैसा मज़ा देना चाहता हूँ. पर तू तो माँ से भी दो कदम आगे है. तू मेरा इतना प्यारा
, लाड़ला मेरा छोटा भाई है और उपर से पूरा शौकीन भी है तो तुझे में तरसने थोड़े ही दूँगा." मेरी बात सुनते ही अजय का चेहरा लाल हो गया
. उसने नज़रें झुका ली और वह मेरी ब्रीफ में तने हुए मेरे लंड को एक टक देखने लगा. तभी अजय ने कहा,
अजय: भैया आपका माँ के बारे में जब इतना गंदा ख़याल है तो आप छोटे भाई की क्या परवाह करेंगे. क्या आप मर्दों के साथ भी ये सब करने के शौकीन है?"
अब में अजय की फूली हुई गांद पर हाथ फेरने लगा. हाथ फेरते फेरते उसका गुदाज चूतड़ मुट्ठी में कस लेता और ज़ोर से दबा देता. फिर भाई को अपनी और खींच कर उसे अपने सामने घुटने के बल खड़ा कर लिया लिया और उसकी आँखों में झाँकते कहा, "मेरा मुन्ना बड़ा प्यारा, चिकना मस्त बिल्कुल नई नई जवान हुई छोकरी जैसा है और तुम्हारी यह फूली फूली चीज़ तो बिल्कुल अपनी माँ के जैसी मस्त है. अब भाई माँ की तो मिलते से मिलेगी पर तुम्हारी तो इतनी मस्त चीज़ मेरे सामने है. भाई मेरी तो इस पर नियत खराब हो गई है. तुम भी तो
कम नहीं हो , अपनी इस मस्तानी चीज़ का खुल के मज़ा लूटते हो और गाँव वालों को भी इसका स्वाद चखाते आ रहे हो. अब भाई
इसका मज़ा खाली गाँव वालों को ही दोगे या फिर अपने भैया को भी इसका स्वाद चखाओगे या नहीं?" अब में शॉर्ट के उपर से उसकी
गान्ड में अंगुल करने लगा और बोला, "अब भैया का इस गोल छेद पर मन आ गया है. तेरे इस गोल छेद का खुल के मज़ा लेंगे. क्यों देगा ना?"
अजय: "आप बड़ा भाई हो कर छोटे भाई से कैसी बात पूच्छ रहे हैं. भैया आपने मुझे क्या समझ रखा है जो वहाँ गाँव में हर गाँववाले के
आगे अपनी पॅंट नीची करता फिरे. आप मेरे प्रति इतना गंदा इरादा कैसे रख सकते हैं?"
में: "अरे शरमाता क्यों है? मुन्ना तुम हो ही इतना मस्त, मक्खन सा चिकना, इतना प्यारा की किसी का भी खड़ा कर दो. जब से मुझे पता चला कि तुम शौकीन हो तो मेरा भी लौडेबाजी का शौक जाग उठा. मुझे सब पता है कल रात तुम कितना मस्त हो कर मेरे खड़े लंड पर अपनी फूली फूली गान्ड कैसे दबा रहे थे. अरे उपर उपर से जब इतना मज़ा है तो अब खुल्लम खुल्ला दोनो भाई इस खेल का पूरा मज़ा लूटेंगे. अब भाई हम तो तुम्हारी इस मस्तानी गान्ड का पूरा मज़ा लेंगे." यह कह में भी अजय के सामने घुटने के बल खड़ा हो गया और उसके होंठों
पर अपनी ज़ुबान फिराने लगा. में अपने छोटे भाई को बहुत ही कामुक भाव से देखता हुवा उसकी लाज शरम से भरी कमसिनी पर लार टपका रहा था. में उसके साथ खुल के ऐयाशी करना चाहता था. ऐसे मस्त चिकने लौन्डे के साथ लौड़ेबाज़ी का पूरा लुफ्त लेना चाहता था
. अजय के होंठो पर कामुक अंदाज़ में ज़ुबान फेरते फेरते मेने उसके गुलाबी होंठ अपने होंठों में कस लिए और भाई के होंठों का रस्पान करने लगा.
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