RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-05
मेरी बात सुनते ही अजय का झूतमूत का विरोध करने का सारा हौसला पस्त पद गया और वा बेड पर चुपचाप बैठ गया में भी उसकी बघल में बैठ गया. मेरा 11" लूंबा और 4" मोटा हल्लाबी लॉडा फुफ्कार मार रहा था. वा ब्रीफ फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था. अजय के प्रति आज तक जो मेरे मान में स्नेह भरा प्यार था वा अब वासनात्मक प्यार बन गया था. में अपने खड़े लंड को ब्रीफ के उपर से पकड़ हिला हिला नीचे देखते हुए अजय को दिखाने लगा. साथ ही उसके गोरे गालों पर स्नेहभरा हाथ भी फेर रहा था. फिर मेने कहा'
में: "मुन्ना देख ब्रीफ में कैसे तेरेवाली में जाने के लिए मचल रहा है. जबसे इसे पता चला है की तू गांद मरवाने का शौकीन है तब से यह मचल उठा है. एक बार मेरेवालेका मज़ा लेलेगा ना तो भैया का दीवाना हो जाएगा. तेरी बहुत प्यार से पूरी चिकनी करके लूँगा. बोल भैया से पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना. आज में जैसा तेरा मज़ा लूँगा वैसा मज़ा गाँव में तुझे गाँववालों से कभी भी नहीं मिला होगा."
अजय: "भैया बगल के कमरे में मा सोई हुई है कहीं मा को पता चल जाएगा तो मा हम दोनो भाइयों के बारे में क्या सोचेगी?" अब अजय छुड़ाने को आतुर लौंडिया की तरह बोला की छोड़ तो लो पर कहीं कोई देख लेगा तो.
में: "अरे मा की चिंता छ्चोड़. उसके पास तो आगेवली भी है और पिच्छेवली भी है. जब तुम से पिच्छेवली की खाज बर्दास्त नहीं होती तो अपनी मस्त और मज़े लेने की शौकीन मा आयेज और पिच्चे दोनो जगह की खाज कैसे बर्दास्त करती होगी? पता चल जाएगा तो देखना दोनो भाइयों को आगेवली का और पिच्छेवली का दोनों का स्वाद चखाएगी. पर मुन्ना, मा राज़ी राज़ी देगी तो तू मा की लेलेगा ना?"
अजय: "भैया आप बहुत गंदी गंदी बातें करते हो. आप लेने की बात कर रहे हो मेरा तो माके सामने खड़ा तक नहीं होगा."
में: "अभी तो सिर्फ़ बातें ही की है लेकिन जब तुम्हारी ये मक्खन सी मुलायम गांद तबीयत से लूँगा तब देखना तुम खुद ही पिच्चे तेल तेल मरवाओगे. जैसी तुम्हारी भैया मारेंगे ना वैसी तुम्हारी आज तक किसी ने भी नहीं मारी होगी." अजय को ब्रीफ के उपर से लंड दिखाते हुए, "देख भैया का जब यह धीरे धीरे अंदर जाएगा ना तो तुम सबको भूल जाएगा. इसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ भैया से ही मरवाएगा. बोल भैया को अपने उपर चढ़ाएगा ना?"
अजय: "मुझे शरम आती है. मुझे कुच्छ भी नहीं कहना. आप जो चाहो वो करो. में सब समझ रहा हूँ. आज आप अपने छ्होटे भाई को छ्चोड़नेवाले नहीं है तो मेरे से पूच्छ क्यों रहे हैं?" में गांद मरवाने के शौकीन छ्होटे भाई के इस समर्पण पर मार मिटा.
में: "अरे तुम तो सुहग्रात के दिन जैसे दुल्हन शरमाती है वैसे शर्मा रहे हो. भाई तुम्हारी इस अदा पे तो हम फिदा हो गये. हुँने तो आज से तुमको ही अपनी दुल्हन मान लिया. आज तो तेरे सैंया तेरा खुल के मज़ा लेंगे." यह कह मेने अजय के शॉर्ट में हाथ डाल दिया और उसके गांद के च्छेद में अंगुल धंसा दी और कहा, "अरे तेरी तो भीतर से भट्टी जैसी गरम है. इसमें जाने से भैया का तो राख में जैसे सकर्कंड सिकटा है वैसा स्क जाएगा. क्यों भैया का सिका हुवा सकर्कंड खाएगा? खेतों के सकर्कंड भूल जाएगा."
अजय: "भैया आप बहू चालू हो. अपने कमसिन छ्होटे भाई पर भी लाइन मारने की लिए उतारू हो गये. आप माको पता लो. पर मेरे साथ ये सब मत करो मुझे आपसे बहुत शर्म आती है."
में: "अरे शरमाता क्यों है. माको तो पतावँगा ही. पर माका स्वाद अकेला थोड़े ही चाखूँगा. तुझे भी उस मज़े में शामिल करूँगा. देख भैया से पूरा खुलगा नहीं तब इस खेल का पूरा मज़ा नहीं आएगा. तेरे भैया आज दिल खोल कर तेरी गांद मारेंगे तो तू भी अपने भैया से दिल खोल कर गांद मरवा. अच्छा मुन्ना देख भैया का हल्लाबी लॉडा ब्रीफ में कैसे मचल रहा है. अच्छा मुन्ना बता ना, इसे कौन से मुख से खाएगा? नीचेवालेसए या उपरवाले से."
अजय: "भैया आप जिस भी मुख में देंगे वही मुख आपके इस मस्ताने के लिए खोल दूँगा. आप भैया कैसी गंदी गंदी बातें कर रहे हैं?" उसकी बात सुन मेने उसे मेरे सामने चोपाया बना दिया और उसका बर्म्यूडा चड्डी सहित नीचे सरका टाँगों से बाहर निकाल दिया. अजय की एकदम चिकनी, फूली हुई बिल्कुल गोरी गांद अपनी पूर्ण च्चता के साथ मेरी आँखों के सामने थी. बीचों बीच बड़ा सा खुला हुवा गोल च्छेद मुझे निमंत्रण दे रहा था. गोल च्छेद से भीतर का गुलबीपन साफ दिख रहा था. में अपने चिकने भाई की मस्त गांद के मदहोश कर देने वेल नज़ारे से कई देर तक नयन सुख लेता रहा. में सपाट गांद पर हाथ फेर रहा था. बीच बीच में अंगुल से गांद का च्छेद भी खोद देता था. फिर दोनो हाथों से गांद का च्छेद फैलाया तो अजय की गांद छोड़ी होने लगी. में बहुत खुश हुवा की यह मेरा 11 का लंबा और मोटा लंड आराम से अपने अंदर लेलेगा.
फिर मेने भाई को अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी बानयन भी निकल दी. भैया का प्यारा मुन्ना पूरा नंगा मेरी गोद में बैठ हुवा था. में अजय के फूले हुए गालों को मुख में भर रहा था. मस्त भाई की लड़की जैसी जवानी पर में अत्यंत कामुक हो लार टपका रहा था. फिर मेने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए और उन्हें चुभलाने लगा. अजय की च्चती पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे जब की मेरी च्चती पर काफ़ी थे. अजय के स्तन हल्के उभार लिए हुए थे. में उन्हें धीरे धीरे दबाता जा रहा था और उसके मुँह में अपनी ज़ुबान तेल रहा था. कभी उसके निपल भी चींटी में ले हल्के मसल देता. मुझे भाई का साथ ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था. तभी मेने हाथ नीचे करके अजय का लंड पकड़ लिया. अजय का लंड बिल्कुल सख़्त था. मेरी इच्छा भाई के लंड को देखने की और उससे खिलवाड़ करने की होने लगी. मेने अजय का मुख मेरी ओर करके उसे घुटनों के बाल खड़ा कर लिया. अजय ने अपने हाथ अपने लंड पर रख लिए और आँखें बंद कर ली.
अजय का करीब 10" लंबा और 3" मोटा लंड मेरी आँखों के आयेज पूरा ताना हुवा था. बिल्कुल सीधे लंड के आयेज गुलाबी सूपड़ा बड़ा प्यारा लग रहा था. उसके अंडकोष कड़े थे. अजय की झाँटेन बहुत ही कम थी और उसकी दाढ़ी की तरह बहुत कोमल थी. छ्होटे भाई के कठोर मस्ताने लंड को देख कर मुझे कोई शक़ नहीं रहा की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है, यह अलग बात है की उसके शरीर में कई लड़कियों वेल चिन्ह भी थे जैसे बहुत हल्की दाढ़ी और मूँछचे, लड़कियों जैसे फैले और छोरे नितंब, त्वचा की कोमलता, शरीर में खाश कर चेहरे पर कमसिनी, शर्मिलपन और सबसे बढ़कर बात की मर्दों को देने के लिए लालायित रहना जो उस जैसी उमरा की लड़कियों में कुदरती दें होती है.
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