RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-06
मेरे छ्होटे भाई का 10" का मस्ताना लंड मेरे आयेज ताना हुवा था. लंड बिल्कुल सीधा और सपाट था. में बहुत खुश था की मेरा भाई एक पूर्ण मर्द है. में अजय के लंड को मुट्ठी में भींच उसके कठोर्पन को महसूस करने लगा और बड़े चाव से उसे दबा दबा के देख रहा था. उसके दोनो अंडकोषों को हथेली में रख उपर की ओर झटका दे रहा था. पिच्चे उसके गुदाज चुततादों पर हथेली रख उसे अपनी मर्दानी च्चती पर दबा रहा था और उसके लंड के कडेपन को च्चती पर महसूस कर खुश हो रहा था.
में: "मुन्ना, जितनी मस्त तेरी गांद है उतना ही मस्त तेरा यह प्यारा सा लंड है. तू तो पूरा जवान गबरू मर्द है रे. तेरे जैसे मर्डाने भाई की मस्ती करते हुए, बोल बोल के गांद मारने में जो मज़ा है वा दूसरे किसी की मारने में तोड़ा ही है. अरे मारनी है तो किसी तेरे जैसे कमसिन लौंदे की मारो जिसे मराने में मज़ा आता हो और खुशी खुशी मराए, जिसे पूरा पता हो की उसके साथ क्या हो रहा है. कुच्छ लोग भोले भाले बच्चों को बहला फुसला के अपनी हवस मिटाते हैं तो कुच्छ तो इतने गिर जाते हैं की हिंजदों को पैसे देके उनकी ठोकते हैं और कई तो ऐसे बुद्धों की भी मिल जाती है तो ले लेते हैं जिनकी जवानी ढाल चुकी है और जिनका खड़ा तक नहीं होता. तेरे भैया तो ऐसे लोगों पर थूकते हैं. मुझे तेरे जैसा ही मस्त, मक्खन सा चिकना लौंडा चाहिए था जो पूरा मर्द हो और मराने का शौकीन हो. क्यों पूरा मस्त होके मज़ा लेगा ना?"'
अजय: "हन भैया. जब आपने मुझे पता कर पूरा बेशर्म बना ही लिया है तो में भी पिच्चे नहीं रहूँगा. अपने राजा भैया से खुल कर मज़ा लूँगा. आप भी तो अपना दिखाओ ना. में भी अपने प्यारे भैया के गुड्डे से खेलूँगा उसे बहुत प्यार करूँगा."
में: "हन मुन्ना तो तू भैया का मुन्ना देखेगा. क्या भैया के साँप के साथ खेलेगा. पर देखना मेरा साँप बहुत ज़ोर से फुफ्कार मारता है, और कहीं उसको तुम्हारा बिल दिख गया तो उसमें फ़ौरन घुस जाएगा." यह कह मेने फ़ौरन ब्रीफ टाँगों से बाहर कर दिया. मेरा 11" का मस्ताना लंड अजय की आँखों के आयेज हवा में लहरा उठा. काली काली झांतों के घने गुच्छों के बीच से मेरा लंड बॅमबू की तरह एक दम सीधा होके सर उठाए हुए था. सुर्ख लाल सुपाड़ा फूल के मुर्गी के अंडे जैसा बड़ा दिख रहा था. नीली नसें फूल के ऐसे लग रही थी जैसे चंदन के ताने पर नागिनें लिपटी हुई हो. मेने अपनी स्पोर्ट गांजी भी खोल दी और अजय को मेने अपने बगल में कर लिया और उसके सर को अपनी च्चती पर टीका लिया तथा उसे अपने लंड को जड़ से पकड़ हिला हिला दिखाने लगा. मुन्ना अपने नये खिलौने को बड़े चाव से देख रहा था.
में: "मुन्ना, भैया का यह मस्ताना लंड ठीक से देख ले. खूब प्यार से इसके साथ खेल. क्यों पसंद आया ना? बताना कैसा लगा भैया का लॉडा."
अजय: "भैया आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे अपनी मासूम गांद में इसे लेने में बहुत दर्द होगा ना? भैया मेने आज तक इतने तगड़े लंड से कभी नहीं मरवाई है. दर के मारे मेरी गांद अभी से फटने लगी है."
अजय की बात सुन मेने हंसते हुए कहा, "क्यों ऐसा बड़ा लंड गाँव में कभी देखा नहीं? एक बार इससे मरवा लेगा ना तो गाँवलों को भूल जाएगा और भाई के लंड का दीवाना हो जाएगा."
अजय: "भैया मेने सारे गाँववालों के थोड़े ही देखें हैं. भैया आप भी.... में तो बस दो लोगों के साथ कभी.......... कभी........ मस्ती लेलेटा था. वी भी आप जीतने प्यारे थोड़े ही थे. सेयेल पक्के गंदू थे. आप जितनी मस्तिभारी बातें वी थोड़े ही करते थे. गन्ने के खेत में फटाफट काम निपटा कर सरक लेते थे."
में: "अरे तू तो बुरा मान गया. अब में अपने लंड के शौकीन भाई को लंड के लिए किसी का मुँह नहीं ताकने दूँगा. मेरा यह हल्लाबी लंड एक बार भी तेरे अंदर चला गयाना तो छ्होटे मोटे लंड से तो तेरी गांद की खुजली मितेगी भी नहीं. बड़ी मस्ती से आज तेरी मारूँगा. तू भी क्या याद रखेगा की आज तो किसी पक्के लौंडेबाज़ से पाला पड़ा है. तेरी औरतों जैसी फूली गांद को तो ऐसा ही मस्ताना सोता चाहिए. अरे उन गाँववाले गंदुओं की बात छ्चोड़. उन्हे तेरे दर्द से और तेरे मज़े से तोड़ा ही मतलब था. में जितनी मस्ती तेरे साथ करूँगा उससे ज़्यादा मस्ती तुझे कार्ओौनगा." यह कह मेने अजय के एक गाल को मुख में ले लिया और उसे चूसने लगा. मेरी आँखें वासना के अतिरेक से लाल हो उठी. में बहुत ही कामुक अंदाज़ में अपने इस कमसिन लौंदे पर लार टपका रहा था और बहुत खुल के उससे गांद मारने की बात कर रहा था.
में: "ले भाई के गुड्डे से खेल.तू ऐसे ही मस्ताने लंड का दीवाना है ना. ले देख तेरे भैया कितने प्यार से तुझे अपना लंड दे रहे हैं." अजय ने एक हाथ नीचे कर मेरे लंड को जड़ से पकड़ लिया और उस पर मुट्ठी कस ली. अब वा लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
में: "क्यों एक दम मस्त है ना? देख तेरी गांद में जाने के लिए कैसे मचल रहा है? आज तेरी इतने प्यार से मारूँगा की अपने उन दोनो दोस्तों की तुझे काभी भी याद नहीं आएगी. जितनी दिल खोल के मरवाएगाना तुझे उतना ही मज़ा आएगा."
अजय: "भैया आपका कितना मोटा और कड़ा है. आपसे मरवा कर बहुत मज़ा आएगा. अब कभी आयेज से आप मेरे सामने मेरे गाँववाले उन दोनो भादुओं की बात मत कीजिएगा. में तो अब सपने में भी उनके साथ मस्ती करने की नहीं सोच सकता. में तो अब अपने राजा भैया के साथ दिल खोल कर मस्ती करूँगा."
में: "अरे चिंता मत कर. तेरी इतने प्यार से लूँगा की तुझे पता ही नहीं चलेगा की कब तेरी गांद मेरे पुर लंड को लील गई. मेरे प्यारे मुन्ने को दर्द थोड़े ही होने दूँगा. आख़िर तेरा बड़ा भाई हूँ तेरा दर्द मेरा दर्द."
"भैया आप कितने अच्छे हैं. मुझे कितना प्यार करते हैं. इतना प्यार तो मुझे किसी ने नहीं किया." यह कह अजय दोनो हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगा, मरोड़ने लगा, लंड की चाँदी उपर नीचे करने लगा.
में: "अरे तू प्यार करने की चीज़ ही है. तू इतना प्यारा, नाज़ुक और एक दम नई नई जवान हुई लड़की जैसा है. उससे भी बढ़ कर तेरे पास भी मर्दों जैसा मस्ताना लंड है. तेरे जैसे के साथ ही लौंडेबाज़ी का असली मज़ा है." यह कह मेने पास की साइड टेबल पर पड़ी अपनी ब्रीफकेस अपनी गोद में रख खोली और कॉंडम का पॅकेट और वॅसलीन का जर उसमें से निकाल लिया.
अजय: "भैया आप्टो पूरी तैयारी करके आए हो. तो आपने आज दिन में ही प्लान बना लिया था की आज रात छ्होटे भाई की गांद मारनी है. आप पक्के उस्ताद हो."
में: "तैयारी तो करनी ही पड़ती है. तेरे जैसे चिकने भाई की तो खूब चिकनी कर के ही लेनी होगी ना. अब तो दर नहीं लग रहा है ना? क्यों पूरा तैयार है ना? अरे अब तेरे जैसा गांद मरवाने का शौकीन भाई मिला है तो में क्या जिंदगी भर मूठ ही मारता रहूँगा."
यह कहके मेने कॉंडम के पॅकेट से एक कॉंडम निकाल ली और अपने लंड पर चढ़ा ली. यह बहुत ही झीनी हाइ क्वालिटी की कॉंडम थी, चढ़ने के बाद पता ही नहीं चल रहा था की लंड पर कॉंडम चढ़ि हुई है. कॉंडम चढ़ने के बाद लंड बिल्कुल चिकना प्लास्टिक के डंडे जैसा लग रहा था. तभी मेने अजय को झुका लिया और उसकी गांद की दरार में अंगुल फेरने लगा. फिर वॅसलीन का जर खोला और अंगुल में ढेर सारी वॅसलीन लेकर अजय की गांद पर लगा दी. गांद में आधी के करीब अंगुल घुसा और फिर ढेर सी वॅसलीन अंगुल में लगा उसकी गांद में वापस अंगुल घुसा दी. थोड़ी देर गांद के अंदर चारों ओर अंगुल घुमा गांद अंदर से अच्छी तरह से चिकनी कर दी. फिर मेने ढेर सी वॅसलीन अपने लंड पर भी चुपद ली. अब में अपने छ्होटे भाई पर चढ़ने के लिए पूरा तैयार था.
में अजय के पिच्चे आ गया और घुटनों के बाल उसके पिच्चे खड़ा हो अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गांद के खुले च्छेद पर टीका दिया. धीरे धीरे लंड को अंदर ठेलने की कोशिश करने लगा पर मेरा मोटा सूपड़ा उसके अंदर नहीं जा रहा था. तोड़ा और ज़ोर लगाया तो मुश्किल से लंड मूंद उसकी गांद में अटक भर पाया. मूंद अटकते ही एक बार अजय नीचे कसमासाया पर शांत हो गया. अब मेने लंड निकल लिया और थोड़ी वॅसलीन लंड पर ओर लगा ली. इस बार वापस चढ़ के तोड़ा ज़्यादा ज़ोर लगाया तो सुपाड़ा पूरा अंदर समा गया. सुपाड़ा समाते ही झट मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. अजय की गांद का च्छेद पूरा खुला हुवा था. हल्की गुलाबी वॅसलीन गांद में मति हुई थी.
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