RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
[कलर=#4000फ]अपडेट-07
में: "मुन्ना तेरी गांद तो बहुत टाइट है, मारने में पूरा मज़ा आएगा. तू चिंता मत कर. पूरी चिकनी कर के खूब आराम से मारूँगा."
अजय: "भैया धीरे धीरे करना. आपका बहुत मोटा है." अजय की गांद पर थोड़ी सी और वॅसलीन लगा में भाई पर फिर चढ़ गया. इस बार गांद पर लंड रख तोड़ा दबाते ही लंड मूंद भीतर समा गया. अब मेने दो टीन बार उसकी गांद में लंड घुमा कर थोड़ी जगह बना ली और भीतर ज़ोर देने लगा. अजय भी गांद ढीली छ्चोड़ रहा था. नतीज़ा यह हुवा की धीरे धीरे लंड अंदर सरकने लगा. आधा के करीब जब लंड अंदर समा गया तब में आधा लंड ही गांद में तोड़ा तोड़ा अंदर बाहर करने लगा. फिर मेने पूरा लंड वापस निकाल लिया. इस बार लंड और गांद पर फिर अच्छी तरह से वॅसलीन चुपड़ी और भाई का पूरा किला फ़तह करने फिर उस पर सवार हो गया.
भाई पर चढ़ते ही मेने लंड गांद में छापना शुरू कर दिया. अजय की गांद का च्छेद पूरा खुल के चौड़ा हो चुका था. अजय गांद मराने का आदि था. उसे पता था की गांद को कैसे खुला छ्चोड़ा जाता है ताकि वा लंड को लील सके. मेरा लंड भाई की गांद में साँप की तरह रेंगता हुवा अंदर जा रहा था. जब टीन चोथाई लंड आराम से अंदर सम गया तो में 2-3 इंच बाहर निकलता और वापस भीतर पेल देता. इससे गांद में ओर जगह बनती गई ओर जल्द ही मुझे महसूस हुवा की मेरे लंड की जड़ अजय के चुततादों से टकराने लगी है. इसका मतलब मेरा 11" का हल्लाबी लॉडा मेरे मासूम भाई की गांद में जड़ तक समा गया है ओर पत्ते ने इस बीच चूं तक नही की.
"मुन्ना मान गये तुमको, पक्का गान्डू है तू. पूरा का पूरा अपने भीतर ले लिया और चूं छापद तक नहीं की." में मुन्ना का शौक देख जोश में भर गया और ज़ोर ज़ोर से लंड उसकी गांद में बाहर भीतर करने लगा. लंड और गांद दोनो ही अत्यंत चिकनी वॅसलीन में चूपदे हुए थे इसलिए 'पच्छ' 'पच्छ' करता मेरा लंड लोकोमोटिव के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. अब मुझे छ्होटे भाई की मस्त गांद मारने का पूरा मज़ा मिल रहा था. अब अजय भी मेरे धक्कों का जबाब गांद पिच्चे तेल देने लगा. में ताबड़तोड़ गांद मारे जा रहा था और मुन्ना मस्त होके मारा रहा था.
में: "क्यों मुन्ना भैया से गांद मराने में मज़ा आ रहा है ना? किसीने इतने प्यार से आज से पहले तेरी मारी थी क्या. भैया का इतना लंबा और मोटा लॉडा देख कितने आराम से भीतर जा रहा है."
अजय: "आपसे कराने में बहुत मज़ा आ रहा है, अब कभी भी आपके साइवा किसीसे नहीं करौंगा. हन भैया अब दर्द नहीं हो रहा है. आप खूब कस कस के पुर मस्त हो कर मारिए. एक बात कह देता हूँ की आपको भी मेरा जैसा बोल बोल कर मरवानेवाला ऐसा मस्त लौंडा दूसरा नहीं मिलेगा." अजय की इस बात से में दुगने जोश में भर धुनवाधार तरीके से उसकी गांद छोड़ने लगा. मेने उसकी च्चती पर अपनी बाँहें कस ली और ज़ोर ज़ोर से आपना लंड उसकी गांद में पेलने लगा.
में: "तेरी मारके तो बहुत मज़ा आ रहा है. अरे तेरी कसी गांद तो कुँवारी छ्छोकरी की छूट जैसी टाइट है. देख मेरा लॉडा तेरी गांद में कैसे फ़च फ़च करके जा रहा है. अरे मुन्ना मेरे लंड को अपनी गांद में कस ले रे. अब तेरे भैया का माल निकालने वाला है. आज जैसा मज़ा पहले कभी नहीं आया. अरे मेने तो मूठ मार मारके यूँ ही ना जाने कितना माल बर्बाद कर दिया. आज से तो तू मेरी लुगाई बन गया है. अब जब भी खड़ा होगा तो तेरे पर ही चढ़ूंगा रे. वा क्या मस्त और चिकना है मेरा भाई. जीतने प्यार से तूने गांद मराई है उतने प्यार से तो घर की औरत भी ना चुड़वाए. साली देने के पहले 100 नखरे दिखाती है और दुनिया की फरमाशें रख देती है." अब में झड़ने की कगार पर था. मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ गई. लंड से पिघला लावा बहने लगा. मेने 4-5 कस के धाक्के मारे और में सिथिल पड़ता गया. फिर में मुन्ना पर से उतार बेड पर बैठ गया. लंड से कॉंडम निकल साइड टेबल पर रख दी. मेरा लंड काफ़ी मुरझा चुका था. में पास में ही घुटनों के बाल बैठे अजय की ओर देख रहा था. मेरी चेहरे पर पूर्ण तृप्ति के भाव थे. में कई बार मूठ मारता रहता हूँ पर जीवन में आज जैसा मज़ा मिला वैसा कभी भी नहीं मिला.
"क्यों मुन्ना खाली लोगों को ही मज़ा देते हो या इसका भी मज़ा लेते हो?" मेने अजय के लंड को पकड़ते हुए उससे पूचछा. अजय का लंड बिल्कुल ताना हुवा था और फूल के एकदम कड़ा था.
अजय: "भैया मेरे से करने के बाद वे लोग मेरी मूठ मार देते थे."
में: "अरे तुम तो अपनी गांद ठुकवाते हो और खुद मूठ मरवा के राज़ी हो जाते हो. क्या कभी बदले में उन दोनो मातेरचोड़ों की नहीं मारी जो गाँव में मेरे प्यारे मुन्ना की मारते थे. मूठ तो तुम खुद ही मार सकते हो."
अजय: "नहीं भैया मुझे खुद मूटती मार के मज़ा नहीं आता दूसरे लोग मेरी मूठ मारते हैं तब मज़ा आता है."
"अरे आज तो तूने मेरी तबीयत खुश कर दी. चल आज में तुझे ऐसा मज़ा दूँगा की तू भी क्या याद रखेगा की भैया ने तेरी फोकट में नहीं मारी." यह कह के अजय को मेने मेरे सामने बेड पर घुटनों के बाल खड़ा कर लिया और प्यार से उसके लंड को पकड़ हल्के हल्के सहलाने लगा. लंड की चमड़ी उपर नीचे कर रहा था और गुलाबी फूले सुपादे पर अपनी अंगुल फेर रहा था. तभी में नीचे झुका और मुन्ना के मस्त लंड मूंद पर अपनी जीभ फिरने लगा. फिर मुख गोल करके सुपारा मुख के बाहर भीतर करने लगा. जब लंड मेरे थूक से ठीक तरह से गीला हो गया तब में उसके लंड को धीरे धीरे मुख में लेने लगा.
अजय: "भैया यह क्या कर रहे हैं? इसे अपने मुख से निकाल दीजिए. मेरे इस गंदे को मुख में मत लीजिए. मुझे बहुत शरम आ रही है."
में: "अरे मुन्ना जिससे प्यार होता है उसकी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. में तेरे से बहुत प्यार करता हूँ; तुम्हारी किसी चीज़ से घृणा नहीं हो सकती. फिर यह तो तुम्हारा इतना प्यारा लंड है. जितना प्यार मुझे तुमसे है, तुम्हारी गांद से है, उतना ही तुम्हारे लंड से है, तुम्हारे लंड के रस से है. उन दोनो छूतियों का क्या उन्हें तो अपनी मस्ती करनी थी सो तुम्हारी मारी ओर अलग हो गये. मूठ तो तुम्हारी इसलिए मार देते थे की उन्हें आयेज भी तेरी गांद मारनी थी. उन्हे तुमसे प्यार थोड़े ही था. अब कुच्छ भी मत बोल और देख भैया तुझे कैसा मज़ा देते हैं."
यह कह मेने मुन्ना का लंड वापस अपने मुख में ले लिया और आधे के करीब भीतर लेके लंड चुभलाने लगा. मेने अजय के दोनो फूले फूले नितंब अपनी मुति में जाकड़ लिए और अपने मुख को आयेज और पिच्चे करते हुए भाई का लंड बहुत ही मस्ती में चूसने लगा. मुझे मेरे मुन्ना का लंड चूसने में मज़ा भी आ रहा था और एक आवरनाणिया संतुष्टि भी मिल रही थी. अब में उसका लगभग पूरा लंड मुख में ले चूस रहा था, मुख में लंड आयेज पिच्चे कर अपना मुख पेल्वा रहा था. अब अजय भी पूरी मस्ती में आ गया. उसे आज अनोखा स्वाद मिल रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी. अब वा स्वयं अपने लंड को मेरे मुख में पेलने लगा, आयेज पिच्चे करने लगा. तभी उसकी पेलने की गति बढ़ गई. में समझ गया की अजय अब झड़ने वाला है अतः में लंड को ज़ोर लगा के चूसने लगा. तभी अजय लंड को मेरे मुख से निकालने की कोशिस करने लगा. में समझ गया की यह ऐसा क्यों कर रहा है और मेने उसके नितंब कस के पकड़ अपनी ओर खींच लिए. अजय का लंड मेने जड़ तक मुख में ले लिया और मुख में इस प्रकार कस लिया की उसके रस की एक एक बूँद में निचोड़ लून.
अजय: "भैया मेरा निकालने वाला है. इसे मुख से निकाल दीजिए. जल्दी कीजिए, देखिए कहीं आपके मुख में गिर जाएगा." अजय मेरे मुख से लंड निकालने की कोशिस कर रहा था और में उसके चुततादों पर अपनी ओर दबाव बढ़ा रहा था. तभी अजय के लंड ने गरम गाढ़े वीर्या का फव्वारा मेरे मुख में छ्चोड़ दिया. मेने अपनी जीभ और मुख के भीतरी भाग से उसके गाढ़े वीर्या से लंड को लपेट दिया और वीर्या से चिकने हुए लंड को तेज़ी से मुख में आयेज पिच्चे करने लगा. अजय का रस रह रह मेरे मुख में च्छुत रहा था. में मुन्ना का लंड चूज़ जा रहा था और भाई के तरोताज़ा रस का पॅयन कर रहा था. धीरे धीरे लंड, अजय और में तीनो सिथिल पड़ते चले गये. अजय ने लंड मेरे मुख से निकाल लिया. उसकी मेरे से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. वा सीधा बातरूम में घुस गया और में बेड पर चिट लेट गया और अपनी आँखें मूंद ली. थोड़ी देर में अजय भी बातरूम से निकल आया; पर ना तो उसने कोई बात की ना ही मेने. सुबह रात के तूफान का नामोनिशान नहीं था.
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