RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-08
रोज की तरह आज रात भी खाने खाने के बाद में, अजय और मा तीनों टीवी के सामने आ बैठ गये.
में: "मा, आज गाँव से चाचजी का फोन आया था, कह रहे थे की हमारे खेत गाँव का सुरपंच खरीदना चाह रहा है. 20 लाख में उससे बात हुई है. मेने चाचजी से कह दिया है की यहाँ से अजय सारे कागजात और पवर ऑफ अटर्नी लेकर गाँव आ जाएगा और रिजिस्ट्री का काम कर देगा. तो मुन्ना कल वक़ील से कागजात तैयार करा लेते हैं और कागज तैयार होते ही तुम गाँव के लिए निकल जाओ. कम से कम आधे पैसे तो खड़े करो. क्यों मा मुन्ना ही ठीक रहेगा ना?"
मा: "हन, फिर वहाँ चाचजी है, कोई फ़िक़र की बात नहीं है. अजय कभी शहर में तो रहा नहीं है. यहाँ दो महीने हो गये उसे गाँव की याद आती होगी."
में: "तभी तो मुन्ना को भेज रहा हूँ. वहाँ इसके खाश दोस्त हैं. मा यह वहाँ बहुत मस्ती करता था. यह अपने दो दोस्तों को तो बहुत ही खाश बता रहा था. कहता था की इसके दोनो दोस्त खेतों में पहले तो अच्छी तरह से सकर्कंड सएकते थे फिर इसे खिला खिला के मज़ा देते थे. क्यों मुन्ना कभी मा को भी सकर्कंड खिलाते थे या सकर्कांडों का सारा मज़ा अकेले ही ले लेते थे.अब यहाँ शहर में तो इसे गाँव जैसे सकर्कंड कहाँ मिलेंगे."
"भैया नहीं जाना मुझे और ना ही सकर्कंड खाने; मुझे तो यहाँ के बड़े बड़े केले अच्छे लगते हैं. में तो यहीं स्टोर में रोज नये दोस्तों से केले लेके खाया करूँगा. साकार कांड का इतना ही शौक है तो गाँव आप चले जाओ." अजय ने मेरी ओर देख मुस्कराते हुए कहा.
में: "भैया के रहते तुझे दोस्तों से केले ले खाने की क्या ज़रूरत है? भैया क्या तेरे लिए केलों की भी कमी रखेगा. तुझे दिन में और रात में जीतने केले खाने है में खिलवँगा. अभी तो तुम गाँव जाओ और वहाँ खेतों में मज़ा लो. तूने तो मा को कभी सकर्कंड खिलाए नहीं पर में मा के लिए केलों की कमी नहीं रखूँगा." हम इसी तरह कई देर बातों का मज़ा लेते रहे. फिर मा अपने कमरे में चली गई तो हम दोनों भाई अपने कमरे में आ गये. में अपने कामरे में आदमकद शीशा लगी ड्रेसिंग टेबल के सामने सिंगल सीटर सोफे पर बैठ गया.
अजय: "भैया आप बड़े वो हो. मा के सामने ऐसी बातें करने की क्या ज़रूरत थी? कल मेने कहा तो था की मुझे उन सब कामों की लिए अब किसी भी दोस्त की ज़रूरत नहीं है. जब आप जैसा बड़ा भैया मौजूद है तो मुझे नहीं जाना किसी दोस्त के पास. अबसे में तो अपने सैंया भैया का मूसल ही अपनी गांद में ठूक्वौनगा."
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