RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"अरे अजय तू कौन से 'उन सब' कामों की बात कर रहा है, में कुच्छ समझा नहीं." मेने अजय का हाथ पकड़ उसे खींच अपनी गोद में बैठा लिया और बहुत प्यार से पूचछा.
अजय: "वही जो कल आपने अपने छ्होटे भाई के साथ किया था. शुरू में तो कल आपने जान ही निकाल दी थी ओर अब पूच्छ रहे हैं की कौनसा काम."
में: "अरे भाई कुच्छ बताओ भी तो की मेने तेरे साथ ऐसा कल क्या कर दिया था? कहीं कुच्छ ग़लत सलत हो गया तो बड़ा भाई समझ कर माफ़ कर दे."
अजय: "कल आपने अपना केला मेरे में दिया तो था. 11" का सिंगपुरी केला छ्होटे भाई के पिच्चे में देते समय दया नहीं आई और अब माफी माँग रहे हैं. अभी भी गोद में बैठा अपना केला खड़ा कर के नीचे गांद में धंसा रहे हैं."
में: "मुन्ना बताओ ना कल मेने अपनी कौन सी चीज़ तेरी किस में दी थी?"
अजय: "भैया आप मुझे अपने जैसा बेशरम बनाना चाहते हैं. आपने अपना लंड मेरी गांद में दिया था. आप मेरे उपर सांड़ की तरह चढ़ गये थे और मेरी गांद हुमच हुमच कर मारी थी. जाइए में आपसे ओर ऐसी बातें नहीं करूँगा."
में: "अरे तू मेरा प्यारा भाई तो है ही पर अब से तू मेरा गांद दोस्त भी बन गया. जब हम आपस में गांद मारा मारी का खेल खेलने लग गये तो हम दोनों एक दूसरे के गांद दोस्त हो गये. जब तुझे अपनी गांद मराने में शरम नहीं है तो लंड, गांद, मारना, चूसना इन सब की खुल के बातें करने का मज़ा ही ओर है."
में: "चल मुन्ना उठ, अपनी पंत खोल."
अजय: "किसलिए भैया?"
में: "तेरे जैसे मस्ताने लौंदे से जब मेरा जैसा पक्का लौंडेबाज़ पंत खोलने के लिए कहता है तो तू मतलब समझ."
अजय: "भैया मुझे आज नहीं मरानी."
में: "देखा, समझ आ गई ना. पर मराएगा नहीं तो क्या अपनी मा छुड़ाएगा.?"
अजय: "आप मा को बार बार बीच में लाते हैं. आप मा के सामने भी कह रहे थे की मेरे दोस्त मा को भी सकर्कंड खिलाते थे या नहीं. उन दोनो की क्या मज़ाल की मेरी मा की तरफ आँख उठा के भी देख लेते; सालों के काट के हाथ में पकड़ा देता. भैया आपकी भी हद हो गई. मा को कह दिया की उसके लिए केलों की कमी नहीं रखेंगे. भला मा क्या सोचेगी? अच्छा बताइए, क्या आप अपने नीचे वाला केला मा को भी खिला देंगे?"
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