RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-11
इसके दूसरे दिन रात के खाने के बाद में और माँ टीवी के सामने बैठे थे.
में: "माँ, तुम्हें कल अच्छा लगा ना?"
माँ: "हां विजय बेटा अच्छा क्यों नहीं लगेगा जब तुम्हारी उमर के बेटे अपने दोस्तों के साथ पिक्चर जाते हैं, बाहर खाते हैं तब तुम्हे अपनी इस अधेड़ माँ की याद रहती है, माँ के सुख दुख की फिक़र रहती है."
में: "माँ, तुम अपने आप को अधेड़ क्यों कहती हो? अभी तो तुम पूरी जवान हो. कल तुम्हें बताया तो था कि तुम्हारे सामने तो पिक्चर की हीरोइने भी फीकी हैं. फिर तुम्हारा ख़याल नहीं रखूँगा तो और किस का रखूँगा? मुझे पता है वहाँ गाँव में तो तूने अपनी आधी जिंदगी यूँ ही घुट घुट के बिता दी, जब तुम्हारे मौज मस्ती करने के दिन थे तभी पिताजी ने बिस्तर पकड़ लिया और फ़र्ज़ के आगे तुम मान मसोसके रह गई पर अब में यहाँ तुझे दुनिया का हर सुख दूँगा, तुम्हारे हर शौक पुर करूँगा. चलो माँ तुम्हे एक जगह की आइस्क्रीम खिला के लाता हूँ."
माँ: "अब इतनी देर गये."
में: "तो क्या? यहाँ तो इसी समय लोग बाग बाहर निकलते हैं. फिर आज मुन्ना भी नहीं है. मुन्ना रहता है तो गप्प सप्प करने में मज़ा आता है." में और माँ 15 मिनिट में ही थोड़े तैयार होकर ऐसे एक मशहूर आइस्क्रीम पार्लर पर पहून्च गये जहाँ अधिकतर नौजवान अपनी गर्लफ्रेंड्स के साथ आइस्क्रीम का मज़ा लेने आते हैं. में दो आइस्क्रीम कॅंडी ले आया और एक माँ को देदि. फिर हम दोनो एक दूसरे के देखते हुए मस्ती से कॅंडी चूस मज़ा लेने लगे. माँ को मुख गोल बनाके कॅंडी चूस्ते देख मेरी नीचेवली कॅंडी में हलचल होने लगी और में इसी सोच में माँ को लेकर वापस घर आ गया और अपने कमरे में जा बेड पर अकेला पड़ गया कि एक दिन माँ मेरे वाला भी इसी कॅंडी की तरह चूसेगी.
दूसरा दिन सनडे का था. सनडे को में हमेशा देर से उठता हूँ. आज हालाँकि नींद तो रोज वाले समय पर खुल गई फिर भी सनडे की वजह से बिस्तर पर पड़ा था. मेरी माँ हालाँकि आज तक गाँव में ही रही पर वा आधुनिकता की, शहरी सभ्यता की शौकीन ज़रूर है. तभी तो उसे विधवा होते हुए भी बन ठन के रहने में, शृंगार करने में, रोमॅंटिक पिक्चर देखने में, रोमॅंटिक जगहों का सैर सपाटा करने में संकोच नहीं हो रहा था. इन सब में उसे आनंद आ रहा था. यही तो में चाहता हूँ कि उसे आनंद मिले. मुझे पक्का भरोशा है कि मेरे द्वारा यदि उसे आनंद मिलता जाएगा तो एक दिन उसके द्वारा भी मुझे आनंद मिलेगा. पर में खुल के माँ पर यह बिल्कुल प्रगट नहीं कर रहा था कि वास्तव में मेरे मन में क्या है?
आज तैयार होके नाश्ता कम लंच करते करते 11 बज गये. नाश्ता ख़तम कर मेने माँ को बता दिया कि अभी तो मुझे किसी सप्लाइयर के यहाँ सॅंपल देखने जाना है पर में 5-6 बजे तक वापस आ जाउन्गा तब शाम का प्रोग्राम बनाएँगे. जिस सप्लाइयर के पास मुझे जाना था उसके पास ओवरसाइज़ ब्रा, पैंटी और नाइटी का नया स्टॉक आया हुआ था.
में 6.30 के करीब वापस घर आ गया. माँ सोफे पर बैठी कोई सीरियल देख रही थी. मेरे हाथ में सॅंपल गारमेंट्स का एक बड़ा सा पॅकेट था जो मुझे उस सप्लाइयर ने दिया था.
माँ: "ज़रा देखूं तो आज मेरा लाल मेरे लिए क्या नया लेके आया है?" यह कह माँ ने मेरे हाथ से पॅकेट ले लिया और उसे खोलने लगी. उसमें से 2 ऐसी पैंटी निकली जो मुश्किल से चूत भर को ढक सके और उन 2 में से 1 ट्रॅन्स्परेंट भी थी. 2 ही बिना बाँह की तंग और टाइट ब्रा थी. 1 झीनी नाइटी थी और एक ओपन लॅडीस नाइट गाउन था. सारे माँ की साइज़ के थे क्योंकि इस लाइन में काम करने से मुझे एग्ज़ॅक्ट पता था कि माँ को किस साइज़ के फिट बैठेंगे. माँ उलट पलट के देखती रही.
माँ: "तो आज तू अपनी माँ के लिए ये सब लाया है."
में: "अरे माँ ये तो सॅंपल है जो मुझे उस सप्लाइयर ने दिए हैं. यदि तुझे पसंद है तो सारे तुम रख लो."
माँ: "तो क्या शहर की औरतें ऐसे कपड़े पहनती है कि कुच्छ भी ढका ना रहे. मुझे तो इनको देख के ही शरम आ रही है."
में: "माँ ये सब हल्के और बहुत अच्छी क्वालिटी के हैं. इन्हें नीचे पहन के बहुत आराम लगता है और पता ही नहीं चलता कि कुच्छ पहन रखा है. तुम से बड़ी बड़ी उमर की औरते इन्हें लेने के लिए हमारे स्टोर में भीड़ लगाए रखती हैं. फिर तुम किसी से कम थोड़े ही हो. रख लो इन्हें, ऐसे कपड़े पहनने से सोच भी मॉडर्न होती है."
माँ: "हां तुम ठीक कह रहे हो. आजकल तो ऐसी ही चीज़ों का चलन है और मॉडर्न लोगों का ही बोलबाला है. पिक्चरों में, होटेलों में, पार्लूरो में कहीं भी देखो लोग खुल के मौज मस्ती करते हैं, ना किसी की शंका शरम, ना किसी से लेना देना."
में: "हां माँ, शहरी और पढ़े-लिखे लोगों की सोच यह है कि जब मौज मस्ती करने की उमर है, साधन है और शौक है तो खुल के मौज मस्ती करो. एक बार उमर और तबीयत चली गई तो फिर बस किसी तरह जिंदगी गुजारनी रह जाती है. इसीलिए तो तुम्हारा इतना ध्यान रखता हूँ. जो सुख तुझे गाँव में नहीं मिला वह सुख यहाँ तो खुल के भोगो. यहाँ ना तो गाँव का वातावरण है और ना कोई यह देखने वाला कि तुम क्या करती हो और कैसे रहती हो. तुम्हें खाली जिंदगी गुजारनी थोड़े ही है तुम्हे तो इस हसीन जिंदगी का पूरा मज़ा लेना है. तुम्हे यहाँ किस बात की कमी है. गाँव की जायदाद से कम से कम 40 लाख मिल जाएँगे और दो दो जवान बेटे कमाने वाले हैं. चलो माँ अच्छे से तैयार हो जाओ, आज तुझे ऐसी जगह दिखाता हूँ कि तुझे भी पता चले कि लोग जिंदगी का मज़ा कैसे लेते हैं."
मेरी बात सुन माँ अपने कमरे में चली गई. मेने अपनी ओर से दाना डाल दिया था. अब देखना था कि चिड़िया कब जाल में फँसती है. मुझे बिल्कुल जल्दी नहीं थी. में माँ में तड़प पैदा कर देना चाहता था और चाह रहा था कि पहल माँ की तरफ से हो. थोड़ी देर में में भी उठ अपने कमरे में चला गया. मेने शवर लिया, टाइट जीन्स और स्पोर्टिंग पहनी और टीवी के सामने बैठा माँ का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर में माँ भी तैयार होके निकली. आज उसने बड़ी दिलकश सारी बिना बाँह के ब्लाउस के साथ पहनी हुई थी और उसकी मांसल दूधिया नंगी बाहें बड़ी मस्त लग रही थी. हल्की लिपस्टिक और चेहरे पर हल्का मेकप कर रखा था. वाह! माँ को इस रूप में देख मज़ा आ गया. मेरे जैसे 6'2" के गबरू गतीले शरीर वाले जवान के साथ यह बीवी के रूप में या पटाए हुए माल के रूप में बिल्कुल चल सकती थी.
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