RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-13
दूसरे दिन स्टोर जाते समय में मा को बेऔती पार्लर पर ले गया. पार्लर की मा की उमर की अधेड़ मालकिन मेरे स्टोर की पर्मनेंट ग्राहक थी सो मेरा उससे बहुत अच्छा परिचय था. मा की उमर की होने के बावजूद उसका फिगर, रहण सहन और बनाव शृंगार बिल्कुल युवतियों जैसा था. उसकी टाइट जीन्स, स्लॉगान लिखा टॉप, बॉब कट बाल, फेशियल से पुता फेस सब मुझे बहुत अच्छा लगता था. इस पार्लर में अधिकतर अधेड़ महिलाएँ ही आती थी जिनकी चाह उस मालकिन जैसी बनने की रहती थी. मेने उस पार्लर की मालकिन से हाय हेल्लोव की, मा का उसे परिचय दिया और मा को वहीं छ्चोड़ में अपने स्टोर में चला गया.
रात जब 8 बजे के करीब घर पाहूंचा तो मा ने ही दरवाजा खोला. मा का चेहरा बिल्कुल चमक दमक रहा था. फेशियल, आइब्रो, बालों की कटिंग सब कुच्छ बहुत सलीके से की गयी थी. में कई देर मा को एक तक देखते रह गया और मा लज्जशील नारी की तरह मंद मंद मुस्कराते हुए शर्मा रही थी.
में: "वाह! आज तो बदले बदले सरकार नज़र आ रहे हैं. मा तुम्हें तो उस बेऔती पार्लर वाली म्र्स. केपर ने एकदम अपने जैसी नौजवान युवती सा बना दिया है. जानती हो वा भी तुम्हारी उमर की एक विधवा है पर क्या अपने आप को मेनटेन रखती है की बस मेरे जैसे नौजवान भी उसे देख आहें भरे."
मा: "तो उन आहें भर्नेवालों में एक तुम भी हो. चलो हाथ मुँह धो रेडी हो जाओ में खाना परौसती हूँ." फिर में थोड़ी ही देर में मा के साथ डाइनिंग टेबल पर था. रोज की तरह हम मा बेटों ने साथ साथ खाना खाया. में खाना ख़ाके आज अपने रूम में आ गया और बेड पर लेट गया. थोड़ी देर में मा भी मेरे रूम में आ गई. मुझे लेता देख उसने पूचछा,
"अरे विजय बेटा आज खाना खाते ही लेट गये. क्या बात है, तबीयत तो ठीक है ना? कहीं उस बेऔती पार्लर वाली की याद तो नहीं आ रही?"
में: "नहीं मा जब से तुम यहाँ आ गई हो मुझे और किसी की याद नहीं आती. मेरे लिए तो तुम ही सब कुच्छ हो."
मा,"तुम आजकल बातें बड़ी प्यारी प्यारी करते हो. कहीं कोई लड़की तो नहीं पटाने लगे?"
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