RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"तूने भी कहाँ से ये शादी वाली बात च्छेद दी. मुझे कोई केपर वपूर नहीं चाहिए. अभी तो मुझे मेरी प्यारी प्यारी मा चाहिए जिसके सामने म्र्स. केपर तो एक लौंडिया जैसी है. तो मा मेरे जैसे को देख वा म्र्स. केपर शादी के लिए तैयार हो जाएगी तो फिर तुम्हें भी मेरे जैसा कोई मिल गया तो फ़ौरन पाट जाओगी." यह कह मेने माको वापस अपने आगोश में भर लिया.
"मिलेगा तब सोचूँगी." माने शरारती हँसी के साथ कहा. माकी इस बात पर मेने उसकी ठुड्डी उपर उठाई और उसकी आँखों में झाँकते कहा,
"जी तो करता है की तेरी इस बात पर एक प्यारी सी पप्पी ले लून."
"तू मुझे इतना प्यार करता है और इतनी छ्होटी सी बात पुच्छ रहा है. लेनी है तो लेले पूच्छ क्या रहा है." यह कह मा मेरी आँखों में देखते हुए हँसने लगी. मेने मा का फूला फूला गाल गप्प से अपने मुख में भर लिया और कस के एक प्यारी सी पप्पी लेली.
मा: "चलो तुझे अपनी माकी पप्पी मिल गई ना, अब खुश हो ना."
में: "मा सबके मान की बात बिना कहे ही जान लेती है और माँगते ही मुराद पूरी कर दी. जो मज़ा माकी गोद में है वा भला दूसरी की गोद में कहाँ. मा तेरी हर बात पे, तेरी हर अदा पे में हमैइषा खुश हूँ."
मा: "मेरा बेटा आजकल पुर आशिक़ों जैसी बातें करता है. कोई बात नहीं इस उमर में हर कोई ऐसी बातें करता है." मा ने कहा. मा उठ खड़ी हुई और बगल में सटे अपने रूम की और चल डी. में भी फ्रेश होकर जिस बेड पर अभी मा के साथ यह सब चल रहा था उसी बेड पर पद गया. बेड पर पड़ा पड़ा कई देर मा के बारे में ही सोचता रहा और ना जाने कब नींद आ गई.
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