RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-16
मुझे माँ के साथ पूरा बेशरम हो कर इस प्रकार खुली बातें करने में बहुत मज़ा आ रहा था और उससे भी बढ़कर इस बेतकल्लूफ़ी और बेशर्मी में माँ मुझसे भी बढ़ कर साबित हो रही थी. मुझे पूरा भरोसा हो गया की में माँ के साथ नये वासनात्मक खेल खुल के खेल सकूँगा.
"जैसा मेरा लंबा तगड़ा शरीर है और लॉडा है, उसे झेलना हल्की फुल्की लड़की के बस की बात नहीं है. इसलिए मेरी लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी भी नहीं है. मुझे तो मेरे जैसी ही लंबी, तगड़ी, मस्त और बेबाक खेली खाई हुई औरत चाहिए. माँ तुम ठीक मेरा ही प्रतिबिंब हो. बिल्कुल मेरे जैसी गठीली, मज़े लेने की शौकीन, खुल के बात करने वाली हो. किसी नई लड़की को चोद दूं तो लेने के देने पड़ जाएँगे; साली की एक बार में ही फॅट के भोसड़ा बन जाएगी. मुझे तो ठीक तुम जैसी ही औरत चाहिए थी." मेने भी मज़े लेते हुए कहा.
"तो तुम मेरी 15 साल से बचा के रखी बिना चूत का भोसड़ा बना देगा. ना बाबा मुझे तुमसे नहीं चुदवाना." माँ ने इठलाते हुए कहा.
"अरे मम्मी जैसा तुम्हारा लंबा चोडा शरीर है उसी अनुपात में तुम्हारी चूत भी तो बड़ी सारी होगी; बल्कि चूत नहीं माल्पूवे सा फुद्दा है फुद्दा. फिर तुम तो मेरी जान हो. तुम्हारी चूत को में बहुत प्यार से लूँगा. चिंता मत करो मेरी राधा डार्लिंग, खूब प्यार से तुम्हें मज़े ले ले के धीरे धीरे चोदुन्गा." मेने माँ की जवानी के चटकारे लेते हुए कहा.
"हाय; ऐसी खुली खुली बातें मेने आज से पहले ना तो कभी सुनी और ना ही कभी कही. तुम्हारी सुहागन बन के मुझे तो मेरे मन की मुराद मिल गई. ऐसी बातें करने में तो काम से भी ज़्यादा मज़ा आता है. ऐसी ही खुली खुली बातें करते हुए मेरी इस तड़पति जवानी को खुल के भोगो मेरे राजा." माँ ने कहा.
"में जानता था कि तुम्हें असली खुशी में तुम्हारा सुहाग यानी की तुम्हारा पति, सैंया, साजन, बालम बन के ही दे सकता था. अब लोगों के सामने तो हम माँ बेटे रहेंगे और रात में खुल के रंगरेलियाँ मनाएँगे. जवानी के नये नये खेल खेलेंगे. क्यों मेरी रानी तैयार हो ना मेरे से खुल के मज़े लेने के लिए. कहीं कोई डर तो मन में नहीं है ना." मेने खुला आमंत्रण दिया.
माँ: "नहीं मेरे राजा मुझे ना तो कोई डर है और ना ही कोई शंका. में तुझसे मस्त होके चुदने के लिए पूरी तैयार हूँ. मेरी चूत गीली होती जा रही है. वह तुम्हारे लंड को तरस रही है."
में बेड पर से खड़ा हो गया और माँ को भी हाथ पकड़ के मेरे सामने खड़ा कर लिया. माँ को मेने आगोश में ले लिया. माँ की खड़ी चूचियाँ मेरे सीने में चुभने लगी. माँ के तपते होंठों पर मेने अपने होंठ रख दिए. माँ के अमृत भरे होंठों का रस्पान करते करते मेने पीछे दोनों हथेलियाँ माँ के उभरे विशाल नितंबों पर जमा दी. माँ के गुदाज चुतड़ों को मसल्ते हुए में माँ के पेल्विस को अपने पेल्विस पर दबाने लगा.
"अब इस सौन्दर्य की प्रतिमा को अपने हाथों से धीरे धीरे निर्वस्त्र करूँगा. तुम्हारे नंगे जिस्म को जी भर के देखूँगा, तुम्हारे काम अंगों को छ्छूऊंगा, उन्हें प्यार करूँगा." चुंबन के बाद माँ की ठुड्डी को उपर उठाते मेने कहा और एक एक करके पहले माँ के गहने उतार दिए. फिर माँ का ब्लाउस खोला और उसके बाद उसके घाघरे का नाडा खींच दिया. नाडा ढीला होते ही भारी घाघरा नीचे गिर पड़ा. अब माँ उसी मॉडर्न हल्के गुलाबी रंग की पैंटी ओर ब्रा में थी जो उस दिन मुझे सप्लाइयर ने दी थी.
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