RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
5'10" लंबे और छर्हरे शरीर की मलिका श्रीमती राधा देवी यानी कि मेरी पुज्य माताजी पैंटी ओर ब्रा में खड़ी मंद मंद मुस्करा रही थी. विशाल जांघों ऑर पिछे उभरे हुए नितंबों से पैंटी पूरी सटी हुई थी. माँ की फूली चूत का उभार स्पष्ट नज़र आ रहा था. सीने पर दो बड़े कलश बड़े ही तरीके से रखे हुए थे. मेने ब्रा के उपर से माँ के भरे भरे चूचों को हल्के से सहलाया और ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए और ब्रा भी शरीर से अलग कर डी. वह माँ के उरोज बिल्कुल शेप में थे. गुलाबी चूचुक तने हुए ऑर काफ़ी बड़े थे.
"हाय मम्मी तुम्हारे अंगूर के दाने तो बड़े मस्त हैं." यह कह कर मेने मुँह नीचे कर दाएँ चूचुक को अपने मुँह में भर लिया और चूचुक को चुलभुलने लगा. तभी माँ मेरे सर के पिछे हाथ रख कर मेरे सर को अपनी चुचि पर दबाने लगी तथा दूसरे हाथ से अपनी चुचि मानो मेरे मुँह में ठूँसने लगी. मुझे माँ का यह खुलापन और अदा बहुत ही पसंद आई. कुच्छ देर चुचि चूसने के बाद में बेड पर बैठ गया और माँ की पैंटी में उंगलियाँ डालने लगा. मेने सर उपर उठाते हुए माँ की आँखों में देखा. माँ ने आँखों के इशारे से हामी भर दी. मेने वैसे ही माँ की आँखों में देखते देखते पैंटी नीचे सरका दी ओर माँ की टाँगों से निकल कर सोफे पर उछाल दी. अब माँ मेरे सामने मादरजात नंगी खड़ी थी.
मेने माँ के चेहरे से आँखें हटा कर माँ की चूत पर केंद्रित कर दी. मेरी माँ की चूत बहुत ही फूली हुई और घने काले बालों से भरी थी. माँ की झाँत के बाल घुंघराले और लंबे थे. माँ ने शायद ही कभी अपनी झांतों की सफाई की हो. माँ की जांघें बहुत ही चौड़ी और दूधिया रंगत लिए थी. मेने माँ की चिकनी मरमरी जाँघ पर हाथ रख दिया और हल्के हल्के उस पर फिसलाने लगा. तभी माँ ने टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दी और मेरी आँखों के सामने माँ की चूत की लाल फाँक कौंध गयी.
"हाय मेरे विजय राजा तुझे अपनी माँ की चूत कैसी लगी?" माँ ने हंसते हुए पूछा.
"हाय क्या प्यारी चूत है. जितनी प्यारी यह तेरी चीज़ है उतने ही प्यार से इसे मेरे सामने पेश करो. इसे पूरी सज़ा के पूरी छटा के साथ मुझे सौंपो तब मेरी पसंद नापसंद पुछो. खूब बोल बोल के पूरी कमतूर होके मुझे इसे भोगने के लिए कहो मेरी जान." यह कह कर में बिस्तर पर लेट गया. माँ मेरा मतलब समझ गई और बिस्तर पर आ गई. माँ ने मेरी छाती के दोनों ओर अपने घुटने टेक लिए और घुटनों को जितना फैला सकती थी फैला ली. मेने भी अपने घुटने मोड़ लिए और पिछे माँ की पीठ टिकाने के लिए उनका सपोर्ट बना दिया. माँ ने उन पर अपनी पीठ टीका दी और चूत मेरी ओर आगे सरकाते हुए अपने दोनों हाथों से जितना चौड़ा सकती थी उतनी चौड़ा दी. माँ की चूत का लाल छेद पूरा फैला हुवा मुझे आमंत्रण दे रहा था. माँ की चूत से विदेशी सेंट की मीठी खुश्बू आ रही थी.
"लो मेरे साजन तेरी सेवा में मेरा सबसे खाश और प्राइवेट अंग पेश है, इसे ठीक से अंदर तक देखो. भीतर झाँक के देखो, इसकी ललाई देखो, इसकी चिकनाहट देखो. अपनी रानी की इस सबसे प्यारी डिश का चटखारे लेले कर स्वाद लो." माँ ने खनकती और थरथराती आवाज़ में कहा. में पागल हो उठा. मेने अपने दोनों होंठ लगभग माँ की खुली चूत के छेद में ठूंस दिए. माँ के लसलासे छेद में मेने 2-3 बार अपने होंठ घुमाए और फिर जीभ निकाल कर माँ की चूत की अन्द्रुनि दीवारों पर फिराने लगा. माँ की चूत का अन्द्रुनि भाग लसलसा और हल्का नमकीन था. चूत की नॅचुरल खुश्बू विदेशी सेंट से मिली हुई बहुत ही मादक थी. में माँ की चूत पर मुँह दबा कर चूत को बेतहाशा चाटे जा रहा था. मेरी जीभ की नोक किसी कड़ी गुठलीनुमा चीज़ से टकरा रही थी. जब भी में उस पर जीभ फिराता माँ के शरीर में कंपन अनुभव होता. तभी माँ ने उठ कर ठीक मेरे चेहरे पर आसान जमा लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरे चेहरे पर अपनीी चूत दबाने लगी. मैने माँ के फूले चुतड़ों पर अपनी मुत्ठियाँ कस ली और माँ की चूत में गहराई तक जीभ घुसा कर मेरी मस्त माँ की चूत का स्वाद लेने लगा.
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