RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
"जब तेरे जैसा मतवाला बांका यार मिल जाय तो हर जवान प्यासी औरत अपनी जवानी लुटाने को मचल जाती है. में 15 साल से तगड़े लॉड को तरस रही थी. एक बार जब तूने मेरे पर डोरे डालने शुरू किए तो मुझे तुम एक बेटे से ज़्यादा पूरा मर्द दिखाई देने लेगे. मुझे तेरा कसा शरीर, मजबूत पुत्ते, विशाल बाँहें, फैली जांघें आकार्षित करने लगी, में इनमें पीसने के लिए तड़प उठी. यह हमैइषा याद रखो जब भी हम दोनो एकांत में कमतूर होके मिले तब तुम बेटे से पहले एक पूर्ण पुरुष हो और में एक काम पीडिता पूर्ण नारी. तुम्हारे पौरुष का इसी में सम्मान है की तुम अपने समक्ष काम याचना लेके आई नारी की काम तृप्ति करो चाहे वा तुम्हारी जननी ही क्यों ना हो." यह कह कर मा ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया.
"चल मेरी राधा जान अब अपनी मालपुए सी छूट भी तो मुझे चटा दे. तुझे तो पता ही है की तुम कॅंडी चूसने की शौकीन हो तो में कोन में जीभ घुसाके क्रीम चाटने का शौकीन." मेरी बात सुन कर मा उठी और नाइट गाउन की डोर खोल दी. ओपन गाउन के नीचे माने कुच्छ भी नहीं पहन रखा था और माने गाउन अपनी बाँहों से निकाल दिया और मेरे सामने मेरी मा पूरी नंगी होके हांस रही थी.
में बेड पर लेट गया और मा को मेरे चेहरे पर घोड़ी नुमा बना लिया और मा का मुख मेरे पैरों की ओर कर दिया. मा की रसदार छूट का फाटक ठीक मेरे मुख के उपर था और मा का विशाल होड़े सा पिच्छवाड़ा मेरी आँखों के सामने था. बिल्कुल गोल शेप में बने नितंबों की दरार के बीचों बीच मा की गांद का बड़ा सा गुलाबी च्छेद सॉफ दिख रहा था. च्छेद ज़्यादा सिकुदा नहीं होकर खुला सा था. मेने मा की छूट अपने मुख पर दबा ली और मा की छूट जीभ अंदर घुसा घुसा कर मस्त हो कर चाटने लगा. मा की छूट लसलसा रस छ्चोड़ रही थी. मेने मा की छूट से जीभ निकाल कर दो अंगुल उसमें डाल दी जिससे छूट के गाढ़े रस से अँगुलियन सराबोर हो गई. अब वापस मा की छूट पर मुँह लगा दिया और उंगलियों में लगा रस मा के गांद के च्छेद पर मलने लगा.
इधर मा के मुख के सामने मेरा लंड तनटना रहा था जिसे मा चूसने लगी यानी की हम दोनों 69 की पोज़िशन में एक दूसरे की चूसा चूसी करने लगे. इधर मेने अंगुलियों में लगा सारा रस मा की गांद पर चुपद दिया और मा की गांद का च्छेद चिकना हो गया. अब मेने अपनी इंडेक्स फिंगर मा की गांद में पेलनी शुरू कर दी. मा की गांद बहुत ही कसी हुई थी. एक अंगुल भी आसानी से अंदर नहीं जा रही थी. छूट चाटते चाटते मेरे मुख में काफ़ी थूक इकट्ठा हो गया था जिसे एक हथेली पर लेकर मा की गांद पर अच्छे से माल दिया और इस बार कुच्छ ज़ोर लगा के गांद में अंगुल घुसा तो आधी अंगुल अंदर चली गई. अब में धीरे धीरे अंगुल भीतर बाहर करने लगा. कुच्छ देर में च्छेद ढीला हो गया और पूरी अंगुल भीतर बाहर होने लगी.
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