Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
10-07-2021, 06:42 PM,
#34
RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-19

माँ मेरे लंड के उपर झुकी हुई धीरे धीरे मेरे 11" के मोटे लौडे को अपने हलक में ले रही थी. वह मुख में जमा हुए थूक से मेरे लंड को चिकना कर रही थी और अपना मुख उपर नीचे करते हुए पक्की लंडखोर औरत की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी. अब लगभग मेरा पूरा लंड वा अपने मुख में ले चूसने लगी थी. माके इस प्रकार लंड चूसने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. में पहले से ही माँ की चूत अपने चेहरे पर दबाते हुए पूरी जीभ उसके अंदर डाल चाट रहा था और साथ ही माँ की गान्ड अपनी इंडेक्स फिंगर से मार रहा था. माँ के इस प्रकार जोश में भर लंड चूसने से मुझे भी जोश आ गया और मेरी अंगुल की स्पीड उसकी गान्ड में बढ़ गई.

मेरी देखा देखी माँ ने भी मेरा लंड चूस्ते चूस्ते मेरी गान्ड दोनो हाथों से कुच्छ उपर उठा ली जिससे माको मेरी गान्ड का छेद भली भाँति दिखने लगा. उसने ढेर सारा थूक अपने मुख से निकाला और अपनी 2-3 अंगुल में ले मेरे गान्ड के छेद पर चुपड दिया. तभी माँ ने शरारत से अचानक मेरी गान्ड में अपनी एक अंगुल ज़ोर्से घसेद दी. में इस अप्रत्याशित हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था और ज़ोर से चिहुन्क पड़ा. तभी माँ ने अपनी अंगुल कुच्छ बाहर लेके वापस ज़ोर से मेरी गान्ड में पूरी घुसेड दी. हालाँकि में खुद तो मुन्ना की गान्ड पहले ही मार चुका था पर मेरी खुद की गान्ड अब तक बिल्कुल कुँवारी थी. मुझे यह भी नहीं याद पड़ता कि कभी मेने खुद की भी अंगुल शौक से अपनी गान्ड में दी हो पर आज मेरी बिल्कुल कुँवारी गान्ड एक औरत के द्वारा मारी जा रही थी चाहे वह अंगुल से ही मारी जाय और वह औरत खुद मेरी माँ थी. लेकिन इस घटना से में बहुत खुश हो गया कि चलो माँ की मस्त गान्ड मारने की राह आसान हो गई जिसे में काफ़ी देर से अपने चेहरे के ठीक सामने लहराते देख मारने की फिराक़ में था.

मेरी एक अंगुल माँ की गान्ड में बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रही थी. तभी मेने अंगुल निकाल ली और इस बार दो अंगुल थूक से अच्छी तरह तर कर धीरे धीरे बहुत यातना के साथ माँ की गान्ड में पेलने लगा. में माँ को ज़रा भी दर्द महसूस नहीं होने देना चाहता था क्योंकि कहीं वह अपनी गान्ड देने से मना नहीं कर दे. थोड़ी कोशिश के बाद मेरी दो अंगुल माँ की गान्ड में जाने लगी. अब मुझे विश्वास हो गया कि यह मेरा मूसल सा लंड अपनी गान्ड में भी लेलेगी.

"माँ तुम्हारी गान्ड तो बड़ी मस्त है. लगता है इसको मरवाने की भी पूरी शौकीन हो. देखो कितने आराम से तुम्हारी गान्ड में अपनी अंगुलियों से मार रहा हूँ." मेने आख़िर पूछ ही लिया.

"नहीं रे तेरा बाप मेरी चूत की प्यास तो ठीक से बुझा नहीं पाता था भला वह मेरी गान्ड क्या मारता. कभी कभी में ही यूँ ही अंगुल कर लिया करती थी." माँ बोली.

"तो इसका मतलब अभी तक तुम्हारी गान्ड कुँवारी है. माँ जैसे तूने मुझे अपनी 15 साल से अन्चुदी चूत का मज़ा दिया वैसे ही अब अपनी इस कुँवारी गान्ड का मज़ा देना. तुम्हारी चूत का तो उद्घाटन नहीं कर सका पर अब तुम्हारी कुँवारी गान्ड का उद्घाटन तो में ज़रूर करूँगा." मेने माँ की गान्ड में अंगुली से खोद कर कहा.

"क्या कहता है तू? तुम्हारा घोड़े जैसा हल्लबी लॉडा कल बड़ी मुश्किल से चूत में ले पाई भला यह गान्ड में कैसे जाएगा. यह तो मेरी गान्ड को फाड़ के रख देगा. नहीं बाबा मुझे नहीं मर्वानी तुमसे गान्ड." माँ ने पुरजोर विरोध किया.

"माँ कल कितने प्यार से मैने तुम्हारी चूत ली थी ना. थोड़ा भी दर्द महसूस होने दिया था क्या? में उससे भी ज़्यादा संभाल कर और प्यार से तेरी गान्ड लूँगा. तेरे जैसी लंबी चौड़ी बड़ी गान्ड वाली औरत की पूरी नंगी करके गान्ड भी नहीं मारी तो फिर क्या मज़ा. तेरे जैसी मस्त गान्ड वाली औरत अपने प्यारे को जब मस्त होके गान्ड देती है ना तो उसका यार बाग बाग हो जाता है. उसका प्यार उस औरत के प्रति सैकड़ों गुना बढ़ जाता है." मेने माँ की गान्ड पर हाथ फेरते हुए कहा.

माँ: "लेकिन मेने आज तक कभी मरवाई नहीं. ये तो मुझे पता है कि शौकीन मर्दों को गान्ड मारने का भी शौक रहता है और अपना शौक पूरा करने के लिए चिकने लौन्डो को खोजते रहते हैं. हम औरतों की गान्ड मर्दों के मुक़ाबले वैसी ही क़ुदरती भारी होती है तो ऐसे मर्द हमारी गान्डो पर भी लार टपकाते रहते हैं पर भला हम औरतों को इस में क्या मज़ा है."

में: "माँ तुम नहीं जानती. कई मर्द क़ुदरती तौर पर तो मर्द होते हैं पर उनके लक्षण औरतें जैसे होते हैं; जैसे औरतों जैसे नाज़ुक, दाढ़ी मूँछ और छाती पर बालों का ना होना, औरतों के जैसे शरमाना इत्यादि. वैसे मर्द मारनेवालों से ज़्यादा मराने को लालायित रहते हैं. उन्हें मराने में जब मज़ा आता है तो इसका मतलब गान्ड मराने का भी एक अनोखा मज़ा है जो मराने वाले ही जानते हैं. तो तुम यह बात छोड़ो की गान्ड मराने में तुम्हें मज़ा नहीं आएगा. जब तूने आज तक मराई ही नहीं तो तुम इसके मज़े को क्या जानो? एक बार मेरे से अपनी गान्ड मरा के तो देखो. जैसे मेरे हल्लाबी लौडे से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा के तुम मेरी रखेल बन गई हो वैसे ही कहीं गान्ड मरवा के पक्की गान्डू ना बन जाओ और गान्ड मरवाने से पहले अपनी चूत मुझे छूने भी ना दो."

मेरी बात सुनके माँ ने कुच्छ नहीं कहा. मौन को सहमति मानते हुए में उठा और मेरी आल्मिराह से कॉंडम का पॅकेट और वसलीन का जार ले आया जो कुच्छ दिन पहले में इसके छोटे बेटे की यानी कि मेरे छोटे भाई मुन्ना की गान्ड मारने के लिए लाया था.

पॅकेट से कॉंडम निकाल कर मेने लंड पर चढ़ा ली. माँ को बेड पर घोड़िनुमा बना दिया और माँ की गान्ड पर अंगुल में ढेर सारी वसलीन लेकर चुपड दी. 2-3 बार माँ की गान्ड में अंगुल घुमा कर माँ की गान्ड अंदर से पूरी चिकनी कर दी. फिर मेने अपना लंड अच्छे से चुपड लिया. आख़िर एक तगड़ी गाय पर जैसे सांड़ चढ़ता है वैसे ही में माँ पर चढ़ गया.मेरा सुपाडा बहुत ही फूला था जिसका मुण्ड माँ की गान्ड में नहीं जा रहा था, नीचे माँ भी कसमसा रही थी. मेने फिर थोड़ी वसलीन माँ की गान्ड और मेरे लंड पर चुपड़ी. माँ से कहा कि वह बाहर की ओर ज़ोर लगाए. इस बार सुपाडा अंदर समा ही गया. माँ दर्द से छटपटाने लगी.

मेने लंड बाहर निकाल लिया और माँ का छेद रुपये के आकार का खुला सॉफ दिख रहा था जिसमें मेने अंगुल में ले वसलीन भर दी और माँ पर फिर चढ़ बैठा. 2-3 बार केवल सुपाडा अंदर डालता और पूरा लंड वापस बाहर निकाल लेता. इसके बाद में सुपाडा डाल गान्ड पर लंड का दबाव बढ़ाने लगा. माँ जैसे ही बाहर को ज़ोर लगाती लंड धीरे धीरे माँ की गान्ड में कुच्छ सरक जाता. माँ की गान्ड बहुत ही कसी थी. फिर लंड पूरा निकाल लिया और माँ की गान्ड और मेरे लंड को फिर वसलीन से चुपड कर माँ पर चढ़ गया. इस बार धीरे धीरे मेने लंड माँ की गान्ड में पूरा उतार दिया.

"हाय माँ तेरी गान्ड तो सोलह साल की कंवारी छोकरी की चूत जैसे कसी हुई है. देखो कितने प्यार से मेने पूरा लॉडा तुम्हारी गान्ड में पेल दिया बताओ तुम्हें दर्द हुआ." में माँ की लटकती चूची दबाते हुए बोला. अब में माँ की गान्ड से आधा के करीब लंड बाहर कर धीरे धीरे फिर भीतर सरकाने लगा था.

"पहली बार जब अंदर धुका था तो एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी. लेकिन अब जब अंदर जाता है तो गान्ड में एक मीठी मीठी सुरसुरी सी होती है. मारो मेरे राजा. आज तो तुमने मुझे एक नया मज़ा दिया है, एक नये स्वाद से अवगत कराया है." माँ ने मेरे चूची दबाते हाथ को पकड़ अपनी चूत पर रखते हुए कहा.

अब मेने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. नीचे से माँ भी गान्ड उछालने लगी थी. में समझ गया कि माँ पूरी मस्ती में है और पहली बार गान्ड मरवाने का मज़ा लूट रही है. अगले 5 मिनिट तक मेने माँ की गान्ड खूब कस के मारी. में पूरा लॉडा गान्ड से बाहर खींच एक ही धक्के में जड़ तक पेल रहा था. वासेलीन से पूरी चिकनी गान्ड में लंड 'पच्च' 'पच्छ' करता अंदर बाहर हो रहा था. थोड़ी देर बाद माँ की गान्ड से लॉडा निकाल लिया, कॉंडम निकाल साइड में रख दी और डॉगी स्टाइल में माँ पर चढ़ चूत में एक ही शॉट में पूरा लंड पेल दिया. में माँ को बेतहाशा चोदने लगा. माँ गान्ड पिछे ठेल ठेल चुदवा रही थी. थोड़ी देर माँ मानो मेरे लंड पर अपनी गान्ड पटकने लगी. तभी मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत में छूट पड़ा. उधर माँ भी ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी. कुच्छ देर बाद हम दोनो सिथिल पड़ गये.

मेने माँ को अपने आगोश में भर रखा था और माँ बिल्कुल मेरे से चिपकी मेरे साथ बिस्तर पर पड़ी थी. मेने माँ से कहा: "माँ कल तो मुन्ना भी वापस आ जाएगा. खेतों की बिकवाली का सारा काम मुन्ना ने कर दिया है और रुपये तुम्हारे बॅंक आकाउंट में डाल दिए हैं. कल शाम तक वा यहाँ पहून्च जाएगा."

माँ: "देख तू बहुत चालू और खुले स्वाभाव का है. मुन्ना के जाते ही तूने अपनी माँ को अपनी बीवी बना लिया है और उसके सब छेदो का मज़ा ले लिया है. पर मेरा अजय बेटा बहुत सीधा साधा है. ध्यान रखना कि उसके सामने कोई ऐसी हरकत मत कर देना कि बात बिगड़ जाए."

में: "माँ, तुम्हें बताया तो था कि अब मुन्ना पहले जैसा भोला नहीं रहा.तेरे दोनो बेटे ठीक तेरे पर गये हैं, तेरे जैसे ही मौज मस्ती के, पहनने के, खाने पीने के, घूमने फिरने के शौक. में खुलके करता हूँ तो वह थोड़ा झिझक कर. अपने भैया की हर खुशी के लिए मेरा मुन्ना पूरा तैयार रहता है. तुम उसकी बिल्कुल चिंता मत करो. उसका भी में कोई ना कोई रास्ता निकाल लूँगा." थोड़ी देर बाद कल की तरह माँ अपना गाउन उठा अपने रूम में चली गई. दूसरे दिन मेरे स्टोर जाते समय माँ बिल्कुल सामान्य थी.
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