RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-21
अजय: "भैया मुझे तो लड़कियों और औरतों से बात करने में और उनकी ओर आँख उठाके देखने में ही शरम आती है, उन्हे चोदना तो
बहुत दूर की बात है. मेने इस रूप में आज तक किसी भी औरत की कल्पना तक नहीं की है."
में: "तो क्या तूने आज तक किसी जवान औरत की चूत भी नहीं देखी? पर तू माँ के साथ तो हमेशा रहता था. माँ की चूत तो तूने किसी भी तरह ज़रूर देखी होगी? माँ के सोते समय, नहाते समय कभी तो मौका मिला होगा. बता ना अपनी प्यारी राधा देवी की मस्तानी चूत कैसी दिखती है."
अजय: "हां भैया, कई बार देखी पर ठीक से नहीं देखी. माँ खेत में बैठ के मूतति थी तब एक बार यूँ ही नज़र पद गई. इसके बाद जब भी माँ मूतने बैठती में छुप जाता और माँ को मूतते हुए देखने लगा. दूरसे माँ की दोनो जांघों के बीच काले काले बालों का बड़ा सा झुर्मुट भर
दिखता था और उसके बीचसे च्छूर्र्रर की आवाज़ से मूत की धार निकलती हुई दिखती थी. भैया माँ का मूतने का वह सीन बहुत ही ग़ज़ब
का होता था. माँ का मूत बहुत वेग से निकलता था."
में: "मुन्ना तेरी यह बात सुन के तो मेरा मन मस्ती से भर गया है, लंड अकड़ने लगा है, में काम वासना से जलने लग गया हूँ. जी तो करता है कि माँ के उस बहते झरने के आगे मुख खोल दूं और उस मस्तानी धार को गटगट पी जाउ. क्या माँ की वह झांतदार चूत देखके तेरा लंड खड़ा नहीं होता था?"
अजय: "होता था भैया. तभी तो जब भी मौका मिलता था में ज़रूर देखता था. में इतना मस्त हो जाता था कि मेरे पाँव आपने आप किसी ऐसे दोस्त की तलाश में मूड जाते थे जिसके साथ मस्ती कर सकूँ."
में: "इसका मतलब माँ की नंगी चूत तेरे लंड को भी आकर्षित करती थी, नहीं तो तेरा लंड खड़ा नहीं होना चाहिए था. मेरा लंड भी माँ की झांतदार चूत के बारे में सोच, माँ की फूली मटकती गान्ड के बारे में सोच खड़ा होता है पर तेरे में और मेरे में फ़र्क यह है कि तूने उस चीज़ को पाने की कभी कोशीस नहीं की जिसे देख तेरा लंड खड़ा होता था वहीं में किसी दूसरे से मस्ती झडवाने की बजाय उसी चीज़ को
यानी की माँ की चूत या गान्ड को पाने का जी जान से प्रयास करता हूँ और जब मिल जाती है तो एक दम खुल्लम खुला उस चीज़ का
पूरा मज़ा लेता हूँ." यह कह मेने गोद में बैठे छोटे भाई के होंठ अपने होंठ में जकड लिए और मस्ती से उन्हे चूसने लगा. मेरा खड़ा लंड
नीचे भाई की गान्ड का छेद ढूँढ रहा था और उस बिल में समा जाने के लिए छटपटा रहा था.
मेरी गोद में बैठे अजय का लंड भी बिल्कुल तना हुआ था और उसकी आँखें लाल हो उठी थी. में भी वासना से पूरा जल रहा था और अपने मस्त भाई के होंठ चूस रहा था और उसके गाल खा रहा था.
अजय: "भैया आपकी बातें सुन कर बहुत मस्ती आ रही है. आप भी सब कुच्छ खोल पूरे नंगे हो जाइए. आज हम दोनो भाई मिल जवानी का खूब मज़ा लूटेंगे."
अजय की बात सुन में उठा और सारे कपड़े उतार बिल्कुल नंग धड़ंग हो गया. अजय की भी गॅंजी खोल उसे भी अपनी तरह पूरा नंगा कर लिया. हम दोनो जवान भाई बिल्कुल नंग धड़ंग खड़े खड़े एक दूसरे से चिपकने लगे, नीचे हमारे खड़े लंड आपस में टकरा रहे थे, हमारी छातियाँ आपस में पिस रही थी और हमारे होंठ बिल्कुल चिपके कुए थे. हम दोनो भाई अत्यंत कमतूर हो एक दूसरे के जवान मर्दाने
शरीरों का पूरा मज़ा ले रहे थे. एक दूसरे के चुतड़ों को दबा दबा दो शरीरों एक शरीर बना लेना चाह रहे थे. कुच्छ देर इस मुद्रा में मस्ती लेने के बाद में बेड पर आ कर बैठ गया और अजय भी मेरे पास बैठ गया.
में: "मुन्ना आज में रह रह कर माँ की चूत और गान्ड के बारे में ही सोच रहा हूँ, मुझे तेरी मस्त गान्ड में भी माँ की ही गान्ड दिखाई दे रही है
. देख माँ पूरी शहर के रंग में रंग गई है ना."
अजय: "लेकिन भैया ज़रूर आपने ही माँ को मजबूर कर के शहर के रंग में रंगा है और अब उसके दीवाने हो रहे हैं. आपने ही माँ को शहरी रंग ढंग अपनाने के लिए उकसाया होगा."
में: "लो विधवा होते हुए भी माँ की खुद की भीतर से ऐसा बनने की इच्छा नहीं होती तो में क्या माँ के साथ ज़बरदस्ती कर सकता था? माँ शुरू से ही रंगीन तबीयत की औरत है. वह तो पिताजी की बीमारी की वजह से और गाँव के दकियानूसी माहॉल की वजह से मन मार के बैठी थी.
मेरी उसे थोड़ी हवा देने की और छूट देने की देर थी कि पट्ठि की रंगीन तबीयत मचल गई और सारे शौक़ जाग गये. देखना जिस तरह एक बार कहते ही माँ ब्यूटी पार्लर में जा लौंडिया जैसी बन गई है ना वैसे ही थोड़ी सी कोशिश करते ही वह हम दोनो के सामने नंगी भी हो जाएगी. बता, तुम जो दूर से ही माँ की चूत देख के मस्त हो जाते थे जब वह खुद पास से तुमको अपनी चूत चौड़ी कर के दिखाएगी
तब तुम्हारी क्या हालत होगी? तूने माँ के मूतते समय माँ की चूत ठीक से देखी थी ना?"
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