RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अपडेट-23
दूसरे दिन रात 9 बजे के करीब हम दोनो भाई साथ साथ घर पहुँचे. माँ भोजन बना हम लोगों का इंतज़ार ही कर रही थी. 10 बजे तक भोजन का काम निपट गया. भोजन के बाद हम दोनो भाई अपने कमरे में आ गये. थोड़ी देर बाद माँ भी वहाँ नाइटी पहन आ गई. अजय ने माँ
को पहली बार नाइटी में देखा था सो वह माँ को आँखें फाड़ फाड़ देखने लगा.
"ऐसे क्या घूर घूर के देख रहा है? यहाँ शहर में तो औरतें नाइटी पहन के बाज़ार तक में निकल जाती है. "हम दोनों के पास बिस्तर पर
बैठते हुए माँ ने कहा.
अजय: "माँ पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह तुम हो. मेने तो सोचा कि भैया की जान पहचान की कोई गर्ल फ्रेंड होगी. वाह माँ!
तुम तो ऐसे लग रही हो जैसे आसमान से कोई परी नीचे उतर आई हो."
में: "माँ, इन मॉडर्न हल्के फुल्के कपड़ों में तुम बहुत स्मार्ट लगती हो. देखो तुमको इस रूप में देख कर मुन्ना भी लाइन मारने लगा.
अजय: "में तो ये लाइन साइन मारना जानता नहीं पर मेरे जाने के बाद भैया ने माँ पर अपना पूरा जादू चला दिया है, देखो कैसे माँ को
पूरे अपने रंग में रंग लिया है. बताओ ना मेरे जाने के बाद आप लोगोने क्या क्या किया, कैसे कैसे मस्ती ली?"
अजय की बात सुन मेने चटखारे ले ले माँ के साथ सिनिमा जाने की, होटेलों में खाने की, पार्क की सैर करने की और माँ को मिसेज़. कपूर के ब्यूटी पार्लर में भेजने की और 'खूबसूरत' पिक्चर की स्टोरी के साथ माँ को अपनी गर्ल फ्रेंड बनाने की बात बताई पर माँ की चुदाई वाला पूरा चॅप्टर गोल कर गया.
"जब तक में यहाँ था तब तो आप हम दोनो को ले एक दिन भी कहीं बाहर नहीं गये और मेरे जाते ही लाइन तो माँ पर आप मारने लगे." अजय ने शिकायत करते हुए कहा.
"नलायकों, क्या में तुम दोनों की लाइन मारने की चीज़ हूँ. लाइन तो मेरा यह शहरी बेटा उस ब्यूटी पार्लर वाली मिसेज़ कपूर को मारता है.
जब से यह मुझे कपूर के पार्लर में ले गया है तब से एक ही रट लगाए हुए है कि में भी उस कपूर की तरह बनूँ और दिखूं." माँ ने मेरा गाल चींटी में पकड़ते हुए कहा.
"हां माँ भैया को मिसेज़. कपूर जैसी और तुम्हारे जैसी बड़ी उमर की औरतें ही पसंद है तभी तो अब तक मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी नहीं लाए. क्यों भैया माँ को गर्ल फ्रेंड बनाते बनाते कहीं मेरी भाभी बनाने का तो इरादा नहीं है?" अजय ने माँ से नज़र बचा मेरी ओर आँख दबाते हुए कहा.
"क्या कहा? में तेरी भाभी बनूँगी यानी की इसकी लुगा...लुगा...? में तुझे भाभी जैसी दिखती हूँ? विजय तो कह रहा था की शहर में आकर तू बहुत समझदार हो गया है पर अभी भी तू गाँव जैसा ही भोलाभाला है." माने इसे अजय की भोलेपन भारी बात समझ हंसते हुए कहा.
अजय: "पहले तो भाभी जैसी नहीं दिखती थी पर अब भैया ने तुझे मेरी भाभी जैसा बना लिया है. माँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसी दुल्हन की भैया कल्पना करते हैं और रही सही कसर भैयाने मेरे जाने के 6-7 दिनों में पूरी कर दी. ज़रा तुम दोनो अगल बगल में सट कर तो बैठो." अजय ने मेरेको और माँ को अगल बगल में सटा कर बैठा दिया और कहा, "देखो कैसी राधा और श्याम की सी प्यारी जोड़ी है. माँ तुम तो
बिल्कुल भैया की उमर की लगती हो और तुम दोनो को देख कर कोई नहीं कहेगा कि ये पति पत्नी नहीं है." अजय अपनी ओर से मेरे लिए माँ को पटाने में पूरा ज़ोर लगा रहा था पर उस नादान को यह नहीं मालूम था कि मेने जैसे उसे अपने मस्त लंड का स्वाद चखाया है वैसे
ही माँ को भी चखा चुका हूँ.
माँ: "तो तू मुझे भाभी बनाना चाहता है पर पहले अपने भैया से तो पूच्छ लो. वह कहीं पिछे हट गये तो तू क्या करेगा?" अब माँ भी अपनी
जान में शरारत पर उतर गई और अजय के भोलेपन में शामिल हो गई.
"भैया अपनी शादी व्याह के मामले में खुद क्या बोलेंगे. जब मेने कह दिया तो हमारी तरफ से बात पक्की है. तुम शादी का जोड़ा पहन के
आ जाओ, चट मँगनी पट व्याह करा देंगे." अजय ने गाँव के बड़े बूढ़ो जैसी बात कही.
में: "अब भाई शादी व्यह की बात में खुद तो करने से रहा. मुन्ना की पसंद मेरी पसंद है और मुन्ना जो बात पक्की कर देगा वह मेरी तरफ से भी बिल्कुल पक्की है. मेने तो मुन्ना को बता दिया है कि मुझे तो माँ जैसी ही पति की सेवा करने वाली भरी पूरी सुंदर पत्नी चाहिए. अब मुन्ना जाने और उसका काम जाने."
अजय: "लो माँ भैया ने भी हामी भर दी. भैया के हरी झंडी देते ही अब माँ तू तो मेरी भाभी हो गई. माँ अब तू मुझे अपना देवर माने या ना माने पर में तो अब तुझे भाभी ही मानूँगा."
"यह तुम दोनो की अच्छी मिली भगत है. वह! मान ना मान में तेरा मेहमान वाली बात है यह तो. अब में तो चली सोने; एक मेरा लुगाई के रूप में सपना देखो और दूसरा भाभी के रूप में." यह कह माँ अपने कमरे में चली गई. माँ के जाते ही अजय ने कमरा बंद कर लिया और मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गया.
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