RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
मा: "अच्छा तो अब तू मुझे समझाएगा की पति सुहाग्रात में अपनी पत्नी की क्या लेता है. तेरे को उसके बारे में क्या पता? तेरी उमर में आते आते आजकल के छ्होकरे तो उस में दसियों बार डुबकी लगा चुके होते हैं. पर तू तो मर्दों के सकर्कांडों का शौकीन है, उन्हें अपने पिच्छावाड़े में ओतता है. मेरा बड़ा बेटा यही बोल बोल के तो मेरे सामने ही तुझे च्छेद रहा था तो में क्या इन बातों का मतलब नहीं समझती? अब जब तू भी खुल गया है तो तुझे समझाती हूँ की पति सुहाग्रात में पत्नी की क्या लेता है. हम औरतों की दोनो टाँगों के बीच एक पावरोती के लोफ सा फूला हुवा अंग होता है जिसके बीचों बीच खूब गहरा सुराख होता है. हम लोगों का यह अंग काले काले रेशमी बालों से भारती रहता है. भीतर देखने से यह बिल्कुल सुर्ख लाल रंग का दिखाई पड़ता है. हम लोगों के इस अंग से कुदरती तौर पर गढ़ा लसलसा रस निकलता रहता है जिससे यह भीतर तक पूरा चिकना रहता है, तुम्हरीवली की तरह इसमें वॅसलीन नहीं चुपाड़नी पड़ती. हर जवान मर्द इसकी फिराक़ में रहता है, इसको पाने के लिए कुच्छ भी कर सकता है, इसको पाने के लिए जवान औरतों के हज़ारों नखरे सहता है. सुहाग्रात में पति पत्नी का यही मस्त अंग लेता है. तेरे भैया भी अगर मेरे साथ आज सुहाग्रात मनाएँगे तो मेरी इसी खाश चीज़ को लेंगे और तेरे भैया को पूरी मस्त होकर आज इसका मज़ा चखवँगी."
अजय: "मा मेने तो तुम्हें भैया की दुल्हन यह सोच कर बनाया था की तुम एक बहुत शर्मोहाया वाली और आचार विचार वाली औरत हो पर तुम तो पक्की मारआडमार और बेशरम औरत निकली. कम से कम इस सुहाग्रात की बेला में तो थोड़ी लाज शरम रखती, दुल्हन की तरह शरमाती, नखरे दिखती, कहती की मुझे क्या पता तेरे भैया क्या लेंगे पर लगता है की तू तो अपनी चीज़ देने के लिए मारी जा रही है." यह कह अजय मेरी तरफ देखते हुए बोला, "भैया अब आपकी जोड़ी की सही लुगाई मिली है. आप खुद जितनी अश्लील खुली खुली बातें करते हुए मस्ती लेते हैं आपकी लुगाई उससे भी ज़्यादा खुली खुली गंदी बातें करने की शौकीन है. आप मा पर ऐसे ही लट्तू नहीं हुए. मा बिल्कुल आपकी तबीयत की औरत है, आपको माके साथ बहुत मज़ा आएगा."
में: "में माको अच्छी तरह से जानता हूँ. अपनी मा बहुत रंगीन तबीयत की पूरी आशिक़ मिज़ाज की औरत है. मेरी ही तरह एक बार खुल जाती है तो झुटे नखरे बिल्कुल नहीं करती, मान में कुच्छ ओर और ज़ुबान से कुच्छ ओर नहीं बोलती, जो बात सच है उसे बिना लाग लपेट के खुलके कहने की हिम्मत रखती है. फिर इस काम का मज़ा तो खूब खुल के बात करते हुए बोल बोल कर करने में ही है और यह बात भला मासे ज़्यादा कौन जानता है. तभी तो मा पर मेरी तबीयत आई है. जब घर में ही ऐसी मस्त लुगाई मौजूद है तो में दुनिया भर में ऐसी दूसरी औरत कहाँ ढूंढता फिरता. मा जैसी मस्त खेली खाई औरत अपने बनके सैंया को जब बिल्कुल खुल के बोल बोल के मस्ती कराती है तो उस मज़े का क्या कहना?"
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