RE: Rishton mai Chudai - दो सगे मादरचोद
अजय: "मा देखा, भैया तुम्हें कितना समाझते हैं और प्यार करते हैं. भैयाने बहुत उम्मीद से तुझसे दिल लगाया है, उन्हे निराश मत करना. मेने उसमें डुबकी नहीं लगाई तो क्या पर मुझे पता है की भैया तेरी दोनों टाँगों के बीछवाली चीज़ ही मेरे सामने लेंगे और तुम जितनी खुल के बात कर रही हो उतनी ही मस्त हो कर अपनी चीज़ देना. भैया के लेनेका मतलब ठीक से समझ रही होना, फिर नखरे मत करने लग जाना की तुझे लेने का मतलब नहीं समझ में आया."
मा: "मेने बताया ना की हम औरतों की दोनों टाँगों के बीच गहरा च्छेद होता है वैसे ही तुम मर्दों की दोनों टाँगों के बीच एक लंबा सा मोटा डंडे जैसा अंग लटकता रहता है, अब यह मुझे नहीं पता की तुम्हारी टाँगों के बीच भी ऐसी कोई चीज़ लटक रही है या नहीं क्योंकि तेरे लक्खां तो ऐसे नहीं है. जब मारद औरत की लेता है तो अपना डंडा औरत के उस लाल च्छेद के अंदर डालता है जैसे की भैया ने जब तुम्हारी मारी थी तो अपना वही दांदा तेरे पिच्छावाड़े के अंदर डाला था. मेने बताया ना की हमारी वाली चीज़ तो नॅचुरल रूप से ही चिकनी रहती है और पूरी गहरी होती है तो किसी भी मारद का चाहे जितना लंबा हो और मोटा हो वा देर साबेर उसमें पूरा चला ही जाता है. फिर मारद जैसे लोकोमोटिव के एंजिन में पिस्टन आयेज पिच्चे होता है वैसे ही अपना डंडा हमारे च्छेद में आयेज पिच्चे करते हैं. ऐसा करने में मारादों को बहुत मज़ा आता है और वे पुर जोश में भर जाते हैं. रेल की स्पीड की तरह उनका जोश बढ़ने लगता है और साथ साथ उनके पिस्टन की भी हमारे च्छेद में स्पीड बढ़ जाती है. फिर जैसे स्टेशन आने से ट्रेन फुसस्स्स करके रुक जाती है वैसे ही उनकी मंज़िल आने से उनका जोश भी ठंडा पद जाता है और उनका फूला हुवा कड़ा डंडा मुरझा कर मारे हुए चूहे जैसा लटक जाता है. अब तुम्हारी समझ में बात आई की मारद इसी तरह हम औरतों की लेते हैं. क्या भैया ने तेरा पिच्छावाड़ा भी इसी तरह लिया था?"
अजय: "मा तुम तो अभी से सौतिया दाह से जलने लगी जो बार बार मेरा पिच्छावाड़ा मेरा पिच्छावाड़ा कर रही हो तो क्या अपनी तंदूर सी फूली हुई गांद भैया से बचा लॉगी? ठीक है भैया तेरी आगेवली तो लेंगे पर क्या तेरे पिच्छावाड़े का तबला बजाने से छ्चोड़ देंगे, क्या तेरे पिच्छावाड़े में अपना हल्लाबी 11" का मूसल ठोके बिना रहेंगे. तू एक नुंबर की चुड़दकड़ है तो आयेज तो आराम से लेलेगी पर भैया जब तेरे पर सांड़ जैसे चढ़ेंगे और तेरे पिच्छावाड़े में पेलेंगे तब देखना तेरी यही ज़ुबान बाहर आ जाएगी जिससे इस समय बड़ी बड़ी बातें कर रही हो."
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